jantar mantar in jaipur राजस्थान के जयपुर में मौजूद जंतर मंतर भारत के सबसे मुख्य और महत्वपूर्ण ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। जयपुर में स्थित जंतर मंतर देश के पांच खगोलीय वेधशालाओं में सबसे बड़ा माना जाता है।
भारत के प्रमुख सुन्दर और आकर्षक स्थलों मेसे एक माना जाता है। यह जंतर मंतर स्मारक अपनी सांस्कृतिक ,ऐतिहासिक और वैज्ञानिक महत्व के कारण यूनेस्को ध्वारा वल्ड हेरिटेज साइड में शामिल किया गया है।
दुनिया की सबसे बड़ी पत्थर की सूर्यघड़ी राजस्थान के जयपुर में स्थित है। यह स्मारक ऐतिहासिक ईमारत भारत के प्राचीन खगोलीय और गणितीय कौशल का एक अत्यंत नमूना मौजूद है।
Table of Contents
जंतर मंतर कहा स्थित है –
jantar mantar rajasthan के जयपुर शहर में स्थित है। भारत के प्रमुख सुन्दर और आकर्षक स्थलों मेसे एक माना जाता है।
जंतर मंतर का निर्माण किसने करवाया था – about jantar mantar in hindi
जंतर मंतर का निर्माण राजा सवाई जयसिंह ने करवाया था। राजा सवाई जय सिंह खुद एक कुशल विद्वान माने जाते है।
जंतर मंतर का निर्माण कब करवाया था –
राजा जयसिंह ने ई.स 1718 में जंतर मंतर बनाने का निर्णय लिया गया। राजा सवाई जयसिंह ने ई.स 1727 से 1733 के बिच में जयपुर के जंतर मंतर का निर्माण करवाया था।
जंतर मंतर के उपकरण क्यों बनवाये गए थे –
जंतर मंतर में मौजूद उपकरणो से समय को जानने का ग्रहो के विक्षेपण का पता करने , ग्रहणों की भविस्यवाणी करने , आकाश की ऊंचाई मालूम करने के लिये और उन कक्षाओं में
तारो को ट्रेक करने के लिए उपकरणों सहित अन्य 19 मुख्य ज्योतिषीय उपकरण है। यह उपकरण और भी अन्य कामो के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
जंतर मंतर का इतिहास –
महाराजा सवाई जयसिंह पोते एक कुशल विद्वान थे। महाराजा सवाई जयसिंह ने मुहम्मद शाह ध्वारा आकाशीय पिंडो की गति विधियो का वर्तमान आंकड़ों की पृष्ठि और सुधार करने का काम दिया है।
महाराजा जयसिंह प्राचीन इस्लामिक तालिकाओं को परीकृत करना चाहते है। क्योकि दिन का सही समय पता चल सके। सवाई जयसिंह एक सच्चा कैलेंडर बनवाना चाहते थे।
क्योकि व्तक्तिगत और सामाजिक लाभ दोनों के लिए अच्छा ज्योतिषीय भविष्यवाणियां करने में मदद हो सके। यह उनका लक्ष पाने के लिए राजा जयसिंह ने ई.स 1718 में जंतर मंतर बनाने का निर्णय लिया गया।
इसके लिये राजा जयसिंह ने यूरोपीय ,इस्लामी और फ़ारसी सभ्यताओ के खगोलीय सिद्धांतो पर बहोत अध्ययन किया और पुरे उत्तर भारत में 5 भिन्न -भिन्न वेधशालाओ का निर्माण करवाया था।
राजा सवाई जयसिंह ने ई.स 1727 से 1733 के बिच में जयपुर के जंतर मंतर का निर्माण करवाया था। और कई बार उनका पुनःनिर्माण भी करवाया था।
यह जंतर मंतर में उपकरण का निर्माण इस प्रकार किया गया है की बहुत सारे ब्रमांड के अनुप्रयोगो को कवर किया गया है।
राजस्थान के जंतर मंतर की बनावट – jantar mantar rajasthan
jaipur jantar mantar अलग-अलग वास्तुशैली और खगोलीय उपकरणों का एक सुन्दर संग्रह किया गया है जहा पर समय को जानने का , ग्रहो के विक्षेपण का पता करने , ग्रहणों की भविस्यवाणी करने , आकाश की ऊंचाई मालूम करने के लिये
और उन कक्षाओं में तारो को ट्रेक करने के लिए उपकरणों सहित अन्य 19 मुख्य ज्योतिषीय उपकरण है। जयपुर का आकर्षक जंतर मंतर स्मारक करीबन 18,700 मीटर क्षेत्र में विस्तृत हुवा है।
और वहा उसके अलावा कई सारे उपकरण स्थित है। महाराजा सवाई जयसिंह ने जंतर मंतर अच्छी क्वालिटी के पत्थरो से और संगमरमर से निर्माण करवाया गया था।
क्योकि पत्थर खराब मौसम की स्थिति का सामना कर सकते है। जंतर मंतर में कई उपकरणोंका की डिजाइन महाराजा सवाई जयसिंह ने की थी। जंतर मंतर में कई तांबे उपकरणभी स्थित है वह आज के समय में भी अच्छी तरह से काम कर रहे है।
जंतर मंतर में खगोलीय उपकरण –
जंतर मंतर में सबसे बड़ा उपकरण सम्राटयंत्र है। हालाँकि यह उपकरण स्थानीय समय को 2 सेकंड तक का सटीकता का समय माप सकता है।
यह सम्राटयंत्र का निर्माण पत्थर और संगमरमर से बनवाया गया है। इनमे से कई उपकरण एक खगोलीय स्थान पर ले जाता है। हालाँकि यह samrat yantra पर्यटकों के लिए खुला नहीं है
क्योकि पर्यवेक्षप आज के समय में भी अपनी गणना के लिए इसका इस्तेमाल करते है। जंतर मंतर में एक और छोटासा सुंडियाल यंत्र स्थित है।
यह यंत्र सम्राटयंत्र की तरह समान काम करता है। इसके अलावा यहाँ रामयंत्र भी स्थित है जिसका इस्तेमाल ऊंचाई के स्थान का निर्देश के लिए और अवकाश के चीजों माप ने के लिए किया जाता है।
और एक उपकरण हे जिसका नाम जयप्रकाश यंत्र से जाना जाता है इसका उपयोग स्वर्गीय इमारतों की स्थिति को खोजने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।
जंतर मंतर में स्थित विश्व की सबसे बड़ी पत्थर की सूर्यघड़ी –
महाराजा सवाई जयसिंह के ध्वारा निर्मित भारत की सबसे बड़ी वेधशालाओ में से एक जयपुर में स्थित जंतर मंतर में स्थित दुनिया की सबसे बड़ी पत्थर से बनी सूर्यघंटी मौजूद है। यह उपकरण का नाम सम्राटयंत्र के नाम भी जाना जाता है।

हालाँकि यह उपकरण स्थानीय समय को 2 सेकंड तक का सटीकता का समय माप सकता है। यह सम्राटयंत्र का निर्माण पत्थर और संगमरमर से बनवाया गया है। यह खगोलीय उपकरण का निर्माण तरह किया गया है की इसकी संरचना करीबन 27 मीटर ऊँची है।
जंतर मंतर में मौजूद 14 यन्त्रों के नाम – jantar mantar jaipur samrat yantra
- रामयंत्र
- उन्नातांश यंत्र
- दिशा यन्त्र
- नाड़ीविलय यंत्र
- सम्राट यन्त्र
- जय प्रकाश यन्त्र
- लघु samrat yantra
- पाषांश यंत्र
- शशि वलय यंत्र
- चक्र यंत्र
- दिगंश यंत्र
- ध्रुवदर्शक पट्टिका
- दळिणोदक यंत्र
- जयप्रकाश यंत्र



भारत देश की सबसे बड़ी खगोलीय वेधशालाओ में से जयपुर में स्थित यह वेधशाला में मौजूद खगोलीय यंत्र प्राचीन भारत के अद्रितीय खगोलिय कौशल का महत्व और प्रतिनिधित्व करता है।
जंतर मंतर में स्थित उपकरणों की महत्वपूर्ण बात यह है की हजारो साल और कई सदियों के बादभी
यह उपकरण आज भी अच्छी तरीके से काम कर रहे है। यहा मौजूद उपकरणों का इस्तेमाल पर्यवेक्षप आज के समय में भी आज की गणना के लिए यह उपकरणोंका उपयोग बारिश का पूर्वानुमान और मौसम सम्बंधी जानकारिया पाने के लिए है।
यह जंतर मंतर में स्थित खगोलीय उपकरणों के काम करने के तरीके से और ऐतिहासिक महत्व के कारण इसको यूनेस्को के ध्वारा वल्ड हेरिटेज साइड में शामिल किया गया है।
जंतर मंतर के कुछ रोचक तथ्य –
jantar mantar in jaipur भारत की सबसे बड़ी और विशाल खगोलीय वेधशाला है। जिसके लिए यहाँ सामूहिक प्रवेश टिकिट रखा गया है। जिस टिकिट के माध्यम यात्रिक नाहरगढ़ किला , हवा महल , और अल्बर्ट हॉल म्यूजियम भी इसके साथ देख सकते है।
जंतर मंतर का अर्थ होता है की गणना करने वाला उपकरण से जाना जाता है।
जयपुर में स्थित महाराजा जयसिंह द्वारा बनवाये पांच मुख्य उपकरण में से जंतर मंतर को यूनेस्को की वैश्विक धरोहरों में शामिल किया गया है।

महाराज सवाई जय सिंह के द्वारा दिल्ही , मथुरा , जयपुर , उज्जैन और वाराणसी में ऐसी वेधशालाओंका निर्माण करवाया गया था।
जयपुर से सिटी पैलेस और हवा महल के मध्यमे निर्माणित यह ऐतिहासिक खगोलीय बनावट की मुख्य बात यह है की यह स्थान पर ज्यादा फ़ीस देकर यात्रिक अन्य कई भाषाओमे ज्ञान प्राप्त कर सकते है।
जंतर मंतर के नजदीकी पर्यटन स्थल –
- 1.जल महल :
जल महल राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर में स्थित है। शहर की भीड़-भाड़ से दूर एक शानदार और शांत जल में स्थित महल है। जल महल मान सागर झील के बीच में स्थित होने की वजह से जल महल को एक वाटर महल भी कहा जाता है।
यह पैलेस कभी महाराजाओं के लिए शूटिंग लॉज था, जो आज दुनिया भर के कई पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है। जल महल राजस्थान में गल और राजपूत शैली की वास्तुकला के मिश्रण से बनाया गया है।

जल महल सबसे सुंदर वास्तुशिल्प महलों में से एक मन जाता है। जल महल की पीछे की ओर नाहरगढ़ पहाड़ियों के साथ मान सागर झील बसा हुवा है।
जल महल किसी को भी मंत्रमुग्ध बना सकता है। यह किले के अंदर भले ही प्रवेश निषिद्ध है, लेकिन आपकी आंखों को खुश करने के लिए इसकी दूर से ही एक झलक काफी है।
आप जयपुर की सैर करने के लिए जाये तो आपको जल महल देखने के लिए जरुर चाहिए। क्योंकि यह ऐसा स्थल है जो आपके भ्रमित मन को भी शांत कर सकता है। यह एक ऐसा वाटरमहल है जो फोटोग्राफी के लिए बहोत अच्छा लोकेशन है।
- 2.जयगढ़ किला :
जयगढ़ किला राजस्थान की राजधानी जयपुर के गुलाबी शहर में ‘चील का तेला’ पहाड़ियों के शीर्ष पर स्थित एक बहुत ही भव्य संरचना है।
इस खूबसूरत इमारत को सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा 1726 में आमेर किले की सुरक्षा के लिए बनाया गया था। यह किला चट्टान के शीर्ष पर बँधा हुआ हरे भरे और विशाल जंगों से घिरी एक महलनुमा संरचना है।
आपको बता दें कि इस शानदार किले से आमेर किले तक एक भूमिगत मार्ग जाता है और इसे “विजय का किला” के रूप में भी जाना जाता है।
इस किले की सबसे बड़ी खास बात यह है कि इस किले में दुनिया की सबसे बड़ी तोप है और यह जयपुर शहर का एक आकर्षक दृश्य भी प्रस्तुत करता है।
विद्याधर नामक एक प्रतिभाशाली वास्तुकार द्वारा निर्मित और डिजाइन किया गया जिसकी वजह से यह किला यहाँ आने वाले पर्यटकों को अपनी तरफ बेहद आकर्षित करता है।
- 3.नाहरगढ़ किला :
नाहरगढ़ किला राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित है जो कई अनगिनत महलों और सुंदर ऐतिहासिक इमारतों में से एक है जो इस शहर के शानदार और समृद्ध इतिहास को बताता है।
नाजुक नक्काशी और पत्थर के शानदार वर्क के साथ नाहरगढ़ किला एक अभेद्य दुर्ग है जो अपने दो पड़ोसी किलों आमेर किले और जयगढ़ किले के साथ मिलकर जयपुर शहर के मजबूत रक्षक के रूप में खड़ा है।
नाहरगढ़ किला 1734 में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय, जयपुर के संस्थापक ने बनवाया था। इस पर्वत के चारो और सुरक्षा के लिये दीवारे बनी हुई है, कहा जाता है की यह किला पहले आमेर की राजधानी हुआ करता था।
- 4.सिटी पैलेस :
सिटी पैलेस पिछोला झील के किनारे में स्थित एक दर्शनीय स्थान है | इस महल का निर्माण महाराणा उदय सिंह ने 1559 ईस्वी से शुर करवाया था जिसे बाद के महाराणाओ ने इसमें ओर महल जोडकर इस जगह को को एक अनोखा महल बनाया |
सिटी पैलेस में प्रवेश के लिए प्रथम द्वार “हाथी पोल” है | उसके बाद बड़ी पोल से होते हुए त्रिपोलिया गेट तक पहुचते है जिसका निर्माण 1725 ईस्वी में हुआ था |
पहले एक रीती रिवाज के अनुसार द्वार में प्रवेश करने से पूर्व महाराणा को उनके बराबर के सोने चांदी से तोला जाता था जो आम जनता में बाट दिया जाता था |
भारत का सबसे शाही और अद्भुत राज्य राजस्थान अपनी भौगोलिक विभिन्नता, सांकृतिक वातावरण और ऐतिहासिक स्थलों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
राजस्थान में दो सिटी पैलेस है एक जयपुर में स्थित है तो दूसरा राजस्थान के सबसे शाही नगर उदयपुर में स्थित है। उदयपुर का सिटी पैलेस जयपुर में स्थित सिटी पैलेस से काफी भिन्न है, यह महल जयपुर में स्थित महल से काफी समय पहले बनाया गया था।
- 5.गोविंद देवजी का मंदिर :
जयपुर में मौजूद यह भगवान कृष्ण को समर्पित है। यह मंदिर गोविन्ददेवजी का यह मंदिर बिना शिखर वाला मंदिर है। करीबन हजारोकि संख्या में यहाँ पर्यटक यहाँ आते रहते है।
यह मंदिर सुन्दर और आकर्षण का कारण बना हुवा है। जितना यह मंदिर प्रसिद्ध है इनसे ज्यादा मंदिर में विराजमान भगवान कृष्ण की प्रतिमा की स्थापना का इतिहास है।
ई.स 1714 में जयपुर में महाराजा सवाई जयसिंह द्रितीय वृन्दावन में भगवान कृष्ण के विग्रह को आमेर लेकर आये और आमेर के नजदीकी घाटी में दर्भावती नदी के किनारे स्थापना की। और यह स्थल को कनक वृन्दावन के नाम से पहचाना जाता है।
- 6. जयपुर वैक्स म्यूजियम :
जयपुर में स्थित यह वैक्स म्यूजियम नवनिर्मित उद्घाटन 17 दिसंबर 2016 को नाहरगढ़ किले पर किया गया था। यह दुनिया का एक ऐसा वैक्स म्यूजियम है
जिस म्यूजियम को ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल किया गया है। यह वैक्स म्यूजियम कुछ ही समय में नाहरगढ़ किलेमें आने वाले पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र बना हुवा है। jantar mantar jaipur light and sound show timings
जंतर मंतर का प्रवेश शुल्क – jantar mantar jaipur entrance fee
जंतर मंतर के टिकिट के माध्यम से यात्रिक नाहरगढ़ किला , हवा महल , और अल्बर्ट हॉल म्यूजियम भी इसके साथ देख सकते है।
जंतर मंतर गुमने जाने का सबसे अच्छा समय – jantar mantar jaipur timings
राजस्थान एक रेगिस्तानी प्रदेश है और वह पर बहुत तेज गर्मी महसूस होती है। राजस्थान में अप्रैल से जून के समय में गर्मी ज्यादा पड़ती है।
राजस्थान यानि जंतर मंतर जाने का सबसे अच्छा समय वसंत ऋतु या फिर सर्दियों के समय में यानि के सितम्बर से मार्च समय में आप जा सकते है।
क्योकि इस समय दौरान राजस्थान के कई शहर में पर्यटक छुट्टिया मनाने एते रहते है। सर्दियों के समय में छुट्टिया बिताने के लिए राजस्थान जा सकते है।
यह समय राजस्थान में गुमने के लिए बहोत अच्छा समय होता है। लेकिन रात के वक्त राजस्थान में 4° C कम ठंडी महसूस होती है।
राजस्थान के यात्रा के समय में पर्यटकों को उनके साथ ऊनि कपडे साथ रखना चाहिए क्योकि मॉनसून का समय जुलाई से सितम्बर तक का रहता है परन्तु राजस्थान में मद्यम भी कम बारिश होती है।
जंतर मंतर के रेस्टोरेंट का खाना –
जयपुर में आकर्षित और सुन्दर स्थलों में से जंतर मंतर एक है। राजस्थान का पाटनगर जयपुर एक ऐसा स्थल है जहा पर आपको कई तरह के भोजन का स्वाद मिल सकता है।
जयपुर में कई ऐसी रेस्टोरेंट हे जहा पर पर्यटक भोजन का स्वाद चखकर उनका मन आनंदित और वह मोहित हो जाता है। प्राचीन कालीन के महाराजाओ और महारानियो द्वारा प्रभावित कई पारंपरिक राजस्थानी भोजना एक से बढ़कर एक व्यंजनों का स्वाद ले सकते है।
यहा के प्रसिद्ध भोजन में दाल बाटी चूरमा , इमरती और घेवर ऐसी कई मिठाईया और प्रसिद्ध चाट जैसे स्वादिस्ट भोजन का पर्यटक मजे कर सकते है। और यहाँ भोजनो को बिना खाये जयपुर की यात्रा अधूरी सी लगती है।
जयपुर की मिठाईया बहुत प्रसिद्ध और लोकप्रिय है। जिसमे घेवर ,हलवा ,चोइमा ,गजक ,मुंग थाल और जयपुर के बहुत कई सारे भोजन प्रसिद्ध है।
हालाँकि जयपुर में कई भोजन के लिए अनेक विकल्प मौजूद है और जयपुर के जोहरी बाजार की उत्तम और आकर्षक स्थानीय ट्रीट फ़ूड का आनंद भी पर्यटक ले सकते है।
जंतर मंतर के नजदीकी रुकने की होटल्स –
राजस्थान में आप जयपुर के जंतर मंतर जाये और वहा रुकने की इच्छा हो जाये तो वह पर आपको कई सारे विकल मिल जायेंगे। जंतर मंतर के नजदीकी होटलो में से प्रमुख होटल्स यह मौजूद हे जिनके नाम है
अलसीसर हवेली ,होटल महादेव विला ,होटल ब्लू हेवन और चन्द्रगुप्त के नाम की कई सारी होटल्स आपको रहने के लिए मिल जाएँगी।
जंतर मंतर जयपुर तक कैसे पहुंचे –
जयपुर से जंतर मंतर करीबन 5 की.मि की दुरी पर स्थित है। जयपुर से अजमेर जाने वाली बसों के माद्यम से आप जंतर मंतर बिना तकलीफ से जा सकते है।
इसके अलावा आप टैक्सी या फिर कैब का इस्तेमाल कर के जंतर मंतर पहुँच सकते है। और जयपुर शहर को रेल्वे और वायुमार्ग और रोडवेज से भारत के कई प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़े हुवे है।
जंतर मंतर फ्लाइट से कैसे पहुंचे –
जयपुर में जंतर मंतर देखने के लिए आप हवाई मार्ग से भी जा सकते है। जयपुर की यात्रा के लिए हवाई मार्ग बहोत अच्छा विकल्प है। सांगानेर एयरपोर्ट जंतर मंतर से करीबन 17 कि.मी की दुरी पर स्थित है।
और भारत के प्रमुख शहरों के एयरपोर्ट से नियमित रूप से चलनेवाली ऐरलाइनोसे जुड़ा हुवा है। वह स्थान पर से आप टैक्सी या फिर कैब केव इस्तेमाल से आप जंतर मंतर तक पहुँच सकते है।
जंतर मंतर ट्रेन से कैसे पहुंचे –
jaipur railway station to jantar mantar distance अगर पर्यटक जंतर मंतर जाने के लिए ट्रेन का इस्तेमाल करना चाहते हे तो बता दे की जयपुर रेल्वे जंक्शन भारत के कई अन्य प्रमुख शहरों से एक्सप्रेस ट्रेनों से यह स्थान जुड़ा हुवा है।
और जयपुर आने के बाद वह से पर्यटक टैक्सी या फिर कैब के इस्तेमाल करके आप अपनी मंजिल यानि जंतर मंतर तक पहुँच सकते है।
जंतर मंतर सड़क मार्ग से कैसे पहुंचे –
jantermanter राजस्थान के राज्य सड़क परिवहन निगम राजस्थान के अंदर जयपुर और कई अन्य मुख्य शहरों के मद्यमे कई अन्य लक्जरी और बसे चलाते है
आप जयपुर जाने के लिए भारत के कई अन्य शहर जोकि नई दिल्ही ,अहमदाबाद ,उदयपुर ,वड़ोदरा ,कोटा और मुंबई जैसे कई सारे भारत के मुख्य शहरों से आप बस के माध्यम से जयपुर की यात्रा कर सकते है।
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