Kumbhalgarh Fort History In Hindi – कुम्भलगढ़ किला इतिहास हिंदी में

Kumbhalgarh Fort मेवाड़ के प्रसिद्ध किलो में से एक है, जो अरावली पर्वत पर स्थित है। यह किला भारत के पश्चिम में राजस्थान के उदयपुर जिले के राजसमंद में स्थित है

यह एक वर्ल्ड हेरिटेज साईट है जो राजस्थान की पहाडियों में स्थित है। इसका निर्माण 15 वी शताब्दी में राणा कुम्भ ने किया था, कुम्भलगढ़ महान शासक महाराणा प्रताप की जन्मभूमि भी है

एशिया की दूसरी लम्बी दीवार कुम्भलगढ़ किला – Long wall Kumbhalgarh Fort

महाराणा प्रताप मेवाड़ के महान शासक और वीर योद्धा थे। जिनका 19 वी शताब्दी तक किले पर कब्ज़ा था, लेकिन आज यह किला सामान्य लोगो के लिये भी खुला है। kumbhalgarh fort to udaipur से रोड वाले रास्ते से 82 किलोमीटर दूर है।

चित्तोडगढ के बाद मेवाड़ के मुख्य किलो में यह भी शामिल है। मेवाड़ के सबसे बेहतरीन और प्रसिद्ध किलो में कुम्भलगढ़ किले की गिनती की जाती है।

 किले का नाम  कुम्भलगढ़
 किसने निर्माण करवाया  राणा कुम्भा
 कब निर्मित हुआ   1458 ईस्वी में
 क्यों प्रसिद्ध हैं?  विस्तृत दीवार एवं गौरवशाली इतिहास के कारण
 किले में कुल मंदिर  364
 किले की दीवार की लम्बाई   36 किमी 

Table of Contents

किसने बनाया कुम्भलगढ़किला – Who built Kumbhalgarh Fort

राणा कुंभा ने सन 1458 में कुम्भलगढ़ बनवाया था, इसीलिए इसका नाम कुम्भलगढ़ हैं. किले का निर्माण अशोक के पोते जैन राजा सम्प्रति के खंडरों पर हुआ था| 

राणा कुम्भा सिसोदिया वंश के राजा थे उन्होंने वास्तुकार मंदान को किले की वास्तुकला निर्धारित करने का काम सौंपा था. इसे बनाने में लगभग 15 वर्ष लगे थे. राणा कुम्भा का साम्राज्य मेवाड़ से ग्वालियर तक फैला हुआ था |

Kumbhalgarh Fort History In Hindi - कुम्भलगढ़ किला इतिहास हिंदी में
Kumbhalgarh Fort History In Hindi – कुम्भलगढ़ किला इतिहास हिंदी में

अपने राज्य को सुरक्षित करने के लिए राणा कुंभा ने कुम्भलगढ़ किले के अतिरिक्त 31 अन्य किले भी बनवाए थे, जबकि एक अन्य तथ्य के अनुसार उन्होंने अपने पूरे साम्राज्य में कुल 84 किले बनवाये थे.

मेवाड़ के प्रसिद्ध कुम्भलगढ़ किला – Famous Kumbhalgarh Fort of Mewad

2013 मे, कंबोडिया के पेन्ह में आयोजित वर्ल्ड हेरिटेज कमिटी के 37 वे सेशन में कुम्भलगढ़ किले के साथ-साथ राजस्थान के दुसरे बहुत से किलो को भी वर्ल्ड हेरिटेज साईट घोषित किया गया। यूनेस्को ने राजस्थान के किलो की सूचि में इसे शामिल किया है।

किले की 36 किलोमीटर की दीवार के साथ, यह किला ग्रेट वॉल ऑफ़ चाइना के बाद यह सबसे विशाल दीवार वाला दूसरा किला है और चित्तौड़गढ़ किले के बाद यह राजस्थान के बाद दुसरा सबसे बड़ा किला है।

कुम्भलगढ़ किले का इतिहास – Kumbhalgarh Fort History

इस किले के इतिहास को लेकर प्रयाप्त जानकारी उपलब्ध ना होने के कारण हम इस किले के इतिहास को लेकर ज्यादा कुछ नही कह सकते। कहा जाता है की इस किले का प्राचीन नाम मछिन्द्रपुर था, जबकि इतिहासकार साहिब हकीम ने इसे माहौर का नाम दिया था।

माना जाता है की वास्तविक किले का निर्माण मौर्य साम्राज्य के राजा सम्प्रति ने छठी शताब्दी में किया था। 1303 में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण करने से पहले का इतिहास आज भी अस्पष्ट है।

आज जिस कुम्भलगढ़ किले को देखते है उसका निर्माण हिन्दू सिसोदिया राजपूतो ने करवाया और वही कुम्भ पर राज करते थे। आज जिस कुम्भलगढ़ को हम देखते है उसे प्रसिद्ध आर्किटेक्ट एरा मदन ने विकसित किया था और अलंकृत किया था।

राणा कुम्भ का मेवाड़ साम्राज्य रणथम्बोर से ग्वालियर तक फैला हुआ है जिनमे मध्यप्रदेश राज्य का कुछ भाग और राजस्थान भी शामिल है। कुल 84 किले उनके अधिराज्य में थे, कहा जाता है की राणा कुम्भ ने उनमे से 32 किलो को डिजाईन किया था।

कुम्भलगढ़ ने मेवाड़ और मारवाड़ को भी अलग-अलग किया है और उस समय मेवाड़ के शासको द्वारा इन किलो का उपयोग किया जाता था। एक प्रसिद्ध घटना यहाँ राजकुमार उदय को लेकर घटित हुई थी, 1535 में इस छोटे राजकुमार की यहाँ तस्करी की गयी थी, उस समय चित्तोड़ घेराबंदी में था।

बाद में राजकुमार उदय ने ही उदयपुर शहर की स्थापना की थी। इसके बाद यह किला सीधे हमले के लिये अभेद्य ही रहा और एक बाद पानी की कमी की वजह से ही किले को थोड़ी क्षति पहुची थी।

अम्बेर के राजा मान सिंह, मारवाड़ के राजा उदय सिंह, मुघल सम्राट अकबर और गुजरात में मिर्ज़ा के लिये पानी की कमी को पूरा करने की वजह से यहाँ पानी की कमी आयी थी।

Kumbhalgarh Fort History In Hindi - कुम्भलगढ़ किला इतिहास हिंदी में
Kumbhalgarh Fort History In Hindi – कुम्भलगढ़ किला इतिहास हिंदी में

गुजरात के अहमद शाह प्रथम ने 1457 में किले पर आक्रमण किया था लेकिन उनकी कोशिश व्यर्थ गयी। स्थानिक लोगो का ऐसा मानना है की किले में स्थापित बनमाता देवी ही किले की रक्षा करती है और इसीलिए अहमद शाह प्रथम किले को तोडना चाहता था।

इसके बाद 1458-59 और 1467 में महमूद खिलजी ने किले पर आक्रमण करने की कोशिश की थी लेकिन वह भी असफल रहा। कहा जाता है की 1576 से किले पर अकबर के जनरल शब्बाज़ खान का नियंत्रण था।

1818 में सन्यासियों के समूह ने किले की सुरक्षा करने का निर्णय लिया था लेकिन फिर बाद में किले पर मराठाओ ने अधिकार कर लिया था।

इसके बाद किले में मेवाड़ के महाराणा ने कुछ बदलाव भी किये थे लेकिन वास्तविक किले का निर्माण महाराणा कुम्भ ने ही किया था। times kumbhalgarh fort resort और बाद में किले की बाकी इमारतो और मंदिर की सुरक्षा भी की गयी थी।

कुम्भलगढ़ किले की संस्कृति – Culture of Kumbhalgarh Fort

राजस्थान पर्यटन विभाग हर साल महाराणा कुम्भ की याद में तीन दीन एक विशाल महोत्सव का आयोजन कुम्भलगढ़ में करता है। तीन दिन के इस महोत्सव में किले को रौशनी से सजाया जाता है। इस दौरान नृत्य कला, संगीत कला का प्रदर्शन भी स्थानिक लोग करते है।

इस महोत्सव में दूसरी बहुत सी प्रतियोगिताओ का भी आयोजन किया जाता है जैसे की किला भ्रमण, पगड़ी बांधना, युद्ध के लिये खिंचा तानी और मेहंदी मांडना इत्यादि।

राजस्थान के छः किले मुख्यतः आमेर का किला, चित्तोडगढ किला, जैसलमेर किला, कुम्भलगढ़ किला और रणथम्बोर किले को जून 2013 में पेन्ह में आयोजित वर्ल्ड हेरिटेज साईट की 37 वी मीटिंग में इन्हें यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साईट में शामिल किया गया था।

राजपूताने की शान के नाम से मशहूर कुम्भलगढ़ किले से एक तरफ सैकड़ो किलोमीटर में फैले अरावली पर्वत श्रृंखला की हरियाली दिखाई देती हैँ जिनसे वो घिरा हैँ, वहीँ दूसरी तरफ थार रेगिस्तान के रेत के टीले भी दिखते हैँ।

कहा जाता है की कुम्भलगढ़ किले को देश का सबसे मजबूत दुर्ग माना जाता है जिसे आज तक सीधे युद्ध में जीतना नामुमकिन है। गुजरात के अहमद शाह से लेकर महमूद ख़िलजी सभी ने आक्रमण किया लेकिन कोई भी युद्ध में इसे जीत नही सका।

कुम्भलगढ़ किले की 36 किमी लम्बी दीवार – Kumbhalgarh Fort Wall Length

अगर चीन की 22000 किलोमीटर लंबी महान दीवार से तुलना की जाए तो कुंभलगढ़ की 36 किलोमीटर लंबी दीवार कुछ ज्यादा बड़ी नहीं लगती पर असल में यह दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार है। यह भारत की महान दीवार के नाम से प्रसिद्ध है।

Kumbhalgarh Fort History In Hindi - कुम्भलगढ़ किला इतिहास हिंदी में
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कुंभलगढ़ की विशाल दीवार की चौड़ाई इतनी है कि इसमें 8 घोड़ों एक साथ बराबर खड़े हो कर गुज़र सकते हैं।

यह किला अधिकतर वीरान और खंडहर जैसा है। यह चित्तौड़गढ़ और जयपुर के किलों की तरह आलीशान या खूबसूरत नहीं है। पर यहां की महान दीवार पर्यटकों को इस किले की तरफ खींच लाती है।

कुम्भलगढ़ किले के अंदर के मुख्य स्मारक – Main monuments inside Kumbhalgarh Fort

  • राणा कुम्भा महल :

राणा कुंभा महल पर राजपूत शैली का प्रभाव साफ दिखाई पड़ता है। यहां का कमरा बहुत ही छोटा, अंधेरे में घिरा हुआ और साधारण सा लगता है जिससे ऐसा प्रतीत होता है जैसे इसे केवल किसी को शरण देने के लिए बनाया गया था| | 

किसी आरामदायक जगह के रूप में नहीं। पाघरा पोल से होते हुए पर्यटक राणा कुंभा महल तक पहुंच सकते हैं।

  • बादल महल :

बादल महल का निर्माण राणा फतेह सिंह द्वारा करवाया गया जिन्होंने 1885 से 1930 तक राज किया। यह दो मंजिला महल है और यहां एक बरामदा जनाना महल और मर्दाना महल को अलग करता है।

यहां की दीवारों को 19वीं शताब्दी के चित्रों से सजाया गया है।यहां एक संकरी सी सीढ़ी है जिससे किले की छत पर जाया जा सकता है।

  • सात विशाल द्वार :

कुंभलगढ़ के मुख्य किले में आप सात बड़े द्वारों (या पोल) में से गुजरकर पहुंच सकते हैं। जैसे-जैसे आप मुख्य किले की तरफ बढ़ते हैं आगे आने वाले द्वार पहले से छोटे होते जाते हैं

इन द्वारों को इस प्रकार से बनाया गया था ताकि एक सीमा के बाद हाथी और घोड़े किले के अंदर प्रवेश ना कर सकें।

  • कुंभलगढ़ का बली मंदिर :

ऐसा माना जाता है कि जब राणा कुंभा महल को मजबूत बनाने की कोशिश में लगे थे तब इसकी दीवार बार- बार ढह जाती थी। तब एक साधु ने ये सुझाव दिया कि दुर्गा मां के सामने किसी राजपूत का बलिदान देने से महल को मजबूत बनाने का कार्य सुनिश्चित होगा।

  • गणेश मंदिर :
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गणेश मंदिर को किले के अंदर बने सभी मंदिरों में सबसे प्राचीन माना जाता है, जिसको 12 फीट (3.7 मीटर) के मंच पर बनाया गया है। इस किले के पूर्वी किनारे पर 1458 के दौरान निर्मित नील कंठ महादेव मंदिर स्थित है।

  • वेदी मंदिर :
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राणा कुंभा द्वारा निर्मित वेदी मंदिर हनुमान पोल के पास स्थित है, जो पश्चिम की ओर है। वेदी मंदिर एक तीन-मंजिला अष्टकोणीय जैन मंदिर है जिसमें छत्तीस स्तंभ हैं, जो राजसी छत का समर्थन करते हैं। बाद में इस मंदिर को महाराणा फतेह सिंह द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था।

  • पार्श्वनाथ मंदिर :
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पार्श्वनाथ मंदिर (1513 के दौरान निर्मित) पूर्व की तरफ जैन मंदिर है

और कुंभलगढ़ किले में बावन जैन मंदिर और गोलरा जैन मंदिर प्रमुख जैन मंदिर हैं

  • बावन देवी मंदिर :
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बावन देवी मंदिर का नाम एक ही परिसर में 52 मंदिरों से निकला है। इस मंदिर के केवल एक प्रवेश द्वार है। बावन मंदिरों में से दो बड़े आकार के मंदिर हैं जो केंद्र में स्थित हैं। बाकी 50 मंदिर छोटे आकार के हैं।

कुम्भलगढ़ किले की जानकारी – Information about Kumbhalgarh Fort

इस किले के चारो ओर सुद्रढ़ प्राचीर हैं, जो पहाडियों की ऊँचाई से मिइसके लिए एक राजपूत सैनिक स्वयं आगे आया।

(कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि वह साधु ही स्वयं बलिदान के लिए आगे आए थे) विधि अनुसार उसका सर धड़ से अलग कर दिया गया और जिस जगह पर जाकर उसका सर गिरा वहां पर एक वेदी मंदिर का निर्माण किया गया।

एक ऊंची जगह पर बनाए गए इस वेदी मंदिर में 36 अष्टकोण आकार के स्तंभ हैं।

किले के परिसर में 364 मंदिर हैं।ला दी गई हैं. प्राचीरों की चौड़ाई सात मीटर हैं. इस किले में प्रवेश द्वार के अतिरिक्त कहीं से भी घुसना संभव नहीं हैं. प्राचीर की दीवारे चिकनी और सपाट हैं. और जगह जगह पर बने बुर्ज इसे सुद्रढ़ता प्रदान करते हैं.

कुम्भलगढ़ के भीतर ऊँचाई पर एक लघु दुर्ग हैं. जिसे कटारगढ़ कहा जाता हैं. यह गढ़ सात विशाल दरवाजों और सुद्रढ़ दीवार से सुरक्षित हैं. कटारगढ़ में कुम्भा महल, सबसे ऊपर सादगीपूर्ण हैं.

किले के भीतर कुम्भस्वामी का मंदिर, बादल महल, देवी का प्राचीन मंदिर, झाली रानी का महल आदि प्रसिद्ध इमारतें हैं.हल्दीघाटी के युद्ध से पूर्व महाराणा प्रताप ने कुम्भलगढ़ में ही रहकर युद्ध सम्बन्धी तैयारियां की थी. तथा युद्ध के बाद कुम्भलगढ़ को ही अपना निवास स्थान बनाया था.

जैन राजा संप्रति, जो कि सम्राट अशोक के पौत्र थे, की जमीन पर इस किले का निर्माण हुआ। शायद इसलिए ही किले के अंदर के 364 मंदिरों में से 300 जैन मंदिर हैं।

किले के निर्माण-कार्य से जुड़े अन्य रोचक तथ्य – Construction of Kumbhalgarh Fort

ऐसा माना जाता हैं की वास्तव में राणा कुम्भा ने कुम्भलगढ़ नहीं बनाया था किले के 15 वी शताब्दी के पहले से होने के प्रमाण मिले हैं. साक्ष्यों के अनुसार प्रारम्भिक किला मौर्य काल के राजा सम्प्रति ने 6ठी शताब्दी में बनवाया था | 

इसका नाम मचिन्द्रपुर रखा था. तत्कालीन किला राणा कुंभा ने बनवाया हैं.किले को बनाने की शुरुआती प्रक्रिया बेहद मुश्किल थी, इसकी दीवार बनने से पहले ही गिर गयी थी. इसके बाद एक साधु की सलाह पर मेहर बाबा नाम के व्यक्ति की मानव बलि दी गयी थी.

पारम्परिक तौर पर उसके सर को धड से अलग किया गया, जहां उनका सर अलग हो गया और लुढ़ककर जहाँ जाकर रुका वहां पर मंदिर का निर्माण करवाया गया और जहाँ पर धड गिरा था वहां पर दीवार का काम शुरू करवाया गया.

19 वीं शताब्दी के अंत में राणा फ़तेह सिंह ने इस गढ़ का पुनरुत्थान करवाया था, किले के इतिहास में मेवाड़ी शासकों के संघर्ष और शासन से जुडी कई कहानियाँ हैं .

राणा कुम्भा एवं कुम्भलगढ़ – Rana Kumbha and Kumbhalgarh Fort

राणा कुम्भा के पास बहुत सारे तेल के लैंप थे जिसे वो हर शाम को लगाते थे, इसके पीछे उनका उद्देश्य किले के नीचे काम कर रहे किसानों तक रोशनी पहुंचाना था.

हालांकि ये भी माना जाता हैं कि जोधपुर की रानी को इन लाइट्स और राणा कुम्भा के प्रति बहुत आकर्षण हो गया था और वो कुम्भलगढ़ किले तक आ गयी थी लेकिन कुम्भा ने इस असहज स्थिति को सहज करते हुए उन्हें अपनी बहिन का सम्मान दिया था.

राणा कुम्भा जब 1468 में प्रार्थना कर रहे थे तब उनके बेटे उदय सिंह प्रथम ने उन्हें मार दिया था, हालांकि उनकी हत्या कुम्भलगढ़ किले में नहीं की गयी थी, बल्कि चित्तोड़ के एकलिंग जी मंदिर में की गयी थी, लेकिन कुम्भलगढ़ अपने निर्माता की हत्या का साक्षी रहा था.

कुम्भलगढ़ किले पर हुए आक्रमण – Invasion of Kumbhalgarh Fort

बहुत सारे युद्ध के साक्षी रहे इस गढ़ को भेदना आसान नहीं रहा हैं. राजपूत राजाओं ने खतरे की स्थिति में कई बार किले के महलों में शरण ली थी. अल्लाउदीन खिलजी ने किले पर आक्रमण किया था| 

इसके बाद दूसरा आक्रमण गुजरात के अहमद शाह ने किया था लेकिन उसे असफलता मिली थी. अहमद शाह ने बनमाता मंदिर को ध्वस्त कर दिया था हालांकि ये भी माना जाता हैं कि देवताओं ने किले को आक्रमण और क्षति से बचाया था

Kumbhalgarh Fort History In Hindi - कुम्भलगढ़ किला इतिहास हिंदी में
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महमूद खिलजी ने 1458, 1459 और 1467 में किले पर आक्रमण किया लेकिन वो किला जीत नहीं सका था. अकबर, मारवाड़ के राजा उदय सिंह, आमेर के राजा मान सिंह और गुजरात के मिर्ज़ा ने भी किले पर आक्रमण किया था |

राजपूतों ने पानी की कमी के कारण समर्पण कर दिया था. वास्तव में कुम्भलगढ़ किले ने केवल एक युद्ध में हार का सामना किया था जिसके पीछे पानी की कमी होना कारण था, ये माना जाता हैं कि 3 बागबानों ने किले के साथ विश्वासघात किया था kumbhalgarh fort resort

अकबर का सेनापति शाहबाज खान ने किले को अपने नियन्त्रण में ले लिया था , 1818 में मराठो ने किले पर कब्जा कर लिया.

कुम्भलगढ़ किले के इतिहास से जुड़े किस्से और कहानियाँ 

1535 में जब चित्तौड़गढ़ किले पर मुगलों का आधिपत्य हो गया तब राणा उदय सिंह काफी छोटे थे उस समय उन्हें कुम्भलगढ़ किले लाया गया था और यहाँ पर उदय सिंह को सुरक्षित रखा गया था.

पन्नाधाय ने अपने बच्चे का बलिदान देकर राजवंश की रक्षा की थी, उदय सिंह ही वो राजा थे जिन्होंने उदयपुर को बसाया था.किले में लाखो टैंक भी हैं जिसे राणा लाखा ने बनवाया था.

किले में एक सुंदर महल भी हैं जिसका नाम “बादल महल” हैं, जिसे बादल का महल भी कहा जाता हैं. यहाँ पर महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था.

कुम्भलगढ़ किले की विशेषताएं – Features of Kumbhalgarh Fort

कुम्भलगढ़ किला राजस्थान में चित्तौडगढ़ के बाद दूसरा सबसे बड़ा किला हैं,ये उदयपुर से 64 किलोमीटर दूर राजसमंद जिले में पश्चिमी अरावली की पहाड़ियों में स्थित हैं.

13 पहाड़ियों पर बना किला समुन्द्र तल से 1914 मीटर ऊँचा हैं. किले की लंबाई 36 किलोमीटर हैं जिसके कारण इसने अंतर्राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया हैं. किले की दीवार 38 किलोमीटर तक फैली हुयी हैं. किले की दीवार इतनी चौड़ी हैं कि इस पर 8 घोड़े एक साथ खड़े हो सकते हैं.

किले में सात दरवाजे हैं, किले में बहुत से महल, मंदिर और उद्यान हैं जो इसे आकर्षित बनाते हैं. किले में 360 से ज्यादा मंदिर हैं, इन सब में शिव मंदिर सबसे महत्वपूर्ण हैं जिसमें एक बहुत बड़ा शिवलिंग हैं.

यहाँ बहुत से जैन मंदिर भी हैं, किले में स्थित जैन और हिन्दू मन्दिर उस समय के राजाओं की धार्मिक सहिष्णुता को दिखाते हैं कि कैसे उन्होंने ध्रुवीकरण करते हुए जैन धर्म को भी राज्य में प्रोत्साहान दिया था.

कुम्भलगढ़ किले के रास्ते में घुमावदार सड़क आती हैं और आस-पास गहन जंगल दिखाई देता हैं, ये रास्ता अरैत पोल में खुलता हैं जहां से वाच- टावर और हुल्ला पोल, हनुमान पोल, राम पोल, भैरव पोल, पघारा पोल, तोप-खाना पोल और निम्बू पोल रस्ते में आते हैं.

कुम्भलगढ़ किला राजस्थान के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में से एक हैं, यहाँ प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ ऐतिहासिक जानकारी भी पर्यटकों को आकर्षित करती हैं.

कुंभलगढ़ किले के पास के 10 प्रमुख पर्यटन स्थल – 10 major tourist places near Kumbhalgarh Fort

kumbhalgarh fort rajasthan का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जो अपने इतिहास और आकर्षण की वजह से राजस्थान में सबसे ज्यादा घूमी जाने वाली जगहों में से एक हैं।

वैसे तो कुंभलगढ़ किले में घूमने लायक कई जगह है लेकिन इस लेख में हम आपको कुंभलगढ़ किले के पास उदयपुर में घूमने की 10 अच्छी जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं।

  • बागोर की हवेली :

बागोर की हवेली पिछोला झील के पास स्थित कुंभलगढ़ किले के पास के सबसे खास पर्यटन स्थलों में से एक है। इस हवेली का निर्माण 18 वीं शताब्दी में मेवाड़ के शाही दरबार में मुख्यमंत्री अमीर चंद बड़वा द्वारा किया गया था।

इसके बाद यह हवेली वर्ष 1878 में बागोर के महाराणा शक्ति सिंह का निवास स्थान बन गई जिसकी वजह से इसका नाम बागोर की हवेली पड़ा। इस हवेली को संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है जो मेवाड़ की संस्कृति को प्रस्तुत करता है|

यहां के एंटीक संग्रह में राजपूतों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले कई सामान जैसे कि आभूषण बक्से, हाथ के पंखे, तांबे के बर्तन शामिल हैं। इस विशाल संरचना में 100 से अधिक कमरे हैं

 यह अपनी वास्तुकला की अनूठी शैली के साथ शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। अगर आप कुंभलगढ़ किले या उदयपुर की यात्रा करने जा रहे हैं तो इस पर्यटन स्थल को देखने के लिए जरुर जाएँ।

  • सहेलियों की बारी :

सहेलियों की बारी का निर्माण संग्राम सिंह द्वारा रानी और उनकी सहेलियों को उपहार के रूप में करवाया गया था। राजा ने स्वयं इस बगीचे को डिजाइन किया और इसे एक आरामदायक जगह बनाने का प्रयास किया,

जहां रानी अपने 48 सहेलियों के साथ आराम कर सकती थी। यह गार्डन आज भी कई मायनों में अपने उद्देश्य को पूरा करता है और शहर की भीड़ भाड़ से बचने के लिए लोग इस स्थान पर आते हैं। यह कुंभलगढ़ किले के पास और उदयपुर में घूमने वाली सबसे अच्छी जगहों में से एक है।

  • मोती मगरी :

मोती मगरी फतेह सागर झील की एक अनदेखी पहाड़ी की चोटी पर स्थित है जिसका निर्माण महाराणा प्रताप और उनके प्रिय घोड़े चेतक की स्मृति में एक श्रद्धांजलि करवाया गया है।

यहां जगह आपको कई आकर्षक दृश्यों को देखने के लिए लुकआउट प्वाइंट प्रदान करता है। अगर आप महाराणा प्रताप से जुड़ी घटनाओं की आश्चर्यजनक विरासत को जानना चाहते हैं तो मोती मगरी की यात्रा जरुर करें।

मोती मगरी फतेह कुंभलगढ़ किले के पास के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है जहां आपको एक बार जरुर जाना चाहिए।

  • शिल्पग्राम :

शिल्पग्राम लगभग लगभग 70 एकड़ भूमि में फैला हुआ और अरावली पर्वतमाला की गोद में स्थित राजस्थान की पारंपरिक कला और शिल्प को बढ़ावा देने के लिए लिए स्थापित एक एक ग्रामीण कला और शिल्प परिसर है।

यह स्थान कई कारीगरों को रोजगार देता है और कई सांस्कृतिक त्योहारों का एक केंद्र है, जो इस स्थान पर नियमित रूप से आयोजित किये जाते हैं।

यहाँ का एक अन्य प्रमुख आकर्षण ओपन एयर एम्फीथिएटर है जो कई कला उत्सवों के लिए केंद्र का काम करता है। अगर आप ग्रामीण जीवन की सादगी का अनुभव करना चाहते हैं तो एक बार शिल्पग्राम को देखने के लिए जरुर जाएँ।

अगर उदयपुर घूमने के लिए आ रहे हैं तो आपको एक बार अगर आप कुंभलगढ़ किले को देखने के लिए आये हैं तो आपको उदयपुर के प्रमुख दर्शनीय स्थल शिल्पग्राम की सैर जरुर करना चाहिए।

  • कार संग्रहालय :

विंटेज कार संग्रहालय उदयपुर कुंभलगढ़ किले के पास घूमने की सबसे अच्छी जगहों में से एक है, जो मोटर और कार में दिलचस्पी करने वाले लोगों के लिए स्वर्ग के सामान है।

इस म्यूजियम का उद्घाटन फरवरी साल 2000 में किया गया था, जिसके बाद यह बहुत की लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गया। इस म्यूजियम में कई पुरानी कारों जैसे 1934 के रोल्स-रॉयस फैंटम जो बॉन्ड फिल्म ऑक्टोपुसी में इस्तेमाल हुई थी| 

 कई दुर्लभ रोल्स रॉयस मॉडल की कारों का घर है। यह स्थान आपको शहर की भीड़ से दूर लाकर एक शांतिपूर्ण वातावरण करवाता है।

  • लेक पैलेस :

लेक पैलेस उदयपुर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है इसके साथ ही कुंभलगढ़ किले के पास घूमने के सबसे अच्छे स्थानों में से एक है। यह एक प्रसिद्ध विवाह स्थल भी है जो उदयपुर शहर में वास्तुकला का एक चमत्कार है।

लेक पैलेस लेक पिछोला झील के द्वीप पर स्थित है जिसका निर्माण महाराणा जगत सिंह द्वितीय द्वारा 1746 में करवाया गया था और 1960 के दशक में इसको एक लक्जरी होटल में बदल दिया गया।

अब यह ताज लक्जरी रिसॉर्ट्स का एक हिस्सा है। इस शानदार होटल को कई हॉलीवुड और बॉलीवुड फिल्मों में भी दिखाया गया है।

  • फतेह सागर झील :

फतेह सागर झील उदयपुर शहर के उत्तर-पश्चिम में स्थित एक बहुत ही आकर्षक झील है, अगर आप कुंभलगढ़ किला घूमने के लिए आये हैं तो आपको इस झील को देखने के लिए भी अवश्य जाना चाहिए।

यह झील उदयपुर की दूसरी सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है, जो अपनी सुंदरता से पर्यटकों को मोहित करती है। इस झील के पास का शांत वातावरण यात्रियों को एक अद्भुद शांति का एहसास करवाता है।

फतेह सागर झील एक वर्ग किलोमीटर के में फैली हुई है जो तीन अलग अलग द्वीपों में विभाजित है, इसका सबसे बड़ा द्वीप नेहरु पार्क कहलाता है जिसपर एक रेस्तरां और बच्चों के लिए एक छोटा चिड़ियाघर भी बना हुआ है| 

जो एक पिकनिक स्पॉट के रूप में भी काफी प्रसिद्ध है। इस झील के दूसरे द्वीप में एक सार्वजानिक पार्क है जिसमें वाटर-जेट फव्वारे लगे हुए हैं और तीसरे में उदयपुर सौर वेधशाला स्थित है।

फतेह सागर झील शहर की खास झीलों में से एक होने की वजह से यहां पर्यटकों की काफी भीड़ रहती है। इस जगह पर लोग बोटिंग करना बेहद पसंद करते हैं।

  • जगदीश मंदिर :

जगदीश मंदिर उदयपुर के सिटी पैलेस परिसर में बना हुआ एक बहुत ही आकर्षक मंदिर है जो भगवान विष्णु के समर्पण में बनवाया गया है। इस मंदिर को लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से भी जानते हैं।

इस मंदिर को में सुंदर नक्काशी, कई आकर्षक मूर्तियाँ और यहाँ का शांति भरा माहौल पर्यटकों और तीर्थयात्रियों द्वारा सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है।

जो भी इंसान एक बार इस मंदिर में आता वो इसकी सुंदरता, वास्तुकला और भव्यता को देखकर हर कोई इसकी तरफ आकर्षित हो जाता है। कुंभलगढ़ किले के पास के अन्य पर्यटक स्थलों को भी देखना चाहते हैं तो इस मंदिर के दर्शन के लिए भी जरुर जाना चाहिए।

  • पिछोला झील :

पिछोला लेक एक मानव निर्मित झील है जिसको वाले एक आदिवासी पिच्छू बंजारा ने करवाया था। महाराणा उदय सिंह पिछोला झील की सुंदरता से मुग्ध थे इसलिए उन्होंने इस झील के किनारे उदयपुर शहर का निर्माण करवाया था।

पिछोला झील उदयपुर की सबसे बड़ी और पुरानी झीलों में से एक है। यह झील यहां आने वाले यात्रियों को अपनी सुंदरता और वातावरण से आकर्षित करती है। बड़ी पहाड़ों, इमारतों और स्नान घाटों से घिरा यह स्थान शांतिप्रिय लोगों के लिए स्वर्ग के सामान है।

उदयपुर के इस पर्यटन स्थल पर आप बोटिंग भी कर सकते हैं। शाम के समय यह जगह सुनहरे रंग में डूबी हुई दिखाई देती है। यहां का खूबसूरत दृश्य पर्यटकों को एक अलग ही दुनिया में ले जाता है।

पिछोला लेक परिवार के लोगों और दोस्तों के साथ घूमने की एक बहुत अच्छी जगह है। अगर आप कुंभलगढ़ किले को देखने के लिए उदयपुर शहर आये हैं तो इस पर्यटन स्थल को देखने जरुर जाएँ।

  • सिटी पैलेस :

सिटी पैलेस उदयपुर शहर में पिछोला लेक के किनारे स्थित एक शाही संरचना है जो उदयपुर शहर कुम्भगढ़ किले के पास घूमने की सबसे अच्छी जगहों में से एक है, सिटी पैलेस का निर्माण 1559 में महाराणा उदय सिंह ने करवाया था।

इस महल में महाराजा रहते थे और उनके उत्तराधिकारियों ने इस महल को और भी शानदार बना दिया और इसमें कई संरचनाएं जोड़ी। इस पैलेस में अब कमरे, आंगन, मंडप, गलियारे और छत्त शामिल है। इस जगह पर एक संग्राहलय भी स्थित है जो राजपुत कला और संस्कृति को प्रदर्शित करता है।

कुंभलगढ़ कैसे पहुंचें – How to reach Kumbhalgarh Fort

कुंभलगढ़ किला जाने के लिए उदयपुर निकटतम हवाई अड्डा है, जो कुंभलगढ़ से लगभग डेढ़ से दो घंटे की ड्राइव पर स्थित है। इसका निकटतम रेलवे स्टेशन फालना रेलवे स्टेशन है। कुंभलगढ़ रोड़ नेटवर्क द्वारा भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

हवाई जहाज से कुंभलगढ़ किला उदयपुर कैसे पहुंचे 

कुंभलगढ़ का निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर हवाई अड्डा है। जो कुंभलगढ़ से करीब 64 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से कुंभलगढ़ के लिए आप बस, टैक्सी या कार ले सकते हैं।

बस से कुंभलगढ़ किला उदयपुर कैसे पहुंचे – udaipur to kumbhalgarh 

उदयपुर की यात्रा सड़क मार्ग से यात्रा करना बहुत अच्छा साबित हो सकता है। क्योंकि शहर रोड नेटवर्क द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली, इंदौर, कोटा और अहमदाबाद अच्छी तरह कनेक्टेड है।

राजस्थान और उसके आसपास के सभी प्रमुख शहरों और कस्बों से कुंभलगढ़ के लिए बस सेवाएं आसानी से उपलब्ध हैं। बस के अलावा आप कार, टैक्सी या कैब किराए पर लेकर कुंभलगढ़ पहुंच सकते हैं

ट्रेन से कुंभलगढ़ किला उदयपुर कैसे पहुंचे – How to reach Kumbhalgarh Fort Udaipur

कुंभलगढ़ में अपना कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। इसका निकटतम रेलवे स्टेशन फालना रेलवे स्टेशन है, इसके अलावा विकल्प के रूप में उदयपुर रेलवे स्टेशन भी है। उदयपुर राजस्थान का एक प्रमुख शहर है जो रेल के विशाल नेटवर्क पर स्थित है।

यहां के लिए आपको भारत के सभी बड़े शहरों जयपुर, दिल्ली, कोलकाता, इंदौर, मुंबई और कोटा से आसानी से ट्रेन मिल जायेंगी। रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद आप टैक्सी या कैब और बस की मदद से कुंभलगढ़ पहुंच सकते हैं।

कुंभलगढ़ कब जाएं – When to reach Kumbhalgarh Fort

कुंभलगढ़ घूमने के लिए सर्दिकुम्भलगढ़ गर्मियों के दौरान गर्म और शुष्क जलवायु होती है इसलिए इस समय यहां की यात्रा करना काफी थकाऊ होता है। सर्दियों (अक्टूबर से फरवरी) में कुंभलगढ़ की यात्रा करने का अच्छा समय हैं,

क्योंकि यह मौसम दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए काफी अच्छा है। इस मौसम में वन्यजीव अभयारण्य में जंगली जानवरों को स्पॉट करने की संभावना भी बहुत ज्यादा होती है।यां यानी अक्टूबर से मध्य मार्च का समय सबसे बढ़िया है। राजस्थान में सर्दियों में मौसम सुहावना रहता है।

गर्मियों के मौसम में कुंभलगढ़ बहुत गर्म और शुष्क रहता है। इस मौसम में अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है इसलिए इस मौसम में यहां ना जाना ही बेहतर है।

हम कुंभलगढ़ मार्च के अंत में गए थे जब सुबह और शाम के दौरान मौसम सुहावना होता था पर दिन के वक्त गर्मी काफी बढ़ जाती थी।

कुंभलगढ़ दुर्ग प्रवेश शुल्क – Kumbhalgarh fort Entry Fee

भारतीय के लिए प्रवेश शुल्क 40 और विदेशियों के लिए 600 रु प्रवेश शुल्क है

लाइट और साउंड शो के लिए पर्यटकों को अलग से टिकट खरीदनी पड़ती है जिसकी कीमत है 100 रुपए ‌‌‌। यह शो सिर्फ हिंदी भाषा में प्रस्तुत किया जाता है।

कुम्भलगढ़ किले का समय – Kumbhalgarh fort Timings

पर्यटकों के लिए किला सुबह 9:00 बजे से लेकर शाम 6:00 बजे तक खुला रहता है।

पूरे किले को देखने में तकरीबन डेढ़ से 2 घंटे का समय लग सकता है।

Kumbhalgarh Fort Light And Sound Show शाम को तकरीबन 7:00 बजे या सूर्यास्त के समय शुरू होता है। अंधेरा होने से पहले यह शो शुरू नहीं होता।

लाइट एंड साउंड शो में विभिन्न प्रकार के लाइट इफेक्ट से कुंभलगढ़ किले पर रोशनी डाली जाती है जिसे संगीत और कुंभलगढ़ के इतिहास की जानकारी के साथ पेश किया जाता है।

राम पोल के नज़दीक कार और बस पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है। लाइट एंड साउंड शो के लिए टिकटें भी यहां से खरीदी जा सकती हैं।

किले की तरफ जाने वाला रास्ता काफी संकरा है और वहां पार्किंग की जगह की कमी है। इस वजह से कभी-कभी यहाँ ट्रैफिक जाम हो जाता है खासकर लाइट एंड साउंड शो के बाद।

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Written by Mehul Thakor