Hrishikesh भारत के ऊतराखंड राज्य के देहरादून शहर में स्थित है। यह तीर्थ स्थल बहुत पुराना और धार्मिक हिन्दू स्थल है। जहा अनेक ऋषिओ के आश्रम है। ऋषिकेश हिमालय का प्रवेश द्धार कहा जाता है।
इसे योगिओ की वैश्विक राजधानी कहा जाता है। ऋषिकेश हरिद्धार से उत्तर में 25 किलो मीटर और देहरादून से 43 किलो मीटर की दुरी पर स्थित है। संस्कृत भाषा में उस नगर का नाम हृषीकेश लिखा गया है। वेद और पुराणों में इस जगह को हिन्दूधर्म में पवित्र माना जाता है। ऋषिकेश से बहती गंगा नदी नगर से गुजरते हुए समतल धरती की और बढ़ने लगती है।
उस नगर का शांत और स्वच्छ कई विख्यात और बड़े ऋषि मुनिओ का घर है। भारत देश के hrishikesh uttarakhand और पुरे विस्व के हिन्दू धर्म का पवित्र स्थल है। अगर आप भी ऋषिकेश के बारे में जानना चाहते है तो हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढियेगा। तो चलिए ऋषिकेश का इतिहास और जानकारी बताते है।
स्थल
ऋषिकेश
राज्य
उत्तराखंड
जिला
देहरादून
नजदीकी नदी
गंगा
किस धर्म से सबंधित
हिन्दू धर्म
ऋषिकेश का नाम किस पर रखा गया
रिहाना रिषी
ऋषिकेश का इतिहास
Table of Contents
Hrishikesh History In Hindi –
ऋषिकेश नगर अपनी कुदरती सौन्दर्यता ओर गंगा नदी की पवित्र धार अतुल्य और मोहक बनती है।
हर साल hrushikesh नगर में यात्री अपने मन की शांति के लिए और ध्यान लगाने के लिए आते है।
नीलकंठ मंदिर , लक्ष्मण झूला और वशिष्ठ गुफा जैसे पवित्र स्थल hrishikesh की मुख्य पहचान है।
ऋषिकेश दो शब्द का मिश्रण है ऋषिक और एश। hrishikesh meaning इन्द्रिया और दूसरे शब्द एश का गुरु या भगवन होता है। भारत देश की स्वतन्त्रा के बाद ऋषिकेश को हिन्दू धर्म का पवित्र स्थल घोषित किया और नगर की सुविधाओं के बढ़ाने की सर्कार ने पूरी तरह से पूर्ण कोशिश की है।
ऋषिकेश शहर को हिन्दू धर्म के लोग बहुत ही पवित्र मानते है पुरे भारत देश में एक यही स्थान है जिसके कारण लोंगो का मन का ध्यान मोक्ष की ओर बढ़ता है। hrishikesh नगर कई योग संस्थानों, आश्रमों और मंदिरों के साथ शांति और ज्ञान प्राप्त करने का पवित्र प्रतिक कहा जाता है। यह जगह कुदरती और हिमालय का प्रवेश द्धार है। प्राकृतिक की गोदी में यह जगह आराम करने एव मन के तनाव को ख़त्म करने के हेतु अद्भुत मानी जाती है।
ऋषिकेश में एक प्रसिद्ध और महान संत रिहाना रिषी का निवास स्थान था। उस संत ने पवित्र गंगा नदी के तट पर भगवान विष्णु की अधोर तपस्या की थी और भगवन विष्णु ने “ऋषिकेश ” के रूप में संत रिहाना ऋषि को दर्शन दिए थे। इन्ही कारण ही इस नगर को hrishikesh के नाम से जाना जाता है ऐसी एक मान्य ता प्रचलित है।
दूसरा यह भी कहा जाता है की ऋषिकेश पौराणिक केदार खंड का एक हिस्सा है। ऋषिकेश नगर के लिए कई धार्मिक कथाएँकही जाती हैं। माना जाता है कि समुद्र मंथन जो देवो और दानवो के बिच हुआ उसमे से निकला जहर शिव ने इसी जगह पर ही पिया था। इसी कारण ही इस स्थान का नाम hrushikesh पड़ा था।
पौराणिक मान्यता अनुसार हिन्दू धर्म के आदि गुरु एव प्रसिद्ध धार्मिक गुरु शंकराचार्य के बाद
9 वी सदी में ऋषिकेश नगर में आये थे और उनके बाद इस जगह ने
हिन्दू धार्मिक स्थान hrishikesh की गिनती मुख्य रूप में अपना स्थान ले लिया था।
Hrishikesh के दर्शनीय स्थल –
ऋषिकेश दर्शनीय स्थल – त्रिवेणी घाट- इस घाट पर तीन नदियों
पवित्र नदी गंगा ,यमुना और सरस्वती का संगम होता है।
गोधूलि वेला में नियमित आरती का दृश्य मनमोहक कहा जाता है।
इस जगह गंगा नदी दाई तरफ मुद जाती है। यह घाट स्नान करने का प्रमुख घाट है।
यहाँ प्रात: काल के वक्त में अनेक यात्रलु गंगा नदी में डुबकी लगा ले पवित्र हो जाते है।
लक्ष्मण झूला :
पवित्र गंगा नदी के बीचो बिच इक जुला है। जो नदी के एक किनार को दूसर किनार के साथ जोड़ता है और झूला ऋषिकेश नगर की अनोखी पहचान है। इसे जुले को विकतमसंवत 1996 में निर्माण करवाया है गंगा नदी के दूसरी और जाने के लिए लक्ष्मण ने इस जगह पर झूला बनवाया था। झूले के मध्य में पहुंचने पर यह हिलता हुआ अनुभव होता है। 450 फीट की लम्बाई वाले झूले के नजदीक ही लक्ष्मण और रघुनाथ मंदिर हैं। झूला स्वर्ग आश्रम और शिवानंद के बीच बना है। इस वजह से उन्हें शिवानंद झूला के नाम से भी जाना जाता है। और राम जुला भी कहा जाता है।
लक्ष्मण झूले से बहार निकलते ही थोड़ी दुरी पर ही कैलाश निकेतन मंदिर है।
12 भागो में निर्माण हुआ यह बड़ा मंदिर ऋषिकेश नगर के दूसरे दिरों से अलग है।
कैलाश निकेतन मंदिर में सभी देवी देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की हुई हैं।
परमार्थ निकेतन घाट :
यह एक आश्रम है जिन्हे स्वामी विशुद्धानन्द ने स्थापित किया था। आश्रम ऋषिकेश शहर का सबसे पुराना और प्राचीन आश्रम कहा जाता है। इस आश्रम को काली कमली वाले के नाम से भी जाना जाता है। यह जगह पर बहुत सुन्दर और नयन रम्य मंदिर का निर्माण करवाया गया है। लोगो के खाने पीने के यहां होटल और रस्तरां हैं इस जगह पर सिर्फ और सिर्फ शाकाहारी भोजन ही मिलता है। आश्रम की नजदीकी जगह पर हस्तशिल्प के चीज़ वस्तुओ की अनेक दुकानें हैं।
मोहनचट्टी :
hrishikesh से नीलकंठ रस्ते में मोहनचट्टी की जगह आती है जिसका दूसरा नाम फूलचट्टी है। यहाँ बहुत ही शांत वातावरण का अनुभव मिलता है। इस जगह पर सभी और सुन्दर वादियां है मोहनचट्टी नीलकंठ मार्ग का आकर्षण केंद्र है।
नीलकंठ महादेव मंदिर :
भगवान शिव ने नीलकंठ महादेव मंदिर पर समुद्र मंथन के वक्त निकला जहर का विषपान किया था। जहर पिने के बाद जहर के प्रभाव से भगवन का गला नीला हो गया था और भगवन को नीलकंठ नाम से लोग पूजने लगे। मंदिर के परिसर में पानी का एक कुदरती झरना है इस मंदिर में जाने से पहले स्नान करना जरुरी माना जाता है आश्रम की पहाड़ी की चोटी पर 5500 फीट की ऊंचाई पर नीलकंठ महादेव मंदिर उपस्थित है।
Hrishikesh History
गीता भवन :
विकतमसंवत 2007 श्री जयदयाल गोयन्दकाजी ने इसका निर्माण करवाया गया है। यह स्थान उनकी दर्शनीय दीवारों से प्रसिद्ध हुआ है। महाभारत और रामायण के चल चित्रों की सजावट से सजी दीवारें इस जगह को नयन रम्य और आकर्षित बनाती हैं। इस जगह पर गीताप्रेस गोरखपुर और आयुर्वेदिक डिस्पेन्सरी की एक एक शाखा मौजूद है। कीर्तन और प्रवचन मंदिर की नित्य कर्म की क्रिया हैं। रात्रि के वक्त भक्ति संगीत का आनद भी मिलता है सकता है। यात्रियों के रोकने के लिए इस जगह पर लाखो कमरे हैं।
12 शताब्दी में निर्माण हुई यह जगह hrishikesh का सबसे प्राचीन मंदिर है गुरू शंकराचार्य ने भारत मंदिर को बनवाया था भगवान राम के नन्हे अनुज भरत का है। मंदिर त्रिवेणी घाट के नजदीक ही ओल्ड टाउन के पास उस्थित है। मंदिर का मुख्य रूप 1398 में इस मंदिर को तैमूर आक्रमण ने क्षतिग्रस्त करवा दिया था। यहाँ वर्तनाम समय में संरक्षित रखा गया है। गर्भगृह के अंदर में भगवान विष्णु की आकृति की प्रतिमा है।
वशिष्ठ गुफा :
ऋषिकेश नगर से तक़रीबन 22 किलोमीटर के नजदीक 3000 वर्ष पुरानी और प्राचीन वशिष्ठ गुफा है।
केदारनाथ – बद्रीनाथ के रस्ते पर उस्थित है। वशिष्ठ गुफा पर
कई ज्यादा साधुओं को विश्राम लगते और ध्यान लगाए देखे ने को मिलते है।
यह भगवान राम और बहुत से राजाओं के राज पुरोहित वशिष्ठ महराज़ का मुख्य स्थान है।
वशिष्ठ गुफा यात्रिओ के लिये बहुत सुन्दर और मशहूर जगह है।
एम्स/AIIMS :
AIIMS का पूरा नाम अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और इंग्लिश नाम All India Institute of Medical Science है। भारत देश के दिल्ही शहर का सबसे बड़ा हॉस्पिटल है। हॉस्पिटल का परिसर पुरे 400 मीटर क्षेत्र में फैला है।
ऋषिकेश के मुख्य त्यौहार –
योग अभ्यास में अपनी दिचस्पी रखने वालों लोगो को प्रत्येक साल के मार्च में hrishikesh नगर में आयोजित हो ने वाला अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव को जरूरदेखना चाहिए। लंबे समय तक का त्यौहार दुनिया में सबसे लम्बा और बड़ी वार्षिक योग में से एक कहाजाता है।
ऋषिकेश जाने का अच्छा समय –
ऋषिकेश शहर में यात्रा करने जाने का सही और ठीक वक्त मार्च और अप्रैल का है।
दूसरा अक्टूबर और सितंबर का सही समय माना जाता है।
क्यों की उस वक्त में वक्त में गर्मियों के मौसम की शुरुआत होती है।
उस शहर में जुलाई और अगस्त में मानसून का महीना शुरू होता है।
उसी वक्त पर राफ्टिंग भी बंध करदी जाती है।
नवंबर से फरवरी माह तक ज्यादा ठंड होती है।
इसी लिए गर्म कपड़ों का पहनना और साथ लाना हबूत ही जरुरी है।
मानसून के बाद का वक्त यात्रा करने के लिए सही कहा जाता है और आराम दायक भी रहता है।
ऋषिकेश जाने के लिए आपके सामने तीन तरह के विकल्प आपके सामने मौजूद है।
इसमें से आप अपने अनुसार चुनाव कर सकते है।
हवाई मार्ग से कैसे पहुंचे :
hrishikesh शहर से 19 किलोमीटर दूर ही देहरादून जिले में जौली ग्रान्ट एयरपोर्ट बहुत ही नजदी की एयरपोर्ट है। जेट एवं स्पाइसजेट और एयर इंडियाकी फ्लाइटें इस एयरपोर्ट से दिल्ली शहर को जोड़ती है।
ट्रेन मार्ग से कैसे पहुंचे :
ऋषिकेश नगर का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश ही है। जो नगर से सिर्फ और सिर्फ 5 किलोमीटर की दुरी पर है। ऋषिकेश रेलवे स्टेशन भारत देश के मुख्य रेलवे स्टेशनों से मिला हुआ है। hrishikesh नगर का आखरी स्टेशन है।
सड़क मार्ग से Hrishikesh कैसे पहुंचे :
दिल्ली शहर से कश्मीरी दरवाजे से hrishikesh नगर के लिए साधारण और डीलक्स बसों की उपलब्धि मिलती है है।
राज्य परिवहन निगम की ओर से हररोज़ उत्तराखंड राज्य के लिए।
दोस्तों उम्मीद करता हु आपको मेरा ये लेख hrishikesh Information के बारे में पूरी तरह से समज आ गया होगा। इस लेख के द्वारा हमने लक्ष्मण झूला के बारे में जानकारी दी अगर आपको इस तरह के अन्य ऐतिहासिक स्थल और प्राचीन स्मारकों की जानकरी पाना चाहते है तो आप हमें कमेंट करे। आपको हमारा यह आर्टिकल केसा लगा बताइयेगा और अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे। धन्यवाद।