maharaja chhatrasal संग्रहालय धुबेला महल में मौजूद है। छत्रसाल संग्रहालय छत्तरपुर से करीबन 17 किमी पर स्थित है। और छत्तरपुर नौगाव से 1.6 किमी दुरी पर स्थित है। यह महल मध्यकालीन स्थापत्य शैली का उत्तम उदहारण है।
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय का निर्माण 18वी सदी का निर्धारित किया जाता है। इस महल का निर्माण महाराजा बुंदेलाने करवाया था। इसके अलावा महाराजा छत्रसाल का सभाभवन भी मौजूद है। महाराजा छत्रसाल संग्रहालय में बुन्देलखण्ड और बघेलखण्ड की प्राचीन साधन सामग्री सुरक्षित रखी है। संग्रहालय में वीथिकाओं और खुले में प्रदर्शित है।
आज हम इस आर्टिकल में महाराजा छत्रसाल संग्रहालय के बारे में बताएँगे। इस संग्रहालय का संचालन मध्यप्रदेश की सरकार करती है। maharaja chhatrasal bundelkhand vishwavidyalaya का उद्धाटन 12 सितम्बर ई.स 1955 में भारत के प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के हाथो हुआ था। आप भी इस संग्रहालय के बारे में जानना चाहते है तो हमारे इस लेख को पूरा पढियेगा जरूर।
संग्रहालय का नाम | महाराजा छत्रसाल संग्रहालय |
राज्य | मध्य्प्रदेश |
जिला | छत्तरपुर |
निर्माणकर्ता | महाराजा छत्रसाल बुंदेला |
निर्माणसाल | 18वी शताब्दी |
Table of Contents
Maharaja Chhatrasal History In Hindi –
maharaja chhatrasal संग्रहालय वर्तमान समय में मध्यप्रदेश में जितने भी प्राचीन स्थान है इसमें से यह ईमारत भिन्न है और पर्यटकों को आकर्षित करता है। महाराजा छत्रसाल संग्रहालय का निर्माण 18वी सदी में करवाया गया था। महाराजा छत्रसाल संग्रहालय का निर्माण महाराजा बुंदेलाने करवाया था। महाराजा छत्रसाल संग्रहालय संचालन मध्यप्रदेश की सरकार करती है। महाराजा छत्रसाल संग्रहालय का उद्धाटन 12 सितम्बर ई.स 1955 में भारत के प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के हाथो हुआ था।
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय में बुन्देलखण्ड और बघेलखण्ड की प्राचीन साधन सामग्री सुरक्षित रखी है। संग्रहालय में वीथिकाओं और खुले में प्रदर्शित है। maharaja chhatrasal संग्रहालय में बुन्देलखण्ड और बघेलखण्ड की प्राचीन साधन सामग्री वस्त्र , हथियार उनकी चीजे सुरक्षित रखी है। संग्रहालय में वीथिकाओं और खुले में प्रदर्शित है।

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maharaja chhatrasal संग्रहालय की देखने वाली वीथी –
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अभिलेख वीथी :
अभिलेख वीथी में 4वी शताब्दी से 18वी शताब्दी शताब्दी के अभिलेख प्रदर्शित किया गया है। जिसमे
- maharaja chhatrasal संग्रहालय में वंगेश्वर का देवगवां शिवलिंग शिलालेख
- महाराजा स्कंदगुप्त का सुपिया शिलालेख
- कर्णदेव कलचुरि का गुर्गी शिलालेख
- गंगेयदेव कलचुरि का मुकुन्दपुर शिलालेख
- कर्णदेव कलचुरि का रीवा शिलालेख
- कलचुरि नरेश विजय सिंह का कस्तारा शिलालेख
- विजयसिंह देव कलचुरि का रीवा शिलालेख
- कलचुरि नरेश कोकल्लदेव द्वितीय का गुर्गी शिलालेख
- रीवा नरेश अरियार देव बधेला का शिलालेख
- महाराज वीरसिंह जूदेव बुन्देला का ओरछा शिलालेख
- नवाताल
- रीवा
- जसकेरा
- वैकुण्ठपुर
- बरारी आदि स्थानों से प्राप्त सती स्तम्भ लेख प्रदर्शित है।
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जैन वीथी :
ई.स 4 थी सताब्दी में बुंदेलखंड और बघेलखण्ड से एकत्रित चंदेल और कलचुरी प्रतीयमाये प्रदर्शित की गई है। इस प्रतिमा में तीर्थकर आदिनाथ ,शक्तिनाथ, नाभिनाथ, नेमिनाथ, पार्शवनाथ और लाछन विहीन तीर्थंकर की प्रतिमा की द्रितीय ,सर्वेतोमाद्रिका यक्ष और याक्षियों की स्वतंत्र मुर्तिया स्थित है। यह सारे मूर्तियों के पादपीठ पर ई.स 1128, ई.स 1220, ई.स1199 चंदेल कालीन अभिलेख उत्कीर्ण किये गये है।
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शैव शाक्त वीथी :
ई.स 4 थी सताब्दी में बुंदेलखंड और बघेलखण्ड से मिली हुई महत्वपूर्ण शैव शाक्त मुर्तिया प्रदर्शित की गई है। शैव प्रतिमाओमे शिवलिंग ,भगवान शिव का रावणानुग्रह ,उमा महेश्वर की प्रतिमा ,भैरव स्वरूप की प्रतिमा , गणेश की प्रतिमा , कार्तिकेय की मूर्ति और प्रतिमाये करीबन 18 वी शताब्दी की नंदी की प्रतिमा स्थित है। इसके अलावा शाक्त प्रतिमा में चौसठ योगीनि की 10 वि शताब्दी 11 वि शताब्दी की मुर्तिया गोरगी यानी की रीवा और शहडोल क्षेत्र से मिली हुई थी।
इसके अलावा मुर्गी की जउति ,बदरी की प्रतिमा , इतरला , शहडोल की तरला की मुर्तिया ,तारणी ,वाणाप्रभा की प्रतिमा ,कृष्ण भगवती प्रतिमा , रमणीकी प्रतिमा , वासवा की प्रतिमा , कपालिनी और चपला की मुर्तिया उल्लेखनीय मणि जाती है। यह योगनी मूर्तियों के पादपीठ पर पंक्ति नाम उत्कीर्ण की गई है।
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ललितकला वीथी :
ललितविथि में हाथी दांत , कांच, काष्ट, धातु, मृणमूर्तियां, ललितकला की चीजवस्तुए रखी गई है। इसमें गुप्तकालीन लज्जागौरी ,माता आदिति की प्रतिमा सुन्दर आकर्षित है। यह अवशेष करीबन 19वीं-20 शताब्दी के ललितकला से सबंध से जुड़े अवशेष है। महाराजा छत्रसाल का अंगरखा , रीवा और चरखारी रियासत के राज्य के परिवार के वस्त्रो के उल्लेखनीय बाते और चीजे है।

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वैष्णव वीथी :
maharaja chhatrasal में वैष्णव वीथी में बुन्देलखण्ड और बघेलखण्ड महत्वपूर्ण चंदेल और कलचुरी कालीन मुर्तिया और चित्र सुरक्षित रखे गए है। वैष्णव वीथी में शेषशायी, विष्णु, सूर्य, विष्णु का वामन, परशुराम व हरिहर पितामह, विष्णु के चतुविशंति स्वरूप में त्रिविक्रम स्वरूप है मोहनगढ़ से प्राप्त दुलर्भ मूर्तियों यज्ञवेदका मौजूद है वह करीबन 8 वी शताब्दी की है। खजुराओ मंदिर से मिली हुई मिथुन प्रतिमा का वैष्णव वीथी का विशेष आकर्षण माना जाता है।
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चित्रकला वीथी :
चित्रकला वीथी में बुन्देलखण्ड और बघेलखण्ड के राजाओं के सभ्यो के चित्र , कृष्ण लीला, राम कथाओसे सबंधित लघुचित्र भी मौजूद है। बुंदेल शासको में निचे मुजब महाराजा है।
- महाराजा छत्रसाल
- चरखारी नरेश
- विजय बहादुर सिंह जूदेव
- रतन सिंह जूदेव
- विजावर नरेश सामन्त सिंह जूदेव
- रीवा के महाराजा रामचन्द्र रामराजसिंह जूदेव
- विश्वनाथ सिंह जूदेव
- रघुराज सिंह जूदेव
- गुलाब सिंह जूदेव
- कप्तान प्रतापसिंह
- माधोगढ़ नरेश बड़े बाबू साहेब रामराज सिंह
- अमर पाटन नरेश रावेन्द्र साहब
- बलभद्रसिंह
- रीवा की स्वामी परम्परा
- रीवा नरेश गुलाब सिंह की बारात चित्र
- कृष्ण लीला
- राम कथा सबंधित चित्र
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अस्त्र-शस्त्र वीथी :
maharaja chhatrasal संग्रहालय में अस्त्र-शस्त्र वीथी में रीवा, छतरपुर, पन्ना, चरखारी रियासतों से रहने वाले स्थानीय लोगो से प्राप्त किये गए है। इस वीथी में तलवार, ढाल, तेगा, खाड़ा, धनुष-वाण, फरशा, गदा, भाला, खुकरी, अंकुश, नराच, गुर्ज, कुंलग, पंजा, बर्छी, संका, कटार, टोप, वृक्ष कवच, दस्ताना, छोटी बंदूक, छड़ीदार बन्दूक, लोहे की कुल्हाड़ी, बड़ी बन्दूक, संगीन ऐसे कई प्रकार के हथियार इसमें रखे गए है।
इस हथियार संग्रहालय में महाराजा की रायमन दौआ की तलवार और आदिल शेरशाह की तोप उल्लेख किया गया है इस तोप ई.स. 1702 के समय के उल्लेखनीय किया जाता है।
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खुले में प्रदर्शित प्रतिमाऐं :
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय के महल के ऊपरी चौक शिव उमा महेश्वर, हरिहर, शिवगण, गणेश, दुर्गा, अम्बिका, विष्णु, कुबेर, अप्सरा, युगल, कीचक, जिन प्रतिमा आदि महत्वपूर्ण मध्य कालीन समय की मुर्तिया दर्शित किया गया है। महाराजा छत्रसाल संग्रहालय के महल के निचे के चौक में महेश्वर, लक्ष्मी, नारायण, योग नारायण, शाईल, स्तम्भ, आमलक कलश, धूप धंडी, लधु शिरतर, स्थापत्य खण्ड और मूर्तियों के रूप में प्रदर्शित किया गया है।

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ग्रंथालय :
maharaja chhatrasal bundelkhand university chhatarpur से सबंधित एक इसमें मौजूद ग्रंथालय है जिसमे करीबन 2300 पुस्तकों का समावेश गया है। यह संग्रहालय पुरातत्व से सबंधित पुस्तकों का संग्रह किया गया है। इसके अलावा विभागीय प्रकाशन और प्लास्टर कास्ट विक्रय की भी सुविधाएं की गई है।
Maharaja Chhatrasal संग्रहालय के प्रवेश का समय –
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय में घूमने जाने के लिए
सुबह सूर्योदय होने से शाम के सूर्यास्त होने तक पर्यटको के लिए खुला रहता है।
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय घूमने जाने का सबसे अच्छा समय –
छत्रसाल संग्रहालय में घूमने जाने के लिए पर्यटक साल में किसी भी समय जा सकते है।
क्योकि इस क्षेत्र में प्राकृतिक वातावरण बहोत अच्छा रहता है।
इसलिए पर्यटकों को कोई दिक्कत नहीं होती।
Maharaja Chhatrasal संग्रहालय का प्रवेश शुल्क –
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय में प्रवेश करने के लिए भारतीय पर्यटकों को कम दान अदा करना पड़ता है।
विदेशी पर्यटकों के लिए भारतीय पर्यटकों से ज्यादा होता है।
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय में फोटोग्राफी और विडीओसूट का कितना चार्ज होता है –
maharaja chhatrasal संग्रहालय में फोटोग्राफी का रु 100 शुल्क अदा करना पड़ता है और विडिओ शूटिंग के लिए पर्यटकों को रु 200 शुल्क अदा करना पड़ता है।

महाराजा छत्रसाल संग्रहालय के नजदीकी होटल्स –
- धुबेला रिसॉर्ट
- होटल जटाशंकर रिसॉर्ट
- पार्क प्लाजा होटल
- होटल राधिका कुंड रिज़ॉर्ट
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Maharaja Chhatrasal संग्रहालय के नजदीकी पर्यटन स्थल –
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खजुराहो मंदिर :
खजुराहो मंदिर भारत के मध्य में स्थित मध्यप्रदेश स्टेट का एक बहुत ही खास शहर और पर्यटक स्थल है जो अपने प्राचीन और मध्यकालीन मंदिरों के लिए देश भर में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है। मध्यप्रदेश में कामसूत्र की रहस्यमई भूमि खजुराहो अनादिकाल से दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करती रही है। छतरपुर जिले का यह छोटा सा गाँव स्मारकों के अनुकरणीय कामुक समूह के कारण विश्व-प्रसिद्ध है, जिसके कारण इसने यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में अपना स्थान बनाया है।
यह खजुराहो का प्रसिद्ध मंदिर मूल रूप से मध्य प्रदेश में हिंदू और जैन मंदिरों का एक संग्रह है। ये सभी मंदिर बहुत पुराने और प्राचीन हैं जिन्हें चंदेल वंश के राजाओं द्वारा 950 और 1050 के बीच कहीं बनवाया गया था। पुराने समय में खजुराहो को खजूरपुरा और खजूर वाहिका से जाना-जाता था। खजुराहो में कई सारे हिन्दू धर्म और जैन धर्म के प्राचीन मंदिर हैं।
इसके साथ ही ये शहर दुनिया भर में मुड़े हुए पत्थरों से बने हुए मंदिरों की वजह से विख्यात है। खजुराहो को खासकर यहाँ बने प्राचीन और आकर्षक मंदिरों के लिए जाना-जाता है। यह जगह पर्यटन प्रेमियों के लिए बहुत ही अच्छी जगह है। यहाँ आपको हिन्दू संस्कृति और कला का सौन्दर्य देखने को मिलता है। यहाँ निर्मित मंदिरों में संभोग की विभिन्न कलाओं को मूर्ति के रूप में बेहद खूबसूरती के साथ उभारा गया है।
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गंगऊ बांध :
गंगऊ बांध खजुराहो प्राचीन मंदिर के नजदीकी क्षेत्र में और छत्तरपुर जिले से करीबन 18 किमी की दुरी पर स्थित है। गंगऊ बांध सिमरी नदी और केन नदी के संगम पर बनाया गया है। गंगऊ बांध के स्थान पर शानदार और सुन्दर और यादगार पिकनिक मनाने ने के लिए दूर दूर से यह स्थान पर आते रहते है। इस बांध के अंदर दिलचस्प नौका विहार का आनंद लेने के लिए यह स्थान पर आते है।

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पांडव जलप्रपात और गुफाएं पन्ना :
छत्तरपुर के मुख्य आकर्षण में शामिल में पांडव जलप्रपात और गुफाएं पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के अंदर मौजूद एक आकर्षक जगह है। ऐसा माना जाता है की पांडवो ने निर्वासन के समय दौरान यह जगह पर शरण ली थी। यह स्थान पर पांडव जलप्रपात और गुफाओ के मुख्य आकर्षण स्थलों में से एक है। यह स्थान पर बेहद खूबसूरत झरने, ज्यादा गहरी झील और हरेभरे प्राकृतिक वातावरण का सुन्दर दृश्य नजर आता है।
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महामति प्राणनाथजी मंदिर :
छत्तरपुर के पर्यटन स्थलों में मौजूद पन्ना में महामति प्राणनाथजी मंदिर एक सुन्दर और आकर्षित जगह है। यह प्राचीन स्थान पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है। महामति प्राणनाथजी मंदिर का निर्माण ई.स 1692 में करवाया था। महामति प्राणनाथजी मंदिर की बनावट हिन्दू और मुस्लिम स्थापत्य शैली का उदहारण देता है।
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Maharaja Chhatrasal संग्रहालय कैसे पहुंचे –
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हवाई मार्ग से Maharaja Chhatrasal संग्रहालय कैसे पहुंचे :
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय जाने के लिए आप हवाई मार्ग का भी विकल्प पसंद कर सकते है। महाराजा छत्रसाल संग्रहालय के नजदीकी हवाई एयरपोर्ट खजुराहो हवाई अड्डा मौजूद है वह करीबन 45 मिनिट की दुरी पर मौजूद है। और यह हवाई अड्डा दिल्ही , मुंबई और आग्रा जैसे बड़े शहरो से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा नजदीकी आंतरराट्रीय अड्डा भोपाल में स्थित है। जो छत्तरपुर से करीबन 6 घंटे का सफर से आप महाराजा छत्रसाल संग्रहालय तक पहुँच सकते है।
छत्रसाल संग्रहालय के प्रश्न –
1 . महाराजा छत्रसाल संग्रहालय कहा स्थित है ?
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय धुबेला महल में मौजूद है।
छत्रसाल संग्रहालय छत्तरपुर से करीबन 17 किमी पर स्थित है। और छत्तरपुर नौगाव से 1.6 किमी दुरी पर स्थित है।
2 . महाराजा छत्रसाल संग्रहालय का निर्माण कब करवाया था ?
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय का निर्माण 18वी सदी में करवाया गया था।
3 . महाराजा छत्रसाल संग्रहालय का निर्माण किसने करवाया था ?
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय का निर्माण महाराजा छत्रसाल बुंदेलाने करवाया था।
4 . महाराजा छत्रसाल संग्रहालय का उद्धाटन कब और किसने किया था ?
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय का उद्धाटन 12 सितम्बर ई.स 1955 में भारत के
प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के हाथो हुआ था।
5 . महाराजा छत्रसाल संग्रहालय में कौनसी प्राचीन चीजे रखी हुई है ?
संग्रहालय में बुन्देलखण्ड और बघेलखण्ड की प्राचीन साधन सामग्री वस्त्र, हथियार की चीजे सुरक्षित रखी है।
संग्रहालय में वीथिकाओं और खुले में प्रदर्शित है।
6 . maharaja chhatrasal में कितनी और कौनसी वीथिया है ?
यह संग्रहालय में करीबन 9 वीथिया है।
अभिलेख वीथी,जैन वीथी,शैव शाक्त वीथी,ललितकला वीथी,वैष्णव वीथी,चित्रकला वीथी,अस्त्र-शस्त्र वीथी,खुले में प्रदर्शित प्रतिमाऐं,ग्रंथालय स्थित है।
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Conclusion –
दोस्तों उम्मीद करता हु आपको मेरा ये लेख महाराजा छत्रसाल संग्रहालय के बारे में पूरी तरह से समज आ गया होगा। इस लेख के द्वारा हमने maharaja chhatrasal bundelkhand के बारे में जानकारी दी अगर आपको इस तरह के अन्य ऐतिहासिक स्थल और प्राचीन स्मारकों की जानकरी पाना चाहते है तो आप हमें कमेंट करे। आपको हमारा यह आर्टिकल केसा लगा बताइयेगा और अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे। धन्यवाद।