नमस्कार दोस्तों Udupi Krishna Temple In HIndi में आपका स्वागत है। आज हम दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एकउडुपी का कृष्ण मंदिर के बारे में जानकारी बताने वाले है। कृष्ण मंदिर या उडुपी श्री कृष्ण मठ भगवान कृष्ण को समर्पित सबसे शुभ मंदिरों में से एक है। मंदिर में स्थित भगवान की आकर्षक मूर्ति को रत्नों और स्वर्ण रथ से सजाया गया है। मंदिर की पूजा पद्धति, पूजा की प्रार्थना और प्रक्रिया सिर्फ चांदी की परत वाली खिड़की के माध्यम से होती है। जिसमें नौ छेद होते हैं एव उसको नवग्रह किटिकी कहा जाता है।
उडुपी अनंतेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाने वाला मंदिर श्री कृष्ण मठ 1,000 साल पुराना है। हर साल कृष्ण मंदिर हजारों भक्तों को आकर्षित करता है। यहाँ प्रार्थना सुबह 4 बजे शंख बजाने से शुरू होती है। यहाँ रामनवमी, दीपावली, कृष्णष्टमी, हनुमान जयंती, सप्तोत्सव या सात उत्सव और पराया उत्सव जैसे कई त्योहार बहुत धाम धूम से मनाए जाते है। यह साहित्य के उडुपी रूप दास साहित्य का जन्मस्थान है। हर दो साल में प्रशासन और मंदिर के प्रसाद को आठ मठों के बीच चक्रीय रूप से प्रबंधित किया जाता है।
Table of Contents
History And Legends Of Krishna Temple Udupi In Hindi
कृष्णा मंदिर का इतिहास और किंवदंतियाँ – उडुपी कृष्ण मंदिर किंवदंतियों का भंडार है। वैष्णव जगद्गुरु और वेदांत के द्वैत स्कूल के संस्थापक श्री माधवाचार्य ने 13 वीं शताब्दी में यह धार्मिक मंदिर की स्थापना की थी। किंवदंती के मुताबिक वास्तुकार विश्वकर्मा ने भगवान कृष्ण की मूर्ति बनाई थी। उसको माधवाचार्य ने खोजा था। एक दिन संत मालपे समुद्र तट पर प्रार्थना कर रहे थे। उन्हें पता चला कि समुद्र में नौकायन करने वाला जहाज खराब मौसम के कारण खतरे में है। श्री माधवाचार्य ने अपनी दिव्य शक्तियों से जहाज को डूबने से बचाया और मिट्टी या गोपीचंदन की एक गेंद से ढकी कृष्ण की मूर्ति को बरामद किया था।
वह मूर्ति को पश्चिम की ओर मुख करके रखा गया है। जो भगवान की मूर्तियों की सामान्य स्थापना से अलग है। या पूर्व की ओर मुख करके एक और रोमांचक कथा कनक किंडी या कनकदास की खिड़की की कहानी है। 16वीं शताब्दी में भगवान का एक उत्साही भक्त रहता था। उसको दर्शन से वंचित कर दिया गया था। विरोध के संकेत के रूप में उन्होंने मंदिर के पीछे गहन भक्ति के साथ प्रार्थना करना शुरू कर दिया था। वह भक्ति से अभिभूत भगवान कृष्ण ने दीवार में एक छेद बनाया और मूर्ति को पूर्व की ओर मुंह करके पश्चिम की ओर कर दिया था।

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Best Time To Visit Shrikrishna Temple Udupi
श्रीकृष्ण मंदिर उडुपी में जाने का सबसे अच्छा समय – वैसे तो पर्यटक सालभर में कोई भी समय मंदिर की धार्मिक यात्रा कर सकते हैं। मगर श्रीकृष्ण मंदिर उडुपी जाने का सबसे अच्छा समय अगस्त से सितंबर के बीच है। उस समय आपकी यात्रा अच्छी और मनोरंजक रहती है। क्योंकि उस समय यहां कृष्ण जन्माष्टमी बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। उस समय यह जगह पूरी तरह से भक्ति में डूब जाती है।
Tips For Visiting Krishna Temple Udupi
- उडुपी कृष्ण मंदिर में दोपहर को प्रसादम या भोजन दिया जाता है।
- हर सुबह और शाम को होने वाले रथों को मिस नहीं करना चाहिए।
- कम भीड़ के लिए सप्ताह के दिनों में जाने का प्रयास करना चाहिए।
- उसके कारन दर्शन के लिए लाइन में घंटों खड़ा नहीं रहना पड़ता है।
- उडुपी कृष्ण मंदिर परिसर के अंदर फोटोग्राफी प्रतिबंधित है।
- यह मंदिर में विशेष दर्शन की व्यवस्था नहीं है। सबके लिए एक ही कतार है।
Darshan Timings For Krishna Temple Udupi
उडुपी कृष्ण मंदिर में दर्शन का समय – श्री कृष्ण मंदिर उडुपी में दर्शन के लिए कोई फिक्स समय नहीं है। आपको बतादे की पर्यटक या भक्त सुबह 6.30 बजे से 1.30 बजे के बाद मंदिर में दर्शन कर सकते है। मंदिर में सुबह की पूजा 9 से दोपहर 12 बजे के बीच की होती है। अगर आप शाम को दर्शन करना चाहते है। तो शाम 5 बजे से जा सकते हैं।

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Udupi Krishna Temple Dress Code
उडुपी कृष्ण मंदिर ड्रेस कोड – आपको बतादे की उडुपी कृष्ण मंदिर में कानून और नियम बहुत सख्त हैं। क्योकि मंदिर में ड्रेस कोड में मंदिर में ज्यादा सख्ती होती है। उसके कारन आपको पहले मंदिर में जाते समय मंदिर की जानकारी प्राप्त कर लेनी होती है। यहां मंदिर में दर्शन के समय पुरुषों को पारंपरिक मुंडू या ठेठ पैंट और शर्ट पहनना जरुरी है। उसके साथ महिलाओं को साड़ी, आधी साड़ी, सलवार-कमीज, सेट-मुंडू या स्कर्ट और ब्लाउज पहनना जरुरी है। अगर आपका घुटने के नीचे शरीर ढंका नहीं है। तो मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाता है।
Architecture Of Shrikrishna Temple Udupi
कृष्ण मंदिर की वास्तुकला – 9-छेद वाली बर्फ से ढकी खिड़की जिसे कनकदास खिड़की के रूप में भी जाना जाता है, दीवार के माध्यम से चंद्रशाला हॉल से जुड़ी हुई है। हॉल धनुषाकार प्रवेश द्वार पर लटकी हुई घंटियों द्वारा निर्मित उदात्त वातावरण के लिए समर्पित है। अंदर रखे मिट्टी के दीयों से एक सुंदर चमक उत्पन्न होती है। किसी को भी भगवान कृष्ण की मूर्ति के पास जाने की अनुमति नहीं है। इसलिए दर्शन के लिए ऊपर बताई गई 9-छिद्रों वाली खिड़की का उपयोग किया जाता है। हॉल के एक तरफ भगवान हनुमान जी ध्यान मुद्रा में बैठे हैं।
चार स्तंभों की मदद से बना एक मंच चंद्रशाला हॉल से दिखाई देता है। उसमें एक पारंपरिक दीपस्तंभम है वहा पवित्र तेल का दीपक यानी ज्योत रखी जाती है। गर्भगृह के दाईं ओर मंदिर के संस्थापक श्री माधवाचार्य की मूर्ति और उत्तर में भगवान पांडुरंग का मंदिर है। भगवान विष्णु की पंचधातु की आकृति गरुड़ पर चढ़े हुए शंख और चक्र पर मंदिर के पूर्व में स्थित है। वहा श्री बालकृष्ण के गर्भगृह का मार्ग बनाता है। पूर्वी द्वार बंद रहता विजयादशमी को ही खुलता है। पवित्र सरोवर माधवपुष्करणी खुद को दक्षिणी प्रवेश द्वार पर है।
Udupi Ke Krishna Matha
उडुपी का कृष्ण मंदिर या श्रीकृष्ण मठ में दैनिक आधार पर प्रसाद का प्रबंधन आठ मठों या आस्था मठों से किया जाता है। वह कृष्णा मठ के प्रशासन के लिए प्रसिद्ध हैं। कृष्ण मठ अनूठी एव धार्मिक परंपराओं, रीति-रिवाजों और द्वैत की शिक्षा के लिए विस्व में प्रसिद्ध है। उस आठ मठों में पेजावरा, पुट्टीगे, पालिमारू, अदमारू, सोढे, कनियूरू, शिरूर और कृष्णापुर शामिल है। उस सभी का खर्च का वहन भक्तों और अष्ट मठ दोनों के दान से किया जाता है।

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Significance Of Sri Krishna Mutt Temple Udupi
कर्नाटक के उडुपी में स्थित श्री कृष्ण मठ मंदिर 13 वीं शताब्दी का है। उसका निर्माण मध्यकालीन युग के प्रसिद्ध वैष्णव संत श्री मध्याचार्य ने किया था। किंवदंती के मुताबिक गोपीचंदना की एक गेंद में श्री मध्याचार्य ने श्रीकृष्ण की मूर्ति को देखा था। यहाँ भगवान कृष्ण की मूर्ति के सामने दीपक पिछले 700 वर्षों से जल रहा है। श्री कृष्ण मठ के बारे में अनोखी बात यह है कि यहां भगवान को सिर्फ 9 छिद्रों वाली खिड़की से पूजा जाता है। उसको नवग्रह किटिकी कहते है।
एक मठ से दूसरे मठ में पूजा का कार्य सौंपने की रस्म को पयारा महोत्सव कहते है। हर दो साल में होने वाले पयारा त्यौहार को मंदिर प्रबंधन को अगले मठ को सौंपते है। उडुपी मठ में जन्माष्टमी, राम नवमी, नरसिंह जयंती, वसंतोत्सव, अनंत चतुर्दशी और मेघ संक्रांति हार भव्य रूप से मनाते हैं। भक्त उडुपी में नवग्रह किटिकी के माध्यम से भगवान का आशीर्वाद लेते हुए भौतिक और आध्यात्मिक जीवन में खुशी और संतोष प्राप्त करते हैं।
Festivals Celebrated At The Udupi Krishna Temple
- युगादि (उगादि)
- रामनवमी
- अक्षय तृतीया
- वसंतोत्सव
- गणेश चतुर्थी
Yugaadi (Ugadi)
हिन्दू चंद्र कैलेंडर के मुताबिक चैत्र मास के पहले दिन को नव वर्ष का दिन मानते है। यह त्यौहार बहुत धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। मीसा के पहले दिन से पहले की आखिरी रात को भगवान कृष्ण की मूर्ति के सामने नारियल, जवाहरात, फल और दर्पण से भरी थाल रखी जाती है। सूर्य के उदय होते सबसे पहले उस शुभ वस्तुओं को देखा जाता है। यह कनि दर्शन की रस्म है। उस समय स्वामी तेल से स्नान करते और पुजारी पंचांग पढ़ता है।

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Ramanavami
यह महोत्सव पर भगवान कृष्ण की मूर्ति को नियमित रस्सी, धनुष और बाण से सजाया जाता है। दोपहर में भक्तों का प्रसादम देते है और रातों में कार उत्सव का होता है। उस समय विशेष सेवा की व्यवस्था और श्री पालिमार मठ में भगवान राम की मूर्ति के रूप में मठ में त्योहार बहुत खुशी और उत्साह के साथ मनाते है।
Akshaya Tritiya
वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष में तीसरा दिन भगवान विष्णु परशुराम के अवतरित रूप में मनाया जाता हैं। त्योहार के समय मूर्ति को वीर मुद्रा में हाथ में कुल्हाड़ी देख सकते है। श्री विजयध्वजाचार्य की पुण्यतिथि के साथ मेल खाता है। वह श्री पेजावर मठ के वंश में छठे पुजारी थे।
Vasantootsava
वसंतोउत्सव का त्योहार अक्षय तृतीया एव वैशाख में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। जो मंडप पूजा गर्भगृह में होती है वह वसंत महल में होती है।
Ganesh Chaturthi
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मानते है। हाथी मुखी भगवान के नाम पर पूजा की जाती है। कलाकार भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति बनाते हैं और उसको शुभ समय पर खरीदा जाता है।यहाँ के पास के क्षेत्र को कलात्मक तरीके से सजाया गया है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर भगवान गणेश की एक मूर्ति स्थापित है। पुजारी होम यज्ञ करते भगवान की विवम्भरा के रूप में पूजा करते है। और भक्तों के बीच प्रसाद वितरित करते है। चार दिनों के बाद मूर्ति को जुलूस में निकाल सरोवर में विसर्जित करदेते है।

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Best Places To Visit In Udupi
- St. Mary’s Island
- Malpe Beach
- Kaup Beach
- Jumadi Islands
- Udupi Sri Krishna Matha
- Barkur
- Anegudde Vinayaka Temple
- Padubidri Beach
- City Centre
- Udupi Anantheshwara Temple
- Coin Museum Corp Bank
- Mattu Beach
- Pajaka
- Kodi Beach
- Mangrove Plantations
- Sita River
- Manipal Lake
- Jomlu Theertha Waterfall
- Pithrody Udyavara Beach
- Mookambika Temple
- Kudlu Falls
- Chandramouleshwara Temple
How To Reach Udupi Shri Krishna Matha
उडुपी रेलवे स्टेशन कृष्ण मंदिर से 3 किमी दूर स्थित है। यहाँ से बसें और टैक्सियाँ मंदिर के लिए उपलब्ध हैं। मंगलोर उडुपी का निकटतम हवाई अड्डा है। बैंगलोर से मैंगलोर के लिए सीधी उड़ान ले सकते है। उसके बाद उडुपी के लिए टैक्सी से जा सकते है। KSRTC के साथ साथ निजी बसें मंगलौर और उडुपी के बीच अक्सर चलती हैं। यहां पहुंचने के लिए आप निजी टैक्सी या टैक्सी किराए पर ले सकते हैं। कृष्ण मंदिर तक पहुंचने के लिए पर्यटक ऑटो या कैब की सहायता ले सकते हैं।
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Udupi Krishna Temple Map कृष्ण मंदिर उडुपी का लोकेशन
Krishna Temple Of Udupi In Hindi Video
Interesting Facts
- दक्षिण भारत में श्री कृष्ण को समर्पित मंदिरों में से एक प्रसिद्ध व अनोखा उडुपी कृष्ण मंदिर है।
- हर साल हजारों पर्यटक भगवान कृष्ण की एक झलक पाने के लिए आते हैं।
- उडुपी रेलवे स्टेशन कृष्ण मंदिर से 3 किमी की दूरी पर है।
- उडुपी का कृष्ण मंदिर दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है।
- श्रीकृष्ण मठ का मंदिर 1000 साल पुराना माना जाता है।
- कर्नाटक के उडुपी में स्थित श्री कृष्ण मठ मंदिर 13 वीं शताब्दी का है।
- उडुपी मंदिर में स्थापित कृष्ण की युवा अवस्था की प्रतिमा है।
FAQ
उडुपी का कृष्ण मंदिर कर्नाटक राज्य के उडुपी गांव में स्थित है।
श्रीकृष्ण द्वारका से एक प्राचीन मूर्ति के माध्यम से उडुपी पहुंचे थे।
उडुपी को भगवान कृष्ण का अंतिम विश्राम स्थल माना जाता है।
श्री कृष्ण मंदिर और मठ की स्थापना 13वीं शताब्दी में माधवाचार्य ने की थी।
माधवाचार्य
Conclusion
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Note
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