नमस्कार दोस्तों Lepakshi Temple in Hindi में आपका स्वागत है। आज हम आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थित लेपाक्षी मंदिर का रहस्य और यात्रा से जुड़ी जानकारी बताने वाले है। लेपाक्षी मंदिर को वीरभद्र मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के छोटे से गांव में स्थित लेपाक्षी मंदिर उत्कृष्ट वास्तुकला और कला का प्रतिमान है। वीरभद्र मंदिर नाम से प्रसिद्ध अपनी अदभुत वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। क्योकि यहाँ आपको लटकते खंभे और गुफा कक्ष देखने को मिलता हैं। मंदिर को अद्वितीय बनाने में मुख्य है मां सीता के पदचिन्ह है। लेपाक्षी मंदिर आंध्र प्रदेश को हेंगिंग टेम्पल भी कहाजाता है।
आंध्र प्रदेश ( Andhra Pradesh ) के अनंतपुर जिले में स्थित 70 खंभों पर टिका यह मंदिर भगवान विष्णु, भगवान शिव और भगवान विभद्र को समर्पित है। यह मंदिर पर्यटकों को हैरत में डालता है कि मंदिर का एक खंभा जमीन को छूता ही नहीं है। यानि सभी हवा में झूलता है। यह विजयनगर साम्राज्य का सार, लेपाक्षी सांस्कृतिक और पुरातात्विक रूप से महत्वपूर्ण है। लेपाक्षी मंदिर प्रसिद्ध भित्तिचित्रों के साथ कालातीत कला की एक प्रदर्शनी है। यहाँ चित्रमय प्रतिनिधित्व के माध्यम से विजयनगर साम्राज्य के इतिहास की झलक देखने को मिलती है।
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History of Lepakshi Temple
लेपाक्षी मंदिर का इतिहास और किंवदंती की बात करे तो मंदिर के निर्माण के बारे में दो मान्यताएँ ज्यादा प्रचलित हैं। पहली के मुताबिक मंदिर का निर्माण अगस्त्य ऋषि ने करवाया था। वीरभद्र मंदिर का इतिहास भी रामयणकालीन है। कहा जाता है कि जब लंका नरेश रावण मा सीता का अपहरण करके लेजाता था। उस समय पक्षीराज जटायु ने माता सीता की रक्षा करने के लिए यहाँ युद्ध किया था। रावण के प्रहार से जटायु यहीं गिरे थे। बाद में सीता की खोज में श्री राम और लक्ष्मण को यही मिले थे। भगवान राम ने करुणा भाव से जटायु को गले से लगाया था। तब से यह स्थान का नाम लेपाक्षी हुआ है।

दूसरी कथा के अनुसार लेपाक्षी मंदिर का निर्माण 1538 में विजयनगर साम्राज्य में वीरन्ना और विरुपन्ना नाम के भाइयों ने किया था। विरुपन्ना का बेटा अंधा था। उसने मंदिर में शिवलिंग के चारों ओर खेलते समय दृष्टिहीनता प्राप्त की थी। शाही खजाने का उपयोग करने के लिए दूसरों से दोषी ठहराया गया था। बाद में राजा ने अपनी आँखें बंद करली। और आँखें मंदिर की दीवारों पर फेंक दीं। तब से जगह को Lape-Akshi का नाम मिला लेपाक्षी का अर्थ अंधों का गाँव होता है। मंदिर की दीवार पर अभी भी आंखों के खून के निशान देखने को मिलते हैं। वर्तमान मंदिर के निर्माण का प्रमाण विजयनगर साम्राज्य से संबंधित है।
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लेपाक्षी मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय
Best time to visit Lepakshi Temple – लेपाक्षी मंदिर घूमने जाने का सबसे अच्छा समय बात करे तो अक्टूबर से फरवरी महीने तक यानि लेपाक्षी की यात्रा के लिए सर्दियों का मौसम सबसे अच्छा समय होता है।क्योकि उस समय यहाँ का मौसम बहुत ही सुहावना होता है। दिन के दौरान तापमान 16 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। उसके साथ बारिश का मौसम में भी लेपाक्षी की सुंदरता देखने योग्य होती है। मगर गर्मियों के मौसम में आपको थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
Places to Visit Lepakshi Temple
- Nandi Bull and Paintings
- Shopping in Lepakshi
- Veerabhadra Temple
- Lepakshi Temple
Lepakshi Temple images
Tips For Visiting Lepakshi Temple
- शाम के समय मंदिर जाते हैं तो टॉर्च लेकर जाना चाहिए ।
- लेपाक्षी मंदिर में उपयुक्त और सम्मानजनक कपड़े पहनने चाहिए।
- यात्रा अगर गर्मीयो में करता है तो बीच-बीच में थोड़ा पानी पीए।
- यात्रा के दौरान पानी बोतल हो पास में जरूर रखनी चाहिए।
- अपने बच्चो का खास ख्याल रखना चाहिए।
Lepakshi Temple Timings
लेपाक्षी मंदिर के दर्शन का समय सुबह 6.00 बजे से शाम 6.00 बजे तक है। क्योकि लेपाक्षी मंदिर के दर्शन और खुलने के समय सुबह 6.00 बजे से शाम 6.00 बजे है। उस समय दर्शन के लिए जा सकते है। उस समय पर्यटकों और श्र्धालु दर्शन करते है। अगर आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ लेपाक्षी मंदिर घूमने जाते है। तो आपको लेपाक्षी मंदिर में दर्शन करने समय भी पता होना जरुरी है।
लेपाक्षी मंदिर का प्रवेश शुल्क
- जिसको भी लेपाक्षी मंदिर या वीरभद्र मंदिर देखने जाना है।
- वह पर्यटक प्रवेश शुल्क को सर्च कर रहे है।
- तो उन्हें बतादे की भगवान् शिव के दर्शन के लिए यानि लेपाक्षी मंदिर या
- वीरभद्र मंदिर में कोई भी प्रवेश शुल्क नही है।
- यहाँ पर्यटक आयेंगे तो किसी भी शुल्क का भुगतान नहीं है।
- भगवान के दर्शन करके मंदिर के रहस्य को देखने मौका ले सकते है।
लेपाक्षी मंदिर फोटो
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Mystery of Lepakshi Temple
लेपाक्षी मंदिर का रहस्य से भरा पड़ा है। क्योकि मंदिर के रहस्य सभी को आश्चर्यजनक लगते है। उसपर विश्वास करना बेहद मुश्किल है। लेपाक्षी मंदिर के रहस्य वैज्ञानिको भी पसीने छुड़ा देते है। मंदिर में 70 स्तंभ या पिल्लर देखने को मिलते वह छत से तो लगा है मगर एक जमीन को टच नही करता है। यानि किसी सहारे के बिना हवा में लटका हुआ है। उसके कारन दुनिया भर से पर्यटकों को अविश्वसनीय घटना को देखंने के लिए आकर्षित करता है।

एक बार ब्रिटिश इंजीनियर ने स्तंभ को मूल स्थिति से हटाने की कोशिश की थी। लेकिन इंजीनियर सफल नहीं हुआ था। उसके एक बाद की पुष्टि हुई थी की उस पिल्लर पर भी दूसरे पिल्लरो जितना ही भार होगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने ऐसा साबित किया था। की उस पिल्लरो का निर्माण कोई गलती नहीं है। लेकिन एक जानबूझकर, सुनियोजित निष्पादन है। जो आज तक बिल्डरों और वास्तुकारों की प्रतिभा को प्रदर्शित करता है।

Lepakshi Temple Architecture
लेपाक्षी मंदिर की वास्तुकला में विजयनगर स्थापत्य शैली देखने को मिलती है। मंदिर को तीन भागों में बांटा गया है। जिसमे मुख मंडप (असेंबली हॉल) अरदा मंडप (पूर्व-कक्ष) और गर्भगृह शामिल है। गर्भगृह के प्रवेश द्वार पर देवी यमुना और गंगा की मूर्तियाँ हैं। मंदिर के स्तंभों और दीवारों में (Lepakshi Temple paintings) दिव्य प्राणियों, नर्तकियों, संगीतकारों, संतों, अभिभावकों और शिव के 14 अवतारों के चित्र बने हैं। उसके साथ रामायण, महाभारत और पुराणों से राम और कृष्ण के चित्र बनाने के लिए फ्रेस्को पेंटिंग तकनीक का उपयोग हुआ है।
छत पर स्थित फ्रेस्को एशिया की सबसे बड़ी फ्रेस्को पेंटिंग भगवान शिव के 14 अवतारों का प्रतिनिधित्व है। वह चित्र विजयनगर सचित्र कला की सुंदरता को दर्शाता हैं। हॉल के बाहरी स्तंभ सैनिकों और घोड़ों की नक्काशी की सजावट से भरे हुए हैं। दक्षिण-पश्चिम हॉल में पार्वती की छवि है। गर्भगृह में भगवान वीरभद्र विराजमान हैं। देवता की खोपड़ी से अलंकृत एक आदमकद छवि देख सकते है। मंदिर के अंदर पूर्वी पंखों पर भगवान शिव और माता पार्वती का कक्ष है। दूसरे कक्ष में भगवान विष्णु की छवि स्थापित है। मंदिर के ऊपर की छत पर विरुपन्ना और विरन्ना की पेंटिंग बनी है।

लेपाक्षी मंदिर में पूजा और अनुष्ठान
- वीरभद्र मंदिर या Lepakshi मंदिर सुबह 6.00 बजे खुलते है।
- पट खुलने के पश्यात सुबह 7:00 से 7:30 बजे तक शिवलिंग की पूजा एव अभिषेक होता है।
- भोले नाथ की पूजा के बाद भगवान वीरभद्र की पूजा होती है।
- पुजारी भगवान और माता को अभिषेक करने के बाद वस्त्र चढ़ाते हैं।
- प्रसाद में मीठे हलवे एव सरकारई पोंगल अर्पण किया जाता है।
- भगवान विष्णु के चरण कमलों से आशीर्वाद लेकर सुपारी प्रसाद के रूप में देते है।
लेपाक्षी मंदिर का आकर्षण
अपनी अद्भुद वास्तुकला और अजीबो गरीब घटना के कारण Lepakshi Temple आंध्रप्रदेश राज्य का एक प्रसिद्ध मंदिर बना हुआ है। अगर आप भी लेपाक्षी मंदिर दर्शन करने या उसके नजदीकी पर्यटक स्थल घूमने के लिए जाते है। तो आपको यहाँ जरूर जाना चाहिए। क्योकि मंदिर में आपको हैंगिंग पिलर, नागलिंगा, दुर्गा पदम या मां सीता के पदचिह्न और लेपाक्षी साड़ी डिजाइन जैसे आकर्षण पसंद आएंगे।

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Naglinga
भारत में सबसे बड़ा अखंड नागलिंग लेपाक्षी मंदिर का नागलिंगा है। यह नाग लिंग को मूर्तिकारों ने सिर्फ एक घंटे में बना दिया था। ऐसा कहाजाता है। की सिर्फ उनके दोपहर का भोजन तैयार किया उतने समय में मूर्तिकारों ने यह अखंड नागलिंग का सर्जन किया था। पर्यटक उस बात से मूर्तिकारों की ताकत और महानता का अंदाजा लगा सकते है।
The Hanging Pillar
आपको बतादे की Lepakshi Temple pillar (लेपाक्षी मंदिर स्तंभ) से पुरे देश में चर्चित और प्रसिद्ध है। उसका प्रमुख श्रेय लेपाक्षी मंदिर का हैंगिंग पिलर है। वह सबसे अजीबोगरीब और रहस्यमई चीजों में से एक है। हैंगिंग पिलर मुख्य हॉल में अलग शिव और पार्वती के विवाह का स्वागत हॉल में है। लेपाक्षी मंदिर के 70 स्तंभों में स्तंभ मंदिर के निर्माताओं को सलामी है। क्योकि आज भी लेपाक्षी मंदिर का रहस्य बना हुआ है। वह छत से तो लगा है मगर जमीन में टच नही करता है। एक ब्रिटिश इंजीनियर ने स्तंभ को मूल स्थिति से हटाने की कोशिश की थी। लेकिन इंजीनियर सफल नहीं हुआ था। यात्री रहस्य को साबित करने के लिए नीचे से कपड़े उतारते हैं।

Lepakshi Saree Designs
लेपाक्षी साड़ी डिजाइन की बात बताये आप जिस समय भी यह भव्य मंदिर की यात्रा में आपको स्तंभों पर उकेरी गई सुंदर लेपाक्षी साड़ी डिजाइनों भी देखने का मौका मिलता है। यह मंदिर की साड़ी डिजाइन शानदार नक्काशीदार बनावट है। जो भारतीय कार्वर के हाथों में रचनात्मकता का एक प्रतीक माना जाता है। आप यह चीज को देख आश्चर्यचकित हो जायेंगे।
Durga Padam or the footprint of Maa Sita
दुर्गा पदम या मां सीता के पदचिह्न (Lepakshi Temple footprint) लेपाक्षी मंदिर के प्रमुख आकर्षण में से एक है। लेपाक्षी मंदिर आकर्षणों के कारण प्रसिद्ध है। उसमे दुर्गा पदम या माता सीता के पदचिन्ह स्थान को और पवित्र बनाता है। हिन्दू धर्म ग्रन्थ के मुताबिक रावण ने जब माता सीता का अपहरण किया उस समय लंका जाते समय उस समय मां सीता के पदचिह्न यहाँ अंकित हुए थे।
Lepakshi Hotels
अगर पर्यटक लेपाक्षी मंदिर की यात्रा में कहाँ रुके का सवाल करते है। तो बतादे की आंध्र प्रदेश में अनंतपुर जिले के छोटे से कस्बे में स्थित लेपाक्षी मंदिर रुकने के लिए ज्यादा उपलब्धि नहीं है। आपको अपने परिवार और दोस्तों के साथ घूमने के बाद आपको नजदीकी बड़े शहर में आपको होटल और गेस्ट हाउस उपलब्ध होते है। उसके लिए आपको सर्च करना जरुरी है।

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How to Reach Lepakshi Temple
ट्रेन से लेपाक्षी मंदिर कैसे पहुंचे
How to Reach Lepakshi Temple by Train – लेपाक्षी मंदिर या गांव के लिए कोई सीधा जंक्शन नहीं है। लेपाक्षी का निकटतम रेलवे स्टेशन लेपाक्षी से 12 किमी दूर हिंदूपुर रेलवे स्टेशन है। वहा से आप लेपाक्षी पहुँचने के लिए बस, केब या टैक्सी ले सकते हैं। जिसकी सहायता से आप बहुत आसानी से लेपाक्षी मंदिर की यात्रा पर जा सकते है।
सड़क मार्ग से लेपाक्षी केसे पहुचें
How to Reach Lepakshi Temple by Raod – लेपाक्षी मंदिर हिंदूपुर के माध्यम से आंधप्रदेश और भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। परिवहन में बस सेवाएं उसमे मुख्य हैं। हिंदूपुर में उतरने के बाद पर्यटक टैक्सी या बसों चुन सकते हैं। हैदराबाद राजमार्ग NH 44 पर कोडिकोंडा चेकपोस्ट पर पश्चिम की ओर मुड़ता है। लेपाक्षी हिंदूपुर से 14 किमी दूर हैं।
फ्लाइट से लेपाक्षी मंदिर केसे जायें
How to Reach Lepakshi Temple by Flight –
लेपाक्षी के लिए कोई सीधी कोई फ्लाइट नही है। लेकिन लेपाक्षी गाँव का नजदीकी एयरबेस बैंगलोर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। वह 100 किमी दूर एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। जो देश के कई प्रमुख शहरों के साथ अच्छे से जुड़ा हुआ है। फ्लाइट से उतरने के बाद लेपाक्षी पहुंचने के लिए बस, केब या टैक्सी ले सकते हैं।

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Lepakshi Temple Map लेपाक्षी मंदिर का लोकेशन
Lepakshi Temple History in Hindi Video
Interesting Facts About Lepakshi Temple
- यह मंदिर भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान विभद्र को समर्पित है।
- आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थापित लेपाक्षी मंदिर 70 खंभों पर खड़ा है।
- लेपाक्षी मंदिर पिछले कई सालों से वैज्ञानिकों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।
- पहाड़ी पर होने के कारण इस मंदिर को कूर्म सैला भी कहा जाता है।
- सुप्रसिद्ध श्री वीरभद्र स्वामी मंदिर पुरातात्विक और कलात्मक वैभव का आकर्षण है।
- मान्यता के मुताबिक मंदिर का निर्माण अगस्त्य ऋषि ने करवाया था।
- लेपाक्षी में बलवान मंदिर में स्थित नंदी की मूर्ति भारत की सबसे बड़ी अखंडित मूर्ति है।
FAQ
Q .लेपाक्षी मंदिर कहाँ है?
आंध्र प्रदेश के अनंतपुर के लेपाक्षी गांव में लेपाक्षी मंदिर स्थित है।
Q .लेपाक्षी मंदिर कहां पर स्थित है?
आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के लेपाक्षी गांव में लेपाक्षी मंदिर है।
Q .आंध्र प्रदेश में अनंतपुर जिला किसके लिए प्रसिद्ध है?
श्री सत्य साईं बाबा का जन्मस्थान अनंतपुर आंध्र प्रदेश का सबसे पश्चिमी जिला है
Q .लेपाक्षी मंदिर किस राज्य में है?
आंध्र प्रदेश
Q .लेपाक्षी मंदिर हैंगिंग पिलर क्या है?
लेपाक्षी मंदिर में हैंगिंग पिलर एक रहस्य है।
Conclusion
आपको मेरा Lepakshi Temple History बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा।
लेख के जरिये Lepakshi Temple built by, Veerabhadra swamy,
Lepakshi Temple location और Famous temple in andhra pradesh से सबंधीत सम्पूर्ण जानकारी दी है।
अगर आपको किसी जगह के बारे में जानना है। तो कहै मेंट करके जरूर बता सकते है।
हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।
Note
आपके पास Who built Lepakshi Temple, अनंतपुर आंध्र प्रदेश मंदिर या
आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिर की जानकारी हैं।
या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे / तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है।
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