History of Nahargarh Fort in Hindi – नाहरगढ़ किले का इतिहास

nahargarh fort राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित है जो कई अनगिनत महलों और सुंदर ऐतिहासिक इमारतों में से एक है जो इस शहर के शानदार और समृद्ध इतिहास को बताता है।

नाजुक नक्काशी और पत्थर के शानदार वर्क के साथ नाहरगढ़ किला एक अभेद्य दुर्ग है जो अपने दो पड़ोसी किलों आमेर किले और जयगढ़ किले के साथ मिलकर जयपुर शहर के मजबूत रक्षक के रूप में खड़ा है। जो भी पर्यटक जयपुर घूमने के लिए जाता है। 

नाहरगढ़ किले का संक्षिप्त जानकारी – 

इस ऐतिहासिक किले को देखे बिना रह नहीं पाता है। अगर आप nahargarh fort jaipur को देखना चाहते है तो आपको इस लिख को जरुर ढ़ना चाहिए क्योंकि इसमें हम आपको नाहरगढ़ किले के इतिहास, वास्तुकला और घूमने की जानकारी के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं।

 किले का नाम  नाहरगढ़ किला 
 स्थान  जयपुर, राजस्थान (भारत)
 निर्माण  सन 1734
 निर्माता  महाराजा सवाई जय सिंह
 नाहरगढ़ किले की ऊंचाई  700 फीट

नाहरगढ़ किले का इतिहास – nahargarh fort history

नाहरगढ़ किला 1734 में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय, जयपुर के संस्थापक ने बनवाया था। इस पर्वत के चारो और सुरक्षा के लिये दीवारे बनी हुई है, कहा जाता है की यह किला पहले आमेर की राजधानी हुआ करता था।

इस किले पर कभी किसी ने आक्रमण नही किया था लेकिन फिर भी यहाँ कई इतिहासिक घटनाये हुई है, जिसमे मुख्य रूप से 18 वी शताब्दी में मराठाओ की जयपुर के साथ हुई लढाई भी शामिल है।

1847 के भारत विद्रोह के समय इस क्षेत्र के युरोपियन, जिसमे ब्रिटिशो की पत्नियाँ भी शामिल थी, सभी को जयपुर के राजा सवाई राम सिंह ने उनकी सुरक्षा के लिये उन्हें नाहरगढ़ किले में भेज दिया था।

1868 में राजा सवाई राम सिंह के शासनकाल में इस किले का विस्तार कीया गया था। 1883-92 के समय में सवाई माधो सिंह ने नाहरगढ़ में 3 से 3.50 लाख की लागत लगाकर कई महलो का निर्माण करवाया।

सवाई माधो सिंह द्वारा बनवाया गया माधवेंद्र भवन जयपुर की रानियों को बहुत सुट करता है और मुख्य महल जयपुर के राजा को ही सुट करता है।महल के कमरों को गलियारों से जोड़ा गया है और महल में कुछ रोचक और कोमल भित्तिचित्र भी बने हुए है।

jaipur nahargarh fort महाराजाओ का निवास स्थान भी हुआ करता था, अप्रैल 1944 तक जयपुर सरकार इसका उपयोग कार्यालयीन कामो के लिये करती थी।

हिंदी फिल्म रंग दे बसंती और शुद्ध देसी रोमांस और बंगाली फिल्म सोनार केल्ला के कुछ दृश्य को नाहरगढ़ किले में ही शूट किया गया है।

नाहरगढ़ किले की वास्तुकला – Architecture of Nahargarh Fort

fort nahargarh एक सुंदर इंडो-यूरोपियन आर्किटेक्चर है, जिसके अंदर कई खूबसूरत संरचनाओं का संग्रह है। जब आप इस किले के “ताड़गीट” नामक प्रवेश द्वार से किले में प्रवेश करेंगे तो आपको को बाईं ओर जयपुर शासकों समर्पित एक मंदिर मिलेगा।

बता दें कि इस किले के परिसर में राठौर राजकुमार को समर्पित एक और मंदिर स्थित है। इसके साथ ही आपको एक परिसर में सवाई माधोसिंह द्वारा निर्मित एक “माधवेन्द्र भवन” भी देखने को मिलेगा।

इस किले की संरचना दो मंजिला इमारत है जिन्हें राजा और उनकी बारह रानियों के लिए बनाया गया था। नौ समान अपार्टमेंट में विभाजित इस किले प्रत्येक में एक लॉबी, बेडरूम, शौचालय, रसोई और स्टोर बना हुआ है।

इन सब के अलावा महल के अन्य आकर्षणों में दीवान-ए-आम भी है जहाँ राजा अपने लोगों से मिलते थे और उनकी समस्याओं और शिकायतों को सुनते थे।

Nahargarh Fort में जैविक उद्यान 

नाहरगढ़ किले के परिसर आकर्षक संरचनाओं के एक आलवा जैविक उद्यान भी स्थित है जो इस किले का एक खास आकर्षण है। नाहरगढ़ अभयारण्य के 7.2 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले, जैविक पार्क को बारीक ग्रेनाइट और क्वार्टजाइट चट्टानों से सजाया गया है।

यह पार्क अपने समृद्ध वनस्पतियों के लिए जाना जाता है जिसमें आप कई जानवरों को उनके प्राकृतिक परिवेश में देख सकते हैं। इस जैविक पार्क में एशियाई शेर, बंगाल टाइगर और भारतीय तेंदुआ भी पाए जाते हैं।

सबसे खास बात तो यह है कि पार्क में पक्षियों की 285 प्रजातियां भी पाई जाती है जो पक्षी प्रेमियों को बेहद प्रसन्न करते हैं। नाहरगढ़ जूलॉजिकल यहाँ एक और ऐसा खास पर्यटक केंद्र है|

जहां पर एशियाई शेर, बंगाल टाइगर, पैंथर, भेड़िये, हिरण, लकड़बग्घा, मगरमच्छ, हिमालयी काला भालू, सुस्त भालू, जंगली सूअर, आदि जैसे जानवर पाए जाते हैं।

नाहरगढ़ पैलेस में मूर्तिकला पार्क 

नाहरगढ़ किले में भव्य और आकर्षक माधवेंद्र पैलेस को महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय ने अपने शानदार वापसी के रूप में बनवाया था।

फिर दो शताब्दी के बाद क्यूरेटर पीटर नेगी ने इसे उत्कृष्ट मूर्तियों के साथ सुशोभित किया है। बता दें कि राजस्थान सरकार और एक एनजीओ के बीच के इस प्रोजेक्ट को 10 दिसंबर 2017 से जनता के लिए खोला गया| 

जो समकालीन कलाकरों के लिए अपने काम को प्रदर्शित करने का एक खास स्थान बन गया था। इस जगह पर भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय सहित 24 शीर्ष कलाकारों द्वारा बनाई गई 53 कलाकृतियां हैं।

Nahargarh Fort की कहानी 

नाहरगढ़ किला राजस्थान का एक बहुत ही आकर्षक किला है जो अपने पीले रंग के साथ गुलाबी नगरी जयपुर में बहुत आकर्षक दिखाई देता है। इस किले को सवाई राजा मान सिंह ने अपनी रानियों के लिए बनवाया था|

लेकिन राजा की मृत्यु के बाद नाहरगढ़ किले को भूतिया कहा जाने लगा था। लोगों का मानना है कि इस किले में राजा का भूत रहता है। यहां के स्थानीय लोगों अनुसार यहां पर एकदम से तेज हवाएं चलने लगती है और कई बार दरबाजे के कांच टूट कर गिर जाते हैं।

यहाँ कभी-कभी एक दम से गर्मी और एक दम से ठण्ड महसूस होने लगती है। किले में जाने वाले कई लोगों को कुछ अजीब चीजों का एहसास हो चुका है। बताया जाता है कि इस किले के पुनर्स्थापना संगठन के मालिक को अपने घर में रहस्यमय तरीके से मारा हुआ पाया गया। 

नाहरगढ़ किल्ले की कुछ रोचक तथ्य 

नाहरगढ़ किला जयपुर के आर्किटेक्चरल आश्चर्यो में से एक है. पिंक सिटी जयपुर में बना यह किला निश्चित ही आपके लिये रमणीय और मनमोहक होगा। आप ये सब कुछ तो जानते ही हो। लेकिन क्या आप निचे दि गयी इन रोचक बातो को जानते हो ?

नाहरगढ़ किला 700 फीट की ऊंचाई पर शहर की सुरक्षा को देखकर बना है, इस किले पर कभी कोई आक्रमण नही हुआ है। लेकिन फिर भी इस किले में कुछ इतिहासिक घटनाये हुई है।जिसमे 18 वी शताब्दी में मराठाओ द्वारा जयपुर पर किया हुआ आक्रमण भी शमिल है। 

मुगलों द्वारा इस किले पर कभी कोई आक्रमण नही किया गया था, नाहरगढ़ किले में लगी पिस्तौल का उपयोग फायरिंग का सिंग्नल देने के लिये किया जाता था।

 1857 के भारत विद्रोह के समय बहोत से युरोपियन लोगो को राजा सवाई राम सिंह ने उनकी सुरक्षा के लिये नाहरगढ़ किले में भेजा था।

 बॉलीवुड की कुछ प्रसिद्ध फिल्म जैसे रंग दे बसंती और जोधा अकबर के बहोत से दृश्यों को नाहरगढ़ किले में ही शूट किया गया है।

 नाहरगढ़ किले का सबसे मनमोहक भाग माधवेंद्र भवन है, जो रॉयल महिलाओ के लिये बनवाया गया था। महल के कमरों को भी गलियारों से जोड़ा गया है।

महल में महिलाओ के कमरों को इस कदर बनाया गया है की महाराजा दूसरी रानियों को पता चले बिना ही किसी भी रानी के रूम में जा सके।

 नाहर सिंह भोमिया के नाम पर ही इस किले का नाम रखा गया है। लेकिन आखिर ये इंसान है कौन जिसके नाम पर इस किले का नाम रखा गया? कुछ लोगो का मानना है की वह एक राठोड प्रिंस था और जिस जगह पर राजा सवाई जय सिंह ने यह किला बनाया था | 

वह जगह नाहर सिंह भोमिया की ही थी।जय सिंह ने उनकी आत्मा की शांति के लिये किले के अंदर उनके नाम का एक मंदिर का निर्माण भी करवाया। और तभी से उन्होंने किले का नाम भी उन्ही के नाम पर रखा – नाहरगढ़ किला |

नाहरगढ़ फोर्ट जाने का सबसे अच्छा समय – Best time to visit Nahargarh Fort

अगर आप नाहरगढ़ फोर्ट जाने का प्लान बना रहें तो बात दें कि यहां जाने का सबसे अच्छा समय सर्दियों का होता है जो अक्टूबर से मार्च तक होती हैं और जयपुर शहर में यात्रा करने के लिए यह सबसे अच्छा समय है।

इस मौसम में दिन बहुत अच्छे होते हैं लेकिन रातें 4 ° C से कम ठंडी होती हैं। अगर आप इन महीनों में यात्रा करते हैं तो अपने साथ ऊनी कपड़े जरुर ले जाएँ। यहां गर्मी अप्रैल से जून तक पड़ती है और इस इस दौरान मौसम बहुत गर्म और शुष्क होता है।

इस समय जयपुर का तापमान 44 ° C – 45 ° C तक हो जाता है और गर्म हवाएं भी चलती हैं। जुलाई से सितंबर तक यहां मानसून का समय होता है लेकिन जयपुर में बारिश ज्यादा नहीं होती।

नाहरगढ़ किले का खुलने का समय और प्रवेश शुल्क – Nahargarh Fort opening hours and entry fees

  • nahargarh fort timings 10:00 बजे – शाम 5:30 बजे
  • भारतीयो के nahargarh fort entry fee – 50 रूपये
  • विदेशीयो के लिए शुल्क – 200 रुपये

नाहरगढ़ किला कैसे पहुंचे – How to reach Nahargarh Fort

नाहरगढ़ किला जयपुर से 19 किमी दूरी पर स्थित है। जयपुर से इस किले तक के लिए बस आसानी से मिल जायेंगी। इसके अलावा आप कैब और टैक्सी की मदद से भी पहुँच सकते हैं।

जयपुर शहर रेलवे, वायुमार्ग और रोडवेज के माध्यम से देश के सभी बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

फ्लाइट से नाहरगढ़ किला कैसे पहुंचे :

अगर आप आ नाहरगढ़ किला किला घूमने के लिए जयपुर जा रहे हैं तो आपको बता दें कि हवाई जहाज द्वारा जयपुर की यात्रा करना आपके लिए काफी सुविधाजनक रहेगा।

सांगानेर हवाई अड्डा भारत के प्रमुख शहरों से नियमित रूप से चलने वाली कई एयरलाइनों से जुड़ा हुआ है। सांगानेर से नाहरगढ़ किले की दूरी करीब 34 किलोमीटर है, जहाँ पहुंचने के लिए आप किसी भी टैक्सी या कैब की मदद ले सकते हैं।

ट्रेन से नाहरगढ़ किला कैसे पहुंचे 

अगर आप नाहरगढ़ किला ट्रेन से जाना चाहते हैं तो बता दें कि जयपुर रेलवे स्टेशन भारत के कई बड़े शहरों से एक्सप्रेस ट्रेनों की मदद से जुड़ा हुआ है।

जयपुर रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद आप यहां से आप कैब या टैक्सी की मदद से अपनी मंजिल तक आसानी से पहुँच सकते हैं।

सड़क मार्ग से नाहरगढ़ किला कैसे पहुंचे 

राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम राजस्थान राज्य के भीतर जयपुर और प्रमुख शहरों के बीच कई लक्जरी और डीलक्स बसें चलाता है। आपको जयपुर के लिए नई दिल्ली अहमदाबाद, उदयपुर, वडोदरा, कोटा और मुंबई जैसे शहरों से नियमित बसें मिल जाएँगी।

नाहरगढ़ किले के अन्य प्रश्न

  1. नाहरगढ़ किले का निर्माण कब हुवा था ?

नाहरगढ़ किले का निर्माण ईस्वी 1734 में किया गया था नाहरगढ़ किले का निर्माण पर्वत के चारो तरफ किले की रक्षा के लिए दीवार का निर्माण करवाया गया था। नाहरगढ़ किला प्रथम आमेर की राजधानी हुवा करता था। 

2. नाहरगढ़ किले का निर्माण किसने करवाया था ?

नाहरगढ़ किले का निर्माण आमेर के महाराजा सवाई जयसिंह द्रितीय ध्वारा बनवाया गया था। नाहरगढ़ किला महाराजाओ का निवास स्थान भी हुआ करता था, अप्रैल 1944 तक जयपुर सरकार इसका उपयोग कार्यालयीन कामो के लिये करती थी।

3. नाहरगढ़ किले का क्षेत्रफल कितना है ?

नाहरगढ़ किले के परिसर आकर्षक संरचनाओं के एक आलवा जैविक उद्यान भी स्थित है जो इस किले का एक खास आकर्षण है। नाहरगढ़ अभयारण्य के 7.2 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले, जैविक पार्क को बारीक ग्रेनाइट और क्वार्टजाइट चट्टानों से सजाया गया है।

4. नाहरगढ़ किले का निर्माण किसके लिए करवाया था ?

नाहरगढ़ किला राजस्थान का एक बहुत ही आकर्षक किला है जो अपने पीले रंग के साथ गुलाबी नगरी जयपुर में बहुत आकर्षक दिखाई देता है। इस किले को सवाई राजा जयसिंह ने अपनी रानियों के लिए बनवाया था। 

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