नमस्कार दोस्तों आज हम Mallikarjuna Jyotirlinga In Hindi में आपका स्वागत है। आज हम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शन और यात्रा की संपूर्ण जानकरी बताने वाले है। आंध्र प्रदेश राज्य के कुरनूल जिले का एक पहाड़ी शहर श्रीशैलम में पवित्र मलिकार्जुन ज्योतिर्लिंग स्थित है। वह 12 ज्योतिर्लिंगों एक और देवी पार्वती के अठारह शक्ति पीठों में से एक और कृष्णा नदी के तट पर स्थित है। उसके अलावा मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर श्रीशैलम की एक अलग पहचान उसका वन्यजीव अभयारण्य और बांध है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर के प्रमुख देवता माता पार्वती यानि मलिका और भगवान शिव यानि अर्जुन हैं। उसके साथ साथ पर्यटक शहर के कई राजसी मंदिरों को देख सकते है। भगवान शिव को समर्पित सिखेश्वर स्वामी मंदिर प्रसिद्ध है। या प्रसिद्ध भ्रामराम्बा मल्लिकार्जुनस्वामी मंदिर जो 457 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। उसमे दर्शन करके यात्री सर्वशक्तिमान का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। उसका विविध वनस्पतियों और जीवों के साथ नल्लामाला वन श्रृंखला श्रीशैलम पहाड़ियों के नजदीक स्थित है।
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Mallikarjuna Jyotirlinga History
मलिकार्जुन ज्योतिर्लिंग हैदराबाद के श्रीशैलम में स्थित है। हिन्दू धर्म के शिवपुराण में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिग का उल्लेख देखने को मिलता है। कहानियो के मुताबिक मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का इतिहास सातवाहन राजवंश के शिलालेख से यह बात का प्रमाण हैं। की यह मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का मंदिर दूसरी शताब्दी से अस्तित्व में हैं। यह खूबसूरत मंदिर के अधिकांश आधुनिक जोड़ विजयनगर साम्राज्य के राजा हरिहर प्रथम काल यानि उन्होंने करवाए थे। ऐसा प्रमाण मिलता है।

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Best Time To Visit Mallikarjuna Jyotirlinga
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का सबसे अच्छा समय – मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग घूमने और यहां के दर्शनीय स्थलों की यात्रा करने के लिए आप कोई भी समय जा सकते है। लेकिन अगर यहां जाने का सबसे अच्छा समय नवम्बर से फरवरी के बीच का माना जाता हैं। क्योकि नवम्बर से फरवरी के बीच का मौसम पर्यटन गतिविधियों और तीर्थयात्रा के लिए सर्वोत्तम जलवायु प्रदान करता है। उस समय तापमान 15 डिग्री से 32 डिग्री सेल्सियस रहता है। उस समय यहाँ के दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए अच्छा समय है।
Mallikarjun Jyotirlinga Architecture
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की संरचना करे तो मंदिर 2 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ है। मंदिर द्रविड़ शैली के स्थापत्य चमत्कार और मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध है। उसमें विशाल राजगोपुरम या प्रवेश द्वार बना हैं। मंदिर के मुख्य देवता राजसी मल्लिकार्जुन शिव लिंग है। उसके साथ कई अन्य मंदिर और हॉल शामिल हैं। उसमे मुख मंडप जिसको विजयनगर काल के समय बनाया गया था। शिवजी का मंदिर 7वीं शताब्दी से भी सबसे पुराना है।उसके अलावा सहारा लिंग या 1000 लिंग है। वह के मिरर हॉल में भगवान नटराज की कई छवियां देख सकते हैं। मंदिर के राजसी स्तंभ बहुत विशाल हैं और सुंदर मूर्तियों और पैटर्न के काम से भरे हुए हैं।
मंदिर का गर्भगृह छोटा वहां यात्री सुनहरे हुड से ढका छोटे से लिंग को देख सकते हैं। मंदिर में विभिन्न शाही राजवंशों का संरचनात्मक योगदान है ,उसके कारन आप मंदिर के चारों ओर विभिन्न शैलियों को देख सकते हैं। मंदिर कुशल शिल्प कौशल का परिणाम है जो बीते युग के बिल्डरों के सच्चे कौशल का प्रमाण है। आप विशाल हॉल में कुछ बेहतरीन छवियों और मूर्तिकला के काम को देख सकते हैं जो जटिल कारीगरी की सुंदर सुंदरता दिखाती हैं। यह राजसी मंदिर की शांत सुंदरता और शांति का आनंद लेंने भक्तो की भीड़ रहती है।
Mallikarjuna Jyotirlinga Story
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की कहानी – किंवदंती और पौराणिक कथा के मुताबिक यह मंदिर शिवजी के परिवार से जुड़ा हुआ है। उसके दोनों पुत्र कार्तिक गणेश जी के बीच शादी को लेकर झगड़ा हुआ था। दोनों माता पिता के पास गए और उन्होंने कहा की जो पृथ्वी का भ्रमण करके जो सबसे पहले आएंगा उसकी पहले करवायेंगे। उतना सुनते कार्तिके मोर की सवारी करके यात्रा के लिए निकल गए थे। लेकिन गणेशजी के पास चूहा था। जो बहुत कम चलता था। उसी कारन उन्होंने चतुराई से माता पिता को बैठा कर उनकी सात बार परिक्रमा करदी थी। उसको देख शिवजी और पार्वती बहुत खुश हुए थे।
उन्होंने गणेश जी की शादी करवा दी कुछ समय के बाद कार्तिकेय पृथ्वी की यात्रा करके आए। उन्होंने देखा की गणेश की शादी हो चुकी है। उसके कारन दुखी हुए और वहाँ से निकल गए थे। कार्तिके रोज़ पहाड़ी पर रहने लगे थे। पार्वती और शंकर जी ने देवर्षि नारद को कार्तिकेय को मनाने भेजा लेकिन कार्तिकेय नहीं माने थे। उसके बाद माता पार्वती गए लेकिन माता पिता के आने की सूचना मिलते कार्तिकेय वहाँ से चले गए। कार्तिकेय के चले जाने के बाद भगवान शिव उस पहाड़ी पर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए थे। वह ज्योतिर्लिग का नाम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिग पड़ा है।

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Mallikarjuna Jyotirlinga Shakti Peeth
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग शक्ति पीठ – ऐसा कहा जाता है की यह शक्ति पीठ में देवी सती के अवशेष गिरे थे। पौराणिक कथाओं मुताबिक देवी सती के पिता जी राजा दक्ष ने शिवजी का अपमान किया था। उसको सती सह नहीं पाए और देवी सती ने आत्मदाह कर लिया था। उसके बाद शिव ने देवी सती के जलते हुए शरीर के साथ तांडव किया था। उस समय सती के शरीर के अंग जिस जिस स्थान गिरे वह सभी शक्ति पीठ के रूप में प्रसिद्ध हुए है। ऐसा कहा जाता हैं कि मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में सती के ऊपरी होंठ गिरा था। यानि श्रीशैलम श्री मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर 18 महाशक्ति पीठों में से एक कहा जाता है।
Best Places To Visit Near Mallikarjuna Jyotirlinga Temple
- श्रीशैलम टाइगर रिजर्व
- अक्क महादेवी गुफ़ाएँ
- श्री ब्रह्मराम्बा मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर
- श्रीशैलम पातालगंगा
- हाटकेश्वर मंदिर श्रीशैलम
- श्रीशैलम बांध
- शिखरेश्वर मंदिर श्रीशैलम
- लिंगाला गट्टू श्रीशैलम
- हेमरेड्डी मल्लम्मा मंदिर श्रीशैलम
- श्रीशैलम में शॉपिंग
- साक्षी गणपति मंदिर
- चेंचू लक्ष्मी ट्राइबल म्यूजियम श्रीशैलम
Patala Ganga
पाताल गंगा कृष्णा नदी का घाट है जो कि मन्दिर से 1 कि.मी दूर है । यहां पर पर्यटक बोटिंग कर सकते है । पाताल गंगा जाने के लिए यात्री रोप वे का उपयोग भी कर सकते है । कृष्णा नदी पहाड़ी हवा में एक निश्चित आध्यात्मिकता होती है। पर्यटक आस-पास के परीदृश्यों का आनंद लेंने और पवित्र जल में डुबकी लगा ने के लिए यहाँ आया करते है। उसके पानी से औषधीय गुण हैं।

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Sakshi Ganapati Temple
सुंदर परिवेश के बीच स्थित साक्षी गणपति मंदिर भगवान गणेश को समर्पित एक छोटा सा मंदिर है। भक्तों का मानना है कि भगवान गणेश जानते हैं। कि मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन कौन करता है। वह एक रिकॉर्ड रखता है और उसे भगवान शिव को दिखाता है। यात्री श्रीशैलम के कोई भी मंदिर में जाने से पहले सबसे पहले यह मंदिर में जाते हैं। मंदिर के गर्भगृह पहुंचने के लिए 10 सीढि़यों की मामूली चढ़ाई है। मंदिर के बारे में सबसे आकर्षक हिस्सा इसका स्थान है क्योंकि मंदिर घने जंगल के बीच स्थित है।
Srisailam Tiger Reserve
श्रीशैलम टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 3568 एकड़ है। वह भारत के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व में से एक है। श्रीशैलम बांध और नागार्जुनसागर बांध भी आरक्षित क्षेत्र में स्थित हैं। बाघ के अलावा यहां तेंदुए, सुस्त भालू, ढोल, भारतीय पैंगोलिन, चीतल, सांभर हिरण, शेवरोटेन, ब्लैकबक, चिंकारा और चौसिंघा भी पर्यटक देखे सकते हैं। उसके अलावा मगरमच्छ, भारतीय अजगर, किंड कोबरा और भारतीय मोर सहित अन्य सरीसृप और उभयचर भी देखने को मिलते हैं।
Mallikarjuna Swamy Temple
कृष्णा नदी के दक्षिणी तट पर मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर है। यह स्वामी मंदिर शहर का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है और इसकी जड़ें 6 शताब्दियों के इतिहास में पाई जाती हैं, जब इसे विजयनगर के राजा हरिहर राय ने बनवाया था। पौराणिक कथा के अनुसार मंदिर में देवी पार्वती ने ऋषि ब्रिंगी को खड़े होने का श्राप दिया था। क्योंकि उन्होंने सिर्फ शिव की पूजा की थी। शिव जी ने देवी को सांत्वना देने के बाद उन्हें तीसरा पैर दिया था। क्योकि वह अधिक आराम से खड़े रहे। ऋषि ब्रिंगी की मूर्ति के साथ नंदी, सहस्रलिंग और नटराज भी है।

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Akkamahadevi Caves
श्रीशैलम से 10 कि.मी दूर अक्कमहादेवी गुफाओं की कुंवारी सेटिंग एक प्राकृतिक आश्चर्य है। बारहमासी कृष्णा नदी के ठीक सामने स्थित, गुफाएँ एक प्राकृतिक संरचना है। जो एक हजार से अधिक वर्षों से अस्तित्व में है। गुफाएं पूर्वी घाटों के बीच स्थित हैं। जो आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के विशाल हिस्से में फैली हुई हैं। प्रवेश द्वार पर अपने प्राकृतिक रूप से बने मेहराब के साथ, जो किसी भी प्रकार के किसी भी समर्थन के बिना खड़ा है, गुफाएं दर्शकों की आंखों पर एक आकर्षक छवि पेश करती हैं।
Srisailam Dam
श्रीशैलम शहर के मुख्य आकर्षण केंद्रों में से एक श्रीशैलम बांध भी भारत की 12 सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं में से एक है। निर्बाध प्राकृतिक सुंदरता और इंजीनियरिंग प्रतिभा का मिश्रण, श्रीशैलम बांध अपनी उपस्थिति को चिह्नित करने के लिए नल्लामाला पहाड़ियों की हरी-भरी हरियाली से निकलता है। वह कृष्णा नदी के कगार पर बनाया गया है। एक गहरी घाटी में घिरा हुआ है, जो जंगलों और दृश्यों से घिरा हुआ है, जो तेज और गिरते पानी की आवाज़ में घर ढूंढ रहा है।
Shikaresvara Temple
श्रीशैलम के उच्चतम बिंदु को सिखराम कहा जाता है। सिखेश्वर स्वामी को समर्पित एक मंदिर है, जो परिदृश्य और नीचे बहती एक प्राचीन नदी कृष्णा को दिखाता है। सिखेश्वर स्वामी भगवान शिव के रूपों में से एक है। ऐसा कहा जाता है उस मंदिर में भक्तों को उनके पापों से मुक्त करने की शक्ति है। सिखराम भगवान साथ यहाँ सबसे खूबसूरत दृश्यों और भगवान गणेश को समर्पित मंदिर है।

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Shopping in Srisailam
श्रीशैलम में बहुत अधिक विस्तृत शॉपिंग कॉम्प्लेक्स या उपन्यास उपलब्ध नहीं है। लेकिन वहा की जनजातियों द्वारा एकत्र किए गए और राज्य सरकार द्वारा पैक किए गए कुछ शहद को खरीद कर पर्यटक अपने घर ले जा सकते है। वह आपको चेंचू लक्ष्मी जनजातीय संग्रहालय में बिक्री के लिए उपलब्ध है। आप कुदरती शहद को खा कारके आनंद ले सकते है।
Chenchu Lakshmi Tribal Museum
आपको बतादे की चेंचू लक्ष्मी संग्रहालय आंध्र प्रदेश की जनजातियों की आजीविका और संस्कृतियों के उदाहरण देखकर खुद को रोमांचित महसूस कर सकते है। करें। साथ ही, जनजातियों द्वारा एकत्र किया गया और राज्य सरकार द्वारा पैक किया गया शहद भी संग्रहालय में बिक्री के लिए उपलब्ध है और घर वापस लेने की एक सच्ची विशेषता है।
Hathakesvara Temple
हाटकेश्वर मंदिर एक साधारण मंदिर उसमे एक शिव लिंग स्थापित है। आपको बतादे की श्रीशैलम के स्थानीय लोगों द्वारा सबसे अधिक बार देखे जाने वाले मंदिरों में से एक है। यह मंदिर को श्रद्धेय संत श्री शंकराचार्य से जोड़ा जाता है। ऐसा कहा जाता है की उन्होंने अपने एक दार्शनिक ग्रंथ की रचना यहाँ की थी। वर्तमान समय में भगवान शिव को समर्पित हाटकेश्वर मंदिर स्थित है।

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Local Food Of Srisailam
श्रीशैलम में खाने के लिए स्थानीय भोजन की बात करे तो यहां शाकाहारी भोजन ही परोसा जाता है। आपको बतादे की भोजन के लिए यात्रिओ को श्रीशैलम में अधिक विकल्प नही मिलते है। मगर दक्षिण-भारतीय स्वादिष्ट व्यंजनों को आप जरूर आजमा सकते है। उसके साथ साथ पर्यटक यहां के स्ट्रीट फूड का भी मजा ले सकते हैं। जिससे आप अपनी यात्रा को यादगार बना सकते है।
Where To Stay In Srisailam
श्रीशैलम में कहाँ रुके – पर्यटक मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की यात्रा करके श्रीशैलम में कहाँ रुके की तलाश में है। तो आपको बतादे की श्रीशैलम में पर्यटकों को हाई-बजट से लो-बजट यानि सभी प्रकार की होटल उपलब्ध होती है। आप अपनी जरुरत और सुविधा मुताबिक होटल को पसंद कर सकते है। उसके कुछ नाम बताते है। आप अपनी पसंद से जा सकते है।
- श्री लक्ष्मी गणेश होटल
- सूरज होटल
- होटल शोभा
- होटल सूरज ग्रैंड
- तेजस्वी होटल
Places To Visit In Andhra Pradesh
- Visakhapatnam
- Gandikota
- Tirupati
- Lepakshi Temple
- Ahobilam
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- Amaravati
- Tirupati Balaji Mandir
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- Machilipatnam
- Konaseema
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- Nagarjunakonda
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर की फोटो गैलरी
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How To Reach Mallikarjuna Jyotirlinga
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग ट्रेन से कैसे पहुंचे
How To Reach Mallikarjuna Jyotirlinga By Train – पर्यटक अगर मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग जाने के लिए ट्रेन से जाना चाहते है। तो श्रीशैलम का कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। लेकिन श्रीशैलम का निकटतम रेलवे स्टेशन मरकापुर रेलवे स्टेशन है। वह भारत के मुख्य शहरों से जुड़ा है। मरकापुर स्टेशन से यात्री स्थानीय साधनों की सहायता से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग तक पहुँच सकते है।
सड़क मार्ग से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे
How To Reach Mallikarjuna Jyotirlinga By Road – पर्यटक अगर मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग जाने के लिए सडक मार्ग से जाना चाहते है। तो श्रीशैलम शहर के लिए नियमित बस सेवाएं चलती रहती हैं। नेल्लोर और विशाखापत्तनम जैसे शहरो से यहाँ दिन हो या रात नियमित बस संचालित होती हैं। उसके अलावा यात्री टैक्सी या कैब पसंद कर सकते हैं। जिससे मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग पहुँच सकते है।
फ्लाइट से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे
How To Reach Mallikarjuna Jyotirlinga By Flight – अगर पर्यटक मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के लिए हवाई मार्ग को पसंद करता है। तो श्रीशैलम के लिए उड़ानें सीधे उपलब्ध हैं। मगर उड़ानें नियमित उपलब्ध नहीं हैं। श्रीशैलम में हवाई अड्डा नहीं है। लेकिन उसका निकटतम हवाई अड्डा बेगमपेट हवाई अड्डा है। वहा से आप स्थानीय साधनों की मदद से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग पहुँच सकते है।
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Mallikarjuna Jyotirlinga Map मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर का लोकेशन
Mallikarjuna Jyotirlinga In Hindi Video
Interesting Facts Of Mallikarjuna Jyotirlinga
- यहाँ यात्री सिखराम, साक्षी गणेश मंदिर, पंचमथम और श्रीसिलम बांध को देख सकते हैं।
- मल्लिकार्जुन मंदिर के पीठासीन देवता की पूजा चमेली द्वारा की जाती थी
- मंदिर के लिंग को मल्लिकार्जुन कहा जाता था क्योंकि चमेली का स्थानीय नाम मल्लिका है।
- मल्लिकार्जुन मंदिर के स्थान पर स्थापित पांच शिव लिंग पांडवों ने स्थापित किए हैं।
- यह मंदिर में शिव जी की पूजा वृद्ध मल्लिकार्जुन स्वामी के रूप में की जाती है।
- मंदिर का इतिहास इक्ष्वाकु, विष्णुकुंडी, पल्लव, सातवाहन, काकतीय, चालुक्य, रेड्डी राजा और विजयनगर सम्राट से मिलता हैं।
- नल्लामलाई पहाड़ियों पर स्थित यह स्थान से परिवेश का भव्य दृश्य देख सकते हैं।
- मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम ज्योतिर्लिंग के नाम से भी प्रसिद्ध है।
FAQ
Q .मल्लिकार्जुन शिवलिंग कहाँ पर है?
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भारत के आन्ध्र प्रदेश राज्य में श्रीशैलम पर्वत पर स्थित हैं।
Q .मल्लिकार्जुन की स्थापना कैसे हुई?
स्वामी कार्तिकेय माता पिता से रूठ गए और कौंच पर्वत पर चले तब से मल्लिकार्जुन की स्थापना हुई।
Q .श्री शैल का दूसरा नाम क्या है?
श्रीशैलम श्री शैल का दूसरा नाम है।
Q .मल्लिकार्जुन मंदिर कौन से राज्य में स्थित है?
आंध्र प्रदेश
Q .मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कहां पर है?
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भारत के आन्ध्र प्रदेश राज्य में श्रीशैलम पर्वत पर स्थित हैं।
Q .हैदराबाद से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की दूरी कितनी है?
हैदराबाद से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की दूरी लगभग 215 किलोमीटर हैं।
Conclusion
आपको मेरा Mallikarjuna Jyotirlinga Yatra आर्टिकल बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा।
लेख के जरिये Mallikarjuna temple, Srisailam temple
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अगर आपको किसी जगह के बारे में जानना है। तो हमें कमेंट करके जरूर बता सकते है।
हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।
Note
आपके पास Mallikarjuna jyotirlinga online booking की जानकारी हैं। या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिख हमे बताए हम अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद।
! साइट पर आने के लिए आपका धन्यवाद !
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