modhera sun temple– गुजरात के मेहसाणा जिले के मोढेरा नामक गाँव में पुष्पावती नदी के किनारे प्रतीष्ठित है। यह स्थान पाटन से 30 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।
यह सूर्य मन्दिर भारतवर्ष में विलक्षण स्थापत्य एवम् शिल्प कला का बेजोड़ उदाहरण है। सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम द्वारा सन् 1026 -1027 में इस मन्दिर का निर्माण किया गया था। वर्तमान समय में यह भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है और इस मन्दिर में पूजा करना निषिद्ध है।
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मोढ़ेरा का सूर्य मंदिर गुजरात – Modhera Sun Temple Gujarat
modhera sun temple history मन्दिर परिसर के मुख्य तीन भाग हैं- गूढ़मण्डप (मुख्य मन्दिर), सभामण्डप तथा कुण्ड (जलाशय)। इसके मण्डपों के बाहरी भाग तथा स्तम्भों पर अत्यन्त सूक्ष्म नक्काशी की गयी है। कुण्ड में सबसे नीचे तक जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी हैं तथा कुछ छोटे-छोटे मन्दिर भी हैं।
मोढेरा गॉव में निर्मित है। यह सूर्य मन्दिर विलक्षण स्थापत्य और शिल्प कला का बेजोड़ उदाहरण है। इस मंदिर के निर्माण में जोड़ लगाने के लिए कहीं भी चूने का प्रयोग नहीं किया गया है।
ईरानी शैली में बने इस मंदिर को सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम ने 1026 ई. में दो हिस्सों में बनवाया था। जिसमें पहला हिस्सा गर्भगृह का और दूसरा सभामंडप का है।
इन स्तंभों को नीचे की ओर देखने पर वह अष्टकोणाकार और ऊपर की ओर देखने से वह गोल नजर आते हैं। मंदिर का निर्माण कुछ इस प्रकार किया गया थागर्भगृह में अंदर की लंबाई 51 फुट, 9 इंच और चौड़ाई 25 फुट, 8 इंच है।
मंदिर के सभामंडप में कुल 52 स्तंभ हैं। इन स्तंभों पर विभिन्न देवी-देवताओं के चित्रों के अलावा रामायण और महाभारत के प्रसंगों को बेहतरीन कारीगरी के साथ दिखाया गया है।
सूर्योदय होने पर सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह को रोशन करे। सभामंडप के आगे एक विशाल कुंड है जो सूर्यकुंड या रामकुंड के नाम से प्रसिद्ध है।

मोढ़ेरा सूर्य मंदिर का निर्माण – Construction of Sun Temple of Modhera
इस sun temple modhera परिसर का निर्माण एक ही समय में नहीं हुआ था। मुख्य मन्दिर, चालुक्य वंश के भीमदेव प्रथम के शासनकाल के दौरान बनाया गया था।
इससे पहले,सन 1024-25 के दौरान, गजनी के महमूद ने भीम के राज्य पर आक्रमण किया था, और लगभग 20,000 सैनिकों की एक टुकड़ी ने उसे मोढेरा में रोकेने का असफल प्रयास किया था।
इतिहासकार ए.के. मजूमदार के अनुसार इस सूर्य मंदिर का निर्माण इस रक्षा के स्मरण के लिए किया गया हो सकता है।[5] परिसर की पश्चिमी दीवार पर, उल्टा लिखा हुआ देवनागरी लिपि में “विक्रम संवत 1083” का एक शिलालेख है, जो 1026-1027 सीई के अनुरूप है।
कोई अन्य तिथि नहीं मिली है। जैसा कि शिलालेख उल्टा है, यह मन्दिर के विनाश और पुनर्निर्माण का सबूत देता है। शिलालेख की स्थिति के कारण, यह दृढ़ता से निर्माण की तारीख के रूप में नहीं माना जाता है।
शैलीगत आधार पर, यह ज्ञात है कि इसके कोने के मंदिरों के साथ कुंड 11वीं शताब्दी की शुरुआत में बनाया गया था। शिलालेख को निर्माण के बजाय गजनी द्वारा विनाश की तारीख माना जाता है।
इसके तुरंत बाद भीम सत्ता में लौट आए थे। इसलिए sun temple, modhera का मुख्य भाग, लघु और कुंड में मुख्य मंदिर 1026 ई के तुरन्त बाद बनाए गए थे।
12वीं शताब्दी की तीसरी तिमाही में द्वार, मंदिर के बरामदे और मंदिर के द्वार और कर्ण के शासनकाल के दौरान कक्ष के द्वार के साथ नृत्य कक्ष को बहुत बाद में जोड़ा गया था।
इस स्थान को बाद में स्थानीय रूप से सीता नी चौरी और रामकुंड के नाम से जाना जाने लगा।अब यहां कोई पूजा नहीं की जाती है। मंदिर राष्ट्रीय महत्व का स्मारक है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के देखरेख में है।
किसने कराया था मंदिर का निर्माण
मोढेरा सूर्य मन्दिर का निर्माण सूर्यवंशी सोलंकी राजा भीमदेव प्रथम ने 1026 ई. में करवाया था।अब यह सूर्य मन्दिर अब पुरातत्व विभाग की देख-रेख में आता है और हाल ही में यहाँ पर्यटन स्थलों के रख-रखाव में काफ़ी सुधार हुआ है।

मोढ़ेरा सूर्य मंदिर की वास्तु कला – Architecture of Sun Temple of Modhera
स्थापत्य की दृष्टि से यह मंदिर गुजरात में सोलंकी शैली में बने मंदिरो में सर्वोच्च है। ऊँचे प्लेटफार्म (जगती) पर एक ही अक्ष पर बने इस मंदिर के मुख्यतः तीन भाग है:
- मंदिर का मुख्य भाग जिसमें प्रदक्षिणा-पथ युक्त गर्भगृह तथा एक मण्डप हैं
- एक अलग से बना सभामण्डप जिसके सामने एक अलंकृत तोरण है तथा
- पत्थरों से निर्मित एक कुण्ड (जलाशय) जिसमें कई छोटे बड़े लधु आकार के मंदिर निर्मित हैं।
सभामण्डप, गूढमण्डप के साथ जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि एक अलग संरचना के रूप में इसे थोड़ा दूर रखा गया है। दोनों एक पक्के मंच पर बने हैं।
इनकी छतें बहुत पहले ढह गई है, अब बस उसके कुछ निचले हिस्से ही बचे हैं। दोनों छतें 15 फुट 9 इंच व्यास की हैं, लेकिन अलग-अलग तरीके से बनाई गई हैं। मंच या प्लिंथ, उल्टे कमल के आकार का है।
मंडप में सुन्दरता से गढ़े पत्थर के स्तम्भ अष्टकोणीय योजना में खड़े किये गये है जो अलंकृत तोरणों को आधार प्रदान करते हैं। मंडप की बाहरी दीवारों पर चारों ओर आले बने हुए हैं जिनमें 12 आदित्यों, दिक्पालों, देवियों तथा अप्सराओं की मूर्तियाँ प्रतिष्ठापित हैं।
सभामण्डप (अथवा, नृत्यमण्डप),जो कि कोणीय योजना में बना है,भी सुन्दर स्तम्भों से युक्त है। सभामण्डप में चारों मुख्य दिशाओं से प्रवेश हेतु अर्धवृतीय अलंकृत तोरण हैं।

मोढ़ेरा सूर्य मंदिर की वास्तु कला – Architecture of Sun Temple of Modhera
सभामण्डप के सामने एक बड़ा तोरण द्वार है। इसके ठीक सामने एक आयताकार कुंड है, जिसे “सूर्य कुण्ड”‘ कहते हैं (स्थानीय लोग इसे “राम कुण्ड” कहते हैम।
कुण्ड के जल-स्तर तक पहुँचने के लिये इसके अंदर चारों ओर प्लेटफार्म तथा सीठियाँ बनाई गई हैं। साथ ही कुंड के भीतर लघु आकार के कई छोटे बड़े मंदिर भी निर्मित किए गए हैं जो कि देवी-देवताओं, जैसे देवी शीतलामाता, गणेश, शिव (नटेश), शेषशायी-विष्णु तथा अन्य को समर्पित किए गए हैं।
शिल्पकला का अद्मुत उदाहरण प्रस्तुत करने वाले इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पूरे मंदिर के निर्माण में जुड़ाई के लिए कहीं भी चूने का उपयोग नहीं किया गया है।
ईरानी शैली में निर्मित इस मंदिर को भीमदेव ने दो हिस्सों में बनवाया था। पहला हिस्सा गर्भगृह का और दूसरा सभामंडप का है। मंदिर के गर्भगृह के अंदर की लंबाई 51 फुट और 9 इंच तथा चौड़ाई 25 फुट 8 इंच है।
इन स्तंभों पर विभिन्न देवी-देवताओं के चित्रों के अलावा रामायण और महाभारत के प्रसंगों को बेहतरीन कारीगरी के साथ दिखाया गया है। इन स्तंभों को नीचे की ओर देखने पर वह अष्टकोणाकार और ऊपर की ओर देखने से वह गोल नजर आते हैं।

मंदिर में सूर्य की पहली किरण
इस मंदिर का निर्माण कुछ इस प्रकार किया गया था कि जिसमें सूर्योदय होने पर सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह को रोशन करे। सभामंडप के आगे एक विशाल कुंड स्थित है जिसे लोग सूर्यकुंड या रामकुंड के नाम से जानते हैं।
मोढेरा सूर्य मंदिर का निर्माण कुछ इस तरह किया गया है कि सूर्योदय होने पर सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह को रोशन करे. मंदिर के पहले हिस्से में गर्भगृह और दूसरे में सभामंडप है.
गर्भगृह में अंदर की लंबाई 51 फुट, 9 इंच और चौड़ाई 25 फुट, 8 इंच है. मंदिर के सभामंडप में कुल 52 पिलर हैं. इन पिलर्स पर अलग-अलग देवी-देवताओं के चित्र, रामायण और महाभारत के प्रसंगों को खूबसूरती से दिखाया गया है.
मोढ़ेरा का सूर्य मंदिर में भगवान राम भी आए थे – Lord Rama also came to Modhera Sun Temple
sun temple at modhera के मंदिर का जिक्र कई पुराणों में भी आता है. स्कंद पुराण और ब्रह्म पुराण में कहा गया है कि प्राचीन काल में मोढेरा के आसपास का पूरा इलाका धर्मरन्य के नाम से जाना जाता था.
पुराणों के अनुसार ये भी बताया गया है कि भगवान श्रीराम ने रावण के संहार के बाद अपने गुरु वशिष्ट को एक ऐसा स्थान बताने के लिए कहा जहां जाकर वह आत्मशुद्धि कर सकें और ब्रह्म हत्या के पाप से भी मुक्ति पा सकें. तब गुरु वशिष्ठ ने श्रीराम को यहीं आने की सलाह दी थी.
भारत में मौजूद हैं दो सूर्य मंदिर
आपको बता दें कि भारत में दो विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर हैं. एक है देश के पूर्वी छोर यानी उड़ीसा राज्य में. इसका नाम है कोणार्क सूर्य मंदिर, जो अपने आप में काफी प्रसिद्ध है. दूसरा है देश के पश्चिमी छोर यानी गुजरात राज्य में बना हुआ मोढेरा सूर्य मंदिर. यह पाटन से 30 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।

मोढेरा का सूर्य मंदिर गुजरात का खजुराहो माना जाता है
Modhera के इस सूर्य मन्दिर को गुजरात का खजुराहो के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस मन्दिर की शिलाओं पर भी खजुराहो जैसी ही नक़्क़ाशीदार अनेक शिल्प कलाएँ मौजूद हैं।
इस विश्व प्रसिद्ध मन्दिर की स्थापत्य कला की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पूरे मन्दिर के निर्माण में जुड़ाई के लिए कहीं भी चूने बिल्कुल भी नहीं हुआ है।
मोढ़ेरा का सूर्य मंदिर का सूर्यकुंड – Suryakund of the Sun Temple of Modhera
इसके बाद आप मंदिर में प्रवेश करेंगे व सबसे पहले आपको वहां एक विशाल कुंड देखने को मिलेगा जिसे सूर्यकुंड या रामकुंड के नाम से जाना जाता है। यहाँ पर आपको 108 देवी देवताओं के छोटे-छोटे मंदिर मिलेंगे जिन्हें विभिन्न नक्काशियों से मूर्त रूप दिया गया है।
सूर्य मंदिर का सभामंड़प
इसके बाद वास्तु के अनुसार बड़े-बड़े द्वार बनाये गए है जिनमे प्रवेश करने से मंदिर का दूसरा भाग आता है जिसे सभामंड़प या विश्राममंड़प भी कहते है।
यहाँ पर आपको 52 स्तंभ मिलेंगे जो वर्ष के 52 सप्ताहों को प्रदर्शित करते हैं। हर स्तंभ पर इतनी अद्भुत व बारीकी से तराशी की गयी है कि इसे गुजरात का खजुराहो मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। आइये जानते है क्यों?
मोढ़ेरा का सूर्य मंदिर का गर्भगृह – Modhera Sun Temple Sanctuary
सभामंड़प से जब आप आगे चलेंगे तो आप मंदिर के मुख्य क्षेत्र अर्थात गर्भगृह तक पहुंचेंगे जो सूर्य देव का मंदिर है। इस मंदिर को इस तरह से बनाया गया है
सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह में स्थापित सूर्य भगवान के मस्तक पर पड़ती थी व इसके बाद पूरा मंदिर सुनहरे रंग में रंग जाता था।
साथ ही सूर्य भगवान की वर्ष भर में 12 दिशाओं के अनुसार 12 रूप दिए गए है। साथ ही मंदिर की चारों दिशाओं में दिशा के अनुसार ही देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित है।

मोढ़ेरा का सूर्य मंदिर प्राचीनकाल से विख्यात है – The Sun Temple of Modhera has been famous since ancient times
प्राचीन काल में मोढ़ेरा के आसपास का पूरा क्षेत्र ‘धर्मरन्य’ के नाम से जाना जाता था। इस प्रसिद्ध मन्दिर के आस-पास बगीचा बना हुआ है और साफ-सफाई का भी पूरा ध्यान रखा गया है। चूंकि यहाँ पूजा-अर्चना आदि नहीं होती, इसीलिए श्रद्धालुओं की भीड़ बहुत कम होती है।
मंदिर का पौराणिक महत्व
विभिन्न धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीराम ने लंका के राजा रावण के संहार के बाद अपने गुरु वशिष्ठ को एक ऐसा स्थान बताने के लिए कहा, जहाँ पर जाकर वह अपनी आत्मा की शुद्धि कर सकें और ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पा सकें।
तब गुरु वशिष्ठ ने श्रीराम को ‘धर्मरण्य’ जाने की सलाह दी थी। कहा जाता है भगवान राम ने ही धर्मारण्य में आकर एक नगर बसाया जो आज मोढेरा के नाम से जाना जाता है। श्रीराम यहाँ एक यज्ञ भी किया था। वर्तमान में यही वह स्थान है, जहाँ पर यह सूर्य मन्दिर स्थापित है।
जब महमूद गजनवी ने गुजरात का सूर्य मंदिर तोड़ दिया
सन 1026 ईसवीं के आसपास गजनी से आये क्रूर आक्रांता ने गुजरात की ओर आक्रमण किया था व कई मंदिर तोड़ लिए थे जिनमे गुजरात का सोमनाथ मंदिर मुख्य था जहाँ उसने पचास हज़ार श्रद्दालुओं की निर्मम तरीके से हत्या कर दी थी।
इसी के साथ उसने मोढेरा के सूर्य मंदिर पर भी भीषण आक्रमण किया व लाखो लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इसी के साथ उसने संपूर्ण मंदिर का विध्वंस किया व मूर्तियों को खंडित कर दिया। इतना ही नहीं उसने मुख्य मूर्ति को भी खंडित कर दिया व यहाँ से सभी सोना व आभूषण लूटकर अपने साथ ले गया।
मोढ़ेरा का सूर्य मंदिर का पुन: प्रारंभ – Modhera reconstruction of the Sun Temple
जल्द ही भीमदेव ने अपना पुनः आधिपत्य स्थापित किया व फिर से मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया। हालाँकि मंदिर के अब केवल अवशेष ही बचे थे किंतु जो मंदिर आज हम अपने सामने देखते है व पुनर्निर्मित किया गया था।
इसके बाद के राजाओं ने भी मंदिर के निर्माण में अपना योगदान दिया व समय-समय पर यहाँ कई चीज़े जोड़ी गयी जैसे कि मंदिर का नृत्य कक्ष, बरामदे, विभिन्न द्वार इत्यादि।

पुराणों में भी आता है इस मंदिर का उल्लेख
Modhera के मंदिर का जिक्र कई पुराणों में किया गया है। जैसे स्कंद पुराण और ब्रह्म पुराण जिनमें कहा गया है कि प्राचीन काल में मोढ़ेरा के आसपास का पूरा क्षेत्र धर्मरन्य के नाम से जाना जाता था।
पुराणों के अनुसार ये भी बताया गया है कि भगवान श्रीराम ने रावण के संहार के बाद अपने गुरु वशिष्ट को एक ऐसा स्थान बताने के लिए कहा जहां जाकर वह आत्मशुद्धि कर सकें और ब्रह्म हत्या के पाप से भी मुक्ति पा सकें। तब गुरु वशिष्ठ ने श्रीराम को यहीं आने की सलाह दी थी।
मोढ़ेरा का सूर्य मंदिर खंडित माना जाता है – The Sun Temple of Modhera is considered fragmented
सोलंकी राजा सूर्यवंशी थे, और सूर्य को कुलदेवता के रूप में पूजते थे। इसीलिए उन्होंने अपने आद्य देवता की पूजा के लिए इस भव्य सूर्य मंदिर बनाने का निश्चय किया, इसके चलते मोढ़ेरा के सूर्य मंदिर का निर्माण हुआ।
विदेशी आक्रांताओं के हमले के क्रम में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के दौरान मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा उसने मंदिर की मूर्तियों को भी तोड़ा-फोड़ा, इसीलिए वर्तमान समय में इस मन्दिर में पूजा करना निषेध है।
ऐसा माना जाता है कि अलाउद्दीन खिलजी के हमले ने मंदिर को खंडित कर दिया था। फिल्हाल इसे भारतीय पुरातत्व विभाग ने इस मंदिर को अपने संरक्षण में ले लिया है।
मंदिर में नहीं होती अब पूजा
अब यहाँ पूजा-अर्चना नहीं होती, क्योंकि मन्दिर अलाउद्दीन ख़िलज़ी द्वारा खंडित कर दिया गया था। इसके साथ ही भगवान सूर्य देव की स्वर्ण प्रतिमा तथा गर्भगृह के खजाने को भी इस मुस्लिम शासक ने लूट लिया था।
चारों दिशाओं से प्रवेश के लिए अलंकृत तोरण बने हुए हैं। मंडप के बाहरी ओर चारों और 12 आदित्यों, दिक्पालों, देवियों और अप्सराओं की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित हैं।
मन्दिर के बाहरी ओर चारो तरफ़ दिशाओं के हिसाब से उनके देवताओं की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित की गई हैं। इसमें सूर्य देवता की प्रतिमा को घुटनों तक के जूते पहनाये गए हैं। सामान्य रूप से कोई देवता पादुकाएँ पहने नहीं दिखाई देते।
ईरानी शैली में बना यह मंदिर भीमदेव प्रथम ने दो हिस्सों में बनवाया था | पहला हिस्सा गर्भगृह और दूसरा सभामंडप का है मंदिर के गर्भगृह की लम्बाई 51 फुट और 9 इंच तथा चौड़ाई 25 फुट 8 इंच है |
गर्भगृह और सभा मंडपों के स्तंभों पर विभिन्न देवी -देवताओ के आलावा रामायण और महाभारत के प्रसंगो को भी बहेतरीन तरीकेसे दिखाया गया है इन स्तंभों को निचे से अष्टकोणाकार और ऊपर की तरफ से देखने से गोल नजर आता है |
इस मंदिर का निर्माण कुछ इस तरह किया गया हे की सूर्योदय होने पर सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह को रोशन करता है सभामंडप के आगे कुंड है जिसे सूर्यकुंड या फिर रामकुंड कहा जाता है |
मोढेरा का सूर्य मंदिर गुजरात का खजुराहो माना जाता है क्योकि इस मंदिर में खजुराहो जैसी ही नक़्क़ाशील मुर्तिया कण्डारित है | प्राचीन काल से यह मंदिर के आसपास का क्षेत्र को ‘ धर्मरन्य ‘ नाम से जाना जाता है |

भारत सरकार में मौजूद मोढ़ेरा के दो सूर्य मंदिर हैं – India Two Sun temples of Modhera are present in India
आपको बता दें कि भारत में दो विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर हैं. एक है देश के पूर्वी छोर यानी उड़ीसा राज्य में. इसका नाम है कोणार्क सूर्य मंदिर, जो अपने आप में काफी प्रसिद्ध है.
दूसरा है देश के पश्चिमी छोर यानी गुजरात राज्य में बना हुआ मोढेरा सूर्य मंदिर. यह पाटन से 30 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है.में मौभारत में मौजूद हैं दो सूर्य मंदिरभारत में मौजूद हैं दो सूर्य मंदिर।
आपको बता दें कि भारत में दो विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर हैं. एक है देश के पूर्वी छोर यानी उड़ीसा राज्य में. इसका नाम है कोणार्क सूर्य मंदिर, जो अपने आप में काफी प्रसिद्ध है. दूसरा है देश के पश्चिमी छोर यानी गुजरात राज्य में बना हुआ मोढेरा सूर्य मंदिर. यह पाटन से 30 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है.
आपको बता दें कि भारत में दो विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर हैं. एक है देश के पूर्वी छोर यानी उड़ीसा राज्य में. इसका नाम है कोणार्क सूर्य मंदिर, जो अपने आप में काफी प्रसिद्ध है.
दूसरा है देश के पश्चिमी छोर यानी गुजरात राज्य में बना हुआ मोढेरा सूर्य मंदिर. यह पाटन से 30 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है.जूद हैं दो सूर्य मंदिर
आपको बता दें कि भारत में दो विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर हैं. एक है देश के पूर्वी छोर यानी उड़ीसा राज्य में. इसका नाम है कोणार्क सूर्य मंदिर, जो अपने आप में काफी प्रसिद्ध है. दूसरा है देश के पश्चिमीछोर यानी गुजरात राज्य में बना हुआ मोढेरा सूर्य मंदिर.
मोढ़ेरा मंदिर की कुछ बाते – Some things about Modhera temple
sun temple modhera plan बना रहे है तो गुजरात से प्रसिद्ध शहर अहमदाबादसे करीबन 100 किलोमीटर दूर और पाटण नामक स्थान से 30 किलोमीटर दक्षिण दिशा में पुस्पावती नदी के किनारे बसा प्राचीन स्थल है मोढेरा गांव है।
Modhera नामक गांव में यहसूर्य देव का विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर श्थित है | जो गुजरात के प्रमुख पर्यटक स्थलों के साथ ही गुजरात की प्राचीन गौरवगाथा का भी प्रमाण है
मोढेरा सूर्य मंदिर का निर्माण सूर्यवंशी सोलंकी राजा भीमदेव प्रथम ने सन 1026 करवाया था | अब यह सूर्य मंदिर पुरातत्व विभाग के देख रेख में आता है
भारतीय वास्तु -कला और शिल्पकला का अदभुत उदहरण है | इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह हे की पुरे मंदिर के निर्माण में जुड़ाई के लिए कही भी चुने का उपयोग नहीं किया गया है |

मोढेरा के सूर्य मंदिर के अन्य प्रश्न
- मोढेरा का सूर्य मंदिर कहा स्थित है ?
गुजरात के मेहसाणा जिले के मोढेरा नामक गाँव में पुष्पावती नदी के किनारे प्रतीष्ठित है। यह स्थान पाटन से करीबन 30 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।
2. मोढेरा का सूर्य मंदिर का निर्माण किसने करवाया था ?
मोढेरा के सूर्य मन्दिर का निर्माण सूर्यवंशी सोलंकी राजा भीमदेव प्रथम ने 1026 ई. में करवाया था।
3. मोढेरा के सूर्य मंदिर में पूजा क्यों नहीं होती ?
अब यहाँ पूजा-अर्चना नहीं होती, क्योंकि मन्दिर अलाउद्दीन ख़िलज़ी द्वारा खंडित कर दिया गया था। इसके साथ ही भगवान सूर्य देव की स्वर्ण प्रतिमा तथा गर्भगृह के खजाने को भी इस मुस्लिम शासक ने लूट लिया था। इस हमले से खंडित होने के बाद मंदिर में पूजा नहीं होती।
4. मोढेरा के सूर्य मंदिर में कितने मंदिर स्थित है ?
मोढेरा के सूर्य मंदिर में करीबन 108 देवी देवताओं के छोटे-छोटे मंदिर स्थित है जिन्हें विभिन्न नक्काशियों से मूर्त रूप दिया गया है और इसकी नक्काशी बारीकी से की गई है।
5. मोढेरा का सूर्य मंदिर गुजरात का क्या माना जाता है ?
मोढेरा के सूर्य मंदिर की वास्तुकला और उन मंदिर के निर्माण में किसी भी प्रकार का चुने का इस्तेमाल नहीं किया गया है और इसके नक्काशीदार कारीगरी से इसको गुजरात का खजुराहो के नाम से पहचाना जाता है।
गुजरात के इस सूर्य मंदिर कैसे पहुंचे
यदि आप यहाँ दर्शन करने का विचार कर रहे हैं तो आपको यहाँ अवश्य होकर आना चाहिए। यहाँ पर आपको हमारे इतिहास में निर्मित विशाल मंदिर को देखने के साथ-साथ यह भी देखने को मिलेगा कि हमारे पूर्वज कितने महान थे जिन्होंने उस समय में भी इतनी अद्भुत नक्काशी की थी।
यहाँ तक पहुँचने के लिए आपको हवाईजहाज, रेल, बस इत्यादि सभी की सुविधा आसानी से मिल जाएगी। यदि आप प्लेन या ट्रेन से आने का सोच रहे है
तो नजदीकी हवाईअड्डा अहमदाबाद हवाईअड्डा है व सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन भी अहमदाबाद का रेलवे स्टेशन है। यहाँ से आगे आप बस या निजी वाहन से यात्रा कर सकते हैं।
Modhera Sun Temple Video
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