sindhudurg किला छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बनवाये गये अनेक किलो में से एक है।और यह sindhudurg killa नीले समुद्र में तैरता आकर्षक किला है और यह महाराष्ट्र में स्थित है। और यह किला प्राचीन काल के वास्तुकला का एक बहुत ही सुंदर नमूना है। आज हर कोय किसी ना किसी चीज का बहुत ही शौक होता है।
आपको बता दे की किसी को घूमने का शौक ,संगीत का और खेलो का शौक वैसे बहुत सारे शौक होते है। लेकिन क्या आप जानते है की छत्रपति शिवाजी महाराज को किलो का बहुत ही शौक था। उनको किलो के लिए भी जाना जाता है। और उनकी मुत्यु तक उन्होंने करीबन 370 किलो के मालिक थे। अगर आप भी सिंधुदुर्ग किला इतिहास के बारे में जानना चाहते है तो आप भी हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढियेगा ताकि आपको भी इस sindhudurg killa के बारे में जान सके।
किले का नाम | सिंधुदुर्ग किला |
राज्य | महाराष्ट |
निर्माणकर्ता | छत्रपति शिवाजी महाराज |
निर्माण का कुल समय | 3 साल |
कुल मजदूर | 100 वास्तुकार , 3000 मजदूर |
क्षेत्र | 48 एकड़ |
Table of Contents
Sindhudurg Fort History In Hindi –
किला sindhudurg महाराष्ट के सिंधुदुर्ग जिले के मालवन तालुका के समुद्र तट से दूर अरब सागर के कोकण क्षेत्र में स्थित है। और वो दक्षिण मुम्बई से करीबन 450 किमी दूर है। यह किला मालवन तट के चट्टानी द्वीप पर उपस्थित है।
sindhudurg information है की आप जगह पर जाने के लिए आपको नाव से जाना होगा। और तो और इस सिंधुदुर्ग जिले का सिंधुदुर्ग किले के नाम पर से ही रखा गया है। उसका मतलब होता है समृद्ध किला। सिंधुदुर्ग जिले में करीबन 37 किले उपस्थित है वो महाराष्ट्र में एक ही जगह उपस्थित अधिक किलो की संख्या है। उस जगह पर अनेक किले उपस्थित है जैसे की जमदुर्ग ,भुईकोट और गिरी ऐसे बहुत ही है।
इसके बारेमे भी पढ़िए – lakshmana Temple History In Hindi Madhya Pradesh
Sindhudurg किले की वास्तुकला –
sindhudurg fort सिंधुदुर्ग जिले में एक छोटे से टापू में स्थित है और वह चारो तरफ से अरब सागर से घिरा हुवा है। और यह सिंधुदुर्ग किला उस समय मराठाओ का मुख्यालय था। जहा पर सम्पूर्ण युद्ध की तयारी करते थे और तो और सिंधुदुर्ग किला उनका सुरक्षा गुह भी हुवा करता था। छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बनवाया गया यह किला करीबन 3 सालो में बन कर तैयार हुवा था।
उसमे क़रीबन 100 वास्तुकारों वह पुर्तगाल से थे और तो और 3000 मजदूर उसमे काम करते थे। sindhudurg killa 48 एकड़ की सम्पूर्ण जमीन पर मजबूती से खड़ा है और वो 12 फिट मोटा और 29 फुट ऊँचा है साथ ही साथ वह 2 मिल तक फैला हुवा है। किले की नींव के साथ साथ उसको मजबूती से तैयार करने में करीबन 4000 लोहे के टीलों के इस्तेमाल से तैयार किया गया था।
सिंधुदुर्ग किले के विशेष स्मारक और विशेषताएं –

शाखा वाले नारियल के पेड़ :
सिंधुदुर्ग किले में शाखा वाले नारियल के पेड़ है और उसमे फल भी आते है।
आपको बता देकी पूरी दुनिया में ऐसे शाखा वाले नारियल के वृक्ष कही भी देखने को नहीं मिलगे। और यह इस जगह की विशेषता है।
किले में स्थित कुएं :
आपको बतादे की इस सुन्दर सिंधुदुर्ग किले में 3 बहुत ही सुन्दर जलाशय भी उपस्थित है।
वह कभी नहीं सूखते है और तो और यह गर्मी के मौसम में भी नहीं सूखते है।
परन्तु आसपास के गांव के सम्पूर्ण जलाशय पूरी तरह से सुख जाते है
16वीं शताब्दी में पानी के नीचे का मार्ग :
आपको बता दे की पानी के निचे का सम्पूर्ण मार्ग अब भी एक विस्मय वाली बात है। छत्रपति शिवाजी महाराज के शासन काल के दौरान 16 वी शताब्दी में भी इसका निर्माण इस समय की कार्यकुशलता को बहुत ही अच्छी तरह से दिखाता है। यह रास्ता किले के मंदिर में उपस्थित है और वो एक जलाशय की जैसे ही प्रतीत करता है। और तो और यह रास्ता किले की बिलकुल निचे 3 किलोमीटर तक जाता है। और तो और यह समृद्ध में 12 किलोमीटर निचे तक का है।
इसके बारेमे भी पढ़िए – Jhalawar Fort History In Hindi Rajasthan
Sindhudurg का छुपा हुआ प्रवेश द्वार :
आप अगर sindhudurg fort में पहली बार घूमने जा रहे हो तो आपको भाग्य ही यहाँ का दिल्ली दरवाजा दिखाए देगा। आपको बतादे की यह पर नया कोय व्यक्ति इस स्थान पर नाव में बैठकर जा सकते है। यहा जो वायु मार्ग शिवाय यहाँ जाने के लिए एकलौता उपाय है। fort sindhudurg चट्टानों से बहुत जोर से टकराएगा और वो वो बहुत ही आसानी से बिलकुल नहीं दिखाए देगा।
आपको बतादे की जो सिंधुदुर्ग किले से परिचित होगा वही बिलकुल आराम से इस किले में प्रवेश द्वार से प्रवेश करने में सफल होते है। और यह बहुत दिमाग और हिम्मत का खेल है। fort sindhudurg में बहुत ही शानदार और यूनिक वास्तुकला के साथ इस जगह पर बहुत सारे मंदिर स्थित है। वह सिंधुदुर्ग किले को दूसरे किलो से अलग बनाते है। यहाँ पर भवानी देवी का मंदिर ,हनुमान जी का मंदिर और जरिमारी को समर्पित किया हुआ है।
सभी मंदिरो के साथ साथ यहां पर पूरी दुनिया का सबसे खास मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है। वह भगवान शिवजी को समर्पित है। यहा पर भगवान शिवजी के हस्त चिन्ह के साथ साथ पद चिन्ह भी है। सिंधुदुर्ग किले के एक पत्थर की पटिया पर जड़े हुए है। यात्री इस जगह पर अंडर वॉटर खेलो के बहुत ही मजे ले सकते है। सिंधुदुर्ग किला हर आयामों से बिना अनेक शक के एक अनूठा और अद्वितीय किला है। इस किले की सम्पूर्ण विशेषताएं आपका मन मोह लेती है।
सिंधुदुर्ग किले और सिंधुदुर्ग जिले की नजदीकी होटल्स –

- अथांग बीच रिज़ॉर्ट
- तरकारि निवास न्यहारी
- होटल चिवला बीच
- अविसा नीला बीच रिज़ॉर्ट
- माला सदन
- मातृछाया निवास
- ब्लू हेवन बीच रिज़ॉर्ट
- ग्रांडे विस्टा तारकरली
इसके बारेमे भी पढ़िए – Khajuraho Matangeshwar Temple History In Hindi
Sindhudurg किले का प्रवेश शुल्क –
आपको बतादे की इस सिंधुदुर्ग किले में प्रवेश करने के लिए इधर शुल्क रखा गया है।
यहां पर भारतीय सैलानियों ले लिए प्रवेश शुल्क मात्र 50 रूपया रखा गया है।
विदेशी सैलानियों के लिए यहाँ पर प्रवेश शुल्क 200 रूपया रखा गया है।
सिंधुदुर्ग किले का समय –
आपको बतादे की आप अगर सिंधुदुर्ग किले की यात्रा करने के लिए।
रोजाना सुबह 10 बजे से लेकर शाम को 5:30 बजे तक कर सकते है।
सिंधुदुर्ग जिले के पर्याटक स्थल –

-
सागरेश्वर शिव मंदिर
आपको बतादे की यह सागरेश्वर शिव मंदिर समृद्धतट पर स्थित है। और पत्थर के साथ निर्मित यह भव्य मंदिर खुदके नक्सेकदम पर बेहत ही सुन्दर समृद्ध लहरों से मिल जुलता है। सागरेश्वर भगवान् शिव का मंदिर सिंधुदुर्ग जिले में स्थित है। और तो और मंदिर के बिलकुल आसपास का समृद्ध तट बुद्धिमानी से बनाया गया है और तो और कल्पनीय रंग की सभी प्रकार के फूलो की किस्म से आंगन बनाया गया है।
-
कर्ली जलभराव
सभी को पता है की सिंधुदुर्ग में सबसे ज्यादा मांग कली जलभराज गंतव्य की है। और तो और आप सभी ने सोचा होगा की केरल में जलभराव के रूप में अच्छे विकल्प देखने को मिलते है। आप सभी को कर्ली जलभराव को खभी भी नहीं भूलना चाहिये क्योकि कली क्रीक के नजदीक कली नदी का प्रवाह अरब सागर से मिलता जुलता है। और तो और सुरम्य क्षेत्र में नाव में सवार करना बहुत ही अच्छा अनुभव क्रीक से चालू होता है। हमारी यात्रा के समीप नदी के जरने के निकल ने के विरुद्ध होने वाली सवारी बहुत ही आश्चर्यजनक तेज होती है। और इस नदी के किनारे सभी जगह पर हरे भरे जंगल आपको एक अमेजन जैसा अनुभव करवाते है।
-
तरकाली समुद्र तट
तरकाली समुद्र तट सिंधुदुर्ग का बहुत ही आकर्षण केंद्र है। और आपको बतादे की सिंधुदुर्ग जिले में तरकाली नामक एक छोटा सा गांव है। इधर का एक सबसे सुन्दर समृद्ध तट उन रोमांटिक सुखद जीवन के संस्मरण साथ साथ निकल ने के लिए है। आप सभी के पेरो में बहुत ही नरम रेत बहुत ही अच्छी और गुदगुदी वाली क्षितिज तक फैले बहुत ही अच्छे पानी की हाजरी अतुलनीय है और पानी इतना अच्छा साफ और शुद्ध होता है। आपको यहा पर बहुत सारे कछुओं को आरास करते ,अंडे सेते और रेत में अपने सभी अंडे की रक्षा करते देखने को मिल जाते है। और वहा पर धूमने का बहुत ही मजा आजाता है।

इसके बारेमे भी पढ़िए – Maharaja Chhatrasal Museum History In Hind
Sindhudurg किले तक कैसे पहुंचे –
सिंधुदुर्ग हवाई मार्ग से कैसे पहुंचे :
sindhudurg airport पहुंचने के लिए आप गोवा के डाबोलिम इंटरनेशनल एयरपोर्ट से आप बहुत ही आसानी से सिंधुदुर्ग किले तक पहुंच सकते है
सिंधुदुर्ग रेलवे मार्ग से कैसे पहुंचे :
sindhudurg railway station से पहुंचने के लिए आप कोंकण रेलवे स्टेशन है और आप यहाँ पर बहुत ही आसानी से पहुंच सकते है। और तो और कुंडाल ,कणकवली के साथ साथ सावंतवाड़ी यहां के दूसरे रेलवे स्टेशन है।
सिंधुदुर्ग सड़क मार्ग से कैसे पहुंचे :
सिंधुदुर्ग किले तक सड़क मार्ग पहुंचने के लिए।
यहाँ मुंबई के साथ साथ महाराष्ट से बहुत सारी बसे आती जाती है।
आप सभी लोग गोवा से टेक्सी के जरिये भी जा सकते है।
और फिर आप वहा से बहुत ही आसानी से पहुंच सकते है।
Sindhudurg Fort Maharashtra Map –
Sindhudurg Fort Video –
सिंधुदुर्ग के अन्य प्रश्न –
1 . सिंधुदुर्ग किला कहा स्थित है ?
सिंधुदुर्ग किला महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के मालवन तालुका के
समुद्र तट से दूर अरब सागर के कोकण क्षेत्र में स्थित है।
2 . सिंधुदुर्ग किले का निर्माण किसने करवाया था ?
सिंधुदुर्ग किले का निर्माण छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बनवाया गया था।
3 . सिंधुदुर्ग किले का निर्माण कितने साल में पूरा हुवा था ?
सिंधुदुर्ग किले का निर्माण करीबन 3 सालो में बन कर तैयार हुवा था।
4 . सिंधुदुर्ग किले के निर्माण में कितने मजदूर काम करते है ?
सिंधुदुर्ग किले के निर्माण में क़रीबन 100 वास्तुकारों वह पुर्तगाल से थे और 3000 मजदूर उसमे काम करते थे।
5 . सिंधुदुर्ग किले का क्षेत्र कितना है ?
sindhudurg killa 48 एकड़ की सम्पूर्ण जमीन पर मजबूती से खड़ा है और वो 12 फिट मोटा और 29 फुट ऊँचा है साथ ही साथ वह 2 मिल तक फैला हुवा है। किले की नींव के साथ साथ उसको मजबूती से तैयार करने में करीबन 4000 लोहे के टीलों के इस्तेमाल से तैयार किया गया था।
6 . सिंधुदुर्ग किला मुंबई शहर से कितने दुरी पर स्थित है ?
महाराट्र का यह सिंधुदुर्ग किला मुम्बई से करीबन 450 किमी दूर है।
इसके बारेमे भी पढ़िए – Bhimkund History In Hindi Madhya Pradesh
Conclusion –
दोस्तों उम्मीद करता हु आपको मेरा ये लेख sindhudurg killa history के बारे में पूरी तरह से समज आ गया होगा। इस लेख के द्वारा हमने sindhudurg के बारे में जानकारी दी अगर आपको इस तरह के अन्य ऐतिहासिक स्थल और प्राचीन स्मारकों की जानकरी पाना चाहते है तो आप हमें कमेंट करे। आपको हमारा यह आर्टिकल केसा लगा बताइयेगा और अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे। धन्यवाद।