Kalinjar Fort History in Hindi

Kalinjar Fort History in Hindi | कलिंजर किले का इतिहास और घूमने की जानकारी

Kalinjar Fort Information in Hindi में आपका स्वागत है। आज हम भारत के सबसे विशाल और अपराजेय किलों में एक कलिंजर किले का इतिहास और घूमने की जानकरी बताने वाले है। एक महल जैसा रहा शानदार किला आज खंडहर में तब्दील हो गया है। कालिंजर पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह दुर्ग में कई स्मारकों और मूर्तियों का खजाना है। उस से इतिहास के विभिन्न पहलुओं का पता चलता है। चंदेल वंश के शासन काल में बना क़िला की चंदेलो की भव्य वास्तुकला का उदाहरण है।

यहाँ विशाल किले में पर्यटकों को भव्य महल और छतरियाँ देखने को मिलती है। उस महल एव छतरियाँ पर बारीक नक्काशी और डिज़ाइन भी बनी हुई है। सतयुग में कीर्तिनगर, त्रेतायुग में मध्यगढ़, द्वापर युग में सिंहलगढ़ और कलियुग में कालिंजर के नाम से प्रसिद्ध हुआ यह किला अति भव्य स्मारक है। आपको बतादे की यह ऐसा किला है। जिसे हर किसी ने जीतना चाहा है। फिरभी आज अपराजेय किला कहाजाता है। कालिंजर दुर्ग में भगवान शिव को समर्पित नीलकंठ महादेव का एक अदभुत मंदिर भी है। तो चलिए Kalinjar Kile की जानकारी बताते है।

नाम कलिंजर किला (कलिंजर दुर्ग)
प्रकार दुर्ग, गुफाएं, मन्दिर
स्थल बांदा जिला, उत्तर प्रदेश, भारत
नियंत्रक उत्तर प्रदेश राज्य सरकार
किले की दशा ध्वस्त किले के अवशेष
निर्माण समय 10वीं शताब्दी
निर्माणकर्ता चन्देल शासक
सामग्री ग्रेनाइट पाषाण
ऊँचाई 375 AMSL

Kalinjar Fort History in Hindi

इतिहासकारो के अनुसार 7 वी शताब्दी में कलिंजर शहर की स्थापना हुई थी। कलिंजर शहर के राजवी केदार राजा ने  उसकी नीव राखी थी। लेकिन चंदेला शासको के समय में यह प्रसिद्ध हुआ था। लेकिन कुछ कहानियो के अनुसार यह किले का निर्माण चंदेला राजाओ ने करवाने का भी प्रमाण मिलता है। ऐसा कहाजाता है की चंदेला को “कलंजराधिपति” की उपाधि भी यही स्थान से हासिल हुई थी। यह किले के कई महत्त्व को दर्शाती है। यह किले का उपयोग युद्धों और आक्रमणों के समय में किया जाता था। कई हिन्दू राजाओ और मुस्लिम शासको ने यह किले को प्राप्त करने के लिए युद्ध किये लेकिन कलिंजर किला पर कोई भी राजा ज्यादा समय तक राज नही कर पाया था।

Images for kalinjar fort
Images for kalinjar fort

कलिंजर किले पर हुए आक्रमण 

महमूद गजनी ने 1023 में किले पर आक्रमण किया था। पुरे इतिहास में सिर्फ मुघल सम्राट बाबर ही ऐसा था। जिसने 1526 में कलिंजर में अपना अधिपत्य स्थापित कर सका था। कलिंजर किले में ही 1545 में शेर शाह सूरी की मौत हुई थी। ब्रिटिश सेना ने 1812 में बुंदेलखंड पर आक्रमण कर दिया था । बहुत ही लम्बे समय के युद्ध के बाद अंगेजो को यह किला हासिल हुआ था। अंग्रेजो ने जब कलिंजर शहर पर अपना अधिकार जमाया उसके पश्यात यह किला ब्रिटिश अधिकारियो को सौप दिया गया था। उन्होंने यह किले को क्षतिग्रस्त कर दिया था। लेकिन उसको सम्पूर्ण नष्ट नहीं किया था। पर्यटक आज भी किले को देख सकते है।

kalinjar fort image
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Kalinjar Fort Architecture

विंध्याचल की पहाड़ी पर 700 फीट की ऊँचाई पर कालिंजर दुर्ग स्थित है। दुर्ग की ऊँचाई 108 फ़ीट है। किले की दीवारें चौड़ी एव ऊँची बनाई गई हैं। यह मध्यकालीन भारत का सबसे सर्वोत्तम महल माना जाता था। यह दुर्ग की स्थापत्य में कई शैलियाँ प्रदर्शित होती है। जिसमे गुप्त शैली, पंचायतन नागर शैली और प्रतिहार शैली मुख्य है। किले के वास्तुकार ने उसमे बृहद संहिता एव अग्नि पुराण का ख्याल रखते हुए दुर्ग के मध्य में अजय पलका नाम की एक झील भी मौजूद है। उस झील के नजदीक कई प्राचीन मन्दिर भी देखने को मिलते है। कलिंजर किले के प्रवेश के लिए सात दरवाजे निर्मित किये गए है। यह सातो दरवाजे एक दूसरे से भिन्न शैलियों से अंकित किये गए है।

kalinjar fort images
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उसकी स्तंभों एवं दीवारों में अलग अलग प्रकार की प्रतिलिपियाँ निर्मित है। ऐसा कहा जाता है की उसमे खजाने का रहस्य छुपा हुआ है। सात द्वारों में पहला एव मुख्य द्वार सिंह द्वार कहा जाता है। तो दूसरे दरवाजे को गणेश द्वार, तीसरे चंडी द्वार और चौथे को बुद्धगढ़ द्वार या स्वर्गारोहण द्वार कहा जाता है। उसके नजदीक ही गंधी कुण्ड या भैरवकुण्ड नाम का जलाशय बना हुआ है। दुर्ग का अदभुत और कलात्मक द्वार पाचवाँ जो हनुमान द्वार है। उसमे आपकोमूर्तियाँ, शिल्पकारी और चंदेल शासकों के शिलालेख देखने को मिलते है। छठा द्वार लाल द्वार नाम से जाना जाता है। उसके पास ही हम्मीर कुण्ड नाम का कुण्ड स्थित है। अंतिम द्वार को महादेव द्वार  या नेमि द्वार कहते है।

kalinjar fort photo
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कलिंजर किले के देखने योग्य स्थान

किले के शिलालेख में कीर्तिवर्मन तथा मदन वर्मन का नाम मिलता है। उसके अलावा मातृ-पितृ भक्त, श्रवण का चित्र बना हुआ है। इन दुर्ग में मुगल बादशाह आलमगीर औरंगज़ेब से निर्मित आलमगीर दरवाजा, चौबुरजी दरवाजा, बुद्ध भद्र दरवाजा, और बारा दरवाजा देखने को मिलते है। सीता सेज गुफा उसमे पत्थर का पलंग और तकिया रखा हुआ है। जो सीता की विश्रामस्थली कहा जाता है। उसके नजदीक एक कुण्ड जो सीताकुण्ड कहलाता है। किले में बुड्ढा एवं बुड्ढी नामक दो ताल जो औषधीय गुणों से भरपूर है। चंदेल राजा कीर्तिवर्मन का कुष्ठ रोग भी यहीं स्नान करने से दूर हुआ था।

उस मे राजा महल एव रानी महल नाम के दो भव्य महल हैं। उसमे पाताल गंगा जलाशय है। पांडु कुण्ड में चट्टानों से निरंतर पानी टपकता रहता है। उसके नीचे से पाताल गंगा होकर बहती थी। उसी से यह कुण्ड भरता है। उसके अलावा कोटि तीर्थ, मृगधारा, सात हिरणों की मूर्तियाँ, भैरव की प्रतिमा, मंडूक भैरवी, चतुर्भुजी रुद्राणी, दुर्गा, पार्वती और महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमाएं, त्रिमूर्ति, शिव, कामदेव, शचि (इन्द्राणी) की मूर्तियाँ देखने योग्य है। जिन्हे पर्यटक को जरूर देखना चाहिए।

kalinjar fort photos
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Kalinjar Fort में भगवान शिव

कुछ किंवदंतियाँ कहती है। की जब समुद्र मंथन हुआ तब मंथन के बाद भगवान भोले नाथ ने यही स्थान पर समुद्र से निकला जहर पिया था। जब शिवजी भगवान ने उस जहर को पिया तो शिवजी का गला नीला हो गया था । उसी कारन से शिवजी नीलकंठ के नाम से भी जाने जाते है। जहर यह स्थान पर पिने की वजह से कलिंजर में भगवान शिव के मंदिर को नीलकंठ के नाम से जाना जाता है। और यहाँ के पवित्र स्थान भी मानाजाता है। यहाँ की भूमि प्राकृतिक शांत और ध्यान लगाने के लिए एक आदर्श जगह है।

इमेज कलिंजर किला
इमेज कलिंजर किला

नीलकण्ठ मन्दिर

दुर्ग के पश्चिमी भाग में कालिंजर शहर के अधिष्ठाता देवता नीलकण्ठ महादेव का एक प्राचीन मन्दिर बनाया गया है। उसमे प्रवेश के लिए के लिए दो द्वारों हैं। उसके रास्ते में चट्टानों को काट कर बनाई शिल्पाकृतियाँ और अनेक गुफाएँ हैं। वास्तु की दृष्टि से चंदेल राजाओ की अनोखी और अदभुत कृति है। मन्दिर के दरवाजे पर चंदेल शासक परिमाद्र देव की शिवस्तुति और अंदर एक शिवलिंग स्थापित है। शिव मन्दिर के ऊपर जल का एक प्राकृतिक स्रोत बना है। यह कोई भी दिन सूखता नहीं है। उस से शिवलिंग का अभिषेक निरंतर प्राकृतिक तरीके से होता रहता है।

बुन्देलखण्ड अपने सूखे के कारण भी प्रसिद्द है। लेकिन यह स्रोत आज तक कभी नहीं सूखा है। चन्देल राजाओ के समय से ही यहाँ की पूजा चन्देल राजपूतो के पण्डित किया करते हैं। शिव मंदिर के ऊपरी भाग स्थित जलस्रोत यानि स्वर्गारोहण कुण्ड के लिए पत्थरो को काटकर दो कुण्ड निर्मित किये गए हैं। उसके नीचे चट्टानों को तराशकर काल-भैरव की एक प्रतिमा स्थापित की है। यहाँ के शिवलिंग के नजदीक ही भगवती पार्वती और भैरव बाबा की मूर्तियाँ स्थापित हैं। प्रवेशद्वार के दोनों साइड में अनेक ढेरों देवी-देवताओं की मूर्तियाँ अंकित हुई हैं। इतिहासकार ऐसा कहते है की यह मंदिर छः मंजिला बनाया गया था।

कलिंजर किला इमेज
कलिंजर किला इमेज

Mystery of Kalinjar Fort

बुन्देलखण्ड का कालिंजर किला हाड़ों पर सीना ताने खड़ा हो ऐसा प्रतीत होता है। उसमे कई रहस्य है। उसमे से कहीं तिलिस्मी चमत्कार. कई ख़ौफ़नाक हवेलियों और किले के क़िस्से अब तक सुने गए हैं। शानदार किला आज खंडहर में तब्दील हुआ है। लेकिन यहां के वीराने आज भी किसी के जिंदा होने का अहसास कराते हैं। गुफाओं में मकड़ी के जाले और घूरती बिल्लियों की निगाहे रोंगटे खड़े देती हैं। रहस्मयी गुफा में घना अंधेरो और उसमे से अजीब तरह की आवाजें आती है।

उसमे जिस घुंघरू की आवाज उस नर्तकी का नाम पद्मावती कहा जाता है। पद्मावती भगवान शिव की भक्त और लिहाजा खासकर कार्तिक पूर्णिमा के दिन पूरी रात दिल खोल कर नाचती थी। अब पद़माती  नहीं है लेकिन हज़ारों साल बाद आज भी ये किला पद्मावती के घुघरुओं की आवाज़ से आबाद है। इतिहासकार भी इस सच को मानते हैं। रिसर्च के दौरान एक बार उन्हें देर रात  महल में रुकना पड़ा और फिर रात की खामोशी में अचानक घुंघरुओं की आवाज सुनाई देने लगी थी। उस किले को गजनवी, कुतुबुद्दीन ऐबक और हुमायूं ने  जीतना चाहा लेकिन सफल नहीं हो पाए। kalinjar fort haunted स्टोरी बहुत दिलचस्प है।

कलिंजर किला फोटो
कलिंजर किला फोटो

सतयुग का कीर्तिनगर आज का कालिंजर

भारतीय इतिहास का रूबरू साक्षी रहा कालिंजर किला सभी युग में बिराजमान रहा है। यह किले के नाम भले बदलते गये लेकिन उसका आकर्षण कभी ख़त्म नहीं हुआ है । सतयुग में यह कालिंजर कीर्तिनगर, त्रेतायुग में मध्यगढ़, द्वापर युग में सिंहलगढ़ और कलियुग में कालिंजर के नाम से प्रसिद्ध हुआ है। कालिंजर का अपराजेय किला प्राचीन काल में जेजाक भुक्ति साम्राज्य के राजाओ के शासन विस्तार में हुआ करता था। महमूद गजनवी, कुतुबुद्दीन ऐबक और हुमायूं ने कई आक्रमण किये लेकिन कभी जित नहीं पाए थे। अकबर बादशाह ने 1569 में किला को जीतकर बीरबल को उपहार दे दिया था ।

कलिंजर किले का इतिहास और घूमने की जानकरी
कलिंजर किले का इतिहास और घूमने की जानकरी

व्यवसायिक क्षेत्र में महत्व

प्राचीन काल से कालिंजर दुर्ग व्यवसायिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है। उसकी पहाड़ी खेरा और बृहस्पतिकुंड से उत्तम कोटि की हीरा खदानें मौजूद हैं। किले के नजदीक ही कुठला जवारी के जंगल झाड़ियों में चमकदार लाल रंग का पत्थर निकलता है। उससे प्राचीनकाल में सोना बनाया जाता था। यहाँ की पहाड़ियों में पर्तदार चट्टानें और ग्रेनाइट पत्थर भी मिलता है। जो कई स्थानों के निर्माण में काम आता है। उसमे साखू, शीशम, सागौन के वृक्ष ज्यादा है।

औषधियो का भंडार

कालिंजर किले में एक अलग नाना प्रकार की औषधि मिलती हैं। उससे निकलती सीताफल की पत्तियां और बीज औषधि के काम आता रहता है। गुमाय के बीज, हरर, मदनमस्त की पत्तियां और जड़, कंधी की पत्तियां, गोरख इमली, मारोफली, कुरियाबेल, घुंचू की पत्तियां, फल्दू, सिंदूरी, कूटा, नरगुंडी, सहसमूसली, रूसो, लाल पथरचटा, लटजीरा, गूमा, दुधई और शिखा जैसी कई औषधियां मिलती है।

कलिंजर किले की तस्वीरें
कलिंजर किले की तस्वीरें

उत्सव और मेला

यहाँ कालिंजर का सबसे प्रमुख उत्सव हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाला पाँच दिवसीय मेला है। उसे कतिकी मेला कहते हैं। उसमें कई श्रद्धालुओं की बहुत बड़ी भीड़ रहती है। यह मेला चंदेल के राजा परिमर्दिदेव के समय में शुरू हुआ था। जो आज तक भी लगता है। कालिंजर महोत्सव में पहले परिमर्दिदेव के मंत्री और नाटककार वत्सराज रचित नाटक रूपक षटकम में मिलता है। वत्सराज के दो नाटकों का मंच पर प्रदर्शन किया जाता है। पद्मावती नामक नर्तकी के नृत्य कार्यक्रम महोत्सव का मुख्य आकर्षण हुआ करता था।

Kalinjar Fort कैसे पहुंचें

रेलवे से हरिहर किला तक कैसे पहुँचे

अगर आप Kalinjar fort India जाने के लिए (Train) ट्रेन यानि रेलवे मार्ग को पसंद करते है। तो आपको बतादे की उसका नजदीकी रेलवे स्टेशन बांदा है। जो कालिंजर किला से 65 किलोमीटर की दूरी पर है। बांदा झांसी-बांदा-इलाहाबाद रेल लाइन पर स्थित है। यह किला बांदा रेलवे स्टेशन से 65 किमी दूर है। 

सड़क मार्ग से हरिहर किला कैसे पहुँचे

अगर आप kalinjar fort uttar pradesh जाने के लिए (Raod) सड़क मार्ग को पसंद करते है। तो आपको बतादे की यहाँ तक जाने के लिए बुन्देलखण्ड क्षेत्र के बाँदा जिले से पहुंच सकते है। यह बाँदा शहर से 65 किलोमीटर दूर स्थित है। बाँदा शहर से बारास्ता गिरवाँ, नरौनी, कालिंजर पहुँचा जा सकता है। खजुराहो से 105 दूर दूर है। आप बस में माध्यम से बांदा से बहुत आसानी से कालिंजर किला पहुंच सकते है। 

फ्लाइट से हरिहर किला कैसे पहुँचे

अगर आप कलिंजर किला जाने के लिए (Flight) फ्लाइट को पसंद करते है। तो यहाँ का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा खजुराहो कलिंजर किले से 130 किलोमीटर की दूरी पर है। वहा से यात्री बस, टैक्सी या कैब के सहायता से कलिंजर किला तक पहुँच सकते है। 

Kalinjar Fort Bundelkhand Uttar Pradesh Map & Location कलिंजर किले का मैप

Kalinjar Fort History in Hindi Video

Interesting Facts

  • कालिंजर किला यूपी के बांदा जिले में स्थित है।
  • काफी खूबसूरत कालिंजर किला कई रहस्यो से भरा है।
  • कालिंजर किला की मौजूदगी का ज़िक्र वेद पुराणों और महाभारत में है।
  • यह किला भारत के सबसे विशाल और अपराजेय किलों में से एक है।
  • यह किला हिंदू भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है।
  • कालिंजर शहर वर्ल्ड हेरिटेज साईट और खजुराहो के पास है।
  • कालिंजर का उल्लेख अनेक युगों से होता आया है।
  • आज किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षण में हैं।

FAQ

Q : कालिंजर का किला कहा है? (where is kalinjar fort)

A : उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में कालिंजर किला स्थित है।

Q : बांदा से कालिंजर कितने किलोमीटर है?

A : कालिंजर से बांदा जिला 65 किलोमीटर दूर है।

Q : कालिंजर का किला किसने बनवाया था?

A : चंदेल शासक परमादित्य देव ने कालिंजर का किला बनवाया था।

Q : कालिंजर किले को किसने नष्ट किया?

A : 1202 में कुतुब-उद-दीन ऐबक ने किले के मंदिरों को नष्ट कर दिया।

Q : कालिंजर किला कितना पुराना है?

A : 10वीं शताब्दी में कालिंजर किला का निर्माण किया गया था।

Q : कालिंजर का राजा कौन है?

A : कालिंजर शहर पर चंदेल शासको ने राज किया है।

Conclusion

आपको मेरा Kalinjar Fort History in Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये kalinjar fort in hindi और

kalinjar fort built by से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है।

अगर आपको किसी जगह के बारे में जानना है। तो कहै मेंट करके जरूर बता सकते है।

हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।

Note

आपके पास fort of kalinjar या kalinjar fort distance की कोई जानकारी हैं। 

या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे / तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है।

तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद। 

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