नमस्कार Panhala Fort in Hindi में आपका स्वागत है। आज हम महाराष्ट्र सुप्रसिद्ध पन्हाला किला का इतिहास और घूमने की जानकारी बताने वाले है। यह किला महाराष्ट्र राज्य के कोल्हापुर के सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में समुद्रतल से 3127 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह हमारे देश के ऐतिहासिक एव प्रसिद्ध किलो में से एक है। यह किले का निर्माण कार्य शिलाहारा राजवंश के समय में हुआ था। यह किला क्कन क्षेत्र के सभी किले में से सबसे बड़ा किला है। यह किला शिवाजी महाराज के भव्य शासन और हमारे प्राचीन भारतीय विरासत की गवाह के रूप में आज भी खड़ा है।
इतिहास प्रेमियों के लिए पन्हाला किला का इतिहास बहुत ही दिल चस्प है। यह किले की गिनती भारत के सबसे बड़े किलों में होती है। जमीन से ज्यादा उचाई पर निर्मित होने के कारन यह किले की पहाड़ी से पर्यटकों को पर्वत शृंखलाओं के नयनरम्य दृश्य देखने को मिलते है। यहॉ आने वाले आरती अक्सर ट्रेक करना पसंद करते हैं। तो चलिए हम भारत के सब से बड़े किलो में शामिल पन्हाला किले संरचना और उसके सभी रहस्यों से वाकिफ करते है।
किले का नाम | पन्हाला किला, पनिहाला किला, पन्हाळगड किल्ला |
किले का प्रकार | सांस्कृतिक किला |
निर्माता | भोज II एव आदिल शाह I |
निर्माण समय | 1178 ई. से 1489 ई. |
स्थल | कोल्हापुर, महाराष्ट्र, भारत |
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Panhala Fort History in Hindi
हमारे भारत में ऐसे कई किले हैं। जो हजारो साल पुराने है। और यह किले का निर्माण 1178 से 1209 ईस्वी के बीच शिलाहार शासक भोज द्वितीय ने कराया था। ऐसा भी कहा जाता है कि ‘कहां राजा भोज, कहां गंगू तेली’ वाली कहावत भी यही किले से जुड़ी हुई है। राजा भोज II ने 15 अन्य लोगों के साथ मिलकर यह किले का निर्माण किया था। यह किले का निर्माण कार्य अपने शासन साम्राज्य को अधिक समय तक बनाये रखने के लिए किया था।

दूसरा मुख्य उद्देश्य बीजापुर शहर से तटीय विस्तारो के लिए शुरू होने वाले एक प्रमुख व्यापार मार्ग पर नजर रखने के हेतु किया गया था। अपने निर्माण समय से देश स्वतंत्र होने तक के समय में यह किला हमेशा राजाओ के साम्राज्य में रहा था। महान मराठा साम्राज्य के योद्धा छत्रपति शिवाजी ने भी यहाँ अपना अधिकार स्थापित किया था। उन्होंने अपने अंतिम समय तक यानि 20 साल राज किया था। उसके रस्ते ऐसे होने के कारन उन्हें सांपों का किला भी कहा जाता है।
Panhala Fort Timings
कोई भी स्थल को अगर देखने के लिए जाते है। तो उसका शुरू और बंध होने का समय जरूर पता करना चाहिए। वैसे ही पन्हाला किला खुलने और बंद होने का समय बताये तो प्रतिदिन सुबह से लेकर शाम तक खुला रहता है। यह किले पर पर्यटक कोई भी समय दौरा कर सकते है। और पूर्ण रूप से देख सकते है।

Panhala Fort Entry Fee
यह स्थान पर पर्यटकों को कोई भी प्रवेश फि नहीं देनी होती है।
पन्हाला किला की यात्रा के लिए टिप्स
- पर्यटकों को पन्हाला किला की सेर करने में महत्वपूर्ण टिप्स बताते है।
- पन्हाला किला की यात्रा में अँधेरा होने से पहले वापिस आ जाएँ।
- अगर आपको फोटोग्राफी करनी है, तो कैमरा साथ रखना चाहिए।
- पन्हाला किला पर ट्रेकिंग करना चाहते है। तो आपको आरामदायक कपडे एव जूते पहनना है।
- पन्हाला फोर्ट की ट्रिप में आपको पानी पीने की बोतल साथ में रखनी है।
- अगर आपके साथ बच्चे है तो आपको उसका खयाल रखना है।
पन्हाला किला घूमने जाने का सबसे अच्छा समय
पर्यटक पन्हाला पूरे साल पन्हाला किला की यात्रा कर सकते है। क्योकि फोर्ट का खुशनुमा मौसम पर्यटकों को पूरे साल अपनी और आकर्षित करता है। मगर अक्टूबर से मार्च महीने के बिच का समय पन्हाला किला देखने जाने का सबसे अच्छा माना जाता है। क्योकि उस समय में मौसम काफी सुखद और आसपास के हरे भरे विस्तार मन को मोहने वाले होते है।

Panhala Fort Architecture
आपको बतादे की पन्हाला किला का निर्माण और स्थापत्य शैली में आपको बीजापुर स्थापत्य शैली देखने को मिलती है। उसमे कई स्मारकों बनाये गए है। जिसकी सम्पूर्ण जानकारी हम विस्तार से बताने वाले है। क्योकि Structures Inside Panhala Fort in Hindi की बात करे तो उसमे अंधर भवड़ी, अंबरखाना, कलावंतीचा महल, सज्जा कोठी, महान द्वार और राजदिंडी गढ़ शामिल है।
किशोर दरवाजा Panhala Fort
यह दरवाजा किले के तीन दोहरे प्रवेश द्वारों में से एक हुआ करता था। दूसरे चार दरवाज़े और भी हैं। अंग्रेजों के आक्रमण के समय चार दरवाजा नष्ट हुए है। किले के मुख्य प्रवेश द्वार पर किशोर दरवाजा किले के पश्चिम की ओर अंधेर बावई के उत्तर में स्थित है। यह डबल फाटक एव बीच में एक कोर्ट है, उसमे आर्केड हैं। बाहरी गेट में ऊपर अलंकृत कक्ष है। उसमे बाज बहुत ही बारीकी से सजाया गया है। उसमे गणेश की बारीक नक्काशीदार आकृति स्थित है। उसमे तीन फ़ारसी शिलालेख मौजूद हैं। उन्हें महान द्वार भी कहते है।

अंधर भवड़ी
आंध्र बावडी या अंधेर बावड़ी आदिल शाही छिपे हुए कुएं के रूप में एक तीन मंजिला ढांचा बनाया गया था। इसकी सीढ़ियां काफी घुमावदार सीढियाँ है। यह छिपा हुआ कुआं किले में पानी का मुख्य स्रोत है। यह बावडी के अंदर कई छुपे हुए रास्ते बने है। जो वहा से निकल के किले के बाहर सैनिकों का नेतृत्व करते हैं। आपात काल युद्ध से निपटने के लिए यह बावड़ी में एक गुप किला भी मौजूद है।
कलावंतीचा महल Panhala Fort
कलावंतीचा महल एक इमारत जिसने अदालत की महिलाओं के निवास की व्यवस्था थी। अंग्रेजों के साम्राज्य और समय के प्रभाव के कारण खंडहर हो चुका है। यह इमारत न्याकीनी सज्जा के नाम से भी जाना जाता है।

अंबर खाना
किले का निर्माण मराठों ने किया आज भी यह खड़ा है। किले में प्रबंधन विभाग और महल टकसाल थी। यहाँ एक पुरानी इमारत धान्याचा कोठार स्थित है। उन्हें अनाज के भंडारण के लिए किया जाता था। उसमे घर गंगा, जमुना और सरस्वती नाम के तीन भंडार थे। एक भंडारण की क्षमता तक़रीबन 25000 अनाज की खंडीयों की हुआ करती थी।
राजदिंडी गढ़ Panhala Fort
राजदिंदी गढ़ मुश्किल समय में उपयोग किए जाने वाले किले के छिपे हुए निकास में से एक था। उसका प्रयोग शिवाजी महराज ने पवन खांड के युद्ध में विशालगढ़ में भागने के लिए किया था। यह राजदिंडी स्थान आज के समय में भी बरकरार है।
अंधर भवड़ी
अंधेर बावड़ी जब भी सेना को घेरा डालती थी। उस समय पहली कार्रवाई किले के मुख्य जल स्रोत को जहर देना थी। उसे पहुंच ने के लिए आदिल शाह ने अंधेर बावड़ी या हिडन वेल का निर्माण किया था । यह तीन मंजिला की घुमावदार सीढ़ियाँ कुएँ को छुपाती हैं। दीवार में कुछ छेद हैं क्योकि सैनिकों को तैनात किया जा सके। अंधेर बावई में कई छिपे हुए भागने के लिए मार्ग हैं।

सज्जा कोठी
सजा कोठी या सज्जो कोठी का निर्माण 1008 में किया गया था। इब्राहिम आदिल शाह उसे बनाइ एक मंजिला संरचना है। सजा कोठी का अर्थ है सजा देने की जगह है। यहाँ संभाजी महराज को कैद कर लिया था। गुंबददार ऊपरी कक्षों में किले की प्राचीर पर लटके बालकनियों के साथ पेंडेंट है। और मुख्य रूप से मुग़ल वास्तुकला का प्रमाण है।
किलेबंदी और गढ़
पन्हाला किले के को तक़रीबन 7 किमी से अधिक किलेबंदी त्रिकोणीय क्षेत्र को कवर करते हैं। उसकी दीवारों को लंबे खंडों के लिए संरक्षित किया जाता है। खड़ी एस्केरपमेंट्स द्वारा स्लिट होल के साथ प्रबलित होती हैं। उन्हें गोल गढ़ों से मजबूत बनाया गया है।
धर्म कोठी
अंबरखाना को मजबूत करने वाले तीन अन्नदाताओं के बगल में यह एक अतिरिक्त अन्न भंडार था। यह ५५ फीट ४५ फीट ऊंचा ४५ फीट ऊंचा पत्थर का भवन था। इसमें एक प्रवेश द्वार और एक सीढ़ी है जो छत तक जाती है। यहां से जरूरतमंदों को अनाज वितरित किया जाता था। जो प्रजा के लिए उपयोग होता था।
वाग दरवाजा
यह दरवाजा किले का एक और प्रवेश द्वार हुआ करता था।यहाँ से आक्रमणकारियों को बाहर खदेड़ के लिए बनाया गया था। क्योकि वे एक छोटे से प्रांगण में फंस के फिर आसानी से बंदी बनालिया जाये उसमे प्रवेश द्वार पर एक गणेश आकृति है।

मंदिर और मकबरे
यहाँ महाकाली मंदिर, संभाजी द्वितीय, सोमेश्वर और अंबाबाई को समर्पित मंदिर बने हैं। अंबाबाई मंदिर बहुत प्राचीन है। जीजाबाई की समाधी उनके पति संभाजी द्वितीय के सामने है। शिवाजी के मंत्री रामचंद्र पंत अमात्य की मृत्यु यहाँ हुई थी। 18 वीं शताब्दी के मराठी कवि मोरोपंत की एक समाधि देखी जा सकती है। मुस्लिम संत सिद्धोबा का एक मंदिर स्थित है।
Panhala Fort के आसपास घूमने की जगहें
अगर आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ पन्हाला किला की यात्रा करना चाहते है। तो आपको उसके नजदीकी पर्यटक स्थान की जानकारी होना बहुत जरुरी है। क्योकि उन्हें देखें आप अपनी यात्रा को सफल कर सकते है। हम कुछ स्थल की लिस्ट बताते है। जो आप कोल्हापुर में देख सकते है। जिसको देखके आप भी बहुत खुश हो जायेंगे।
- ज्योतिबा मंदिर
- ड्रीम वर्ल्ड वाटर पार्क
- महालक्ष्मी मंदिर
- कलांबा झील
- दाजीपुर वन्यजीव अभयारण्य
- रामतीर्थ जलप्रपात
- DYP सिटी मॉल
- श्री छत्रपति शाहू संग्रहालय
- बिंखंबी गणेश मंदिर
- रंकाला झील
- कोपेश्वर मंदिर
- सागरेश्वर वन्यजीव अभयारण्य
पन्हाला किला की यात्रा में कहाँ रुकें
वहाँ जाने वाले पर्यटक कोल्हापुर या पन्हाला दोनों ही स्थान पर रुक सकते हैं। आप अपने परिवार एव दोस्तों के साथ गए है। तो आप पन्हाला फोर्ट कोल्हापुर में लॉ बजट से हाई बजट की सभी होटल्स उपलब्ध होती है। आप अपने जरुरत और पैसे के हिसाब से अपना चुनाव कर सकते है। यहां पर्यटकों को कमरे काफी वाजिब दामों में उपलब्ध हैं। यहाँ की मुख्य चार होटल हम बताएँगे।
- Hotel Ramkrishna Inn
- Treebo Trend Balaji Residency
- Sayaji Hotel Kolhapur
- Nisarg Resort
Panhala Fort Kolhapur
How to Reach Panhala Fort
ट्रेन से पन्हाला किला केसे पहुचें
आप ट्रेन से पन्हाला किला जाना चाहते है। तो आपको पुणे-मिरज-कोल्हापुर सेक्शन का रेलवे स्टेशन है। पन्हाला किला का नजदीकी रेलवे स्टेशन छत्रपति शाहू महाराज रेलवे स्टेशन है। जो हमारे भारत से सभी मुख्य शहरो से बहुत अच्छे से जुड़ा हुआ है। वहाँ से मुंबई, नागपुर, पुणे, तिरुपति, जैसे शहरों से दैनिक ट्रेनें उपलब्ध है। आप छत्रपति शाहू महाराज रेलवे स्टेशन पहुंचे बाद में यहाँ चलने वाले स्थानीय वाहनों की सहायता से पन्हाला किला पहुच सकते है।
सड़क मार्ग से पन्हाला किला केसे पहुचें
सडक मार्ग से पन्हाला किला जाना बहुत ही आसान और आरामदायक है। क्योंकि पन्हाला किला कोल्हापुर की सड़क हमारे देश के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। कोल्हापुर राष्ट्रीय राजमार्ग 4 पर स्थित है। यह मुंबई और बैंगलोर को जोड़ता है। मुंबई शहर से कोल्हापुर 8 घंटे की ड्राइव से पहुंच सकते है। यहाँ पुणे और मुंबई से संचालित बसें होती हैं। जो आपको कोल्हापुर और वहां से पन्हाला किला पहुँचती है।
फ्लाइट से पन्हाला किला केसे पहुचें
यहाँ के लिए कोई सीधी फ्लाइट कनेक्टविटी नही है। लेकिन पन्हाला किले का नजदीकी हवाई अड्डा बेलगांव में है। जो कोल्हापुर शहर से 150 किलोमीटर दूर स्थित है। एयरपोर्ट पर उतरने के बाद पहले कोल्हापुर के लिए एक टेक्सी या ट्रेन की सहायता से कोल्हापुर और वहां से पन्हाला किला पहुँचती है।
Panhala Fort Location पन्हाला किला का मेप
Panhala Fort History in Hindi Video
Interesting Facts
- महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले से लगभग 20 कि.मी. की दूरी पर पन्हाला नामक क्षेत्र में स्थित है।
- पन्हाला किला कोल्हापुर-रत्नागिरी मार्ग पर स्थित 7 किमी क्षेत्र में फैला है।
- किले को पन्हालगढ़, पहलल्ला आदि नामो से भी जाना जाता है।
- पन्हाला में एम्प्रेस बोटानिकल गार्डन पिकनिक के लिए उत्तम स्थान है।
- पन्हाला किला में पर्यटक शिवाजी का मंदिर भी देख सकते हैं।
- किले की दीवारे और दरवाजो को मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान दिया था।
- आज किले का उपयोग स्कूल, सरकारी कार्यालयों और लड़कों के छात्रावास के लिए किया जाता है।
FAQ
Q : पन्हाला किला कहा है?
Ans : महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले से लगभग 20 कि.मी. की दूरी पर पन्हाला नामक क्षेत्र में स्थित है।
Q : पन्हाला किला किसने बनवाया था?
Ans : किले का निर्माण 1178 से 1209 ईस्वी के बीच शिलाहार शासक भोज द्वितीय ने कराया था।
Q : क्या पन्हाला में कोंडाजी फरजांड की मौत हुई थी?
Ans : हा यही किले पर बहादुर कोंडाजी फरजंद को बंदी बनाकर मार दिया गया।
Q : शिवाजी महाराज पन्हाला किले से कैसे भागे?
Ans : महाराज ने स्वराज्य के लिए पन्हाला पर हमला किया उस समय शिवाजी महाराज पन्हाला किले से भागे थे।
Q : क्या पन्हाला और पन्हालगढ़ एक ही है?
Ans : हा पन्हाला और पन्हालगढ़ एक ही है।
Conclusion
आपको मेरा Panhala Fort History in Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा।
लेख के जरिये panhala fort resort और
panhala fort statue से सबंधीत सम्पूर्ण जानकारी दी है।
अगर आपको किसी जगह के बारे में जानना है। तो कहै मेंट करके जरूर बता सकते है।
हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।
Note
आपके पास Panhala Fort Detail in Hindi या panhala fort in kolhapur की कोई जानकारी हैं।
या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे / तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है।
तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद।
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