Somnath Temple – के पश्चिमी तट पर सौराष्ट्र में वेरावल बंदरगाह के पास प्रभास पाटन में स्थित है। यह मंदिर भारत में भगवान शिव के बारह shree somnath jyotirling temple में से पहला माना जाता है।
यह गुजरात का एक महत्वपूर्ण तीर्थ और पर्यटन स्थल है। प्राचीन समय में इस मंदिर को कई मुस्लिम आक्रमणकारियों और पुर्तगालियों द्वारा बार-बार ध्वस्त करने के बाद वर्तमान हिंदू मंदिर का पुनर्निर्माण वास्तुकला की चालुक्य शैली में किया गया।
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सोमनाथ मंदिर का इतिहास – somnath temple history
सोमनाथ का अर्थ है, “भगवानों के भगवान”, जिसे भगवान शिव का अंश माना जाता है। गुजरात का सोमनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
somnath temple location पर स्थित है जहां अंटार्कटिका तक सोमनाथ समुद्र के बीच एक सीधी रेखा में कोई भूमि नहीं है। सोमनाथ मंदिर के प्राचीन इतिहास और इसकी वास्तुकला और प्रसिद्धि के कारण इसे देखने के लिए देश और दुनिया से भारी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं।
माना जाता है कि somnath temple gujarat का निर्माण स्वयं चंद्रदेव सोमराज ने किया था। इसका उल्लेख ऋग्वेद में किया गया है। इतिहासकारों का मानना है कि गुजरात के वेरावल बंदरगाह में स्थित सोमनाथ मंदिर की महिमा और कीर्ति दूर-दूर तक फैली थी।
अरब यात्री अल बरूनी ने अपने यात्रा वृतान्त में इसका उल्लेख किया था,जिससे प्रभावित होकर महमूद गजनवी ने सन 1024 में अपने पांच हजार सैनिकों के साथ सोमनाथ मंदिर पर हमला किया और उसकी सम्पत्ति लूटकर मंदिर को पूरी तरह नष्ट कर दिया।
उस दौरान सोमनाथ मंदिर के अंदर लगभग पचास हजार लोग पूजा कर रहे थे, गजनवी ने सभी लोगों का कत्ल करवा दिया और लूटी हुई सम्पत्ति लेकर भाग गया।
इसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका दोबारा निर्माण कराया। सन् 1297 में जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर अपना कब्जा किया तो सोमनाथ मंदिर को पाँचवीं बार गिराया गया।
मुगल बादशाह औरंगजेब ने 1702 में आदेश दिया कि यदि हिंदू सोमनाथ मंदिर में दोबारा से पूजा किए तो इसे पूरी तरह से ध्वस्त करवा जाएगा। आखिरकार उसने पुनः 1706 में सोमनाथ मंदिर को गिरवा दिया।
इस समय सोमनाथ मंदिर जिस रूप में खड़ा है उसे भारत के गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बनवाया था और पहली दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया था।
सोमनाथ मंदिर से जुडी कहानी – Story related to Somnath Temple
सोमनाथ मंदिर से जुड़ी कथा बहुत प्राचीन एवं निराली है। किवदंतियों के अनुसार सोम या चंद्र ने राजा दक्ष की सत्ताइस पुत्रियों के साथ अपना विवाह रचाया था।
लेकिन वे सिर्फ अपनी एक ही पत्नी को सबसे ज्यादा प्यार करते थे। अपनी अन्य पुत्रियों के साथ यह अन्याय होता देख राजा दक्ष ने उन्हें अभिशाप दिया था कि आज से तुम्हारी चमक और तेज धीरे धीरे खत्म हो जाएगा।
इसके बाद चंद्रदेव की चमक हर दूसरे दिन घटने लगी। राजा दक्ष के श्राप से परेशान होकर सोम ने शिव की आराधना शुरू की। भगवान शिव ने सोम की आराधना से प्रसन्न होकर उन्हें दक्ष के अभिशाप से मुक्त किया।
श्राप से मुक्त होकर राजा सोम चंद्र ने इस स्थान पर भगवान शिव के मंदिर का निर्माण कराया और मंदिर का नाम रखा गया सोमनाथ मंदिर। तब से यह मंदिर पूरे भारत सहित विश्वभर में विख्यात है।

सोमनाथ मंदिर के कुछ रोचक तथ्य – Some interesting facts of Somnath temple
आमतौर पर सभी पर्यटन स्थलों और मंदिरों में कोई न कोई ऐसी विशेषता जरूर होती है जिसके कारण लोग उसे देखने के लिए जाते हैं। सोमनाथ मंदिर की भी अपनी विशेषता है। आइये जानते हैं इस मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य क्या हैं।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सोमनाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग में रेडियोधर्मी गुण है जो जमीन के ऊपर संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। इस मंदिर के निर्माण में पांच वर्ष लग गए थे।
सोमनाथ मंदिर के शिखर की ऊंचाई 150 फीट है और मंदिर के अंदर गर्भगृह, सभामंडपम और नृत्य मंडपम है।
Somnath Temple को महमूद गजनवी ने लूटा था जो इतिहास की एक प्रचलित घटना है। इसके बाद मंदिर का नाम पूरी दुनिया में विख्यात हो गया।
मंदिर के दक्षिण में समुद्र के किनारे एक स्तंभ है जिसे बाणस्तंभ के नाम से जाना जाता है। इसके ऊपर तीर रखा गया है जो यह दर्शाता है कि सोमनाथ मंदिर और दक्षिण ध्रुव के बीच पृथ्वी का कोई भाग नहीं है।
यहाँ पर तीन नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती का संगम है और इस त्रिवेणी में लोग स्नान करने आते हैं। मंदिर नगर के 10 किलोमीटर में फैला है और इसमें 42 मंदिर है।
सोमनाथ मंदिर को शुरूआत में प्रभासक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता था और यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपना देहत्याग किया था।
माना जाता है कि आगरा में रखे देवद्वार सोमनाथ मंदिर के ही है जिन्हें महमूद गजनवी अपने साथ लूट कर ले गया था। मंदिर के शिखर पर स्थित स्थित कलश का वजन 10 टन है और इसकी ध्वजा 27 फीट ऊँची है।
यह भारत के 12 ज्योतिर्लिंग में से पहला ज्योतिर्लिंग है इसकी स्थापना के बाद अगला ज्योतिर्लिंग वाराणसी, रामेश्वरम और द्वारका में स्थापित किया गया था। इस कारण शिव भक्तों के लिए यह एक महान हिंदू मंदिर माना जाता है।
पर्यटकों और भक्तों के लिए सोमनाथ मंदिर सुबह छह बजे से रात नौ बजे तक खुला रहता है। मंदिर में तीन बार आरती होती है। इस अद्भुत आरती को देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं।
सोमनाथ मंदिर परिसर में ही रात साढ़े सात बजे से साढ़े आठ बजे तक लाइट एंड साउंड शो चलता है। ज्यादातर पर्यटक सोमनाथ मंदिर की वास्तुकला को देखने के लिए भी आते हैं।

सोमनाथ मंदिर से जुड़े अनसुलझे रहस्य – Unsolved secrets related to Somnath temple
दोस्तों आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बतला रहे हैं जिसका निर्माण किसने किया और यह कब बनाया गया इसकी जानकारी आज तक किसी को नहीं हो पाई है।
जिस मंदिर को मुगलों ने कई बार लूटा, कई विदेशी ताकतों ने इस मंदिर को जड़ से उखाड़ फेंकने की नाकाम कोशिश की, कई बार इस मंदिर की संपत्ति को लूटा गया, जितना बार इस मंदिर को नष्ट करने के लिए दुष्ट पैदा हुए, उतने ही बार इस मंदिर के पुनः निर्माण के लिए पुण्य आत्माओं ने जन्म लिया।
आज हम आपको भारत के इतिहास के सबसे रहस्यमई, अद्भुत और आश्चर्यजनक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिस इतिहास के बारे में हर भारतवासी को जरूर जानना चाहिए।
दोस्तों हम बात कर रहे हैं सोमनाथ मंदिर की जो की एक हिंदू मंदिर है।सोमनाथ मंदिर जिसकी गिनती भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है।
गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह मे स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण चंद्रदेव ने करवाया था। इस मंदिर का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है।
यह मंदिर हिंदू धर्म के उत्थान-पतन का प्रतीक रहा है। अत्यंत वैभवशाली होने के कारण इतिहास में कई बार इस मंदिर को तोड़ा गया तथा पुनः निर्मित किया गया।
वर्तमान भवन का पुनः निर्माण का आरंभ भारत के स्वतंत्रता के पश्चात लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने करवाया। और 1 दिसंबर 1995 ईस्वी को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया।
प्राचीन हिंदू ग्रंथों के अनुसार सोम अर्थात चंद्र ने प्रजापति राजा दच्छ की 27 कन्याओं के साथ विवाह किया था। लेकिन अपनी सभी पत्नियों में वह रोहिणी नाम की पत्नी को सबसे अधिक प्यार और सम्मान दिया करते थे।
अपनी बाकी बेटियों के साथ यह अन्याय होते देख क्रोध में आकर राजा दक्ष ने चंद्रदेव को श्राप देते हुए कहा, कि अब से हर रोज तुम्हारा तेज कम होता रहेगा।
इस श्राप के फलस्वरुप हर दूसरे दिन चंद्र देव का तेज घटने लगा। श्राप से विचलित होकर चंद्र देव ने भगवान शिव की आराधना शुरू कर दी। चंद्र देव की आराधना से भगवान शिव प्रसन्न हो गए और चंद्र देव के श्राप का निवारण किया।
कहते हैं कि चंद्रदेव का कष्ट दूर होते ही उन्होंने भगवान शिव की स्थापना यहां करवाई, और तब से यहां विराजित भगवान शिव, भोले भंडारी का नाम सोमनाथ पड़ गया।
एक दूसरे मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण भालूका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे तभी एक शिकारी ने उनके पैर के तलवे में पदचिन्ह को हिरण की आंख समझकर धोखे में तीर मारा था।
यहीं पर से भगवान श्रीकृष्ण ने अपना देह त्याग किया, और यहीं से वह बैकुंठ के लिए प्रस्थान कर गए। इस स्थान पर बड़ा ही सुंदर कृष्ण मंदिर भी बना हुआ है।

सोमनाथ मंदिर कब अस्तित्व में आया – When did Somnath temple come into existence
प्राचीन धर्म ग्रंथों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण चंद्रदेव ने किया था। पर बुद्धिजीवी कोई धार्मिक ग्रंथों के आधार पर विश्वास नहीं करते। इसीलिए इस मंदिर का मूल निर्माण और तिथि अज्ञात है।
प्राया काल में सोमनाथ मंदिर को नष्ट किया गया और फिर से इसका निर्माण किया गया। गुजरात के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर की महिमा और ख्याति दूर दूर तक फैली हुई थी।
अरब यात्री अलबरूनी ने अपने यात्रा विक्रांत में इसका वर्णन किया है। जिस से प्रभावित होकर महमूद गजनबी ने सन 1024 में सोमनाथ मंदिर पर हमला किया।
उसने यहाँ से 20 लाख दीनार की लूट की, और आधी शिवलिंग को भी खंडित कर दिया था। इसके बाद प्रतिष्ठित की गई शिवलिंग को 1300 ईसवी में अलाउद्दीन की सेना ने खंडित किया। इसके बाद भी कई बार मंदिर के शिवलिंग को खंडित किया गया।
कहा जाता है कि आगरा के किले में देव द्वार सोमनाथ मंदिर के ही हैं। एक उत्कृष्ट शिलालेख के अनुसार कुमारपाल ने 1169 में इस मंदिर को एक उत्कृष्ट पत्थर में बनवाया और इसे गहने के साथ सजा दिया था।
फिर बाद में 1299 में उल्लाल खान के नेतृत्व में अलाउद्दीन खिलजी की सेना ने वाघेला वंश के करण देव द्वितीय को पराजित किया, और सोमनाथ मंदिर को फिर से नष्ट कर दिया।
हसन निजाम के ताज उल नासिर के मुताबिक सुल्तान ने दावा किया कि उसने तलवार के दम पर 50 हजार काफिरों को नर्क भेजा और 20 हज़ार से भी अधिक दास बनाए।
कान्हा देव जो कि जालौर के राजा थे, उन्होंने बाद में खिलजी की सेना को हराकर खंडित शिवलिंग को वापस प्राप्त किया और सभी बंदियों को मुक्त कराया।
कहते हैं 1395 में इस मंदिर को फिर से नष्ट कर दिया गया था। और 1491 में गुजरात के सुल्तान महमूद बेंदा इसे अपमानित भी किया था। 1546 ईसवी में गोवा में स्थित है पुर्तगाली ने सोमनाथ में गुजरात के बंदरगाह और कस्बा पर हमला किया और कई मंदिरों को नष्ट कर दिया।
जिनमें सोमनाथ मंदिर भी एक था। वर्तमान समय में सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण भारत के स्वतंत्रता के पश्चात लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने करवाया था।
सोमनाथ मंदिर के दक्षिण में समुद्र के किनारे पर एक स्तंभ मौजूद है। उसके ऊपर एक तीर रखकर संकेत किया गया है की सोमनाथ मंदिर और दक्षिणी ध्रुव के बीच पृथ्वी का कोई भी भूभाग नहीं है। मंदिर की पृष्ठ भाग में स्थित प्राचीन मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह पार्वती जी का मंदिर है।
सोमनाथ जी के मंदिर का संचालन और व्यवस्था सोमनाथ ट्रस्ट के अधीन है। सरकार ने ट्रस्ट को जमीन बाग बगीचे दे कर आय का प्रबंध किया है।
यह तीर्थ पितृगन के साथ नारायण बलि आदि कर्मों के लिए भी प्रसिद्ध है। चैत्र, भाद्र, कार्तिक महीनों में यहाँ स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है।
इन 3 महीनों में यहाँ श्रद्धालुओं की बहुत ज्यादा भीड़ लगती है। इसके अलावा यहां 3 नदियां हिरण, कपिला और सरस्वती का महासंगम होता है।
इस त्रिवेणी स्नान का विशेष महत्व है। सोमनाथ मंदिर के समय काल में अन्य देव के मंदिर भी थे, इसमें भगवान शिव के 135, भगवान् विष्णु के 5, देवी के 25, सूर्य देव के 16, गणेश जी के 5, नाग मंदिर 1, क्षेत्रपाल मंदिर 1, 19 कुंड और 9 नदियां बताई जाती है।
एक शिलालेख में विवरण है कि महमूद के हमले के बाद 21 मंदिरों का निर्माण किया गया। संभवता इसके पश्चात भी अनेकों मंदिर बने होंगे।
चार धाम में से एक धाम भगवान श्री कृष्ण की द्वारिका सोमनाथ से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर प्रतिदिन द्वारकाधीश के दर्शन के लिए देश और विदेशों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
यहां गोमती नदी स्थित है इसके स्नान का विशेष महत्व बताया गया है इस नदी का जल सूर्योदय पर बढ़ जाता है और सूर्यास्त पर घट जाता है। जो सुबह सूर्य निकलने से पहल मात्र 1 या 2 फिट ही रह जाता है।
विश्व प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर आदि अनंत है। इसका सर्वप्रथम निर्माण काल अज्ञात है। हर काल में इस मंदिर को बुरी ताकतों ने लूटा और शिवलिंग को खंडित किया गया।
इन सबके बावजूद, आज भी अपने भक्तों के लिए सोमनाथ मंदिर में विराजित शिवलिंग और यह मंदिर पूरे भव्यता के साथ इस दुनिया के सामने खड़ा है।
यह मंदिर उन सभी बुरी ताकतों के लिए एक मिसाल है, और सबसे बड़ा उदाहरण है… जो यह दर्शाता है कि आखिर कितना भी अंधेरा हो, जीत हमेशा उजाले की ही होती है। और चाहे कितनी भी बुराई हो जीत हमेशा सच्चाई की ही होती है।

अन्य तीर्थ स्थान और मन्दिर
मन्दिर संख्या १ के प्रांगण में हनुमानजी का मंदिर, पर्दी विनायक, नवदुर्गा खोडीयार, महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा स्थापित सोमनाथ ज्योतिर्लिग, अहिल्येश्वर, अन्नपूर्णा, गणपति और काशी विश्वनाथ के मंदिर हैं।
अघोरेश्वर मंदिर नं. ६ के समीप भैरवेश्वर मंदिर, महाकाली मंदिर, दुखहरण जी की जल समाधि स्थित है। पंचमुखी महादेव मंदिर कुमार वाडा में, विलेश्वर मंदिर नं. १२ के नजदीक और नं. १५ के समीप राममंदिर स्थित है।
नागरों के इष्टदेव हाटकेश्वर मंदिर, देवी हिंगलाज का मंदिर, कालिका मंदिर, बालाजी मंदिर, नरसिंह मंदिर, नागनाथ मंदिर समेत कुल ४२ मंदिर नगर के लगभग दस किलो मीटर क्षेत्र में स्थापित हैं।पर पहुंचने के बाद लोकल ट्रांसपोर्ट से सोमनाथ पहुंचा जा सकता है। आइये जानते हैं सोमनाथ मंदिर कैसे पहुंचें।
सोमनाथ मंदिर के बाहरी क्षेत्र के प्रमुख मंदिर
वेरावल प्रभास क्षेत्र के मध्य में समुद्र के किनारे मंदिर बने हुए हैं, शशिभूषण मंदिर, भीड़भंजन गणपति, बाणेश्वर, चंद्रेश्वर-रत्नेश्वर, कपिलेश्वर, रोटलेश्वर, भालुका तीर्थ है।
भालकेश्वर, प्रागटेश्वर, पद्म कुंड, पांडव कूप, द्वारिकानाथ मंदिर, बालाजी मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, रूदे्रश्वर मंदिर, सूर्य मंदिर, हिंगलाज गुफा, गीता मंदिर, बल्लभाचार्य महाप्रभु की 45वीं बैठक के अलावा कई अन्य प्रमुख मंदिर है।
प्रभास खंड में विवरण है कि सोमनाथ मंदिर के समयकाल में अन्य देव मंदिर भी थे।
इनमें शिवजी के135 , विष्णु भगवान के 5 , देवी के 25 , सूर्यदेव के 16 , गणेशजी के 5 , नाग मंदिर 1 , क्षेत्रपाल मंदिर 1 , कुंड 19 और नदियां 9 बताई जाती हैं।
एक शिलालेख में विवरण है कि महमूद के हमले के बाद इक्कीस मंदिरोंo का निर्माण किया गया। संभवत: इसके पश्चात भी अनेक मंदिर बने होंगे।
सोमनाथ से करीब दो सौ किलोमीटर दूरी पर प्रमुख तीर्थ श्रीकृष्ण की द्वारिका है। यहां भी प्रतिदिन द्वारिकाधीश के दर्शन के लिए देश-विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यहां गोमती नदी है।
इसके स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। इस नदी का जल सूर्योदय पर बढ़ता जाता है और सूर्यास्त पर घटता जाता है, जो सुबह सूरज निकलने से पहले मात्र एक डेढ फीट ही रह जाता है।

सोमनाथ मंदिर पर कितने आक्रमण हुए – How many attacks on Somnath temple
गजनी ने 6 जनवरी 1062 को सोमनाथ मंदिर को ध्वस्त कर दिया, जब भीमदेव पहली बार हार गया और राजधानी से भाग गया, मोहम्मद गजनी ने आसानी से अनहिलपुर पाटन पर कब्जा कर लिया।
वहां से सेना ने सोमनाथ मंदिर (6 जनवरी, 1062) को हमला किया, लेकिन स्थानीय राजपूत मुस्लिम सेना के जस्ते पर कब्जा नहीं कर सके। सोमनाथ 8 जनवरी 1062 को गिर गया।
मुस्लिम सेना द्वारा किए गए नरसंहार में पचास हजार हिंदू मारे गए थे। मोहम्मद गजनी ने मंदिर को लूट लिया और 10 करोड़ रुपये के हीरे, आभूषण, सोना और चांदी प्राप्त किए।
उन्होंने मंदिर के शिवलिंग को गजनी मस्जिद के द्वार में प्रवेश किया। बिखर गए थे। ताकि लोग अपने पैरों को साफ कर सकें और मस्जिद में जा सकें। अलबेफनी ने नोट किया है। आक्रमण से पहले और बाद में दो बार अलबरूनी ने सोमनाथ का दौरा किया।
मुहम्मद गजनी ने दबीशालीम को प्रभासपट्टनम में अपने गवर्नर के रूप में रखा था। सोमनाथ के मंदिर पर मुस्लिम आक्रमणों की एक श्रृंखला में यह पहले स्थान पर है।
और पाँच हमले
1107, 1318, 1395, 1511 और 1520 में फिर से हमला किया गया। महमूद का अर्थ है प्रशंसा के योग्य। लेकिन मोहम्मद गज़नवी के लिए, दीवान रणछोड़जी ने ‘नम्मूद’ शब्द का इस्तेमाल किया, जो प्रशंसा के योग्य नहीं है।
इस जीत के बाद, महमूद अपने वतन लौट आए 1030 में मृत्यु हो गई। मुहम्मद गजनी के आक्रमण के समय, सौराष्ट्र-गुजरात के राजपूत शासक आपसी संघर्ष में लगे हुए थे और उन्होंने आपसी युद्ध में अपनी शक्ति का क्षय किया था।
उन्होंने अपने क्षेत्र के इस विदेशी और विधर्मी आक्रमण का सामना एक समान संकट के रूप में नहीं किया। इसलिए भारत के इस भव्य और समृद्ध मंदिर को नष्ट कर दिया गया और गुजरात-सौराष्ट्र के शासकों की प्रतिष्ठा और सैनिकों की योग्यता को नुकसान पहुँचा।
आक्रमण हिंदू राजाओं के लिए एक सबक बन गया और एक तात्कालिक परिणाम के रूप में उनके आंतरिक युद्ध भी थोड़े समय के लिए बंद हो गए।
राजपूत रा ‘नवघन वंथली में सिंहासन पर थे जब मुहम्मद गजनी ने सोमनाथ पर आक्रमण किया था। सन 1025 । – 1044 उन्होंने अपने शासनकाल के अंतिम वर्षों में अपनी राजधानी को वंथली से जूनागढ़ में स्थानांतरित कर दिया।
तेरहवीं शताब्दी में चूड़ासमा शासकों की शक्ति कमजोर पड़ने लगी। सीई रा ‘मांडलिक 1260 से 1306 तक पहला शासक था। उनके शासनकाल के दौरान 1299 में, अलाउद्दीन खिलजी की सेना ने सोमनाथ मंदिर, माधवपुर में माधवराय मंदिर, बर्दा में बिल्वेश्वर मंदिर और द्वारका में जगत मंदिर को नष्ट कर दिया।
लेकिन बाद में मांडलिक ने प्रभापत्तनम के मुस्लिम अधिकारी को हरा दिया और विजलदेव वाजा को वहां अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया। महिपाल (1308-1325 ई।) ने फिर सोमनाथ के लिंग को फिर से स्थापित किया।
उनके पुत्र रा ‘खेंगर चतुर्थ (1325 – 1352) ने गुज़रात, सौराष्ट्र के गोहिल जैसे अन्य राजवंशों से मित्रता की और सौराष्ट्र में राजपूत सत्ता को मजबूत किया और मुस्लिम सूब को सोरठ से निष्कासित कर दिया। इस प्रकार पहली बार प्रभासपट्टन और सोमनाथ चुदासमा के शासन में आए।
सोमनाथ मंदिर के अन्य प्रश्न
1. सोमनाथ मंदिर कहा स्थित है ?
सोमनाथ मंदिर पश्चिमी तट पर सौराष्ट्र में वेरावल बंदरगाह के पास प्रभास पाटन में स्थित है।
2. सोमनाथ मंदिर पर कब हमले हुवे थे ?
सोमनाथ मंदिर पर 1062 ,1107, 1318, 1395, 1511 और 1520 साल के समय में हमले हुवे थे।
3. सोमनाथ मंदिर में कोनसे मंदिर है ?
सोमनाथ मंदिर में भालकेश्वर, प्रागटेश्वर, पद्म कुंड, पांडव कूप, द्वारिकानाथ मंदिर, बालाजी मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, रूदे्रश्वर मंदिर, सूर्य मंदिर, हिंगलाज गुफा, गीता मंदिर, बल्लभाचार्य महाप्रभु की 45वीं बैठक, शिवजी के135 , विष्णु भगवान के 5 , देवी के 25 , सूर्यदेव के 16 , गणेशजी के 5 , नाग मंदिर 1 , क्षेत्रपाल मंदिर 1 , कुंड 19 स्थित है।
4. सोमनाथ मंदिर पर कितने हमले हुवे थे ?
सोमनाथ मंदिर पर करीबन 6 से ज्यादा बार हमले हो चुके थे।
5. सोमनाथ मंदिर पर ग़जनीने कब हमला किया था ?
गजनी ने 6 जनवरी 1062 को सोमनाथ पर हमला किया था।
सोमनाथ मंदिर के आसपास कहां रुकें
somnath-temple जाने वाले पर्यटकों को वहां रुकने के लिए भी अच्छी व्यवस्था उपलब्ध है। मंदिर के आसपास ही श्री सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा पर्यटकों को किराये पर कमरे उपलब्ध कराए जाते हैं।
आप मंदिर के ट्रस्ट द्वारा संचालित सागर दर्शन अतिथि गृह, लीलावती अतिथिगृह, माहेश्वरी समाज अतिथि गृह, तन्ना अतिथिगृह, संस्कृति भवन में रूक सकते हैं।
इन सभी अतिथि गृहों में रुकने का किराया अलग अलग है। आप अपनी सुविधा और बजट के अनुसार यहां रुककर सोमनाथ मंदिर का दर्शन कर सकते।
सोमनाथ मंदिर कैसे पहोंचे – How to reach Somnath temple
सोमनाथ एक पर्यटन स्थल जरूर है लेकिन इसका अपना रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट नहीं है। इसलिए आसपास के अन्य शहरों के स्टेशनों और हवाई अड्डों
सोमनाथ मंदिर हवाई जहाज द्वारा कैसे पहुंचे :
Somnath Temple का निकटतम हवाई अड्डा दीव एयरपोर्ट है जो सोमनाथ से लगभग 63 किमी दूर है। दीव से सोमनाथ नियमित बसों, लक्जरी बसों या कम्यूटर बसों से पहुंचा जा सकता है।
पोरबंदर हवाई अड्डा सोमनाथ से 120 किमी और राजकोट हवाई हड्डा 160 किमी दूर है। इन हवाई अड्डों के लिए विभिन्न शहरों से उड़ानें संभव हैं।
सोमनाथ मंदिर ट्रेन द्वारा कैसे पहुंचे:
Somnath Temple से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन वेरावल है, जो सोमनाथ से 5 किमी की दूरी पर है। यह स्टेशन मुंबई, अहमदाबाद और गुजरात के अन्य महत्वपूर्ण शहरों से रेलमार्ग द्वारा जुड़ा है।
यहां प्रतिदिन 14 जोड़ी ट्रेनें चलती हैं। इसके अलावा पैसेंजर ट्रेनों से भी वेरावल स्टेशन पहुंचा जा सकता है। फिर वहां से आटो, टैक्सी के जरिए सोमनाथ मंदिर जाया जा सकता है।
सोमनाथ मंदिर सड़क द्वारा कैसे पहुंचे:
Somnath Temple जाने के लिए बसें सबसे अच्छा साधन है, क्योंकि इसके कई विकल्प उपलब्ध हैं। सोमनाथ कई छोटे शहरों से घिरा हुआ है जो बस सेवाओं, गैर-एसी दोनों के साथ-साथ लक्जरी एसी बसों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
दीव से सोमनाथ जाने वाली वातानुकूलित बसों में प्रति व्यक्ति 300 का खर्च पड़ता है। राजकोट, पोरबंदर और अहमदाबाद जैसे अन्य नजदीकी स्थानों से भी बस द्वारा सोमनाथ जाया जा सकता है। इसके अलावा निजी बसों की भी सेवाएं उपलब्ध हैं।
Video of Somnath temple
Final word
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