ranakpur temple rajasthan राजस्थान में स्थित जैन धर्म के पांच प्रमुख स्थलों में से एक है. यह स्थान बेहद खूबसूरती से तराशे गए प्राचीन मंदिरों के लिए विख्यात है.
यह उदयपुर से 96 किलोमीटर की दूरी पर पाली जिले के सादड़ी में स्थित है. भारत के जैन मंदिरों में संभवतः इसकी इमारत सबसे भव्य तथा विशाल है.
रणकपुर जोधपुर और उदयपुर के बीच में अरावली पर्वत की घाटियों मैं स्थित है इसलिए यह जगह बहुत ही मनोरम बन जाती है.
यह स्थान उन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है जो उत्तरी भारत के श्वेताम्बर जैन ranakpur temple में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं. यहां स्थित प्रमुख मंदिर को रणकपुर का चौमुखा मंदिर कहते हैं.
इस मंदिर के चारों ओर द्वार है. मंदिर में प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ की मूर्ति स्थापित है. इस मंदिर के अलावा दो और मंदिर है जिनमें भगवान पार्श्वनाथ और नेमिनाथ की प्रतिमाएं प्रतिष्ठा प्राप्त हैं.
एक वैष्णव मंदिर सूर्य नारायण का भी है. एक धार्मिक ranakpur temple चौमुखा त्रलोक्य दीपक है, जिनमें राजस्थान की जैन कला और धार्मिक परंपरा का अपूर्व प्रदर्शन हुआ है.
कहते हैं कि मंदिर परिसर में 76 छोटे गुंबदनुमा पवित्र स्थान, 4 बड़े कक्षा और 4 बड़े पूजा स्थल है, मान्यता है कि यह मनुष्य को जीवन मृत्यु की 84 योनियों से मुक्ति पाने के लिए प्रेरित करते हैं,
मंदिर की विशेषता 1444 खंभे है कमरों का निर्माण इस तरह किया गया है कि मुख्य पवित्र स्थल के दर्शन में बाधा नहीं पहुंचती है.
इन खंबों पर अति सुंदर नक्काशी की गई है और छत का स्थापत्य देखकर आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे. मंदिर में किसी संकट के अनुमान के तौर पर तहकानों का निर्माण किया गया है
ताकि ऐसे समय में पवित्र मूर्तियों को सुरक्षित रखा जा सके. विक्रम संवत 1953 में मंदिर के रखरखाव की जिम्मेदारी ट्रस्ट को दे दी गई थी. उसने मंदिर के जीणोद्धार कार्य को नया रूप दिया.
यहाँ संगमरमर के टुकड़े पर भगवान ऋषभदेव के पदचिन्ह भी है. यह भगवान ऋषभदेव तथा शत्रुंजय की शिक्षाओं की याद दिलाते हैं |
मंदिर का नाम | रणकपुर जैन मंदिर ( jain temple ranakpur ) |
निर्माणकाल | सन 1446 |
निर्माणकर्ता | राजा कुम्भा |
मंदिर का क्षेत्र | 40,000 वर्ग फीट |
मंदिर के कुल खम्भे | 1444 |
मंदिर के कुल गुंबज | 80 गुंबज |
रणकपुर का प्रसिद्ध मंदिर | चौमुखा मंदिर |
रणकपुर मंदिर किस नदी के किनारे है | माघी नदी |
Table of Contents
रणकपुर का जैन मंदिर किसने बनवाया था –
रणकपुर के जैन मंदिर का निर्माण राजा कुम्भा ने करबाया था।
मंदिर का इतिहास – ranakpur jain temple history,
अपनी भव्यता और खूबसूरत नक्काशी के लिए मशहूर इस प्राचीन jain temple ranakpur को बनाने की शुरुआत आज से करीब 600 साल पहले 1446 विक्रम संवत में हुई थी, इस मंदिर को बनाने में 50 साल से भी ज्यादा का समय लगा और इसके निर्माण में करीब 99 लाख रुपए की राशि का खर्च आया था।
हालांकि, जैन धर्म के इस भव्य मंदिर के रखरखाव की जिम्मेदारी विक्रम संवत 1953 में एक ट्रस्ट को दे दी गई, जिसके बाद इस मंदिर का पुनरुद्दार कर इसे खूबसूरत और नया रुप दिया गया।
आपको बता दें कि रणकपुर जैन मंदिर के निर्माण के बारे में यह कहा जाता है कि, इसका निर्माण आचार्य श्यामसुंदर जी,देपा, कुंभा राणा और धरनशाह नामक चार भक्तों ने करवाया था।

आचार्य श्यामसुंदर एक धार्मिक प्रवृत्ति के नेता थे, जबकि राणा कुंभा, मलगढ़ के राजा और धरनशाह के मंत्री थे, धार्मिक भावनाओं से प्रेरित होकर धरनशाह ने भगवान श्रषभदेव का मंदिर बनवाने का फैसला लिया था,
ऐसा भी कहा जाता है कि एक बार रात के समय उन्हें सपने में एक बेहद सुंदर और पवित्र विमान ‘नलिनीगुल्मा विमान’ के दर्शन हुए थे, जिसके बाद धरनशाह ने इस मंदिर का निर्माण करवाने का फैसला लिया था।
वहीं jain temple ranakpur के निर्माण के लिए बुलाए गए कई वास्तुकारों में सिर्फ मुंदारा के साधारण वास्तुकार दीपक की कारीगरी की योजना धरनशाह को पसंद आई थी।
मलगढ़ के राजा राणा कुंभा ने इसके बाद रणकपुर जैन मंदिर को बनवाने के लिए धरनशाह को जमीन दे दी, इसके साथ ही एक नगर बसाने के लिए भी कहा।
राणा कुंभा के नाम पर इस मंदिर को पहले रणपुर कहा गया और फिर बाद में यह मंदिर jain temple ranakpur के नाम से जाना गया।
रणकपुर जैन मंदिर की संरचना –
ranakpur jain temple करीब 40,000 वर्ग फीट वाले क्षेत्रफल में रणकपुर जैन मंदिर की विशाल इमारत बनी हुई है।
इस मंदिर में चार कलात्मक प्रवेश द्धार भी है, और इसके परिसर में कई अन्य मंदिर भी बने हुए हैं, मंदिर के मुख्य गृह में जैन तीर्थकर आदिनाथ की संगममर से बनी करीब 72 इंच ऊंची 4 भव्य और विशाल मूर्तियां शोभायमान हैं,
जो कि चार अलग-अलग दिशाओं की तरफ स्थापित हैं, इसी वजह से यहां स्थित मुख्य मंदिर को ‘चौमुखा मंदिर’ या ‘चतुर्मुख मंदिर’ कहते हैं।
इस मंदिर के अलावा दो अन्य मंदिर भी हैं, जहां जैन तीर्थकर नेमिनाथ और भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमाएं शोभायमान हैं। यहां एक वैष्णव मन्दिर सूर्यनारायण का भी स्थित है।
इसके अलावा इसके करीब 1 किलोमीटर दूरी पर अम्बा माता का मंदिर भी बना हुआ है।

आपको बता दें कि इस मंदिर में करीब 76 छोटे गुम्बदनुमा पवित्र स्थान, 4 बड़े पूजन स्थल और 4 बड़े प्रार्थना कक्ष बने हुए हैं।
इसके साथ ही इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां करीब 1444 खंभों का निर्माण इस तरह किया गया है कि कहीं से भी देखने पर मुख्य धार्मिक और पवित्र स्थल के दर्शन करने में कोई दिक्कत नहीं होती है,
वहीं अनोखे और अलग-अलग कलाकृतियों से निर्मित इन खंभों में अति सुंदर नक्काशी भी की गई है, जिसे देखते ही बनता है।
इस मंदिर की सुरक्षा को देखते हुए यहां तहखाना का निर्माण भी किया गया है। इस भव्य मंदिर की सुंदरता को देखने के लिए और इस मंदिर के दर्शन के लिए लाखों भक्तों का यहां तांता लगा रहता है।
चौमुखा मंदिर उत्कृष्ट कला का भव्य नमूना –
रणकपुर में भगवान आदिनाथ की भव्य प्रतिमा श्वेत संगमरमर पत्थर की बनी हुई है. एक उच्च पाठिका पर आसीन उनकी प्रतिमा 5 फुट ऊंची है
और एक दूसरे की पीठ से लगी हुई चारों दिशाओं में मुख किए हैं. इसी कारण यह मंदिर चौमुखा कहलाता है. मंदिर के चारों द्वार होने से कोई भी श्रद्धालु किसी भी दिशा से भगवान आदिनाथ के दर्शन कर सकता है.
मंदिर के सामने दो अन्य jain temple ranakpur है जिनमें से पार्श्वनाथ के मंदिर का बाहरी भाग मैथुन मूर्तियों से चित्रित है मंदिर के सभामंडप, द्वार, स्तंभ, छत आदि तक्षण कला के उत्कृष्ट उदाहरण है.
नृत्य की मूर्तियां हाव भाव से परिपूर्ण है. मंदिर में जैन तीर्थों का भी वर्णन है मंदिर के चारों ओर 80 छोटी और 4 बड़ी देवकुलीकाय है
मंदिर की मुख्य देहरी में भगवान नेमिनाथ की विशाल भव्य मूर्ति है. अन्य मूर्तियों में सहस्त्रकूट, भैरव, हरिहर, सहस्त्रफणा धरणी शाह और देपा की मूर्तियाँ उल्लेखनीय है.
यहां पर एक 47 पंक्तियों का लेख चौमुखा मंदिर के एक स्तंभ में लगे हुए पत्थर उत्कीर्ण है जो विक्रम संवत 1496 का है. एक रेखा में संस्कृत तथा नागरी दोनों लिपियों का प्रयोग किया गया है.
प्रस्तुत लेख में बप्पा रावल से लेकर कुंभा तक के बहुत से शासकों का वर्णन है. महाराणा कुंभा की विजयों तथा उनके विरुदों का विस्तृत वर्णन दिया गया है.
एक लेख में तत्कालीन समाजिक, आर्थिक तथा धार्मिक जीवन के बारे में भी पर्याप्त जानकारी मिलती है. फोर्ग्युसन ने इस अद्भुत प्रासाद का जटिल वंदन करते हुए लिखा है
कि ऐसा जटिल एवं कला पूर्ण मंदिर मेरे देखने में नहीं आया है मैं अन्य एक ऐसा मंदिर नहीं जानता जो इतना प्रभावशाली है. राजपूत इतिहासकार कर्नल टार्ड ने भी इसे भव्य प्रासादों में गिना है |
रणकपुर जैन मंदिर की वास्तुकला – jain temple ranakpur
jain temple ranakpur की संरचना विशाल है जिसमे चौमुखा मंदिर, अंबा माता मंदिर, पार्श्वनाथ मंदिर और सूर्य मंदिर आदि शामिल हैं। आदिनाथ तीर्थ कर को समर्पित चौमुखा मंदिर यहाँ का सबसे आकर्षित मंदिर हैं।
इस मंदिर में 29 हॉल, 1444 खंभे और 80 गुंबद बने हुए हैं। मंदिर के अन्दर नृत्य करती हुई अप्सराओं की नक्काशी देखने लायक होती हैं।
इसके अलावा हड़ताली मंदिर में चार अलग-अलग प्रवेश द्वार देखने को मिलेंगे जोकि मंदिर में चारो दिशा से आने की अनुमति देते हैं और केंद्रीय कक्ष की ओर जाते हैं
जहां भक्त गर्भगृह में भगवान आदिनाथ की चार मुखी वाली आकर्षित संगमरमर की मूर्ति के दर्शन का लाभ उठा सकते है। मंदिर की संरचना को गौर से देखने पर पता चलता हैं कि इसकी वास्तुकला और पत्थर की नक्काशी राजस्थान के एक अन्य प्राचीन मीरपुर जैन मंदिर से मेल खाती हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 48,000 वर्ग फुट के एक विशाल तहखाने समेत रणकपुर मंदिर के मंदिर परिसर में निर्मित किये गए स्तंभों और गुंबदों के साथ कुल मिलकर चार आकर्षित मंदिर शामिल हैं।
मंदिर में बने 2 स्तंभों की नक्काशी एक सामान हैं इसके अलावा छत पर बारीक स्क्रॉलवर्क और ज्यामितीय पैटर्न में कलाकृति देखने को मिलती हैं।
इसके अलावा रणकपुर मंदिर की संरचना में कई मंडप, सुंदर बुर्ज, मंदिर निर्मित प्रार्थना कक्ष, दो विशाल घंटियाँ और आकर्षित खिड़कियां आदि शामिल हैं।
रणकपुर जैन मंदिर की मान्यता –
इस आर्कषक नक्काशी वाले भव्य रणकपुर jain temple ranakpur की मान्यता है कि इस मंदिर में प्रवेश करने से मनुष्य, जीवन-मत्यु की करीब 84 योनियों से मुक्त हो जाता है
और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं इस पवित्र और धार्मिक जैन स्थल में जैन धर्म के लोगों की अटूट आस्था और गहरी श्रद्धा है, इसलिए लाखों भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं।
रणकपुर जैन मंदिर के दर्शन के लिए टिप्स –
पाली के रणकपुर जैन मंदिर में मोबाइल और केमरा ले जाने की अनुमति अतिरिक्त शुल्क के साथ दी जाती हैं।
पूजा करने की अनुमति केवल जैन मंदिर में दी जाती हैं।
रणकपुर जैन मंदिर किस नदी के किनारे है –
रणकपुर मंदिर माघी नदी के किनारे स्थित हैं।
रणकपुर जैन मंदिर कहाँ स्थित है –
ranakpur temple भारत के राजस्थान राज्य में अरावली पर्वत के निकट पाली जिले के सादरी नामक शहर के निकट स्थित हैं।
रणकपुर जैन मंदिर के पास के दर्शनीय स्थल – ranakpur jain temple dharamshala
जैन धर्म से सम्बंधित रणकपुर तीर्थ स्थल के आसपास पर्यटकों और भी कई आकर्षित और घूमने वाली स्थान मिलेंगे। पर्यटक इन स्थानों पर घूमने जा सकते हैं और दर्शनों का लाभ उठा सकते हैं।
- मुछाला महावीर मंदिर रणकपुर –
मुछाला महावीर मंदिर का स्थान रणकपुर कइ मुख्य दर्शनीय स्थलों में से एक है, मुछाला महावीर मंदिर भगवान महावीर को समर्पित हैं। यह मंदिर बहुत ही खुबसूरत है,
मुछाला महावीर मंदिर रणकपुर के कुंभलगढ़ अभयारण्य में स्थित है। मुछाला महावीर मंदिर का सबसे प्रमुख आकर्षण यहां स्थित भगवान महावीर की मूछों वाली आकर्षित प्रतिमा हैं।
इसके अलावा मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थित हाथियों की दो मूर्तिया पर्यटकों को मोहित करती हैं।
- सूर्य नारायण मंदिर रणकपुर –
सूर्य मंदिर रणकपुर में स्थित एक दर्शनीय स्थल में एक हैं, यह मंदिर काफी लोकप्रिय मंदिर है , सूर्य मंदिर का निर्माण 13 वीं शताब्दी के दौरान कराया हैं।
हालाकि एक बार नष्ट होने के बाद 15 वीं शताब्दी मंदिर का पुनिर्माण कार्य किया गया। ranakpur temple की देख रेख का कार्य उदयपुर शाही परिवार के ट्रस्ट की निगरानी में किया जाता हैं।
सूर्य नारायण मंदिर की संरचना गोलाकार हैं जोकि अपने सात घोड़ो के रथ सवार भगवान् सूर्य देव की आकर्षित प्रतिमा के लिए पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
रणकपुर जैन मंदिर जाने का अच्छा समय – ranakpur jain temple timings
भारत में सबसे बड़ा राज्य, राजस्थान की जलवायु को चार मौसमों यानी गर्मियों, मानसून, मानसून और सर्दियों के बाद विभाजित किया जा सकता है।
मौसम और क्षेत्र पर निर्भर करता है कि आप रणकपुर जैन मंदिर किस भी समय घूमने की योजना बना सकते हैं, आप साल के किसी भी समय राज्य का दौरा कर सकते हैं
और हर मोसम के हिसाब से जाने का अपना अगल अंदाज होता है, लेकिन जुलाई से सितंबर का समय ranakpur temple की यात्रा के लिए एक अच्छा समय है।
रणकपुर जैन मंदिर खुलने और बंद होने का समय – ranakpur temple timings
रणकपुर जैन मंदिर खुलने और बंद होने का समय सुबह 9 बजे से शाम के 5 का होता हैं।
रणकपुर के जैन मंदिर में लगाने वाला प्रवेश शुल्क –
ranakpur temple में भारतीयों नागरिको के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं लगता हैं
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