Purana Qila इंडियाकी राजधानी दिल्ली में स्थित है | पुराना किले का निर्माण मुगल राजा शेर शाह सूरी द्वारा ई.स 1538 में करवाया था।
आपको बता दें कि यह दिल्ली में प्राचीन दुर्गो में मान जाता है | पुराना किला दिल्ही शहर का आकर्षक ऐतिहासिक स्थान है।
पुराना किला किले का क्षेत्र लगभग पाँच मील फैला हुआ है | पुराना किले में अंदर और बहार निकलने के लिए तीन दरवाजो का निर्माण किया हैं। पुराना किला ऐतिहासिक स्थल और वास्तुकला का एक नमूना है
Purana Qila के बारे में ऐसा भी माना जाता है कि किले की सीढ़ियों से गिर कर हुमायु का अवसान हो गया था |
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पुराना किले का इतिहास – History of Purana Qila
पुराना किले का निर्माण हुमायु ने ई.स1533 में निर्मित दीन पनाह शहर के एक विभाग के रूप शेरशाह सूरी द्वारा निर्माण किया गया था ।
हुमायु से निर्मित अफ़गानी शासक शेरशाह ने दीन पनाह शहर पर हमला करके उन पर कब्जा कर लिया | दीन पनाह शहर नाम अफ़गानी शासक शेरशाह ने बदलकर शेरगढ़ रख दिया । पुराना किले के परिसर में पांच इमारतों का निर्माण भी किया था।
कुछ समय बाद ही शेरशाह के मरने के बाद यह किला फिर से हुमायु के पास चला गया था। बाद में पुराना किले पर बहुत ही कम समय के लिए अनेक राजाओंने ने राज किया था और फिर इस पर अंग्रेज सरकारने उनका आधिपत्य स्थापित कर लिया |
ई.स 1920 के दशक में एडवर्ड लुटियन ने नई दिल्ली को डिजाइन किया था | तब उन्होंने राजपथ को पुराना किला से सम्बन्ध जोड़ दिया था । भारत के भागल के समय इस किले ने मुस्लिमों के लिए शरणार्थी शिविर के रूप में माना जाता है |
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पुराना किले का इस्तेमाल काफी समय बाद ई.स 1970 में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा ने पहली बार किले का इस्तेमाल अपने नाटकों- तुगलक, अंध युग और सुल्तान रजिया के लिए किया गया था । इसके बाद पुराना किला धीरे धीरे सांस्कृतिक कार्यक्रमों ,संगीत कार्यक्रमों का मुख्य केंद्र बन गया।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अनुसार किए गए उत्खनन से इस बात का पता हुआ है कि पुराना किला पूर्व मौर्य साम्राज्य के समय तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व का भी कहा जाता है।
उत्खनन में कुछ ऐसे अवशेष मिले है जो महाभारत में वर्णित सभी स्थलों पर पाए गए निशानों से मिलते जुलते दिखाई जान पड़ते हैं।
पुराना किला कहा स्थित है – Where is the Purana Qila located
पुराना किला दिल्ली प्राणी उद्यान के नज़दीकी क्षेत्र में ही है |
पुराना किला किसने बनवाया था
पुराना किले का निर्माण मुगल सम्राट हुमायूं द्वारा निर्मित दीन पनाह शहर के एक भाग के रूप शेरशाह सूरी द्वारा किया गया था।
पुराना किला कब बनवाया गया था – When was the Purana Qila built
पुराना किले का निर्माण मुगल राजा शेर शाह सूरी द्वारा ई.स 1538 में करवाया गया था।
पुराना किला किस तरह बनवाया गया था – How was the Purana Qila built
यमुना नदी के तट पुराना किला बना हुवा है परन्तु उत्तर दिशा और पश्चिम दिशा से पता चलता है कि नदी सेजुडी हुई एक खाई मौजूद है वह खाई सुरक्षा की दृष्टि से बनाई गई थी ताकि इस कोई शत्रु प्रवेश न कर सके |
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पुराने किले की दीवारी करीबन 2.4 कि.मी लम्बी है और इस किले के तीन मुख्य दरवाज़े है यह द्वार उत्तर, पश्चिम और दक्षिण की दिशा में स्थित हैं. पुराना किले का पश्चिम का दरवाज़े का उपयोग हालीमे किले में प्रवेश के लिए किया जाता है.
उत्तर की दिशा का दरवाजो तलाकी दरवाजा कहा जाता है. यह पता नहीं है कि कब और क्यों इस दरवाज़े पर प्रतिबंधित किया . पुराना किला मुग़ल और हिंदू वास्तुकला का एक उत्कृस्ट उदाहरण है |
पुराना किले की वास्तुकला – Architecture of Purana Qila
Purana Qila के मीनारो के छत की दीवारों पर उभरी हुई बालकनियाँ है | यह बालकनिया मशहूर और आकर्षित राजस्थानी शैली के मंडप बने हुए है जो बेहद आकर्षित है। पुराने किले में हरेभरे दृश्य है जो किले को प्रस्तुत करते हुए किले की सुदंरता को ओरभी ज्यादा बढा देता है।
पुराना किले मे अन्य स्मारक कितने है – How many other monuments are there in the Purana Qila
( 1 ) पुराना किले मे कोनसा मज्जिद है :
किला-ए-कुहना मज्जिद पुराना किला के प्रमुख आकर्षणों में से एक है जो इंडो- मुग़ल स्थापत्य शैली को दर्शाता है। यह स्मारक का निर्माण ई.स 1541 में शेरशाह ने करवाया था।
एकल गुंबद वाली मस्जिद में पाँच दरवाजों में बड़े पैमाने पर घोड़े की नाल के आकार के सामान मेहराबें बनी हैं। इसे मुख्य रूप से ‘जामी मस्जिद’ कहा जाता है जिसका निर्माण शुक्रवार की नमाज के लिए खुद राजा और उनके दरबारियों के लिए किया गया था।
किला-ए-कुहना मस्जिद के आयताकार प्रार्थना हॉल में पाँच मेहराबें या प्रार्थना स्थल (मिहराब) हैं जो पश्चिमी दीवारों (काबा की दिशा) में स्थापित हैं।
( 2 ) पुराना किला में शेर मंडल :
शेर मंडल के ऊपर का हिस्सा यानि छत्री के साथ – साथ लाल पत्थर में बने दो मंजिला अष्टकोणीय ईमारत है जिसका निर्माण राजा के लिए आनंद मंडल रूप में काम करता था।
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उन्होंने इसका निर्माण पढ़ने और आराम करने और टॉवर के ऊपर से नीचे शहर के दृश्य का आनंद लेने के उपयोग के लिए किया था। ऐसा माना जाता है
इस इमारत का निर्माण उच्चतर था और इसका उपयोग वेधशाला के रूप में किया जाता था, लेकिन राजा की मृत्यु के कारण इसके निर्माण को बंद कर दिया गया।
( 3 ) पुराना किला में पुरातत्व संग्रहालय :
पुराना किला में स्थित संग्रहालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किले के कई स्थान से खुदाई कि इनमेसे कई अवशेस प्राप्त हुवे है। पुरातत्वविदो द्वारा ई.स 1954-55 और 1969-73 के कई कलाकृतियाँ और निष्कर्ष यहाँ प्रदर्शित हैं।

इस संग्रहालय के मुख्य प्रदर्शनों में कुषाण वंश, राजपूतों, दिल्ली सल्तनत और मुगलों के प्राचीन साम्राज्यों से लेकर 1500 ईसा पूर्व तक के चित्रित ग्रेवेयर शामिल हैं।
पुराना किला इन्द्रप्रस्त क्यों माना जाता है
महाभारत में उल्लेखित पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ सम्भवत इसी स्थान पर थी। पुराने किले में विभिन्न स्थानों पर शिलापटों पर यह वाक्य लिखे हैं।
पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ कहां थी? इस बात को लेकर लोगों में बहस होती रही है। लेकिन खुदाई में मिले अवशेषों के आधार पर पुरातत्वविदों का एक बड़ा वर्ग यह मानता है कि पांडवों की राजधानी इसी स्थल पर रही होगी।
यद्यपि पुरातत्वविदों के पास इस बात के पुख्ता प्रमाण नहीं हैं, लेकिन खुदाई के दौरान यहां मिले बर्तनों के अवशेषों से किले के आसपास पांडवों की राजधानी होने की बात को बल मिलता है।
यहां खुदाई में ऐसे बर्तनों के अवशेष मिले हैं, जो महाभारत से जुडे़ अन्य स्थानों पर भी मिले हैं। इसके अलावा महाभारत से जुडे़ प्रसंग और प्राचीन परंपराएं भी इस ओर संकेत करती हैं, कि यहां पांडवों की राजधानी रही होगी।
भारत में ऐसे बहुत कम शहर बसे हैं जिसमे दिल्ली के समान ऐतिहासिक हों। इतिहासकारों मानना है की यहाँ पूर्व शासन काल में यह स्थान पर पुराना नगर यानि इंद्र प्रस्थ नगर बसा हुआ करता था, उसके ऊंचे स्थान पर 16 वीं शताब्दी में पुराना किला बनाया गया।
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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस किले की कई स्तरों पर खुदाई की है। खुदाई में प्राचीन भूरे रंग से चित्रित मिट्टी के विशिष्ट बर्तनों के अवशेष मिले हैं, जो महाभारत काल के हैं।
ऐसे ही बर्तन अन्य महाभारत कालीन स्थलों पर भी पाए गए हैं। पुराना किले के बारे में अनेक तथ्य भी है कि इंद्रप्रस्थ के अपभ्रंश के बाद इंद्रपरत के नाम से का एक गांव अभीभी पुराना दुर्ग मौजूद है।
इंडिया की राजधानी दिल्ली का निर्माण करने के दौरान अन्य गांवों के साथ उसे भी हटा दिया गया था। दिल्ली में स्थित सारवल गांव से 1628 ईस्वी का संस्कृत का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है। यह अभिलेख लाल किले के संग्रहालय में उपस्थित है। इस अभिलेख में इस गांव के इंद्रप्रस्थ जिले में स्थित होने का उल्लेख है।
पुराना किला देखने के लिए सबसे अच्छा समय क्या है – What is the best time to see Purana Qila
Purana Qila की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय दिन में 3:00 बजे है। अगर आप अपनी यात्रा का पूरा मजा लेना चाहते हैं तो आपको सर्दियों के मौसम में दिल्ली की यात्रा करना चाहिए।
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क्योंकि इस समय बेहद सुहावना होता है, जिसमें आप घूमने-फिरने, लॉन में बैठने, नौका विहार का आनंद ले सकते हैं। अगर आप ध्वनि और लाइट शो का आनंद लेना चाहते हैं सूर्यास्त के बाद पुराना किला के लिए जाएं।
पुराना किला दिल्ही कैसे पहूँचे – How to reach Purana Qila Delhi
Old fort के लिए यात्रा करना चाहते हिं तो बता दें कि दिल्ली शहर मेट्रो और राज्य द्वारा संचालित बसों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। पुराना किला जाने के लिए सबसे नज़दीकी मेट्रो स्टेशन प्रगति मैदान मेट्रो है,
जो ब्लू लाइन पर स्थित है। किला मेट्रो से लगभग 2 किलोमीटर दूर है। मेट्रो स्टेशन से किला जाने के लिए आप स्थानीय या बैटरी से चलने वाले रिक्शा को किराए पर ले सकते हैं।
अगर आप अपनी यात्रा को ओर भी ज्यादा आरामदायक बनाना चाहते हैं तो टैक्सी या कैब बुक कर सकते हैं। इसके अलावा आप बस से भी यात्रा कर सकते हैं, जो आपके लिए किफायती होगी।
पुराने किले की टिकट
- पुराने किले के लिए प्रवेश टिकट : 100 रूपये है
- बच्चों के लिए: 50 रूपये (3 से 12 साल के बीच)
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