History of Lothal Nagar In Hindi – लोथल नगर का इतिहास हिंदी में

Lothal हाली में गुजरात में मौजूद हैं, प्राचीन सिंधु घाटी की सभ्यता में एक सबसे मुख्य शहरों में से एक है । इसकी खोज 1954 में की गई थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने ई.स1955 से 1960 में लोथल की खुदाई कीगई।

लोथल जो कि विश्व की प्राचीनज्ञात गोदी मानी जाती है, सिंध में स्थित हड़प्पा के शहरों और सौराष्ट्र प्रायद्वीप के बीच बहने वाली साबरमती नदी की प्राचीन धारा के द्वारा शहर से जुड़ी थी

लोथल का इतिहास – History of Lothal

जो इन स्थानों के मध्य एक व्यापार मार्ग था। उस समय में आसपास में कच्छ का मरुस्थल जो अरब सागर का एक हिस्सा माना जाता था।

प्राचीन समय में यह एक महत्वपूर्ण और संपन्न व्यापार केंद्र था जहाँ से मोती, जवाहरात और कीमती गहने पश्चिम एशिया और अफ्रीका के कोनों तक भेजे जाते थे।

मनकों को बनाने की तकनीक और उपकरणों का समुचित विकास हो चुका था और यहाँ का धातु विज्ञान पिछले 4000 साल से भी अधिक से समय की कसौटी पर खरा उतरा था।

ई.स 1961 में खुदाई का कार्य फिर से शुरु किया गया और प्रमुख खोजों में एक टीला, नगर, बाज़ार स्थल और गोदी मिला है। चावल की खेती का उदाहरण प्राचीनतम साक्ष्य भी लोथल से ही मिलाता है।

लोथल का अर्थ – Meaning of Lothal

लोथल’ के शब्दिक अर्थ की बात की जाये तो इसका मतलब होता है ‘मृत मानवों’ का नगर.

लोथल कहा स्थित है – Where is lothal located

गुजरात के सौराट्र के भाल क्षेत्र में स्थित है। आज अहमदाबाद जिले के धोलका तालुके के सरगवावा गांव की सीमा में स्थित है.

लोथल के खोज कर्ता कोन  है 

लोथल की खोज भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा किया गया था | इनमे पुरातत्वविद एस.आर. राव की अगुवाई में कई टीमों ने मिलकर लोथल की खोज की |

लोथल की खोज कब की – When did Lothal discover 

लोथल की खोज ई.स 1954 में की गई थी | भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने 13 फरवरी, 1955 से 19 मई, 1960 तक लोथल की खुदाई की।

लोथल किस नदी के किनारे है – Which river is Lothal on the banks of

लोथल साबरमती नदी के किनारे बसा एक प्राचीन नगर है |

कैसा है लोथल

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा गुजरात के सौराष्ट्र में ई.स 1947 के बाद में हड़प्पीय सभ्यता नगरों की खोज शुरू की और इसमें उन्हें पूरी तरह से सफलता मिली।

पुरातत्वविद एस.आर. राव की अगुवाई में कई टीमों ने मिलकर ई.स1954 से 1963 के बीच कई हड़प्पा स्थल खोद काम किया , जिनमें में बंदरगाह नगर लोथल भी मौजूद है।

हड़प्पा संस्कृति को दो उप-कालखंडों में रखा गया है: 1. ई.स पूर्व 2400-1900 और 2. ई.स पूर्व1900-1600 माना जाता है ।

मोहे-जो -दरों नगर की तरह लोथल का भी अर्थ है, मुर्दों का टीला। खंभात की खाड़ी के पास भोगावो और साबरमती नदियों के बीच लोथल स्थित है ।

History of Lothal Nagar in Hindi - लोथल नगर का इतिहास हिंदी में
History of Lothal Nagar in Hindi – लोथल नगर का इतिहास हिंदी में

अहमदाबाद से हम मिट्टी और धूल से भरी एक लंबी यात्रा के पश्यात हम सारगवाला गाँव में पहुंचा जाता है जहाँ लोथल का पुराना नगर स्थल स्थित है।

लोथल हम पहुँचे तो ऐसा लगता है की कि ये ईंटें और अवशेष हाल-फिलहाल में ही बनाई गये है, किसी भी हालत में ई.स पूर्व 2400 के तो बिलकुल नहीं ही लगते ।

लोथल का डॉकयार्ड 

Lothal में बसे पहले हमें हमें दिखाई देता है एक पुरातत्व आयताकार बेसिन, जिसे डॉकयार्ड नाम से जाता था। डॉकयार्ड 218 मीटर लंबा और 37 मीटर चौड़ा यह बेसिन चारोंऔर से पक्की ईंटों से घिरा हुआ बनाया है। इसमें स्लूस गेट और इनलेट के लिये जगह छोड़ी गई है।

लोथल गुजरात सभ्यता के भग्नावशेष – Lothal Gujarat Sabhyata Ke Bhagnaavashesh

हाली में लोथल की स्थिति देखि जाये तो परित्यक्त नगर की तरह नज़र आता है, जहाँ पर अब केवल टूटी हुवी ईंटे और ईमारते , ही बची हैं,

जो नगर की गौरवपूर्णअस्तित्व की कहानियाँ बया करती हैं। आपको साधारण नजर से देखना आपके लिए यह सब कुछ समझना थोड़ा मुश्किल होगा ।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा कुछ अंदाजा लगाए गए है की जिन पर कुछ जटिल सी जानकारी दी गयी है जिसे भी समझ पाना थोड़ा मुश्किल होगा ।

लोथल पर आधारित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा की पुस्तिका मौजूद है जो सालों पहले दिल्ली में स्थित उनके मुख्य केंद्र में स्थित है । इस यात्रा में आपके लिए वह पुस्तिका बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो सकती है ।

लोथल की खुदाई स्थान पर पहुँचे तो सबसे पहले वहाँ पर लोथल का संग्रहालयदिखाई देता है। इस संग्रहालय के नजदीक में प्रमुख खुदाई स्थान मौजूद है और वहाँ तक पहुँचने के लिए आपको धूल भरे रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है।

पहली बार में तो यहस्थल किसी विशाल क्षेत्र की तरह दिखाई देता है जिसे नींव रखने के बाद ही अनाथ छोड़ा गया हो। यहाँ पर एक उठे हुए मंच पर कुछ कमरे का निर्माण करवाया था |

असल में वह लोथल का एक व्यापारी गोदाम था जहाँ पर व्यापार की वस्तुएं रखी जाती थीं। लोथल वैसे तो उतना बड़ा नहीं है परन्तु जैसे ही आगे जाये तो यह पूरा शहर काफी छोटा सामालूम होता है।

परन्तु जल्द ही इस बात का एहसास होगा कि यह शहर यानी आधुनिक काल के वे बड़े-बड़े नगर हैं, जो कि एक जमाने में अपने वर्तमान आकार से कहीं छोटे हुआ करते थे।

लोथल क्यों प्रसिद्ध है 

प्राचीन समय में यह एक महत्वपूर्ण और संपन्न व्यापार केंद्र था जहाँ से मोती, जवाहरात और कीमती गहने पश्चिम एशिया और अफ्रीका के कोनों तक भेजे जाते थे।

मनकों को बनाने की तकनीक और उपकरणों का समुचित विकास हो चुका था और यहाँ का धातु विज्ञान पिछले 4000 साल से भी अधिक से समय की कसौटी पर खरा उतरा था।

ई.स 1961 में खुदाई का कार्य फिर से शुरु किया गया और प्रमुख खोजों में एक टीला, नगर, बाज़ार स्थल और गोदी मिला है। चावल की खेती का उदाहरण प्राचीनतम साक्ष्य भी लोथल से ही मिलाता है।

History of Lothal Nagar in Hindi - लोथल नगर का इतिहास हिंदी में
History of Lothal Nagar in Hindi – लोथल नगर का इतिहास हिंदी में

ऐसा माना जाता है कि यह नगर करीबन आज से 4000 साल पहले अस्तित्व में था. इस कारण से यह सालों से बहुत प्रसिद्ध था, पर इस लोथल नगर का असली स्वरूप की जानकारी तब मिली की जब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की एक टीम ने वहां विजिट करके वहा संशोधन किया.

भारतीय पुरातत्वीय सर्वेक्षण ने ई.स 1954 में अपने सर्वेक्षण में इस टीम ने अंदाजा लगाया कि यह स्थान पर कोई न कोई सभ्यता या संस्कृति तो रही ही होगी.

इसके बाद यह स्थान पर खुदाई शुरु करवा दी गई. सालों खुदाई करने के बाद यहां से कई सारे ऐसे पुरानेअवशेष मिले जो सीधे तरह से एक विकसित सभ्यता निशान दर्शाते हैं. इस कारण लोथल नगर पुरातत्व विभाग के लिए यह नगर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

इसके पीछे वाजिब कारण भी है. असल में हड़प्पा और मोहजोदड़ो जैसे स्थल आज भारत का हिस्सा नहीं हैं, ऐसे में लोथल हड़प्पा सभ्यता के कई रहस्यों से पर्दा उठा सकता |

लोथल में देखने के खास स्मारक

  •  1.  लोथल का प्राचीन कुआं

लोथल में एक अति प्राचीन कुआं मौजूद है | लोथल नगर प्रमुख व्‍यापार केंद्र होने के आदि लोथल में अपने समय का एक प्राचीन कुआं भी हैं।

यह कुए से हज़ारों साल पहले की सभ्‍यता के लोगों को शुद्ध पानी की सगवड की जाती थी । हाली में अब ये कुऐ का पानी सूख चुका है और अब इसके केवल अवशेष ही बचे हैं।

History of Lothal Nagar in Hindi - लोथल नगर का इतिहास हिंदी में
History of Lothal Nagar in Hindi – लोथल नगर का इतिहास हिंदी में

लोथल बेहद सुसंस्कृत और उन्नत था और इस शहर की वैज्ञानिक पद्धति निश्चित रूप से इस तथ्य को साबित करती है। इस शहर के असाधारण वास्तुकला को देखने के बाद लोथल के लोगों के बुद्धिमान और चालाक होने की बात से इनकार नहीं कर सकते ।

  • 2. लोथल के गोदाम : 

लोथल नगर मुख्य व्यापारिक केंद्र होने के कारण लोथल में गोदाम भी मौजूद है | जहां पर उस समय में कच्‍चा सामान और मैन्युफैक्चर्ड सामान और सामग्री बिकने से पहले रखी जाती थी।

लोथल नगर का ये मौजूद गोदाम प्‍लैटफॉर्म पर बना हुवा है, और इस गोदाम में कई सारी चीज़ें रखी जाती थीं। ऐसा माना जाता है कि लोथल में और इसके नजदीकी कई और भी छोटे गोदाम भी देखने मिले हैं जो वह आज भी इतिहास की कहानीयोकि साक्षी है 

  •  3.  एक्रोपोलिस और लोअर टाउन :

लोथल का कमर्शियल और राजनीतिक का मुख्य केंद्र एक्रोपोलिस था। शहर के मद्य केंद्र में स्थित एक्रोपोलिस आयताकार में अनेक घर और स्‍नानगार थे।

यहां की जल निकासी की व्‍यवस्‍था को देखकर आप अचंभित हो जाएंगें। वहीं दूसरी तरफ लोथल का मुख्य विभाग है लोअर टाउन जिसमें कई वर्कशॉप, घर और दूसरे निजी इमारते हैं। इस शानदार जगह पर बीड फैक्‍ट्री भी हुआ करती थी

  •  4. संग्रहालय :

लोथल की प्राचीन कलाकृतियां संग्रहालय में देखने को मिलती हैं तो लोथल का संग्रहालय पश्चिम दिशा में स्थित आर्कियोलॉजिकल संग्रहालय स्थित है 

यहां पर प्राचीन शीशों से लेकर चित्रकारी किए गए गमले और खिलौने, खूबसूरत आभूषण देखने को मिलते है । लोथल के संग्रहालय में प्राचीन सभ्‍यता की प्राचीन वस्‍तुओं को रखा गया है। आभूषणों और यहां पर इजिप्त की मुद्रा ये भी देख सकते हैं

लोथल नगर का विनाश का कारण क्या है

Lothal की विनाश के कई कारण माने जाते हैं. इसमें सबसे ज्यादा मुख्य बाढ़ और त्सुनामी को माना जाता है. लोथल ई.पू.1900 के आसपास यहां नदी में एक बार तेज बाढ़ आई थी. खुदाई के दौरान जमीन से मिली अलग-अलग मिट्टी की परतें इस बात को साबित करती हैं.

लोथल नगर की विनाश का दूसरा बड़ा कारण यहां निर्माणित बंदरगाह को माना जाता है. कहा जाता है कि इसी के कारण पानी अधिक मात्रा में आ गया था, जिसे समय से पानी को पानी को नियंत्रित नहीं किया जा सका. परिणाम यह हुआ कि पूरा लोथल नगर पानी से भर गया.

बाद में इस लोथल नगर को कुछ सालों बाद फिर से बसाने की कोशिश की गई, पर वह पहले जैसा नहीं बस पाया था. बाद में कुछ वक्त बाद ही वह फिर से नष्ट हो गया.

लोथल जाने का अच्छा समय  

Lothal नगर का मौसम अधिक गर्म रहता है इसकारण गर्मी के मौसम में लोथल नगर बिलकुल नहीं जाना चाहिये । लोथल में बसी सभ्‍यता और इसके प्राचीन अवशेषों को आराम से देखना चाहते हैं तो लोथल आने का सबसे सही समय नवंबर से लेकर मार्च के अंत तक लोथल जा सकते है

अहमदाबाद से लोथल कैसे पहुंचे 

अहमदाबाद से लोथल करीबन 78 की.मी की दूरी पर स्थित है लोथल नगर आप सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। अहमदाबार से टैक्‍सी, कैब और बससे भी लोथल पहुँच सकते है। अगर आप रेल से यात्रा करना चाहते हैं तो आप अहमदाबाद से बुरखी तक ट्रेन और फिर लोथल के लिए यहां से बस द्वारा जा सकते हैं।

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