नमस्कार दोस्तों Konark Sun Temple In Hindi में आपका स्वागत है। आज के आर्टिकल में हम आपको कोणार्क के सूर्य मंदिर का इतिहास और कोणार्क के सूर्य मंदिर के बारे में संपूर्ण जानकारी बताने वाले है। भारत के ओडिशा से उत्तर पूर्व में 35 किलोमीटर दूर कोणार्क में भगवान सूर्य नारायण को समर्पित हिंदू मंदिर स्थित है। जो भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल है। प्राचीन समय से स्थित यह मंदिर को देखने के लिए कई पर्यटक आया करते है। जिसमे विदेशी सैलानी भी शामिल है।
हिंदू देवता सूर्य को समर्पित कोणार्क (Konark)का अर्थ Kona यानि कोना और Arka का मतलब सूर्य होता है। यह प्राचीन मंदिर को ब्लैक पैगोडा नाम से भी पहचाना जाना जाता है। उसका एक यही कारन है। की मंदिर का ऊंचा टॉवर काला दिखाइ देता है। Sun Temple Konark को 1984 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में यूनेस्को ने शामिल किया है। आज हम konark sun temple built by which dynasty की जानकारी बताने वाले है। तो चलिए कोणार्क सूर्य मंदिर का इतिहास बताना शुरू करते है।
Konark Sun Temple History In Hindi
सूर्य मंदिर का इतिहास बताये तो कोणार्क नाम संस्कृत के दो शब्दों से बना हुआ है। जैसे की कोना का अर्थ कोना एव अर्का का अर्थ सूर्य है। यह नाम यह स्थल की भौगोलिक स्थिति की वजह से पड़ा है। उसमे ऐसा लगता है जैसे सूर्य एक कोण पर उगता दिखाई देता है। 13वीं शताब्दी में बनाया गया था। प्राचीन कलिंग का ऐतिहासिक क्षेत्र वर्तमान में ओडिशा के प्रमुख हिस्से और छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के कई हिस्से शामिल थे।

5 वीं शताब्दी से 15 वीं शताब्दी के समय में यहाँ पूर्वी गंगा राजवंश के शासकों का शासन था। गंगा राजवंश भारत के सबसे शक्तिशाली राजवंशों में से एक था। उस शक्तिशाली राजवंश ने भारत में कोणार्क सूर्य मंदिर और पुरी जगन्नाथ मंदिर जैसे राजसी मंदिरों का निर्माण करवाया था। राजा नरसिंह देव प्रथम ने 1244 में सूर्य देव की पूजा के लिए कोणार्क मंदिर का निर्माण किया था। कोणार्क सूर्य मंदिर का वर्णन कई अलग अलग कई प्राचीन ग्रंथों में देखने को मिलता है।
Who Built Konark Surya Mandir
कोणार्क सूर्य मंदिर किसने बनवाया ? बतादे की राजा नरसिम्हदेव प्रथम ने 13 वीं शताब्दी में सूर्य मंदिर का निर्माण किया था। ब्राह्मण मान्यताओं के मुताबिक मंदिर का निर्माण 1238-1250 CE के समय में गंगा राजवंश के महाराजा ने करवाया था। चूंकि गंग वंश के शासक सूर्य की पूजा करते थे। उसी लिए कोणार्क सूर्य मंदिर को कलिंग शैली में बनाया गया है। मन्दिर में सूर्य देवता को रथ के रूप में विराजमान किया गया है। और पत्थरों को उत्कृष्ट नक्काशी के साथ उकेरा गया है।

कोणार्क के सूर्य मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
प्राचीन कथा के अनुसार श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब को श्राप से कोढ़ रोग हुआ था। सूर्यदेव उस रोग का निवारण कर दिया था। और साम्ब ने सूर्य देव को सम्मानित करने के लिए कोणार्क सूर्य मंदिर बनाया था। कई हिंदू शास्त्रों में कोणार्क को सूर्य की पूजा के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान के रूप में वर्णित किया गया है। कृष्ण के पुत्र सांबा ने सूर्य की पूजा करने के लिए मंदिर का निर्माण किया था। ऐसा माना जाता है कि सूर्य की पूजा सांबा द्वारा शुरू की गई थी।
Konark Sun Temple Timings
पर्यटकों के लिए कोणार्क सूर्य मंदिर का समय सुबह 6 से रात 8 बजे तक रहता है। और यह मंदिर सभी दिन खुला रहता है। कोणार्क सूर्य मंदिर का पता कोणार्क, ओडिशा 752111 है।
कोणार्क सूर्य मंदिर घूमने जाने का सबसे अच्छा समय
कोणार्क एक तटीय शहर है इसीलिए सर्दियों के दौरान उसे देखने का सबसे अच्छा समय है। सितंबर से मार्च के बीच मौसम बहुत सुहावना रहता है। मगर गर्मी से बचना चाहिए क्योंकि शहर गर्म और आर्द्र हो सकता है। आप अपना समय रथ पर नक्काशी की पेचीदगियों को देखने में बिताना चाहते हैं। तो धूप में खड़े रहना थकाऊ हो सकता है। यह सूर्य को समर्पित मंदिर होने के कारन यात्रा करने का सबसे अच्छा समय सुबह ही है।

Konark Sun Temple Architecture
यह मंदिर अपनी प्रभावशाली कलिंग वास्तुकला के लिए जाना जाता है। जिसमें एक ही पत्थर से तराशे गए घोड़ों और पहियों द्वारा खींचे जा रहे 100 फीट ऊंचे रथ का चित्रण शामिल है। स्मारक सूर्य भगवान के भव्य रथ को चित्रित करता है। खोंडालाइट चट्टानों से निर्मित, मूल मंदिर में 230 फीट ऊंचा गर्भगृह था। जो अब मौजूद नहीं है। 128 फीट ऊंचा दर्शक हॉल, डांस हॉल, डाइनिंग हॉल जो अभी भी जीवित है। 24 जटिल रूप से डिज़ाइन किए गए पहिये 12 फीट व्यास वाले हैं। जो घोड़ों द्वारा खींचे जाते हैं। ये सात घोड़े सप्ताह का प्रतिनिधित्व करते हैं। पहिए 12 महीनों के लिए खड़े होते हैं जबकि दिन-चक्र पहियों में आठ तीलियों का प्रतीक है।

यह पूरा चित्रण बताता है कि कैसे सूर्य द्वारा समय को नियंत्रित किया जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में सूर्य का बहुत ही उदाहरण है। जो अपने सारथी अरुणा द्वारा अनुरक्षित अपने रथ में पूर्व से यात्रा कर रहा है। प्रवेश द्वार क्लोराइट पत्थर से बने सूर्य के देवता के मंदिर की ओर जाता है। मंदिर की दीवारें हिंदू देवताओं सहित आकृतियों की नक्काशी, रोजमर्रा के नश्वर जीवन की छवियां, पक्षी, जानवर से सजी हुई है। मंदिर में तंत्र परंपरा से संबंधित शिखर पर कामुक मूर्तियां भी देखने को मिलती हैं। मंदिर के पहियों को धूपघड़ी के रूप में उपयोग किया जा सकता है और यह समय की बहुत अच्छी भविष्यवाणी कर सकता है।
कोणार्क सूर्य मंदिर की भव्यता
सूर्य मंदिर कोणार्क का रथ 100 फीट ऊंचा है। मगर रथ के बगल में एक बार 200 फीट ऊंचा शिखर था। अज्ञात कारणों से वर्षों से मंदिर के अधिकांश परिसर को नष्ट कर दिया गया है। और यही इसका अवशेष है। क्योकि मंदिर अब जो कुछ भी है। उसके खंडहरों में भी अपनी महिमा दिखाता है। राजा नरसिंह देव ने मूल रूप से मंदिर का निर्माण किया तब खूबसूरती में एक हजार गुना सुंदर होगा।

कोणार्क सूर्य मंदिर के नजदीकी पर्यटक स्थल
पर्यटकों को घूमने के लिए कोणार्क सूर्य मंदिर के साथ कोणार्क शहर के नजदीक प्रसिद्ध मंदिर, सुंदर समुद्र तट एव प्राचीन बौद्ध स्थल हैं। जो कोणार्क शहर जाते यात्रिओ के लिए एक प्रमुख आकर्षण केंद्र हैं। आप यहां रामचंडी मंदिर, बेलेश्वर, चंद्रभागा समुद्र तट, पिपली, ककटपुर, बालीघई और चौरासी जैसे कई पर्यटन स्थल घूम सकते हैं। हमने बताये सभी पर्यटक स्थल कोणार्क मंदिर से सिर्फ तीन से छे किलोमीटर दूर ही मौजूद स्थित हैं।

Mayadevi Temple Konark Sun Temple
मायादेवी मंदिर को 1909 में खुदाई के समय खोजा गया है। सूर्य मंदिर के पश्चिम में यह स्थित है। परिसर में महत्वपूर्ण मंदिर मायादेवी (सूर्य की पत्नी) को समर्पित है। यह 11 वीं शताब्दी के आसपास बने सूर्य मंदिर से भी पुराना है। मंदिर के गर्भगृह में एक नटराज और मंदिर के अन्य कक्षों में विष्णु, वायु, अग्नि के साथ सूर्य की मूर्तियाँ स्थापित हैं। यह सूर्य की पत्नी को समर्पित था।

कोणार्क में कहां रूकें Hotels Near Konark
पर्यटक कोणार्क की यात्रा के समय पर्यटक पुरी के होटलों में ठहर सकते हैं।
लेकिन यदि आप कोणार्क में एक या दो रात रुकना चाहते हैं।
तो ओटीडीसी द्वारा संचालित पंथनिवास एक अच्छा विकल्प है।
आप सूर्या इन या लोटस होटल (1.3 किमी), सूर्य मंदिर होटल से भी चुन सकते हैं।
यह कोणार्क बस स्टैंड के पास है।
एव मंदिर से सिर्फ एक किलोमीटर या रिज़ॉर्ट कोणार्क से केवल 8 किमी दूर है।
कोणार्क सूर्य मंदिर कैसे पहुंचे
ट्रेन से कोणार्क सूर्य मंदिर कैसे पहुंचे
कोणार्क मंदिर से निकटतम रेलवे स्टेशन पुरी और भुबनेश्वर रेलवे स्टेशन है। यह कोणार्क से पूरी 30 किमी और भुबनेश्वर 65 किमी दूर है। आप भुवनेश्वर से पुरी ट्रेन बुक कर सकते हैं। और फिर मंदिर तक पहुंचने के लिए टैक्सी ले सकते हैं। पुरी दक्षिण पूर्वी रेलवे का अंतिम प्वाइंट है। वह दोनों रेलवे स्टेशन से कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, बंगलौर और मुंबई के लिए ट्रेन मिलती है। वहां से आप टैक्सी या बस से कोणार्क पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग से कोणार्क सूर्य मंदिर कैसे पहुंचे
कोणार्क बस स्टैंड सूर्य मंदिर से 6 मिनट की दूरी पर है। आप पुरी से बस में सवार होकर एक घंटे में कोणार्क पहुंच सकते हैं। OSRTC और निजी ऑपरेटर पुरी से कोणार्क के लिए बस सेवा प्रदान करते हैं। कोणार्क के लिए पुरी और भुवनेश्वर से नियमित बस सेवाएं संचालित होती हैं। और कोणार्क भुवनेश्वर से पिपली होते हुए करीब 65 किमी लंबा रास्ता है। पुरी और भुवनेश्वर से आप टैक्सी या बस से कोणार्क पहुंच सकते हैं।
फ्लाइट से कोणार्क सूर्य मंदिर कैसे पहुंचे
बीजू पटनायक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा यानि भुवनेश्वर हवाई अड्डा 65 किमी और कोणार्क सूर्य मंदिर से लगभग एक घंटे की ड्राइव दूर है। हवाई अड्डे से कोणार्क पहुंचने के लिए। आप टैक्सी या बस से कोणार्क पहुंच सकते हैं। भुवनेश्वर नई दिल्ली, कोलकाता, विशाखापत्तनम, चेन्नई और मुंबई जैसे प्रमुख भारतीय शहरों के लिए उड़ानों से जुड़ा हुआ है।
Konark Sun Temple Location कोणार्क सूर्य मंदिर का मैप
Konark Sun Temple History Video
Interesting Facts
- मंदिर की संरचना और पत्थरों से बनी मूर्तियां कामोत्तेजक मुद्रा में हैं।
- कोणार्क के सूर्य मंदिर परिसर में नाटा मंदिर या नृत्य हाल भी है।
- सूर्य देव को ऊर्जा और जीवन का प्रतीक माना जाता है।
- मंदिर के शीर्ष पर एक भारी चुंबक रखा गया था।
- मैग्नेट के कारण मूर्ति हवा में तैरती हुई दिखायी देती है।
- सूर्य मंदिर रोगों के उपचा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
- कोणार्क का सूर्य मंदिर ओडिशा में स्थित पांच महान धार्मिक स्थलों में से एक है।
- कोणार्क के सूर्य मंदिर के आधार पर 12 जोड़ी पहिए स्थित हैं।
- मंदिर में प्रत्येक दो पत्थरों के बीच में एक लोहे की चादर लगी हुई है।
- मंदिर की ऊपरी मंजिलों का निर्माण लोहे की बीमों से हुआ है।
- मुख्य मंदिर की चोटी के निर्माण में 52 टन चुंबकीय लोहे का उपयोग हुआ है।
- कोणार्क मंदिर में सूर्य की पहली किरण सीधे मुख्य प्रवेश द्वार पर पड़ती है।
- सूर्य की किरणें मंदिर से पार होकर मूर्ति के केंद्र में हीरे से प्रतिबिंबित होकर चमकदार दिखाई देती हैं।
FAQ
Q : कोणार्क सूर्य मंदिर कहां है?
Konark, Odisha 752111
Q : सूर्य मंदिर की स्थापना कब हुई?
राजा नरसिंह देव प्रथम ने 1244 में कोणार्क मंदिर का निर्माण किया था।
Q : कोणार्क सूर्य मंदिर के रथ मे कितने घोड़े है?
कोणार्क सूर्य मंदिर के रथ मे सात शक्तिशाली घोड़े हैं।
Q : कोणार्क का सूर्य मंदिर किस राज्य में है?
ओडिशा
Q : भारत में कुल कितने सूर्य मंदिर है?
भारत देश में 12 सूर्य मंदिर है।
Q : सूर्य मंदिर में सूर्य भगवान की कितनी मूर्तियां हैं?
सूर्य मंदिर में सूर्यदेव की तीन खूबसूरत मूर्तियां बनाई गई हैं।
Q : सूर्य मंदिर का निर्माण कब हुआ?
राजा नरसिंह देव प्रथम ने 1244 में कोणार्क मंदिर का निर्माण किया था।
Conclusion
आपको मेरा Konark Sun Temple History बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा।
लेख के जरिये konark sun temple magnet और सूर्य मंदिर राजस्थान
what is inside konark sun temple से सबंधीत सम्पूर्ण जानकारी दी है।
अगर आपको किसी जगह के बारे में जानना है। तो कहै मेंट करके जरूर बता सकते है।
हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।
Note
आपके पास कोणार्क सूर्य मंदिर का रहस्य, या Konark Ka Surya Mandir In Hindi की कोई जानकारी हैं।
या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे / तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है।
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