Lohagarh Fort राजस्थान के भरतपुर शहर का एक महत्वपूर्ण दुर्ग है | इस किले का नाम मजबूत धातु लोहे के रूप में रखा गया है
क्योंकि यह किला सभी समय के सबसे मजबूर किलों में से एक है इतिहास की माने तो इस किले पर कई बार आक्रमण हुवे , लेकिन यह किला आज भी शान से खड़ा हुआ है। इस किले की दीवार को तोड़ने की शक्ति न तो मुगलों और न ही अंग्रेजों के पास थी।
इस किले परिसर में अनेक स्मारक शामिल हैं जिनमे से ज्यादातर स्मारक जीत के प्रतीक के तौर पर निर्माण करवाया गया था । लोहागढ़ दुर्ग के भीतर आकर्षक संग्रहालय मौजूद है
लोहागढ़ किले का इतिहास –
वह संग्रहालय किले के प्रमुख इमारतों का एक हिस्सा माना जाता है | जिसमें इतिहास में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को खुश करने के लिए बहुत कुछ बाते जान सकते है।
लोहागढ़ किले का निर्माण ई.स 1730 में महाराजा सूरज मल द्वारा निर्माण करवाया था | सूरजमल ने सारे धन और शक्तियों का उपयोग अच्छे उद्देश्य और भलाई के कामो में किया गया था ।
लोहागढ़ किले की दूसरी जानकारी पाने के लिए जैसे की इतिहास, वास्तु कला, संग्रहालय, अन्य इमारतो का इतिहास जानना चाहते हैं तो यह लेख आपको पूरा पढ़ना पड़ेगा |
लोहागढ़ किला किसने बनवाया था – Who built Lohagarh Fort
लोहागढ़ किले का निर्माण ई.स 1733 को महाराजा सूरज मल द्वारा किया गया था तथा इस किले को आयरन फोर्ट के नाम से भी जाना जाता है।
लोहागढ़ किला पहाड़ी किलो मे से एक है लोहागढ़ किले को मिट्टी से बने होने के कारण उसे मिट्टी के किले से भी जाना है। लोहागढ़ किले का इतिहास बहुत ही प्रसिद्ध रहा है।
लोहगढ़ किला अंग्रेजो के हमलो को झेलने के लिए भी जाना जाता है और यह किला भारत में शांति अवं सुंदर वातावरण मे स्थित है। भारत का यह किला एकमात्र अजेय किला कहा जाता है, क्योंकि इसे कभी भी कोई जीत नहीं पाया।
यह किला मिट्टी का होने के कारण इस किले पर जितने भी आक्रमण गोला बारूद से हुये वो गोला बारूद मिट्टी मे ही दबकर खराब हो जाते थे इस कारणलोहागढ़ किले पर आज तक किसी ने भी विजय प्राप्त नही कर सका |
लोहागढ़ किला कहा स्थित है – Where is Lohagarh Fort located
लोहागढ़ किला राजस्थान के भरतपुर शहर के मद्य में एक मानवनिर्मित द्वीप पर बना हुवा है
लोहागढ़ किले की संरचना – Structure of Lohagarh Fort
लोहागढ़ किले को इतनी कुशलता के साथ बनाया गया है की कोई भी दुश्मन यदि इस किले पर आक्रमण करते है तो उनकी सारी महेनत नाकाम हो जाती थी |
लोहागढ़ के किले की दीवारे मिट्टी से ढंकी हुई है | जिससे दुश्मनों की तोप के गोले मिट्टी में फस जाते थे तोप के गोले और बंदूक की गोलिया नाकाम रह जाते थे और खराब हो जाते थे | इसी कारण से लोहागढ़ किला इतना प्रसिद्ध हो गया।
लोहागढ़ के किले के चारोऔर खाइ बनवाई थी क्युकी दुश्मन किले मे प्रवेश न कर जाये और इन खाइ मे पानी भर दिया था इतना ही नहीं बल्कि दुश्मन तैरकर किले तक पहुंचे न सके इसलिए इस खाई के पानी में मगरमच्छ रखे गए थे और एक ब्रिज बनाया गया था जिसमें एक द्वार था ।
लोहागढ़ किले की प्रमुख दीवारो की ऊंचाई तकरीबन 100 फिट और चौड़ाई 30 फिट है | यह दीवारों का बहार का हिस्सा ईंटो से बना हुवा है और आतंरिक हिस्सा मिटटी से बनाया गया है | लोहागढ़ किला मिट्टी से बने होने के कारण इसे मिट्टी का किला भी कहा जाता है |
अस्टधातु द्वार कैसे बनवाया था – How the octagonal gate was built
लोहगढ़ किले का अष्टधातु द्वार किले का मुख्य प्रवेश द्वार है | अष्टधातु द्वार के स्पाइक्स आठ धातुओं से बने हुवे हैं इसीलिए यह द्वार को अष्टधातु या आठ धातु द्वार कहा जाता है. अष्टधातु द्वार का मतलब अष्ट मतलब का आठ और धातु का मतलब है धातु |
लोहागढ़ किले के अन्य कितने स्मारक है – How many other monuments of Lohagarh Fort are there
( 1 ) लोहागढ़ किले का अष्टधातु का द्वार :
लोहागढ़ किले का यह अष्टधातु द्वार किले का मुख्य प्रवेश द्वार है. गेट के स्पाइक्स आठ धातुओं से बने होते हैं, इसीलिए गेट को अष्टधातु या आठधातु द्वार कहा जाता है.
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यहाँ अष्ट का मतलब है आठ और धातु का मतलब है धातु. द्वार में युद्ध के हाथियों के चित्रों के साथ-साथ गोल गढ़ हैं. ऐसा कहते है अष्टधातु द्वार चित्तौड़गढ़ किले से संबंधित था | जिसे अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली ले गया था. जिसे ई.स 1764 में राजा जवाहर सिंह द्वार को लोहागढ़ किले में वापस ले आए थे |
( 2 ) लोहागढ़ किले का लोहिया द्वार :
लोहिया द्वार किले के दक्षिण क्षेत्र में स्थित है. इसे दिल्ली से लाया गया था क्योंकि यह चित्तौड़गढ़ किले का एक हिस्सा था और अलाउद्दीन खिलजी द्वारा लाया गया था.
( 3 ) लोहागढ़ किले का बलुआ पत्थर का दरबार :
लोहागढ़ किले का महाराजा मीटिंग हॉल था जहां राजा सार्वजनिक और निजी सभाये करते थे. हॉल की दीवारों परआकर्षण नक्काशी की गई है, लोहागढ़ किले के हॉल में स्तंभ और मेहराब भी हैं. हॉल को अब संग्रहालय के रूप में बदल दिया है |
( 4 ) लोहागढ़ किले की खाई :
लोहागढ़ किला खाई से चारो ओर से घिरा हुआ है खाई क चौड़ाई 250 फीट और गहराई 20 फीट है. खाई को खोदने के बाद 25 फीट की ऊंचाई वाली और 30 फीट की चौड़ाई वाली एक दीवार का निर्माण करवाया गया था.
किले में जाने की लिए और बाहर निकलने के लिए दस द्वार का निर्माण करवाया गया था | प्रत्येक द्वार प्रमुख सड़क की ओर निकलता था और सड़क के सामने एक बड़ी खाई थी जिसकी चौड़ाई तकरीबन 175 फीट और गहराई तकरीबन 40 फीट की है
लोहागढ़ किले की दीवारें :
लोहागढ़ किले की मुख्य इमारतो की दीवारों की ऊंचाई 100 फीट और चौड़ाई 30 फीट की है. दीवार का बाहरी हिस्सा ईंटो से बना था लेकिन भीतरी हिस्सा मिट्टी से बना था. तोपों की गोलीबारी से आंतरिक भाग प्रभावित नहीं हुआ.
( 5 ) लोहागढ़ किले के बुर्ज :
किले में आठ बुर्ज या मीनारें थीं जिनमें से जवाहर बुर्ज सबसे ऊंचा है. इस बुर्ज पर बड़ी तोपों के पहिए लगाए गए है. तोप के पहियों पर इतना भार था कि हथियार खींचने के लिए लगभग 40 जोड़े बैलों का इस्तेमाल किया गया था. कई छोटे तोपों के पहिये भी लगाए गए थे जो या तो युद्ध के दौरान लूट लिए गए थे या राजा द्वारा खरीदे गए थे.
लोहागढ़ किले का जवाहर बुर्ज और फतेह बुर्ज का निर्माण किसने करवाया था – Who built Jawahar Burj and Fateh Burj of Lohagarh Fort
लोहागढ़ किले के जवाहर बुर्ज को राजा सवाई जवाहर सिंह ने ई.स1765 में मुगलों पर अपनी जीत की याद में बनवाया था. जवाहर बुर्ज का उपयोग राजाओंके के राज्याभिषेक और समारोह के लिए भी किया जाता था.
बुर्ज की छत की दीवारो पर भित्ति चित्र हैं जो अब उसका अस्तित्व मिट रहा हैं. बुर्ज में मंडपों की एक श्रृंखला भी है. फतेह बुर्ज का निर्माण राजा रणविजय ने निर्माण किया था |
यह विजया स्तम्भ एक लोहे मेसे बना लौह स्तंभ है जिसमें जाट राजाओं के वंश का समावेश होता है. जीतसिंह ने अंग्रेजों पर अपनी जीत की ख़ुशी में ई.स1805 में बुर्ज का निर्माण करवाया था |
लोहागढ़ किले का विजय स्तम्भ – Victory Pillar of Lohagarh Fort
लोहागढ़ किले का विजया स्तम्भ एक लोहे मेसे बना लौह स्तंभ है जिसमें जाट राजाओं के वंश का समावेश होता है. भगवान श्री कृष्ण से शुरू होकर उनका वंश सिंधुपाल तक माना जाता है |
जो भगवान श्री कृष्ण के 64 वें वंशज माने जाते है | यह महाराजा बृजेन्द्र सिंह तक जाता है जिन्होंने ई.स1929 से 1948 तक शासन किया. वंशावली में वर्णित शासक यदुवंशी जाट हैं.
लोहागढ़ किले का महल खास – The palace of Lohagarh Fort is special
लोहागढ़ का महल ख़ास सूरज मल द्वारा बनाया गया था, जिन्होंने ई.स 1733 से 1763 तक शासन किया था. महल ख़ास की छतें घुमावदार और बालकनियों को सहारा देने के लिए घोड़ेसवार कोष्ठक का इस्तेमाल किया गया है |
यह निर्माण जाट वास्तुकला का एक अनोखा हिस्सा है . किले के पूर्वी हिस्से में एक और महल खास है, जिस महल को राजा बलवंत सिंह ने निर्माण करवाया था | जिसने ई.स1826 से 1853 तक शासन किया.
लोहागढ़ किले का बदन सिंह पैलेस – Badan Singh Palace of Lohagarh Fort
बदन सिंह पैलेस का निर्माण सूरज मल के पिता ने किले के उत्तर पश्चिमी कोने में कराया था. महल को ओल्ड पैलेस के रूप में भी जाना जाता है और इसे किले के उच्चतम बिंदु पर बनाया गया था. सूरज मल के पिता ने 1722 से 1733 तक भरतपुर पर शासन किया.
लोहागढ़ किले का कामरा पैलेस – Kamra Palace of Lohagarh Fort
कामरा पैलेस को बदन सिंह महल के बगल में बनाया गया था और इसका इस्तेमाल हथियार और शस्त्रागार रखने के लिए किया जाता था. महल को अब एक संग्रहालय में बदल दिया गया है जिसमें जैन मूर्तियां, हथियारों का संग्रह और अरबी और संस्कृत पांडुलिपियां शामिल हैं.
लोहागढ़ किले का गंगा मंदिर – Ganga temple of Lohagarh fort
लोहागढ़ किले का गंगा मंदिर का निर्माण ई.स 1845 में राजा बलवंत सिंह द्वारा किया गया था | राजा ने घोषणा की कि जो लोग निर्माण में शामिल हैं उन्हें अपना एक महीने का वेतन दान करना होगा. मंदिर की वास्तुकला बहुत सुंदर है.
लोहागढ़ किले का लक्ष्मण मंदिर – Laxman Temple of Lohagarh Fort
लोहागढ़ किले का लक्ष्मण मंदिर भगवान राम के भाई लक्ष्मण को समर्पित है मंदिर का निर्माण में पत्थर का इस्तेमाल किया गया है | द्वारा से लेकर खंभे, छत, मेहराब और दीवारों तक की आकर्षित नक्काशी की गई है |
लोहागढ़ किले पर कितने हमले हुवे थे – How many attacks were there on Lohagarh fort –
ब्रिटिश जनरल लेक राजपूतो और मराठों के बीच दुश्मनी पैदा करना चाहता था | इसलिए उसने महाराजा रंजीत को संधि की लालच दिलाई और उस समय होल्कर राजा उनकी सुरक्षा में थे और राजा ने उन्हें अंग्रेजों को सौंपने से इनकार कर दिया.
अंग्रेजों के खिलाफ लिए निर्णय के बाद उन्होंने किले को पर चारोतरफ से गेरलिया | और लेक के कहने के अनुसार किले पर आक्रमण किया परन्तु बुरी तरह उनकी हार हुई |

उनके कई सैनिक और मंत्री मारे गए. दो दिनों के पश्यात ब्रिटिशों ने दीवार तोड़ दी और जाटों ने तोपो से जरिये हमला किया | तीसरे हमले में अंग्रेजों ने सफलतापूर्वक खाई को पार कर लिया लेकिन जाटों के हमले ने सैनिकों के शरीर में खंदक भर दिया.
जनरल लेक को शांति संधि करने के लिए कहा गया था लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि सुदृढीकरण आ रहा है. होल्कर, और रणजीत सिंह की सेना ने मिलकर अंग्रेजों पर आक्रमण किया.
जब मुंबई और चेन्नई से आए सैनिकों से ब्रिटिश बल को मजबूत किया तो उन्होंने हमले को नए सिरे से अंजाम दिया. ब्रिटिश सैनिकों पर बोल्डर से हमला किया गया लेकिन फिर भी उनमें से कुछ किले में प्रवेश करने में सफल रहे.
इस युद्ध से ब्रिटिश सरकार को भारी नुकसान हुवा | लगभग 3000 सैनिक मारे गए और कई हजार घायल हुए. इसके बाद झील राजपूतों के साथ शांति संधि में चली गई |
लोहागढ़ किले जाने का अच्छा समय – Good time to visit Lohagarh Fort
लोहागढ़ फोर्ट की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय अगस्त से सितंबर तक आप लोहागढ़ के किले में गुमने जा सकते है।
लोहागढ़ किले का समय – Time of Lohagarh Fort
सुबह 9:00 बजे – शाम 5:30 बजे तक
लोहागढ़ किले में प्रवेश निशुल्क है |
लोहागढ़ किला कैसे पहुंचें – How to reach Lohagarh Fort
लोहागढ़ किला भरतपुर शहर से 2 किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित है। भरतपुर शहर राज्य के प्रमुख शहरों से सड़क और रेल के माध्यम से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
भारत के मुख्य शहर जैसे दिल्ली से आग्रा और जयपुर से आप लोहागढ़ किला आसानी से जा सकते हैं। इन सभी मुख्य शहरों से आप लोहागढ़ के लिए ट्रेन से जा सकते हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों से कई शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
लोहागढ़ किला हवाई मार्ग से कैसे पहुंचे
लोहागढ़ किले की यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि इस शहर में सीधी फ्लाइट कनेक्टिविटी उपलब्ध नहीं है। भरतपुर का सबसे पास का हवाई अड्डा आगरा शहर में स्थित है जो 50 किलोमीटर की दूरी पर है,लेकिन इस हवाई अड्डे के लिए बहुत कम उड़ाने संचालित होती हैं।
भरतपुर जाने के लिए प्रमुख विकल्प के तौर पर आप जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई एयरपोर्ट और दिल्ली हवाई एयरपोर्ट के लिए उड़ान ले सकते हैं जो आग्रा की तुलना में काफी अच्छे हैं।
ट्रेन से लोहागढ़ किला कैसे पहुंचे
लोहागढ़ किले की यात्रा करने के लिए दिल्ली शहर से आग्रा और दिल्ली से मुंबई ट्रेन मार्ग से जा सकते है । देश के प्रमुख शहरों से चलने वाली ट्रेन लोहागढ़ किले के नजदीकी क्षेत्र में रूकती हैं।
सड़क मार्ग से लोहागढ़ किला कैसे पहुंचे
Lohagarh Fort के लिए सड़क मार्ग से जा रहे हैं तो बता दें यह किला भरतपुर शहर से 2 किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित है। भरतपुर शहर भारत के प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, आगरा से भी ज्यादा दूर नहीं है।
अगर आप पूर्वी ओर से ड्राइव करने की योजना बना रहे हैं तो यह यात्रा आपके लिए एक आरामदायक और मजेदार यात्रा साबित हो सकती है।
भरतपुर शहर राजस्थान की पिंक सिटी जयपुर से भी एक राष्ट्रीय राजमार्ग के माध्यम से जुड़ा हुआ है जिसकी मदद से आप आसानी से किले तक पहुंच सकते हैं।
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