नमस्कार दोस्तों Sundha Mata Temple In Hindi में आपका स्वागत है। आज हम सुंधा माता मंदिर के दर्शन और उसके पर्यटन स्थल की जानकारी बताने वाले है। सुंधा माता मंदिर का ऐतिहासिक एवं प्राचीन तीर्थ स्थल राजस्थान के जालौर की रानीवाड़ा तहसील के दंतलावास गांव के पास स्थित है। सुंध माता मंदिर जालौर के जिला मुख्यालय से 105 किमी और भीनमाल से 35 किमी दूर स्थित है। यह एक पवित्र स्थल है और पौराणिक कथाओं और इतिहास में एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्मारक है।
माँ देवी चामुंडा को समर्पित लगभग 900 साल पुराने सुंधा माता मंदिर की पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह आदि देव तपोभूमि को त्रिपुरा दानव का वध करने वाला स्थल माना जाता है। अरावली की पहाड़ियों में 1220 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चामुंडा देवी का यह मंदिर भक्तों के लिए एक पवित्र धार्मिक स्थल है। जैसलमेर के पीले बलुआ पत्थर से निर्मित यह मंदिर हर किसी को अपनी खूबसूरती से आकर्षित करता है। मंदिर में तीन ऐतिहासिक शिलालेख देखने को मिलते हैं। जो यह पवित्र जगह के इतिहास को बताते हैं।
Sundha Mata History
सुंधा माता मंदिर का इतिहास देखे तो मंदिर परिसर में तीन ऐतिहासिक शिलालेख हैं। जो इतिहास को उजागर करते हैं। पहला शिलालेख 1262 ई. का है उसमें चौहानों की जीत और परमारों के पतन का वर्णन देखने को मिलता है। दूसरा शिलालेख 1326 का और तीसरा 1727 का है। सुंधा शिलालेख ऐतिहासिक अर्थों में अजीबोगरीब महत्व के हैं। जैसे की हरिशेन शिलालेख, दिल्ली का महरुल्ली स्तंभ शिलालेख और सुंधा अभिलेख भारत के इतिहास को उजागर करते हैं।
प्राचीन काल में मंदिर में नाथ योगी पूजा करते थे। सिरोही जिले के सम्राट ने उस समय सुंधा माता मंदिर में पूजा करने वाले नाथ योगी रबाद नाथ जी में से एक को सोनानी, देडोल और सुंधा की ढाणी गांवों की भूमि दी थी। नाथ योगी अजय नाथ जी में से एक की मृत्यु के बाद, पूजा करने के लिए कोई नहीं था। उसके कारन राम नाथ जी को जिम्मेदारी लेने के लिए वहां लाए थे। जोधपुर के राजा महाराजा जसवंत सिंह ने प्राचीन काल में नाथ योगी को मेंगलवा और चित्रोड़ी गांवों की भूमि दी थी।
उस कारन मेंगलवा के नाथ योगी को आयस कहा गया। राम नाथ जी की मृत्यु के बाद, बद्री नाथ जी, राम नाथ जी के शिष्य, मंदिर में आए और पूजा की जिम्मेदारी ली। उन्होंने सोनानी, देडोल, मेंगलवा और चित्रोड़ी की भूमि की भी देखभाल की। जैसे-जैसे समय बीतता गया, सारा प्रबंधन करने वाला कोई नहीं था, इसलिए मंदिर की देखभाल और पर्यटन के प्रबंधन के लिए सुंधा माता ट्रस्ट बनाया गया।
Best Time To Visit Sundha Mata Temple
सुंधा माता मंदिर घूमने जाने का सबसे अच्छा समय – अगर पर्यटक सुंधा माता मंदिर जाने के लिए सबसे अच्छा समय की तलाश में है। तो उन्हें बतादे की अक्टूबर से मार्च महीने का समय सबसे अच्छा है। सर्दियों का मौसम यह विस्तार की यात्रा करने का अनुकूल समय है। रेगिस्तानी विस्तार होने के कारन राजस्थान गर्मियों में बेहद गर्म होता है। उस वजह से उस मौसम में यात्रा करने से बचना चाहिए। उसके अलावा बारिश के मौसम में यात्रा करना सही नहीं है। उसलिए सर्दियों के मौसम में ही आप यह मंदिर की यात्रा कर सकते है।

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Sundha Mata Temple Timings
सुंधा माता मंदिर खुलने और बंद होने का समय – मंदिर खुलने का समय हर दिन सुबह 8 बजे है और बंद होने का समय शाम 6 बजे होता है। उस समय में किसी भी समय में पर्यटक मंदिर में दर्शन के लिए जा सकते है। हर दिन हजारो भक्त दर्शन के लिए आया करते है। और माता के दर्शन करके अपने आप को धन्य समझते है। हिन्दू धर्म के पर्यटकों के लिए यह मंदिर का आध्यात्मिक महत्त्व है।
Best Places To Visit Near Sundha Mata Temple
Jalore Fort
जालौर शहर परमार राजपूतों से शासित था। उस समय जालौर का किला बनाया गया था। 1311 में दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने किले पर हमला किया और जालौर फोर्ट को नष्ट कर दिया था। किला 336 मीटर की ऊँचाई पर एक खड़ी पहाड़ी से घिरा हुआ है। स्थल से जालौर शहर का शानदार दृश्य दिखाई देता है। यह किला परमार शासन के तहत मारू के 9 महलों में से एक था। उसको प्राचीन समय में सोनगीर या गोल्डन माउंट भी कहा जाता था। किला जालौर देखने वाले पर्यटकों को आकर्षित करता है। किले का मुख्य आकर्षण ऊंची किलेनुमा दीवारें हैं। उस पर बने तोपों का गढ़न बनाय गया हैं।
Neelkanth Mahadev Temple Jalore
नीलकंठ महादेव मंदिर जालौर जिले की भाद्राजून में स्थित है। भाद्राजून में प्रवेश करते समय पर्यटक नीलकंठ महादेव मंदिर को देख सकते है। भगवान शिव को समर्पित यही खूबसूरत मंदिर अपनी उंची संरचना के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर के शिव लिंग को एक विधवा महिला ने पहले देखा था। और उसने नियमित रूप से शिवलिंग की पूजा की थी। लकिन उसके परिवार के लोगोंं ने शिवलिंग को कई बार नस्ट करने की कोशिश की थी। मगर शिवलिंग बाहर निकलता था। शिवलिंग के चमत्कार को देखकर यहाँ मंदिर की स्थापना की गई थी।

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Jalore Wildlife Sanctuary
जालौर शहर के पास जोधपुर से 130 किमी दूर स्थित है। जालौर वन्यजीव अभयारण्य एक प्राकृतिक जंगल 190 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है। जालौर वन्यजीव अभयारण्य भारत का एकमात्र प्राइवेट अभयारण्य और जालौर के मुख्य पर्यटन स्थलों में से एक है। यात्री यह अभयारण्य में कई तरह के लुप्तप्राय जंगली जानवर देख सकते हैं। उसमे रेगिस्तानी लोमड़ी, एशियाई-स्टेपी वाइल्डकाट, तेंदुआ, तौनी ईगल शामिल हैं। उसके साथ साथ यहाँ पर नीले बैल, मृग और हिरणों के झुंड भी देखने को मिलते है।
Topekhana (Canon Fort)
जालौर शहर का तोपखाना प्राचीन काल में एक भव्य संस्कृत विद्यालय था। जो आज पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। तोपखाना को राजा भोज ने 7 वीं और 8 वीं शताब्दी के बीच बनवाया था। आपको बतादे की राजा भोज बहुत बड़े संस्कृत के एक विद्वान व्यक्ति थे। उस कारन उन्होंने शिक्षा प्रदान के लिए कई स्कूल बनाए थे। भारत के स्वतंत्र होने से पहले यह स्थल को अधिकारि गोला-बारूद के भंडारण के लिए उपयोग करते थे। तब से उसका नाम तोपखाना रख दिया गया था। तोपखाना के दोनों तरफ दो मंदिर हैं। उस में कोई मूर्ति नहीं है।
Sirey Mandir
सराय मंदिर जालौर मर कलशचल पहाड़ी पर 646 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। और जालौर के प्रमुख मंदिरों में से एक है। सराय मंदिर का निर्माण महर्षि जाबालि के सम्मान में रावल रतन सिंह ने करवाया था। कहानियो में ऐसा भी कहा जाता है। की पांडवों ने यहाँ अपना कुछ समय व्यतीत किया था। सराय मंदिर जाने के लिए पर्यटकों को 3 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है।

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सुंधा माता का मंदिर का निर्माण
इतिहास के अनुसार जालौर के प्रतापी चौहान राजा चाचिगदेव ने सुन्धा पहाड़ पर माता चामुण्डा का मंदिर बनाया था। जसवंतपुरा के पहाड़ या सुन्धा पहाड़ को काटकर सुंधा माता मंदिर बनवाया गया है। मंदिर निर्माण का समय 1312 लिखा है। चाचिगदेव ने युवराज के पद से या राजा की अवस्था में कराया हो। शिलालेख के मुताबिक वैशाख मास विक्रम संवत् 1319 (1262 ई.) जानकारी देखने को मिलती है। सुन्धा माता मन्दिर के दो खण्ड हैं। पहला या अग्रिम खण्ड में स्वेश्वर महादेव का शिव मन्दिर है।
Sundha Mata Temple Jalore Fairs
सुंधा माता मंदिर जालोर में मेले का आयोजन की बात करे तो हिन्दुओ के पवित्र त्यौहार नवरात्रि के समय में सुंधा माता में मेले का आयोजन किया जाता है। उस मेले में गुजरात के साथ उस मंदिर के नजदीकी विस्तारो से भक्त बड़ी संख्या में सुंधा माता की यात्रा और दर्शन के लिए आया करते हैं। आपको बता दें कि उस समय गुजरात से पालनपुर और डीसा के लिए नियमित बसें चलाई जाती हैं।
Sundha Mata Mandir Ropeway
सुंधा माता मंदिर उड़न खटोले की जानकारी बताए तो सुंधा माता मंदिर के दर्शन के लिए यात्री पैदल जा सकते है। मगर कोई अगर चलना नहीं चाहता है। उसके लिए यह मंदिर के लिए रोपवे की सुविधा उपलब्ध है। सुंधा मंदिर रोपवे 800 मीटर लम्बा है। निचे से मंदिर जाने में सिर्फ 6 मिनट का समय लगता है। वह खटोला आपको पहाड़ी पर बने मंदिर तक पहुँचता है। उसमे एक ट्राली में 4 लोग जा सकते है। रोपवे में जाने के लिए आपको 50रु देने होते है। उस से यात्रिओ को रोपवे की सुविधा दी जाती है।

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सुंधा माता मंदिर की फोटो गैलरी
How To Reach Sundha Mata Temple
ट्रेन से सुंधा माता मंदिर कैसे पहुंचे
How To Reach Sundha Mata Temple By Train – सुंधा माता मंदिर कैसे जाये तो आपको बतादे की अगर पर्यटक सुंधा माता मंदिर जाने के लिए ट्रेन से यात्रा करना चाहता है। तो जालोर रेलवे स्टेशन उत्तर पश्चिम रेलवे लाइन पर स्थित है। वह समदड़ी-भिलडी शाखा लाइन जालौर और भीनमाल शहरों को जोड़ती है। उस जिले में पंद्रह रेलवे स्टेशन मौजूद हैं। जो भारत के मुख्य शहरों से जालौर को बहुत अच्छे से जुड़े हुए है। और उसके माध्यम से पर्यटक बहुत आसानी से मंदिर जा सकते है।
सड़क मार्ग से सुंधा माता मंदिर कैसे पहुंचे
How To Reach Sundha Mata Temple By Road – अगर पर्यटक सड़क मार्ग से सुंधा माता मंदिर जाना चाहता हैं। तो राजमार्ग 15 यानि भटिंडा-कांडला राजमार्ग यही जिले से गुजरता है। जालौर का निकटतम बस डिपो भीनमाल में स्थित है। जालौर बस स्टेशन सुंधा माता मंदिर से लगभग 50 किमी दूर है। लेकिन यहां के लिए अन्य शहरों से कोई बस सुविधा उपलब्ध नहीं हैं।
फ्लाइट से सुंधा माता मंदिर कैसे पहुंचे
How To Reach Sundha Mata Temple By Flight – हवाई मार्ग या फ्लाइट से सुंधा माता मंदिर जाने के लिए जालौर का निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर में है। वह तक़रीबन 140 कि.मी दूर स्थित हैं। जोधपुर हवाई अड्डा मुंबई और दिल्ली के साथ साथ भारत के कई अन्य मुख्य शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। हवाई अड्डा से आप बहुत आसानी से सुंधा माता मंदिर जा सकते है।

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Sundha Mata Temple Jalore Map | सुंधा माता मंदिर का लोकेशन
Sundha Mata Temple In Hindi Video
Interesting Facts Of Sundha Mata Temple
- सुंधा माता मंदिर के अंदर 3 ऐतिहासिक शिलालेख हैं।
- मां चामुंडा देवी का यह मंदिर 900 साल से भी पुराना है।
- चामुंडा देवी का यह मंदिर भक्तों के लिए एक पवित्र धार्मिक स्थल है।
- सुंधा मंदिर सफेद संगमरमर से बना अदभुत मंदिर है।
- नवरात्रि के समय सुंधा माता मंदिर में मेले का आयोजन किया जाता है।
- सुन्धामाता को अघटेश्वरी भी कहा जाता है।
- सुंधा माता मंदिर में माता के सर को पूजा जाता है।
FAQ
Q .सुंधा माता का मंदिर कहां है?
Sundha Mata Road Near Rajpura Tahsil, Jaswantpura, Sundhamata, Rajasthan 307515
Q .सुंधा माता मंदिर कौन से जिले में है?
जालौर
Q .भीनमाल से सुंधा माता मंदिर की दूरी कितनी है?
सुंधा माता मंदिर से भीनमाल की दूरी 22 कि.मी है।
Q .बालोतरा से सुंधा माता कितना किलोमीटर है?
बालोतरा से सुंधा माता 1.50 किलोमीटर है।
Q .सुंधा माता मंदिर में कौन से त्यौहार मनाए जाते हैं?
नवरात्रि के समय में सुंधा माता में मेले का आयोजन किया जाता है।
Q .सुंधा माता मंदिर कब बना था?
सुंधा माता मंदिर निर्माण का समय 1312 लिखा शिलालेख मुताबिक है।
Q .सुंधा माता मंदिर का निर्माण किसने करबाया था?
चौहान राजा चाचिगदेव ने सुंधा माता मंदिर बनाया था।
Conclusion
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