Jagannath Temple History In Hindi

Jagannath Temple History In Hindi | जगन्नाथ पुरी मंदिर का इतिहास

नमस्कार दोस्तो Jagannath Puri Temple Interesting Facts And History In Hindi (Jagannath Temple) में आपका स्वागत है। आज हम जगन्नाथ पुरी मंदिर के आश्चर्यजनक तथ्य और इतिहास के बारे में संपूर्ण जानकारी बताने वाले है। ओडिशा राज्य के पुरी में भारत के पूर्वी तट पर स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर भगवान जगन्नाथ(lord श्री कृष्ण) को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर है। यह भारत में चार धामों यानी पुरी, द्वारिका, बद्रीनाथ और रामेश्वर में से धामों (पवित्र स्थान का सबसे पवित्र स्थान) में से एक है। और पुरी विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर और सबसे लंबे गोल्डन बीच के लिए प्रसिद्ध है।

जगन्नाथ पुरी मंदिर में (पुरुषोत्तम क्षेत्र) में भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र की पूजा की जाती है। देवताओं को रत्ना सिंहासन पर विराजमान किया जाता है। श्री जगन्नाथ पुरी मंदिर ओडिशा के सबसे प्रभावशाली स्मारकों में से एक है। मंदिर गंगा राजवंश के एक प्रसिद्ध राजा अनंत वर्मन चोदगंगा देव ने 12 वीं शताब्दी में समुद्र के किनारे पुरी में किया था। जगन्नाथ का  प्रमुख मंदिर कलिंग वास्तुकला में निर्मित एक प्रभावशाली और अद्भुत संरचना है। मंदिर की ऊंचाई 65 मीटर है। जगन्नाथ पुरी मंदिर को एक ऊंचे मंच पर बनाया गया है। तो चलिए Shree Jagannath Temple In Hindi के बारे में बताते है।

Best Time to Visit Puri Jagannath Temple

ओडिसा के पुरी का समुद्र के कारण बहुत प्रभावित होता है। बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित होने के कारन यहां सुखद सर्दियों, गर्म और आर्द्र मौसम के साथ उष्णकटिबंधीय जलवायु यानि पुरी घूमने का सबसे अच्छा समय जून से मार्च तक है। शहर जून से सितंबर के महीने में अपने मानसून के मौसम का अनुभव करता है। आम तौर पर शहर में अपने प्रारंभिक चरण में मध्यम वर्षा होती है और फिर महीने के अंत में भारी वर्षा होती है। शहर में गर्मी का मौसम मार्च से मई के महीने में होता है। पुरी बीच की सफेद रेत अक्टूबर से अप्रैल तक पर्यटकों को ज्यादा पसंद आती है।

Jagannath Temple photo
Jagannath Temple photo

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Jagannath Temple History In Hindi

जगन्नाथ मंदिर का इतिहास बताये तो एक आकर्षक कहानी से जुड़ा है। भगवान जगन्नाथ की एक जंगल में गुप्त रूप से भगवान नीला माधबा के रूप में विश्ववासु नामक राजा ने पूजा की गई थी। राजा इंद्रद्युम्न देवता के बारे में ज्यादा जानने के लिए उत्सुक थे। और उन्होंने एक ब्राह्मण पुजारी विद्यापति को विश्ववासु के पास भेजा था। विद्यापति की जगह को खोजने की सारी कोशिशें बेकार गईं। मगर उन्हें विश्ववासु की बेटी ललिता से प्यार हो गया और उन्होंने उससे शादी कर ली।

उसके बाद विद्यापति के कहने पर विश्ववासु दामाद को आंखों पर पट्टी बांधकर गुफा में ले गए जहां उन्होंने भगवान जगन्नाथ की पूजा की थी। विद्यापति ने रास्ते में राई जमीन पर गिरा दी। बाद में राजा इंद्रद्युम्न देवता के पास ओडिशा गए। मगर मूर्ति वहां नहीं थी। उन्होंने भगवान जगन्नाथ की मूर्ति को देखने की इच्छा की थी। अचानक एक आवाज ने उन्हें निलसैला पर एक मंदिर बनाने के लिए कहा। राजा ने भगवान विष्णु के लिए एक सुंदर मंदिर बनाने का आदेश दिया।

राजा ने ब्रह्मा को मंदिर पवित्र करने के लिए आमंत्रित किया। ब्रह्मा जी ध्यान में होने के कारन नौ साल लगे और मंदिर रेत के नीचे दब गया। राजा को नींद के दौरान एक आवाज सुनी और समुद्र के किनारे लॉग खोजने और उसमें से मूर्तियाँ बनाने को कहा था। राजा ने फिर से एक भव्य मंदिर बनवाया और भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की छवियों को दिव्य वृक्ष की लकड़ी से बना दिया था।

जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 

गंग वंश काल के कुछ मिलते प्रमाणों के मुताबिक जगन्नाथ पुरी मंदिर का निर्माण कलिंग के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने किया था। राजा ने अपने शासनकाल 1078 से 1148 के बीच मंदिर के जगमोहन और विमान भाग का निर्माण कराया था। उसके पश्यात 1197 में ओडिशा के राजा भीम देव ने वर्तमान मंदिर का निर्माण कराया था।

ऐसा जाता है कि जगन्नाथ मंदिर में 1448 से ही पूजा की जा रही है। मगर उसी साल में एक अफगान ने ओडिशा पर आक्रमण किया था। उस समय भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों और मंदिर को नस्ट कर दिया था। मगर बाद में राजा रामचंद्र देव ने खुर्दा में अपना राज्य स्थापित किया था। और जगन्नाथ मंदिर और इसकी मूर्तियों को फिरसे स्थापित किया था।

Jagannath Puri Temple photos
Jagannath Puri Temple photos

Architecture Of Jagannath Temple

Jagannath Temple architecture –  भारत के सबसे शानदार मंदिरों में से एक जगन्नाथ मंदिर है। जगन्नाथ मंदिर अपनी उत्कृष्ट उड़िया वास्तुकला से प्रसिद्ध है। मंदिर तक़रीबन 4,00,000 वर्ग फुट के क्षेत्र में फैला दो आयताकार दीवारों से घिरा हुआ है। बाहरी दीवार को मेघनाद पचेरी कहा जाता है। वह दीवार 20 फीट ऊंची है। दूसरे को कूर्म बेधा कहा जाता है, वह मुख्य मंदिर को घेरता है। मुख्य मीनार या शिखर दूसरे शिखरों की तुलना में अधिक ऊँचा है। जिसमे देवताओं का घर है। जगन्नाथ मंदिर में चार अलग-अलग संरचनाएं हैं।

जिसको विमान, जगमोहन या पोर्च, नाटा मंदिर और एक पंक्ति में निर्मित भोग मंडप कहाजाता है। और चार द्वार हैं, जिसको पूर्वी सिंहद्वार (शेर द्वार), दक्षिणी अश्वद्वारा (घोड़ा द्वार), पश्चिमी व्याघरासन (बाघ द्वार), और उत्तरी हस्तीद्वारा (हाथी द्वार) कहते है। लायन गेट ग्रैंड रोड पर स्थित प्रमुख द्वार है। जगन्नाथ परिसर में कई मंदिर स्थित हैं। उसके साथ मंदिर के शीर्ष पर एक पहिया जिसको नीला चक्र या नीला पहिया कहते है। नीला चक्र अलग अलग धातुओं से बना और हर दिन चक्र पर नया झंडा फहराया जाता है।

जगन्नाथ पुरी मंदिर पर आक्रमण

  • पहला आक्रमण 9वीं शताब्दी में रक्तवाहू द्वारा किया गया था।
  • बंगाल का सुल्तान इलियास शाह दूसरा आक्रमण किया था।
  • 1360 में फिरोज शाह तुगलक ने तीसरा आक्रमण किया था।
  • 1509 में इस्माइल गाजी ने सेनापति बंगाल के सुल्तान अलाउद्दीन हुसैन शाह द्वारा चौथा आक्रमण करवाया।  
  • 1568 में कालापहारा ने पाँचवाँ आक्रमण किया था।
  • सुलेमान और उस्मान ने छठा आक्रमण किया गया था। 
  • सुलेमान कुथु शाह का पुत्र  और उस्मान ओडिशा के राजा ईशा का पुत्र था।
  • 1601 में इस्लाम खान के सेनापति मिर्जा खुर्रम ने सातवां आक्रमण किया था।
  • हासिम खान ने 1608 में आठवां आक्रमण किया था। 
  • केसोदसमारु ने नौवां आक्रमण किया गया था। 
  • 1611 में राजा टोडर मल्ल के पुत्र कल्याण मल्ल ने दसवां आक्रमण करा था।
  • 1612 में कल्याण मल्ल ने ग्यारहवां आक्रमण किया था।
  •  मुकर्रम खाँ ने बारहवाँ आक्रमण 1617 में किया था।
  • मिर्जा अहमद बेग ने तेरहवां आक्रमण किया था।
  • चौदहवाँ आक्रमण 1641 में अमीर मुतक़द खान ने किया था।
  • 1647 में अमीर फतेह खान ने पंद्रहवां आक्रमण किया था।
  • 1699 में सोलहवां आक्रमण ओडिशा के नवाब एकराम खान ने किया था।
  • मुहम्मद तकी खान ने सत्रहवाँ आक्रमण 1731 में किया था।
  • 1881 में लेख धर्म के अनुयायियों ने अठारहवां आक्रमण किया था।

    Puri Jagannath Temple Photo Gallery
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Jagannath Temple Darshan Timings 

ओडिसा के जगन्नाथ मंदिर में सामान्य दर्शन के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। मगर अगर आपको कुछ अनुष्ठानों में हिस्सा बनना चाहते हैं। तो आपको 10 से 50 रूपये का भुगतान करना पड़ता है। जगन्नाथ पूरी मंदिर सुबह 5:00 से आधी रात के 12:00 बजे तक खुला रहता है। Puja Timing In Jagannath Temple की बात करे तो प्रतिदिन निचे दी गई रस्में या नितियाँ की जाती हैं।

मंगल आरती – मंदिर सुबह 5:00 बजे खुलता है, यह दिन की पहली रस्म होती है।

बेशालगी – सुबह 8:00 बजे उत्सव के अवसरों के मुताबिक सोने और सुंदर पोशाकों से सजाया जाता है। उसको भितर कथा कहा जाता है।

सकल धूप – 10:00 बजे सुबह पूजा उपाचार के साथ की जाती है। उसमे भोग बनाकर भगवान को चढ़ाया जाता है।

मैलम और भोग मंडप – सुबह की पूजा के बाद देवताओं के कपड़े फिर से बदले जाते हैं। उसको मैलम कहते है। बाद में भोग मंडप में पूजा होती है। और भोग या प्रसाद चढ़ाया जाता है।

मध्याह्न धूप – सकल धूप की तरह यह पूजा उपाचारों के साथ सुबह 11:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे के बीच होती है।

संध्या धूप – शाम 7:00 बजे से रात 8:00 बजे तक पूजा करके भोग चढ़ाया जाता है।

मैलम और चंदना लागी – शाम की पूजा के बाद चंदन के लेप से देवताओं का अभिषेक किया जाता है। उस अनुष्ठान को 10 रुपये के शुल्क का भुगतान करने के देख सकते है।

बादशृंगार भोग– यह पुरे दिन का अंतिम भोग और पूजा होती है।

Festivals Celebrated At Jagannath Temple

जगन्नाथ पुरी मंदिर धार्मिक त्योहारों को बड़ी धूमधाम और उत्साह के साथ मनाए जाते है। कुछ प्रमुख त्यौहार भी है। जिसको निश्चित रूप से देखना चाहिए। उसमे स्नान यात्रा, नेत्रोत्सव, रथ यात्रा (कार उत्सव), सायन एकादशी, चितलगी अमावस्या, श्रीकृष्ण जन्म और दशहरा शामिल हैं। उसमे मुख्य त्यौहार विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा और बहुदा यात्रा है। उसको देखने भारी भीड़ जमा होती है।

जगन्नाथ पुरी फोटो
जगन्नाथ पुरी फोटो

Rath Yatra Festival Of Jagannath Temple

पुरी रथ यात्रा जगन्नाथ पुरी मंदिर का प्रमुख त्योहार है। उसको कार महोत्सव या गुंडिचा यात्रा के नाम से भी जानते है। यह त्यौहार आमतौर पर जून या जुलाई के महीने में आयोजित किया जाता है। जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की तीनों मूर्तियों को पुरी की मुख्य सड़क बड़ा डंडा से गुंडिचा मंदिर तक विशाल रथों में ले जाया जाता है। नौ दिन के बाद वापस जगन्नाथ मंदिर लाया जाता है। वह स्थल से वापसी यात्रा को बहुदा यात्रा भी कहते है। उसका आयोजन भी रथ यात्रा की तरह होता है। भगवान के दर्शन के लिए लाखो लोगो की भीड़ होती हैं। चमकीले रंगों में सजे देवी-देवताओं को देखना बेहद सुंदर दृश्य है।

स्नान यात्रा

यह त्यौहार में पूर्णिमा के दिन देवताओं को स्नान कराया जाता है। और बाद में भगवान को मंदिर से बाहर लाया जाता है और जुलूस में स्नान बेदी तक ले जाया जाता है। स्नान यात्रा का यह त्योहार मई या जून में आयोजित होता है।

चंदन यात्रा

यह त्यौहार का आयोजन अप्रैल-मई में होता है। चंदन यात्रा 21 दिनों तक चलने वाला त्योहार है। उस समय दौरान, 5 शिव मंदिरों से शिव की छवियों के साथ देवताओं को एक जुलूस (यात्रा) में नरेंद्र टैंक ले जाया जाता है। वह मूर्तियों को खूबसूरती से सजाए गए नावों में रखा जाता है। और भगवान की पूजा की जाती है।

जगन्नाथ पुरी मंदिर का इतिहास
जगन्नाथ पुरी मंदिर का इतिहास

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डोला यात्रा

डोला यात्रा का यह त्योहार फाल्गुन के महीने में आयोजित होता है। मंदिर के देवताओं को एक जुलूस में ले जाया जाता है। और जो मुख्य मंदिर के बाहर स्थित है और विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति का यह पर्व पौष मास में मनाया जाता है। मंदिर के सभी देवताओं के लिए विशेष वस्त्र बनाए जाते हैं। उसके पश्यात उबले हुए चावल में कैंडी और फलों का रस मिलाकर देवताओं को भोग चढ़ाया जाता है। यह पर्व में कृषि महत्व अधिक है।

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    जगन्नाथ पुरी मंदिर का फोटो
    जगन्नाथ पुरी मंदिर का फोटो

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How To Reach Puri Jagannath Temple

ट्रेन से कटक कैसे पहुंचे

How To Reach Sri Jagannath Puri Temple by train – पुरी रेल स्टेशन के माध्यम से भारत के सभी हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा है। पुरी से अहमदाबाद, कोलकाता, नई दिल्ली और कई स्थानों के लिए कई ट्रेनें चलती हैं। पुरी एक टर्मिनल रेलवे स्टेशन है। यहां से शताब्दी, गरीब रथ सुपरफास्ट और फास्ट मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें चलती हैं। वह से रिक्शा और ऑटो रिक्शा से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

सड़क मार्ग से कटक तक कैसे पहुंचे

How To Reach Jagannath Temple by road – पुरी शहर का बस स्टैंड गुंडिचा मंदिर के पास है। जहां से पर्यटक कोलकाता और विशाखापत्तनम के लिए सीधी बसें ले सकते हैं। लोग भुवनेश्वर के लिए बसें भी पकड़ सकते हैं और कटक यहाँ से बसें भी पास के कोणार्क मंदिर के लिए चलती हैं। वह से यात्री रिक्शा और ऑटो रिक्शा से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

फ्लाइट से कटक कैसे पहुंचे

How To Reach Jagannath Puri Temple by flight – पुरी का हवाई अड्डा नहीं है, मगर भुवनेश्वर हवाई अड्डा पुरी से 60 किमी दूर है। भुवनेश्वर हवाई अड्डे को बीजू पटनायक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी कहते है। वह ओडिशा राज्य का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। हवाई अड्डे के दो टर्मिनल हैं। जिसमे टर्मिनल 1 घरेलू उड़ानों के लिए और टर्मिनल 2 अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए है।

Jagannath Temple Map पुरी जगन्नाथ मंदिर का लोकेशन

Jagannath Temple History In Hindi Video

Interesting Facts About Jagannath Temple

  • जगन्नाथ मंदिर के बारे में रोचक तथ्य बताये तो मंदिर के ऊपर लगा झंडा हमेशा हवा के उल्टी दिशा में लहराता है।
  • उसका आज तक कोई वैज्ञानिक कारणों के बारे में पता नहीं चल पाया है। 
  • जगन्नाथ मंदिर जा ध्वज हमेशा हवा के उल्टी दिशा में लहराता श्रद्धालुओं के लिए आश्चर्यजनक बात है।
  • जगन्नाथ मन्दिर, पुरी के शीर्ष पर अष्टधातु से बना सुदर्शन चक्र लगा हुआ है। 
  • सुदर्शन चक्र की विशेषता है कि पुरी के किसी भी स्थान से चक्र को देखें तो सामने ही दिखाइ देता है।
  • मंदिर का ध्वज हर रोज शाम को बदलते है। लेकिन उसे बदलने वाला व्यक्ति उल्टा चढ़कर झंडे को बदलता है।
  • झंडे को बदलता देखने मंदिर के प्रांगण में भारी भीड़ जमा होती है।
  • जगन्नाथ मंदिर के ध्वज पर भगवान शिव का चंद्र बना होता है।
  • जगन्नाथ मंदिर के परिसर में प्रसादम को पकाने का अद्भुत और पारंपरिक तरीका है।
  • प्रसाद पकाने के लिए सात बर्तनों को एक दूसरे के ऊपर रखा जाता है।
  • जगन्नाथ पुरी मंदिर में हवा की दिशा में भी विशेषता देखने को मिलती है।
  • पुरी के समुद्री तटों पर हवा जमीन से समुद्र की ओर आती रहती है। 
  • जगन्नाथ पुरी मंदिर के गुंबद की छाया दिखाई नहीं देती यानि अदृश्य रहती है।
  • जगन्नाथ मंदिर के गुंबद के ऊपर से होकर कोई पक्षी या विमान नहीं उड़ता है। 
  • मंदिर का प्रसादम ना कभी भी व्यर्थ नहीं होता है और ना ही कम पड़ता है।

FAQ

Q .जगन्नाथ मंदिर कहा है?

श्री जगन्नाथ मंदिर ओडिशा राज्य के पुरी में भारत के पूर्वी तट पर स्थित है।

Q .जगन्नाथ मंदिर की क्या विशेषता है?

श्री जगन्नाथ का मंदिर में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा की काठ (लकड़ी) की मूर्तियां हैं। 

Q .जगन्नाथपुरी में कौन सा भगवान का मंदिर है?

जगन्नाथ मन्दिर भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) को समर्पित है।

Q .जगन्नाथ मंदिर की छाया क्यों नहीं है?

यह श्री जगन्नाथ जी का एक चमत्कार है। 

Q .जगन्नाथ मंदिर का निर्माण कैसे हुआ?

मालवा के राजा इंद्रदयुम्न के सपने से जगन्नाथ मंदिर का निर्माण हुआ है। 

Conclusion

आपको मेरा Jagannath Temple History बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये Jagannath Temple puri, Jagannath Temple timings

और Jagannath Temple near me से सबंधीत सम्पूर्ण जानकारी दी है।

अगर आपको किसी जगह के बारे में जानना है। तो कहै मेंट करके जरूर बता सकते है।

हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।  

Note

आपके पास Jagannath Temple story, Jagannath Temple open या 

Jagannath Temple mystery की जानकारी हैं। 

या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे / तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है।

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