maharana pratap horse मनुष्य अपने उपयोग हेतु कई प्रकार के प्राणियों का पालन और पोषण करता आया है। उसमे गाय ,बेल ,बकरी , कुत्ता घोड़े और घोड़े मुख्य है। ऐसे ही एक महान घोड़े की कहानी हम आपको बताने वाले है जीसका नाम है चेतक horse of maharana pratap जो अपनी समज और पराक्रम के लिए बहुत प्रसिद्ध है।
राजा maharana pratap horse name चेतक था। राजस्थान हल्दी घाटी का महान और शूरवीर maharana pratap ka ghoda था। महाराजा प्रताप को चेतक घोडा अपनी जान से भी ज्यादा प्यारा था। आज हम हमारे आर्टिकल में महाराणा प्रताप के घोड़े की जानकरी देनेवाले है। उसकी सूज और समज से अपने महाराजा प्रताप को वह युद्ध के मैदान घुस करके उस पर निकल देने का जज्बा रखता था।अगर आप भी महाराणा प्रताप के chetak horse story के बारे में जानना चाहते है तो हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढियेगा। तो चलिए महाराणा प्रताप के घोड़े की कहानी बताते है।
Table of Contents
Maharana Pratap Horse Chetak History In Hindi –
शौर्य और वीरता में चेतक का नाम पहला है।
राजा के साथ 318 किलो वजन का वहन करता था और उस सब को उठाकर भी
सबसे तेज भागने में और सबसे ज्यादा स्पीड दौड़ने वाला घोडा था।
जब भी जरुरत पड़ती थी तो चेतक सबसे ऊँची छलांग लगाने में भी माहिर था। उस घोड़े को महाराणा प्रताप ने एक अरबी व्यापारी से ख़रीदा था उसके पास और दो घोड़े भी थे महाराणा ने तीनो घोड़ो की परीक्षा की थी लेकिन अटक नाम का घोडा मरचुका था
चेतक और त्राटक जीवित रहे थे इस में चेतक बहुत फुर्तीला और समझदार निकला चेतक को महाराणा ने रख लिया और त्राटक को अपने भाई शक्ति सिंह को दे दिया था। आज हम आपको बताने वाले है chetak horse story in hindi की जानकारिया।
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maharana pratap horse का पराक्रम –
मेवाड़ राज्य के महाराणा प्रताप एक युद्ध में हल्दीघाटी से एकेले ही निकल पड़े थे अपने किसी भी सैनिक को साथ लेजाने की जरुरत नहीं समजी थी। chetak ki veerta और शौर्य की गाथा गाते हुए लोग आज भी याद करते है। महाराणा प्रताप राणा उसके पराक्रमी और स्फुर्तीले घोड़े चेतक पर बैठ के हल्दी घाटी पहाड़ की ओर जा पहुंचे थे।
उनको पता नहीं था की पीछे दो मुग़ल सैनिक पीछा करते हुए आ रहे थे। लेकिन चेतक ने अपनी समज और पराक्रम का प्रदशन दिखाते हुए मार्ग के बिच आते पानी के बहते नाले को छलांग मारकर लाँघ दिया और अपने स्वामी भक्ति का परिचय करवाके महाराणा प्रताप को बचाया था।

maharana pratap horse ने दो भाईओ को मिलाया –
उस नाले को मुग़ल सम्राट के सैनिक कूद नहीं सके थे।
स्वामी भक्त maharana pratap chetak की लगाई हुई छलांग इतिहास के पन्नो पर अमर हो गयी है।
चेतक ने नाला तो छलांग लगाकर के कूद लिया लेकिन इसके पश्यात
चेतक की स्पीड धीरे-धीरे बहुत कम हो गई थी।
उनका पीछा करने वाले मुग़ल सम्राट सैनिको के घोड़ों की आवाज़ सुनाई पड़ती थी। उसी वक्त के दौरान महाराणा प्रताप को अपनी धर्म धरती मातृभाषा की आवाज़ सुनाई देने लगी थी। नीला घोड़ा रा असवार’ का सूत्र सुनाई दिया महाराणा ने पीछे मूड के देखा तो राजा को एक घोड़े अस्वार दिख ने लगा था और यह आदमी दूसरा कोई नहीं लेकिन महाराणा प्रताप का भाई शक्तिसिंह थे।
महाराणा प्रताप के बिच भाइयो के साथ अपना पारिवारिक मतभेद के कारन शक्ति सिंह को देशद्रोही बना दिया था।
हल्दी घाटी के युद्ध में शक्ति सिंह मुग़ल सम्राट अकबर के पक्ष से लड़ता था।
इस वक्त शक्ति सिंह ने नीले घोड़े को बिना अस्वार के पहाड़ की और जाते हुए दिखाई दिया तो वो भी उसके पीछे पीछे चुपचाप चल पड़े थे लेकिन सिर्फ दोनों मुग़ल सैनिको को मार कर के अपने जीवन में प्रथम समय दोनों सगे भाई प्रेम से एक दूसरे के गले मिले थे।
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चेतक की ताकत –
maharana pratap horse चेतक अपनी पीठ पर 81 किलो वजन का भाला उनके छाती का बख्तर का वजन 72 किलो था। महाराणा प्रताप सिंह की दो तलवार , ढाल ,कवच और भाले का कुल मिलाके 208 किलो और महाराजा प्रताप का वजन 110 किलो और ऊंचाई 7 फिट 5 इंच था।
कुल मिलाके 318 का वजन उठाके बहुत तेज स्पीड से भागने वाले चेतक घोड़े की समाज शक्ति और वीरता की कहानी मशहूर है।

चेतक हाथी के रूप में –
महाराणा प्रताप जब भी युद्ध में उतरा करते थे। तब चेतक के मुँह पर हाथी की सुंठ लगाई जाती थी क्योकि सामने वाले दुश्मन के घोड़े को चेतक एक घोडा नहीं बल्कि हाथी नजर आया करता था।
उसी कारन ही दुश्मनो के घोड़े चेतक को हाथी समज कर नजदीक आने से भी गभराया करते थे।
चेतक अपने स्वामी महाराणा को दुश्मनो की सेना के बीचो बिच से निकल पाता था।
दुश्मन के हाथी को देखने में हाथी का छोटा बच्चा छोटा बच्चा नजर आता था।
जिसके कारण दुश्मन के हाथी उन पर वार नहीं करता था ।
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चेतक की कविता –
राजा राणा प्रताप के हल्दीघाटी युद्ध के बारमे महा कवी श्याम नारायण पांडेय ने महाराणा प्रताप पर कविता लिखी है। जिसे chetak poem भी कहा जाता है।
इस कविता की पंक्तिया पुरे भारत में लोकप्रिय है।
महाराणा ने हल्दी घाटी युद्ध में उसके मुख्य सहयोगी साथी उसका आसमान में उड़ने वाला घोडा था।
जो खगराज नहीं , बाज नहीं फिरभी वह उड़ता नजर आता था।

चेतक का स्मारक –
हिंदी भाषा के महान कवि श्याम नारायण पाण्डेय के द्रारा रचाई गई।
प्रसिद्ध महाकाव्य जो चेतक और राणा प्रातक के बारे में वर्णन किया गया है।
चेतक के हल्दी घाटी युद्ध के पराक्रम शौर्य और स्वामिभक्ति की सत्य कथा वर्णित की गई है।
वर्तमान समय में भी राजसमंद के हल्दी घाटी गांव बीचो बिच
महाराणा के प्रिय घोड़े वीर चेतक की समाधि दिख ने को मिलती है।
इस जगह पर स्वयं महाराणा प्रताप सिंह और उनके सगे अनुज शक्तिसिंह राणा ने अपने ही हाथों से चेतक अश्व का अंतिम संस्सकार [दाह-संस्कार] किया था।
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चेतक की वीरता की कविता श्याम पाण्डेय ने लिखी है –
रणबीच चौकड़ी भर-भर कर
चेतक बन गया निराला था।
राणाप्रताप के घोड़े से
पड़ गया हवा का पाला था।
जो तनिक हवा से बाग हिली
लेकर सवार उड जाता था।
राणा की पुतली फिरी नहीं
तब तक चेतक मुड जाता था।
गिरता न कभी चेतक तन पर
राणाप्रताप का कोड़ा था।
वह दौड़ रहा अरिमस्तक पर
वह आसमान का घोड़ा था।
था यहीं रहा अब यहाँ नहीं
वह वहीं रहा था यहाँ नहीं
थी जगह न कोई जहाँ नहीं
किस अरि मस्तक पर कहाँ नहीं
निर्भीक गया वह ढालों में
सरपट दौडा करबालों में
फँस गया शत्रु की चालों में
बढते नद सा वह लहर गया।
फिर गया गया फिर ठहर गया
बिकराल बज्रमय बादल सा
अरि की सेना पर घहर गया।
भाला गिर गया गिरा निशंग
हय टापों से खन गया अंग
बैरी समाज रह गया दंग
घोड़े का ऐसा देख रंग
Mewara Map –
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Maharana Pratap Horse Story Video –
महाराणा प्रताप के चेतक घोड़े के प्रश्न –
1 . महाराणा प्रताप के घोड़े का क्या नाम था ?
महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था।
2 . महाराणा प्रताप का घोडा युद्ध में कितना वजन उठाता था ?
राजा के साथ 318 किलो वजन उठाता था। इसमें महाराणा की पीठ पर 81 किलो वजन का भाला उनके छाती का बख्तर का वजन 72 किलो था। महाराणा प्रताप सिंह की दो तलवार , ढाल ,कवच और भाले का कुल मिलाके 208 किलो और महाराजा प्रताप का वजन 110 किलो उस सब को उठाकर भी सबसे तेज भागने में और सबसे ज्यादा स्पीड में दौड़ने वाला घोडा था।
3 . हल्दीघाटी का सबसे पराक्रमी घोडा किसका था ?
हल्दीघाटी युद्ध का सबसे शक्तिशाली और पराक्रमी घोडा महाराणा प्रताप का चेतक था।
4 . महाराणा प्रताप ने चेतक किससे ख़रीदा था ?
महाराणा प्रताप ने एक अरबी व्यापारी से चेतक घोड़े को ख़रीदा था।
5 . चेतक घोड़े पर किसने कविता लिखी है ?
राजा राणा प्रताप के हल्दीघाटी युद्ध के बारमे महा कवी श्याम नारायण पांडेय ने महाराणा प्रताप पर कविता लिखी है। जिसे chetak poem भी कहा जाता है।
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Conclusion –
दोस्तों उम्मीद करता हु आपको मेरा ये लेख chetak horse story के बारे में पूरी तरह से समज आ गया होगा। इस लेख के द्वारा हमने maharana pratap ka ghoda के बारे में जानकारी दी अगर आपको इस तरह के अन्य ऐतिहासिक स्थल और प्राचीन स्मारकों की जानकरी पाना चाहते है तो आप हमें कमेंट करे। आपको हमारा यह आर्टिकल केसा लगा बताइयेगा और अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे। धन्यवाद।