Safdarjung Tomb History In Hindi Delhi

Safdarjung Tomb History In Hindi Delhi | सफ़दरजंग का मकबरा

safdarjung tomb कई प्राचीन पर्यटन स्थलों में भी शामिल है। यह मकबरा दिल्ही के आकर्षण स्मारकों मेसे एक है लेकिन यह स्थान पर पर्यटकों की भीड़ ज्यादा नहीं होती। दिल्ही में आने वाले पर्यटक जामा मज्जिद और Humayu Tomb जैसे प्राचीन स्थल पर बड़ी भारी संख्या में जाते है लेकिन सफदरजंग के मकबरा पर्यटकों को ज्यादा आकर्षित नहीं कर सकता। 

सफदरजंग मकबरा एक वास्तुकला कला का चमत्कार स्मारक है। सफदरजंग मकबरा अपने प्राचीन इतिहास के लिए भी पहचाना जाता है। सफदरजंग के मकबरा के चारोतरफ हरे-भरे गार्डन से सुशोभित किया हुवा है। सफदरजंग मकबरे का निर्माण संगमरमर और बलुआ पथ्थर से 18 शताब्दी के अंत में इसका निर्माण करवाया गया था। आज हम इस आर्टिकल में आपको सफदरजंग मकबरे की जानकरी देंगे। इस आर्टिकल में यह स्मारक वर्तमान समय भी सांस्कृतिक प्रभावों को दर्शाता है।

tomb of safdarjung मिर्जा मुकीम अबुल मंसूर खान की कब्र है जिसको सफदरजंग का मकबरा नाम से भी पहचाना जाता है। और वह अहमदशाह बहादुर के शासन के समय दौरान भारत वर्ष के प्रधानमंत्री यानि की वजीर-उल-हिस्दुस्तान के पद पर थे। अगर आप इस सफदरजंग के मकबरे का इतिहास ,निर्माण और इसकी वास्तुकला के बारे में जानना चाहते है तो आप इस आर्टिकल से इसकी पूरी जानकारी पा सकते है। 

मकबरे का नाम सफदरजंग 
स्थान   दिल्ही 
निर्माणकाल ई.स 1719-1748 
निर्माणकर्ता शुजा-उद-दौला
वास्तुकार इथियोपियाई वास्तुकार 

 Safdarjung Tomb History In Hindi Delhi – 

safdarjung tomb का निर्माण अंतिम मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाहने ई.स 1719-1748 में शक्ति शाली और कुशल प्रधान मंत्री उनके पुत्र ने शुजा-उद-दौला ने राजा की अनुमति लेकर अपने पिता की स्मृति में मकबरे का निर्माण किया था। safdarjung tomb address दिल्ही की प्रसिद्ध प्राचीन स्मारकों में से एक है सफदरजंग मकबरा दक्षिण दिल्ही में श्री औरोबिंदो मार्ग पर लोधी मार्ग के छोर के बिलकुल सामने स्थित है।

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सफ़दरजंग का मकबरा
सफ़दरजंग का मकबरा

सफदरजंग का परिचय –

history of safdarjung tomb की बात करे तो मकबरे में मिर्जा मुकीम अबुल मंसूर खान की कब्र है जिसको सफदरजंग के नाम से भी पहचाना जाता है। अहमदशाह बहादुर के शासन के समय दौरान भारत वर्ष के प्रधानमंत्री यानि की वजीर-उल-हिस्दुस्तान के पद पर थे। बादशाह मुहम्मद शाह के अवसान के बाद दिल्ही में स्थित हो गए इसके बाद मुहम्मद शाह के पुत्र ने ई.स 1748 दिल्ही की गादी पर बैठा। उस समय सफदरजंग ने वजीर उल-हिंदुस्तान के राज्य के प्रधान मंत्री के पद पर नियुक्त किया गया था। इस समय में उनके राज्य का कार्य और उनके शासन का प्रभाव बिगड़ रहा था। 

क्योकि उनके राज्य के क्षेत्र के उत्तर के भाग को ही उन्होंने कवर किया हुवा था। सफदरजंग एक मुख्य राजनीतिक पुरुष था और वह प्रधानमंत्री के रूप में सभी महत्वपूर्ण शक्तियों पर उन्होंने नियंत्रण किया हुवा था इसकी वजह से राजा फ़क्त मुख्यमंत्री के हाथो की कटपुतली बन कर रह गया था। सफदरजंग ने धीरे-धीरे मिले हुवे अधिकार का इस्तेमाल करना प्रारम्भ कर दिया था और उन्होंने मिले हुवे विशेष अधिकारों का शोषण करना प्रारम्भ कर दिया। 

इसके बाद सफदरजंग के साथ ऐसा हुवा की कुछ अदालती राजनैतिक की वजह से उनके पद से बर्खास्त किया गया। उनको ई.स 1753 में राज्य से निर्वासित किया गया था। सफदरजंग को राज्य से निकालने के कुछ समय बाद ई.स 1754 में उनका अवसान हो जाता है। और उनके पुत्र ने शुजा-उद-दौला ने राजा की अनुमति लेकर अपने पिता की स्मृति में मकबरे का निर्माण किया था। 

Safdarjung Tomb की वास्तुकला –  

safdarjung tomb architecture मुग़लो का अंतिम स्मारक माना जाता है। इसकी वजह से मुग़ल इतिहास का महत्वपूर्ण भूमिका पा सका है मकबरे को एक इथियोपियाई वास्तुकार ध्वारा इसकी डिजाइन तैयार की गई है। सफदरजंग मकबरे को safdarjung humayun tomb के जैसे सामान शैली में निर्माण किया गया है। सफदरजंग मकबरा एक विशाल चारोतरफ सुंदर गार्डन से घिरा हुवा हुवा है। इस स्थान पर कई तरह के पक्षियों को देख सकते है। इस स्थान के परिसर में तीन गुंबदोंवाली तीन मज्जिदे स्थित है और यह बहोत शांत स्थान है। मकबरे का विशाल मुख्य गुंबद सभी पर्यटकों का ध्यान अपनी और केंद्रित करती है। 

मकबरे की दीवारों पर कुछ आकर्षित दिलचस्प अन्य चीजो का भी अवलोकन कर सकते है। मकबरे का निर्माण भूरा , पीला और लाल बलुआ पथ्थरो से इसका निर्माण करवाया गया है।  इस कारण दिल्ही शहर के अन्य प्राचीन मुग़ल इमारतों के जैसा दीखता है। मकबरे यक्ति को का प्रवेश ध्वार के नजदीकी मकबरे का दृश्य दिखाई देता है और वह परतको को बहोत आकर्षित करता है। जब भी कोई पर्यटक इस मकबरे को प्रथम बार देखता है तो इस व्यक्ति को ताजमहल की याद दिला देता है। यह मकबरा ताजमहल की झलक देता है। 

Safdarjung Tomb Garden – 

सफदरजंग मकबरे के नजदीकी हुमायु के मकबरे की तरह इस मकबरे की डिजाइन तैयार करवाया गया है। इस डिजाइन को देखते हुवे विशेष रूप से मुग़ल चारबाग गार्डन का निर्माण करवाया गया है। safdarjung tomb garden की बात करे तो 280 मीटर ऊंचाई के दीवारों से घिरा हुवा है। इस गार्डन को छोटे-छोटे रास्तों और वॉटर टैंक्स चार हिस्सों में विभाजित किया गया है। गार्डन के यह चार रास्तो मे से एक मार्ग मुख्य ध्वार की और जाता है जबकि दूसरा मार्ग मंडप की तरफ ले जाता है इस स्थान का मुख्य मकबरा एक ढाबे के ऊपर मौजूद है। स्थान की ऊंचाई 50 मीटर के स्थान पर स्थित है। 

Safdarjung Tomb की यात्रा करने के लिए टिप्स –

  1. अगर आप सफदरजंग मकबरे की यात्रा करते समय आपको पिने के लिए पानी की बोतल साथ में रखनी होगी। 
  2. मकबरे की यात्रा के समय भारत में स्थित लों से नाईक-नैक
  3. और स्थानीय स्मृति चिन्ह का भी आप शॉपिंग कर सकते है।
  4. अगर आप सफदरजंग मकबरे में ज्यादा भीड़ से बचना चाहते है।
  5. तो आप सुबह के समय में आप इस मकबरे की यात्रा कर सकते है।
  6. सफदरजंग मकबरे के अंदर आप किसी भी प्रकार का कचरा या कूड़ा नहीं फेंक सकते।

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सफदरजंग मकबरे की प्रवेश और विडिओ शूट का शुल्क –

safdarjung tomb ticket में भारतीयों और विदेशी पर्यटकों के लिए भिन्न-भिन्न है। 

  •  भारतीय पर्यटक – 5 रु
  • विदेशीपर्यटक –  25 रु 
  • वीडियो कैमरा – 100 रु

Best time to visit Safdarjung Tomb – 

  • सफदरजंग मकबरा सप्ताह के सभी दिन पर्यटकों के लिए खुला रहता है।
  • सफदरजंग मकबरा सुबह के 6 बजे खुलता है और शाम के 9 बजे मकबरे में प्रवेश बंध हो जाता है।
  • safdarjung tomb timing वसंत मास और फरवरी का है।
  • दिल्ली में दिसंबर और जनवरी के महीने में तेज ठंड पड़ती है।
  • इसलिए आप फरवरी और मार्च के महीने में सफदरजंग मकबरे की यात्रा कर सकते है।
  • इस सुन्दर मकबरे को देखने के लिए जा सकते है। 
Safdarjung Tomb History In Hindi
Safdarjung Tomb History In Hindi

Safdarjung Tomb के नजदीकी पर्यटन स्थल – 

हुमायु का मकबरा :

हुमायूँ का मकबरा ताजमहल के 60 वर्षों से पहले निर्मित मुगल सम्राट हुमायूं का अंतिम विश्राम स्थल है जो दिल्ली के निज़ामुद्दीन पूर्व क्षेत्र में स्थित है और भारतीय उपमहाद्वीप में पहला उद्यान मकबरा है। हुमायूँ का मकबरा दिल्ली का एक प्रमुख ऐतिहासिक और पर्यटन स्थल है, जो भारी संख्या में इतिहास प्रेमियों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। हुमायूँ का मकबरा अपने मृत पति के लिए पत्नी के प्यार को प्रदर्शित करता है।

फ़ारसी और मुग़ल स्थापत्य तत्वों को शामिल करते हुए इस उद्यान मकबरे का निर्माण 16 वीं शताब्दी के मध्य में मुगल सम्राट हुमायूँ की स्मृति में उनकी पहली पत्नी हाजी बेगम द्वारा बनाया गया था। हुमायूँ के मकबरे की सबसे खास बात यह है कि यह उस समय की उन संरचनाओं में से एक है जिसमें इतने बड़े पैमाने पर लाल बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया था।अपने शानदार डिजाइन और शानदार इतिहास के कारण हुमायूँ का मकबरा को साल 1993 में यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया था। 

हुमायूँ के मकबरे की वास्तुकला इतनी ज्यादा आकर्षित है कि कोई भी इसे देखे बिना नहीं रह पाता।

यह शानदार मकबरा एक बड़े अलंकृत मुगल गार्डन के बीच में स्थित है। 

और इसकी सुंदरटा सर्दियों के मौसम में काफी बढ़ जाती है।

हुमायूँ का मकबरा यमुना नदी के तट पर स्थित है और यह अन्य मुगलों के अवशेषों का भी घर है। 

जिनमें उनकी पत्नियाँ, पुत्र और बाद के सम्राट शाहजहाँ के वंशज, साथ ही कई अन्य मुगल भी शामिल हैं।

लॉटस टैम्पल :

लॉटस टैम्पल भारत की राजधानी दिल्ही में मौजूद बहुत सारे प्राचीन स्मारक और कई देखने लायक स्थान है इसमें से यह लोटस टेम्पल भी सुन्दर और दिल्ही का आकर्षक स्थान है।दिल्ही का लॉटस टैम्पल नहेरु नगर में बहापुर गांव में मौजूद है। लोट्स टैम्पल एक बहाई उपासना का मंदिर माना जाता है। यह लोट्स टैम्पल में न कोई भगवान की मूर्ति है न कोई भगवान की पूजा या फिर अर्चना इस मंदिर में नहीं होती।lotus temple delhi में पर्यटक उनकी मन की शांति पाने के लिए आते है।

यह मंदिर का आकर कमल जैसा लगता है इस कारण इस मंदिर को lotus temple या फिर लॉट्स टैम्पल से पहचाना जाता है। लोट्स टैम्पल को 20वी शताब्दी का ताजमहल भी कहा जाता है। यह दिल्ही का लॉट्स टैम्पल ने कई वास्तुकार के कई पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। और यह टैम्पल को कई न्यूज, अखबारो और लेखो में भी इसकी चित्रित और चर्चित रहता है।यह दिल्ही का लोट्स टैम्पल को विश्व के 7 बहाई मंदिर में से लॉट्स टेम्पेल को अंतिम टैम्पल से पहचाना जाता है।

क़ुतुब मीनार दिल्ही :

कुतुब मीनार भारत में दिल्ली शहर के महरौली में ईंट से बनी, विश्व की सबसे ऊँची मीनार है। दिल्ली को भारत का दिल कहा जाता है, यहाँ पर कई प्राचीन इमारते और धरोहर स्थित है। इन पुरानी और खास इमारतों में से एक इमारत में स्थित है जिसका नाम है क़ुतुब मीनार, जो भारत और विश्व की सबसे ऊँची मीनार है। क़ुतुब मीनार भारत का सबसे खास और प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। क़ुतुब मीनार दिल्ली के दक्षिण इलाक़े में महरौली में है। यह इमारत हिंदू-मुग़ल इतिहास का एक बहुत खास हिस्सा है।

कुतुब मीनार को यूनेस्को द्वारा भारत के सबसे पुराने वैश्विक धरोहरों की सूचि में भी शामिल किया गया है। इस आर्टिकल में हम क़ुतुब मीनार की जानकारी और कुछ खास और दिलचस्प बातों पर पर नज़र डालेंगे।क़ुतुब मीनार दुनिया की सबसे बड़ी ईटों की दीवार है जिसकी ऊंचाई 72.5 मीटर है। मोहाली की फतह बुर्ज के बाद भारत की सबसे बड़ी मीनार में क़ुतुब मीनार का नाम आता है। क़ुतुब मीनार के आस-पास परिसर क़ुतुब काम्प्लेक्स है जो कि यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साईट भी है।

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राट्रीय स्मारक इंडिया गेट :

दिल्ही के सभी प्रमुख आकर्षणों में से इंडिया गेट सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक है। इंडिया गेट के नाम से प्रसिद्ध अखिल भारतीय युद्ध स्मारक की भव्य संरचना विस्मयकारी है और इसकी तुलना अक्सर फ्रांस में आर्क डी ट्रायम्फ, मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया और रोम में कॉन्सटेंटाइन के आर्क (मेहराब) से की जाती है। दिल्ली शहर के केंद्र में स्थित, इंडिया गेट देश के राष्ट्रीय स्मारकों में सबसे लंबा यानि 42 मीटर लंबा ऐतिहासिक स्टेकचर सर एडविन लुटियन द्वारा डिजाइन किया गया था।

यह देश के सबसे बड़े युद्ध स्मारक में से एक है। इंडिया गेट हर साल गणतंत्र दिवस परेड की मेजबानी के लिए भी प्रसिद्ध है। आज का हमारा आर्टिकल देश की सबसे ऊंची युद्ध स्मारक इंडिया गेट के बारे में है। इस आर्टिकल में आपको इंडिया गेट का इतिहास, डिजाइन और इंडिया गेट से जुड़े रोचक तथ्य जानने को मिलेंगे। साथ ही इस पर्यटन स्थल से जुड़े तमाम सवालों के जवाब भी आपको हमारे आर्टिकल के जरिए मिल जाएंगे।

दिल्ही का लाल किला :

दिल्ली का लाल किला भारत में दिल्ली शहर का एक ऐतिहासिक किला है। लाल किला भारत में पर्यटकों के लिए एक बहुत खास जगह है।दूसरे देशों से आने वाले पर्यटक भी भारत के इस किले को देखना बेहद पसंद करते हैं। इस किले के बारे में बात करें तो आपको बता दें कि 1856 तक इस किले पर लगभग 200 वर्षों तक मुगल वंश के सम्राटों का राज था। यह के केंद्र में स्थित है इसके साथ ही यहाँ कई संग्रहालय हैं यह किला बादशाहों और उनके घर के अलावा यह मुगल राज्य का औपचारिक और राजनीतिक केंद्र था और यह क्षेत्र खास तौर से होने वाली सभा के लिए स्थापित किया गया था।

Safdarjung Tomb History
Safdarjung Tomb History

 इस्कॉन मंदिर :

  • इस्कॉन मंदिर को दूसरे हरे राम हरे कृष्ण के नाम से पहचाना जाता है।
  • यह इस्कॉन मंदिर कृष्ण को समर्पित है।
  • इस्कॉन मंदिर की स्थापना ई.स 1998 में अच्युत कनविंडे ध्वारा निर्माणित किया गया है।
  • यह मंदिर नई दिल्ही के कैलास क्षेत्र के पूर्व दिशा में हरे कृष्णा पर्वत पर स्थित है।
  • यह स्थान सेंटर हॉल हरे राम और हरे कृष्ण की स्वर्गीय धुन का उल्लेख दर्शाता है।

स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर :

स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर नई दिल्ही में मौजूद यह मंदिर सुन्दर और आकर्षण का केंद्र बना हुवा है।

यह स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर की संस्कृति , आध्यात्मिकता और वास्तुशैली का एक अदभुत नमूना है।

स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर दिल्ही की यमुना नदी के किनारे पर मौजूद है।

यह स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर हिन्दू धर्म की संस्कृति का एक अत्यंत आकर्षक स्थान है।

जंतर मंतर दिल्ही :

जंतर मंतर दिल्ही में संसद मार्ग नई दिल्ही के दक्षिणी कनॉट सर्किल में मौजूद है। दिल्ही का जंतर मंतर विशाल वेधशाला है। यह स्थान जंतर मंतर को प्राचीन समय में समय और स्थान के अध्ययन की मदद में और मुर्हुत देखने के लिए इसका निर्माण करवाया गया था। यह दिल्ही के जंतर मंतर का निर्माण महाराजा जयसिंह ने करवाया था। महाराजा जयसिंह ने ई.स 1724 में जंतर मंतर का निर्माण करवाया था। और यह जंतर मंतर जयपुर ,उज्जैन ,वाराणसी और मथुरा में मौजूद यह पांच ऐसी वेधशालाओ में से एक माना जाता है।

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Saphadarajang Makabara Kaise Pahunche –

Saphadarajang Makabara
Saphadarajang Makabara

सफदरजंग मकबरा जाने के लिए आप फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं।

फ्लाइट से कैसे पहुंचे

सफदरजंग मकबरा घूमने के लिए आपने हवाई मार्ग का चुनाव किया है।

तो हम आपको बता दे कि दिल्ली का इंदिरा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा सबसे अच्छा विकल्प हैं।

हवाई अड्डे से आप स्थानीय साधनो की मदद से लाल किला और सफदरजंग मकबरा तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

ट्रेन मार्ग से कैसे पहुंचे :

सफदरजंग मकबरा जाने के लिए आपने safdarjung tomb metro station चुनाव किया हैं।

तो हम आपको बता दें कि दिल्ली रेलवे जंक्शन पुरानी दिल्ली में स्थित हैं।

इसके अलावा हज़रत निज़ामुद्दीन और आनंद विहार रेलवे स्टेशन दिल्ली के अन्य रेलवे स्टेशन हैं।

आप इनमे से किसी भी स्टेशन का चुनाव कर सकते हैं।

दिल्ली में चलने वाले स्थानीय साधनों की मदद से सफदरजंग मकबरा तक का सफ़र तय कर सकते हैं। 

सड़क मार्ग से कैसे पहुंचे :

सफदरजंग मकबरा जाने के लिए यदि आपने सड़क मार्ग की योजना बनाई हैं।

तो दिल्ली आसपास के सभी शहरो से सड़क मार्ग के माध्यम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ।

आप बस या अन्य किसी साधन से सफदरजंग मकबरा तक आसानी से पहुँच जाएंगे।

Safdarjung Tomb Delhi Map –


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Safdarjung Tomb Video –

सफदरजंग मकबरे का प्रश्न –

1 . सफदरजंग का मकबरा कहा स्थित है ?

सफदरजंग मकबरा भारत की राजधानी दिल्ही के दक्षिण हिस्से में

श्री औरोबिंदो मार्ग पर लोधी मार्ग के छोर के बिलकुल सामने स्थित है। 

2 . सफदरजंग मकबरे का निर्माण किसने करवाया था ?

सफदरजंग मकबरे का निर्माण अंतिम मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह

और कुशल प्रधान मंत्री उनके पुत्र ने शुजा-उद-दौला ने राजा की अनुमति लेकर

अपने पिता की स्मृति में मकबरे का निर्माण किया था। 

3 . सफदरजंग मकबरे का निर्माण कब किया गया था ?

 सफदरजंग मकबरे का निर्माण ई.स 1719-1748 में किया गया था। 

4 . सफदरजंग मकबरे की डिजाइन किस वास्तुकार ने तैयार की थी ?

मकबरे को एक इथियोपियाई वास्तुकार ध्वारा इसकी डिजाइन तैयार की गई है।

5 . सफदरजंग मकबरे में किसकी कब्र है ?

मकबरे में मिर्जा मुकीम अबुल मंसूर खान की कब्र है जिसको सफदरजंग के नाम से भी पहचाना जाता है।

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Conclusion –

दोस्तों उम्मीद करता हु आपको मेरा ये लेख tomb of safdarjung के बारे में पूरी तरह से समज आ गया होगा। इस लेख के द्वारा हमने सफदरजंग का मकबरा के बारे में जानकारी दी अगर आपको इस तरह के अन्य ऐतिहासिक स्थल और प्राचीन स्मारकों की जानकरी पाना चाहते है तो आप हमें कमेंट करे। आपको हमारा यह आर्टिकल केसा लगा बताइयेगा और अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे। धन्यवाद।