Pattadakal Temple History In Hindi Karnataka

Pattadakal Temple History Karnataka Pattadakal historyofindia1

आज हम भारत के प्राचीन pattadakal history के बारे में जानेंगे और इसका निर्माण और इस स्थल के बारे में जानेंगे।कर्णाटक राज्य के बागलकोट जिले में पत्तदकल नाम का एक सुन्दर और प्राचीन शहर है। यह शहर को यूनेस्को की विश्व धरोहर में स्थान प्राप्त हुवा है। पत्तदकल शहर में कई ऐतिहासिक स्मारकों का समूह है।

यह शहर पुरातात्विक महत्त्व के लिए बहुत प्रसिद्ध है। पत्तदकल में प्राचीन मंदिरो में से नौ पत्तदकल के स्मारकों का समूह हिन्दू और एक जैन मंदिर है। यह प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरो का मुख्य केंद्र विरुपाक्ष का मंदिर है। इस विरुपाक्ष मंदिर को रानी लोकमहादेवी द्वारा ई.स 740 के समय में इसका निर्माण करवाया गया था। हम आज आपको Pattadakal Temple का इतिहास जानेंगे। पत्तदकल मंदिरो के समूह में पापनाथ मंदिर , चोल मंदिर , लोकेश्वर मंदिर , विरुपाक्ष मंदिर शामिल है। 

यह पत्तदकल शहर प्राचीन स्मारकों के लिए यह स्थान दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यह शहर ऐतिहासिक प्रेमियों और श्रदालुओ के लिए आकर्षण का केंद्र माना जाता है। पत्तदकल में हजारो की संख्या में पर्यटक इस साथ पर आते रहते है। अगर आप इस प्राचीन शहर की जानकारी पाना चाहते है तो हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढ़िए ताकि इस शहर की जानकरी पा सके। 

शहर का नाम पत्तदकल
राज्य कर्णाटक 
जिला बागलकोट
पत्तदकल का निर्माणकाल 7 वीं और 8 वीं शताब्दी
पत्तदकल का निर्माणकर्ता  चालुक्य वंश
पत्तदकल का मुख्य मंदिर विरुपाक्ष मंदिर 

Table of Contents

Pattadakal History In Hindi –

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार पत्तदकल की स्थापना 7 वीं और 8 वीं शताब्दी के समय में चालुक्य वंश के समय में की गई थी। पत्तदकल का अर्थ होता है की राज्याभिषेक का स्थान इस स्थान का इस्तेमाल चालुक्य वंश के राजाओ के समय में राज्याभिषेक समारोह का आयोजन इस स्थान पर किया जाता था। पत्तदकल में राज्याभिषेक करने का मुख्य कारण यह था की यह स्थान पवित्र माना जाता था। 

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पत्तदकल प्राचीन ऐतिहासिक स्थल अलग – अलग राजाओ – महाराजाओ और राजवंशो के शासन का गवाह बना है। जिसमे चालुक्यों , संगमावंश , मुग़ल साम्राज्य जैसे शामिल है। 

pattadakal history के मुख्य मंदिर –

पत्तदकल प्राचीन स्थल में अनेक प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरो के बारे में जानेंगे। पत्तदकल में अनेक प्राचीन मंदिर है जिसका निर्माण , इतिहास और उनकी जानकरी के बारे में जानेंगे। इस प्राचीन शहर में अनेक मंदिर है जैसे की आप निचे देख सकते है। 

विरुपाक्ष मंदिर : Virupaksha Temple, Pattadakal 

Pattadakal
Pattadakal

पत्तदकल का मुख्य और प्रसिद्ध मंदिर विरुपाक्ष मंदिर माना जाता है। यह मंदिर 7वी शताब्दी में कांची के पल्लवों पर जित की याद में स्मरण करने के लिए विक्रमादित्य द्वितीय ने इसका निर्माण करवाया था। 

virupaksha temple pattadakal द्रविड़ियन शैली में बना हुवा सबसे बड़ा प्रसिद्ध मंदिर है। विरुपाक्ष मंदिर सभी मंदिर का एकमात्र सक्रीय मंदिर स्थित है और यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। विरुपाक्ष प्राचीन मंदिर में लिंगोद्भव, नटराज, उग्रा नरसिम्हा, और रावण जैसे कई देवो देवतायों की प्राचीन मूर्तियां भी स्थापित है। विरुपाक्ष मंदिर के सामने एक बड़ा काली चट्टान का नंदी मंडप है इस मंडप की दीवार पर महिलाओ की प्रतिमा की नक्काशी की गई है। 

काशीविश्वनाथ मंदिर : Kashi Vishwanath Temple Pattadakal

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Pattadakal Temple History Karnataka Pattadakal historyofindia1

काशीविश्वनाथ मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूटों द्वारा 8 वी शताब्दी के समय में किया गया था। यह मंदिर पत्तदकल के मुख्य ऐतिहासिक स्थलो में काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। काशीविश्वनाथ मंदिर पत्तदकल के मल्लिकार्जुन मंदिर के नजदीक में स्थित आखरी हिन्दू मंदिर है।

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Kashi Vishwanath Temple Pattadakal में अदभुत वास्तुकला और नक्काशीदार प्रतिमाये दिखाई देती है। इस मंदिर की मादा प्रतिमाओ की बहोत बारीकी से तैयार किया गया है। इस मंदिर में काली चट्टानों के शिवलिंग गरुड़, जानवर, और स्कंद के साथ शिव और पार्वती की प्रतिमाये मंदिर की शोभा और भी बढ़ा देती है। 

pattadakal jain temple – जैन मंदिर

जैन मंदिर का निर्माण 9 वी शताब्दी में कल्याणी चालुक्य और राष्ट्रकूट द्वारा करवाया गया था। यह pattadakal jain temple प्रसिद्ध मंदिरो मेसे एक है। 

जैन मंदिर की बनावट में बड़े 16 गोल आकार के स्तंभ है इसके अलावा हाथियों की प्रतिमाये मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थापित है। मंदिर में इसके अलावा मानव आकृतियाँ, शंखनिधि, बौने, कलसा, पद्मनिधि और अधिक नक्काशी से सुसज्जित किया गया है। जैन मंदिर में एक शिवलिंग भी स्थापित है। 

संगमेश्वर मंदिर : Sangameshwara Temple pattadakal

Sangameshwara Temple Pattadakal में विरुपाक्ष और गलगनाथ मंदिर के मध्य भाग में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 696 से 733 शताब्दी के समय दौरान चालुक्य वंश के राजा विजयादित्य सत्यश्रयाने करवाया था। संगमेश्वर मंदिर द्रविड़ शैली में निर्माणित है। संगमेश्वर मंदिर प्रथम विजयेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता था। यह मंदिर पत्तदकल के प्रमुख मंदिरो मेसे एक है। 

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संगमेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है यह मंदिर विरुपाक्ष मंदिर की तरह है। परन्तु यह मंदिर आकर में छोटा है संगमेश्वर मंदिर के निर्माण में दो प्रवेश द्वार , 20 बड़े स्तंभ , रंगमंदिर , 2 उपमंदिर , नंदी के खंडित मंडप और मंदिर की बाहरी दीवारों पर कुछ प्राचीन प्रतिमाये स्थापित है। 

पापनाथा मंदिर : Papanatha Temple

Sapanatha Temple का निर्माण ई.स 680 में करवाया गया था। यह मन्दिर महाभारत रामायण के द्र्श्यो को प्रस्तुत करता है। पापनाथा मंदिर द्रविड़ियन और नागर वास्तुशैली में निर्माणित है। पापनाथा मंदिर भगवान मुकुटवारा रूप शिव को समर्पित है। इस मंदिर की शोभा प्रसंसनीय है और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल किया गया है। पापनाथा मंदिर में पर्यटक युगल , प्राचीन , पौराणिक , राम , बाली , जैसी अनेक जानवरो की प्रतिमाये देख सकते है। 

गलगनाथ मंदिर :  Galaganatha Temple

गलगनाथ मंदिर का निर्माण 8 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में करवाया गया था। यह मंदिर पत्तदकल के मुख्य मंदिरो मेसे एक प्रसिद्ध मंदिर है। Galaganatha Temple में स्थापित भगवान शिव की प्रतिमा राक्षस अंधकासुर का वध करती स्थिति में नक्काशी किया गया है। इसके अलावा भगवान शिव की प्रतिमा के साथ गजलक्ष्मी और कुबेर की प्रतिमा स्थापित है। गलगनाथ मंदिर की वास्तुकला तेलंगाना के संगमेश्वर मंदिर की जैसे मिलती है। लेकिन इस मंदिर का ज्यादा हिस्सा खंडित हो गया है लेकिन इसके अलावा यह मंदिर पत्तदकल के प्रसिद्ध मंदिरो मेसे एक है। यह मंदिर देश-विदेश के आनेवाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। 

Pattadakal Temple History Karnataka
Pattadakal Temple History Karnataka

मल्लिकार्जुन मंदिर : Mallikarjuna Temple, Pattadakal

पत्तदकल के प्रमुख पर्यटक स्थल में शुमार Mallikarjuna Temple pattadakal का एक और भव्य मंदिर है। भगवान शिव को समर्पित मल्लिकार्जुन मंदिर का निर्माण चालुक्य सम्राट विक्रमादित्य की दूसरी पत्नी द्वारा करबाया गया था। द्रविड़ स्थापत्य शैली में निर्मित मल्लिकार्जुन मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल पत्तदकल स्मारकों का महत्वपूर्ण हिस्सा है। मंदिर के पोर्च में नरसिंह भगवान् द्वारा हिरण्यकश्यप के वध की एक शानदार छवि है इसके साथ साथ मंदिर महाभारत, रामायण और पंचतंत्र की भी सुंदर नक्काशी देखी जा सकती हैं।

जम्बुलिंग मंदिर :

जम्बूलिंग मंदिर का निर्माणीत मंदिरो मेसे एक प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 7वी शताब्दी में करवाया गया था।जम्बूलिंग मंदिर भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। जम्बूलिंग मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल किया गया है। यह मंदिर की बनावट और वास्तुकला पर्यटकों को आकर्षित करता है। 

कड़ासिद्धेश्वर मंदिर : Kadasiddeshwar Temple Pattadakal 

कड़ासिद्धेश्वर मंदिर पत्तदकल का ऐतिहासिक स्मारको का प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर की वास्तुकला नागरशैली में देखने को मिलती है। कड़ासिद्धेश्वर मंदिर का निर्माण 18 वीं शताब्दी में किया गया था। पत्तदकल के अन्य मंदिरो की तुलना में यह मंदिर कद में छोटा है। यह मंदिर इतना सुन्दर है की पर्यटको को बड़ी भारी संख्या में आकर्षित करता है। कड़ासिद्धेश्वर मंदिर में भगवान शिव और देवी पार्वती की नक्काशीदार प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर के द्वारा पर द्वारपालों की सुन्दर प्रतिमाये स्थापित है। 

म्यूजियम ऑफ़ प्लेन्स एंड स्कल्पचर गैलरी :

पत्तदकल का म्यूजियम भुटानाथ मंदिर के रास्ते पर स्थित है यह म्यूजियम पर्यटकों के लिए दिलचस्प स्थान है।

यह म्यूजियम प्राचीन समय के धर्मग्रंथ और प्राचीन प्रतिमाओ का संग्रह किया गया है।

पत्तदकल का यह संग्रहालय में बड़ी ही भारी संख्या में इस स्थान पर पर्यटक आते है। 

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पत्तदकल घूमने जाने का सबसे अच्छा समय –

अगर आपने पत्तदकल जाने की यात्रा बना रहे है तो आपको बता दे की घूमने जाने के लिए अच्छा समय अक्टूबर से मार्च और जुलाई से सितंबर का समय अच्छा रहता है। इस समय दौरान पत्तदकल का मौसम बेशुमार रहता है। इस लिए इस समय पत्तदकल की यात्रा करना अच्छा रहता है। 

पत्तदकल में रुकने के लिए होटल्स –

पत्तदकल की यात्रा के समय दौरान आपके मनमे प्रश्न होगा की वहा रुके कहा ? आपको बता दे की पत्तदकल में रहने के लिए बहोत अच्छी होटल्स पर्यटकों के लिए रहने के लिए बनवाई गई है ताकि देश और विदेश के पर्यटक यात्रा के दौरान बिना कुछ परेशानी से रह सके। पत्तदकल में आप अपने रेट के अनुसार होटल्स पसंद कर सकते है। 

  • श्री कृष्णा योगाश्रम 
  • होटल मयूरा ऐहोल नियर बादामी 
  • होटल रॉयल डीलक्स बादामी
  • K K रेजीडेंसी, नियर बसस्टैंड, रेलवे स्टेशन 

Pattadakal Temple Karnataka Map –

पत्तदकल कैसे पहुंचे – 

  • अगर आपने पत्तदकल की यात्रा करने का प्लान बनाया है।
  • तो आपको बता दे की पत्तदकल की यात्रा के लिए आपके पास तीन तरफ के विकल्प आपके सामने है।
  • इसमें हवाई मार्ग , ट्रेन मार्ग और सड़क मार्ग के मध्यम से पहुँच सकते है। 

हवाई मार्ग से पत्तदकल कैसे पहुंचे :

  • अगर आपने पत्तदकल की यात्रा के लिए हवाई मार्ग का चुनाव किया है।
  • तो आपको बता दे की पत्तदकल के लिए कोई सीधा हवाई मार्ग नहीं है।
  • लेकिन पत्तदकल का नजदीकी हवाई मार्ग बेलगाम में स्थित है।
  • यह बेलगाम का हवाई मथक करीबन 106 कि.मी पत्तदकल की दुरी पर स्थित है।
  • बेलगाम के हवाई मथक पर पहुँच ने के बाद आप स्थानीय बसे ,
  • टैक्सी या कैब के इस्तेमाल से पत्तदकल तक पहुँच सकते है।
  • बेलगाव से पत्तदकल की दुरी करीबन 2 या 3 घंटे का सफर रहता है। 

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ट्रेन मार्ग से पत्तदकल कैसे पहुंचे :

  • पत्तदकल के लये आपने ट्रेन मार्ग का चुनाव किया है।
  • तो आपको बता दे की इस स्थान लिए कोई सीधी रेल मार्ग भी नहीं है।
  • पत्तदकल का सबसे नजदीकी रेल्वे जंक्शन बादामी का रेल्वे जंक्शन है।
  • यह रेल्वे जंक्शन करीबन 17 कि.मी की दुरी पर स्थित है।
  • वहा पहुँचने के लिए आप टैक्सी या कैब के इस्तेमाल से आप पत्तदकल का सफर कर सकते है। 

सड़क मार्ग से पत्तदकल कैसे पहुंचे :

  • अगर आपने पत्तदकल की यात्रा के लिए सड़क मार्ग का चुनाव किया है।
  • तो आपको बता दे की कर्णाटक के मुख्य शहरो से पत्तदकल के लिए स्थानीय बसे नियमित रूप से चलती है।
  • इसके अलावा आप सड़क मार्ग से टैक्सी या कैब के इस्तेमाल से पत्तदकल की यात्रा सड़क मार्ग से पहुँच सकते है। 

Pattadakal history Video –

पत्तदकल के अन्य प्रश्न – 

1 . पत्तदकल की स्थापना कब की गई थी ?

पत्तदकल की स्थापना 7 वीं और 8 वीं शताब्दी के समय में की गई थी। 

2 .  पत्तदकल की स्थापना किसके समय में की गई थी ?

 पत्तदकल की स्थापना चालुक्य वंश के समय में की गई थी।

3 . पत्तदकल का अर्थ और इसका इस्तेमाल किस लिए किया जाता था ?

 अर्थ होता है की राज्याभिषेक का स्थान इस स्थान का इस्तेमाल बताये तो।

चालुक्य वंश के राजाओ के समय में राज्याभिषेक समारोह का आयोजन इस स्थान पर किया जाता था।

पत्तदकल में राज्याभिषेक करने का मुख्य कारण यह था की यह स्थान पवित्र माना जाता था। 

4 . पत्तदकल में कोनसे राजवंशो ने शासन किया है ?

पत्तदकल में चालुक्यों , संगमावंश , मुग़ल साम्राज्य जैसे शामिल है। 

5 . पत्तदकल के प्रमुख मंदिर कौनसे है ?

पत्तदकल के प्रसिद्ध मंदिरो में विरुपाक्ष मंदिर,काशीविश्वनाथ मंदिर,जैन मंदिर,संगमेश्वर मंदिर,पापनाथा मंदिर,गलगनाथ मंदिर, मल्लिकार्जुन मंदिर,जम्बूलिंग मंदिर,और कड़ासिद्धेश्वर मंदिर प्रसिद्ध है। 

6 . पत्तदकल का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा कौनसा है ? 

पत्तदकल का सबसे नजदकी हवाई मथक बेलगाम का है जो करीबन पत्तदकल से 106 कि.मी की दुरी पर स्थित है। 

7 . पत्तदकल का सबसे नजदकी रेल्वे जंक्शन कौनसा है ? 

पत्तदकल का सबसे नजदकी रेल्वे जंक्शन बादामी का है जो पत्तदकल से करीबन 17 कि.मी की दुरी पर स्थित है।

8 . पत्तदकल स्मारक कहा है ? 

पत्तदकल स्मारक कर्णाटक राज्य के बागलकोट जिले में एक प्राचीन स्थल पर स्थित है। 

9 . पत्तदकल क्या है ?

पत्तदकल कर्नाटक राज्य का बागलकोट जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और प्राचीन शहर है। 

Conclusion –

आपको मेरा pattadakal history बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये Pattadakal Temple से सबंधीत  सम्पूर्ण जानकारी दी है।

अगर आपको किसी जगह के बारे में जानना है। तो कहै मेंट करके जरूर बता सकते है।

हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।