Junagadh Fort – राजस्थान के बीकानेर में स्थित जूनागढ़ किला एक बहुत ही खूबसूरत और शानदार संरचना है। बता दें कि इस किले के चारो तरफ बीकानेर शहर बसा हुआ है।
पहले इस किले को बीकानेर किले के नाम से जाना-जाता था लेकिन फिर 20 वीं शताब्दी में इस किले का नाम बदलकर जूनागढ़ रख दिया गया। जूनागढ़ का किला दिखने में बेहद आकर्षक है, जो यहां आने वाले पर्यटकों कों अपनी तरफ खींचता है।
जूनागढ़ किले की नींव 1478 में राव बीका द्वारा रखी गई थी लेकिन इस भव्य और खूबसूरत संरचना का निर्माण 17 फरवरी 1589 को राजा राय सिंह द्वारा शुरू किया गया था।
जूनागढ़ का किला बीकानेर – Junagadh Fort Bikaner
अगर आप इस खूबसूरत किले की सैर करना चाहते हैं तो बता दें कि यह किला राजस्थान आने वाले पर्यटकों के लिए बेहद खास है, इस किले की संरचना यहां आने वाले लोगों आश्चर्यचकित कर देती है। आइये आपको Junagadh Fort के बारे में कुछ खास बातें बताते हैं।
किले का निर्माण बीकानेर के शासक राजा राय सिंह के प्रधान मंत्री करण चंद की निगरानी में किया गया था, राजा राय सिंह ने सन 1571 से 1611 के बीच बीकानेर पर शासन किया था।
किले की दीवारों और खाई का निर्माणकार्य 1589 में शुरू हुआ था और 1594 में पूरा हुआ था। इन्हें शहर के वास्तविक किले के बाहर ही बनाया गया है |
सिटी सेंटर से 1.5 किलोमीटर की दुरी पर इन दीवारों और खाई का निर्माण किया गया था। जूनागढ़ किले के शेष भाग लक्ष्मी नारायण मंदिर के आस-पास बने हुए है।
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इतिहासिक दस्तावेजो के अनुसार Junagadh Fort पर कई बार दुश्मनों ने आक्रमण किया गया था, लेकिन कभी इसे कोई हासिल नही कर सका सिर्फ कामरान मिर्ज़ा ने ही एक दिन के लिये इसे अपने नियंत्रण में रखा था।
कामरान मुग़ल बादशाह बाबर के दुसरे बेटे थे जिन्होंने 1534 में बीकानेर पर आक्रमण किया था, और इसके बाद बीकानेर पर राव जित सिंह का शासन था।
5.28 एकर के किले के परीसर में महल, मंदिर और रंगमंच बने हुए है। यह इमारते उस समय की मिश्रित वास्तुशिल्प कला को दर्शाती है।
जूनागढ़ किले का इतिहास – History of Junagadh Fort
किले का नाम | जूनागढ़ किला |
स्थान | जूनागढ़ |
राज्य | राजस्थान |
शहर | बीकानेर |
किले की नींव कब रखी | सन 1478 |
किले की नींव किसने रखी | राव बीका |
किले का निर्माण शुरू करने का समय | 17 फरवरी 1589 |
किले कानिर्माण किसने करवाया | राजा राय सिंह |
निर्माण कब पूरा हुवा | सन 1594 |
किले के द्वार | सात द्वार |
किले का क्षेत्र | 5.28 एकर |
Junagadh Fort के प्राचीन शहर का नामकरण एक पुराने दुर्ग के नाम पर हुआ है। यह गिरनार पर्वत के समीप स्थित है। यहाँ पूर्व-हड़प्पा काल के स्थलों की खुदाई हुई है। इस शहर का निर्माण नौवीं शताब्दी में हुआ था।
यह चूड़ासमा राजपूतों की राजधानी थी। यह एक रियासत थी। गिरनार के रास्ते में एक गहरे रंग की बेसाल्ट चट्टान है, जिस पर तीन राजवंशों का प्रतिनिधित्व करने वाला शिलालेख अंकित है।
मौर्य शासक अशोक (लगभग 260-238 ई.पू.) रुद्रदामन (150 ई.) और स्कंदगुप्त (लगभग 455-467)। यहाँ 100-700 ई. के दौरान बौद्धों द्वारा बनाई गई गुफ़ाओं के साथ एक स्तूप भी है। शहर के निकट स्थित कई मंदिर और मस्जिदें इसके लंबे और जटिल इतिहास को उद्घाटित करते हैं।

यहाँ तीसरी शताब्दी ई.पू. की बौद्ध गुफ़ाएँ, पत्थर पर उत्कीर्णित सम्राट अशोक का आदेशपत्र और गिरनार पहाड़ की चोटियों पर कहीं-कहीं जैन मंदिर स्थित हैं।
15वीं शताब्दी तक राजपूतों का गढ़ रहे जूनागढ़ पर 1472 में गुजरात के महमूद बेगढ़ा ने क़ब्ज़ा कर लिया, जिन्होंने इसे मुस्तफ़ाबाद नाम दिया और यहाँ एक मस्जिद बनवाई, जो अब खंडहर हो चुकी है।
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जूनागढ़ किला आज भी गर्व से यह अपना इतिहास बयान करता है और कहता है कि मुझे कभी कोई शासक हरा नहीं पाया। कहते हैं कि इतिहास में सिर्फ एक बार किसी गैर शासक द्वारा इस भव्य किले पर कब्जा किए जाने के प्रयास का जिक्र होता है।
कहा जाता है कि मुगल शासक कामरान जूनागढ़ की गद्दी हथियाने और किले पर फतह करने में कामयाब हो गया था, लेकिन 24 घंटे के अंदर ही उसे सिंहासन छोड़ना पड़ा।
इसके अलावा कहीं कोई उल्लेख नहीं मिलता कि जूनागढ़ को किसी शासक ने फतेह करने के मंसूबे बनाए हों और वह कामयाब हुआ हो।
बरसात को तरसते रेगिस्तानी राजस्थान, खासतौर पर उस पुराने दौर में जब बारिश राजस्थान के लिए त्योहार होती थी, उस दौर में राज्य के शाही किलो में बादल महल बनाकर बरसात का एहसास राजा-महाराजा किया करते थे।
जयपुर, नागौर किलों सहित अनेक किलों में बने बादल महल इसका उदाहरण हैं, लेकिन बीकानेर का जूनागढ़ किला खासतौर पर बने बादल महल के लिए काफी चर्चित है।

जूनागढ़ दुर्ग परिसर में खासी ऊंचाई पर बने इस भव्य महल को किले में सबसे ऊंचाई पर स्थित होने के कारण बादल महल कहा जाता है।
महल में पहुंचकर वाकई लगता है, जैसे आप आसमान के किसी बादल पर आ गए हों। नीले रंग के बादलों से सजी दीवारें बरखा की फुहारों का अहसास दिलाती हैं। यहां बहने वाली ताजा हवा पर्यटकों की सारी थकान छू कर देती है।
इतिहास इस पूरे Junagadh Fort से बहुत गहरी जड़ों तक जुड़ा है इसलिए सैलानी इसकी ओर बहुत आकर्षित होते हैं। यह किला पूरी तरह से थार रेगिस्तान के लाल बलुआ पत्थरों से बना है।
हालांकि इसके भीतर संगमरमर का काम किया गया है। इस किले में देखने लायक कई शानदार चीजें हैं। यहां राजा की समृद्ध विरासत के साथ उनकी कई हवेलियां और कई मंदिर भी हैं।
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यहां के कुछ महलों में ‘बादल महल’ सहित गंगा महल, फूल महल आदि शामिल हैं। इस किले में एक संग्रहालय भी है जिसमें ऐतिहासिक महत्व के कपड़े, चित्र और हथियार भी हैं। यह संग्रहालय सैलानियों के लिए राजस्थान के खास आकर्षणों में से एक है।
यहां आपको संस्कृत और फारसी में लिखी गई कई पांडुलिपियां भी मिल जाएंगी। Junagadh Fort के अंदर बना संग्रहालय बीकानेर और राजस्थान में सैलानियों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण है। इस किला संग्रहालय में कुछ बहुत ही दुर्लभ चित्र, गहने, हथियार, पहले विश्वयुद्ध के बाइप्लेन आदि हैं।
इतिहासकारों के अनुसार इस दुर्ग के पाये की नींव 30 जनवरी 1589 को गुरुवार के दिन डाली गई थी। इसकी आधारशिला 17 फरवरी 1589 को रखी गई।
इसका निर्माण 17 जनवरी 1594 गुरुवार को पूरा हुआ। स्थापत्य, पुरातत्व व ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस किले के निर्माण में तुर्की की शैली अपनाई गई जिसमें दीवारें अंदर की तरफ झुकी हुई होती हैं। दुर्ग में निर्मित महल में दिल्ली, आगरा व लाहौर स्थिति महलों की भी झलक मिलती है।

दुर्ग चतुष्कोणीय आकार में है, जो 1078 गज की परिधि में निर्मित है तथा इसमें औसतन 40 फीट ऊंचाई तक के 37 बुर्ज हैं, जो चारों तरफ से दीवार से घिरे हुए हैं।
इस दुर्ग के 2 प्रवेश द्वार हैं- करण प्रोल व चांद प्रोल। करण प्रोल पूर्व दिशा में बनी है जिसमें 4 द्वार हैं तथा चांद प्रोल पश्चिम दिशा में बनी है, जो एक मात्र द्वार ध्रुव प्रोल से संरक्षित है।
सभी प्रोलों का नामकरण बीकानेर के शाही परिवार के प्रमुख शासकों एवं राजकुमारों के नाम पर किया गया है। इनमें से कई प्रोल ऐसी हैं, जो दुर्ग को संरक्षित करती हैं।
पुराने जमाने में कोई भी युद्घ तब तक जीता हुआ नहीं माना जाता था, जब तक कि वहां के दुर्ग पर विजय प्राप्त न कर ली जाती।
शत्रुओं को गहरी खाई को पार करना पड़ता था, उसके बाद मजबूत दीवारों को पार करना होता था, तब कहीं जाकर दुर्ग में प्रवेश करने के लिए प्रोलों को अपने कब्जे में लेना होता था।
प्रोलों के दरवाजे बहुत ही भारी व मजबूत लकड़ी के बने हुए हैं। इसमें ठोस लोहे की भालेनुमा कीलें लगी हुई हैं।
जूनागढ़ किले की वास्तुकला – Junagadh Fort Architecture
Junagadh Fort की संरचना दिखने में बेहद आकर्षक है, यह किला उत्क्रष्ट वास्तुकला का एक प्रतीक है। किले की वास्तुकला में कई संस्कृतियों का मिश्रण है, जिसकी वजह से जूनागढ़ किले की संरचना में इस पर राज करने वाले हर शासक का प्रभाव दिखता है।
पहले यह किला राजपूत शैली में बना था लेकिन बाद में यह किला मुग़ल और राजस्थानी शैली से भी प्रभावित हुआ। जूनागढ़ का किला राजस्थान के सबसे सुंदर किलों में से एक है, क्योंकि इस किले का हर एक कोना तारीफ करने लायक है।
जूनागढ़ किला 1078 यार्ड की लंबाई के साथ एक आयताकार संरचना है। यह 63119 वर्ग यार्ड के क्षेत्र में फैला हुआ है। पहले इस किले का निर्माण बीका राव द्वारा बनाए गए पुराने पत्थर के किले की सुरक्षा के लिए करवाया गया था लेकिन अब यह अस्तित्वहीन है।
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जूनागढ़ किला अपनी शानदार बाहरी डिजाईन के साथ कई महलों को घेरता है जिसकी बालकनियों, फाटकों और अन्य संरचनाओं को उन शासको ने प्रभावित किया है जिन्होंने इस पर राज किया था।

जूनागढ़ किले के अंदर कई महल हैं जिनकी अपनी अलग-अलग खासियत है। महल की नक्काशीदार दीवारें, चित्र, इस्तेमाल किये गए संगमरमर के पत्थर और लाल पत्थर इस किले की भव्यता को बढ़ाते हैं।
जूनागढ़ किले के अंदर कुछ मुख्य महल है जिनके नाम अनुप महल, करण महल, गंगा महल, बादल महल और फूल महल है।
जूनागढ़ किले के अंदर की संरचनाएँ – The structure inside the Junagadh fort
Junagadh Fort खूबसूरती से डिज़ाइन किए गए महलों, इमारतों और कियोस्क से भरा है। यह किला पर्यटकों को मंत्रमुग्ध करने के लिए वास्तुकला का एक चमत्कार है।
जूनागढ़ किले के द्वार –
इस किले में सात द्वार हैं। जिनमे से दो इसके मुख्य द्वार हैं करण ध्रुव इस किले का मुख्य द्वार और सूरज पोल वर्तमान द्वार है। बता दें कि सूरज पोल पूर्व की तरफ है और जब इस पर सूरज की रोशनी पड़ती है तो इसका सुनहरा दृश्य देखने लायक होता है।

इस द्वार के मुख पर महावत के साथ हाथियों की दो लाल पत्थर की मूर्तियाँ हैं जो बेहद आकर्षक लगती हैं। इस किले के सभी प्रवेशद्वारों पर वास्तुकला की बारीक और छोटी-छोटी कृतिया यहाँ आने वाले पर्यटकों को बेहद पसंद आती है।
इस किले के अन्य द्वार दौलत पोल (डबल गेट), चांद पोल और फतेह पोल है। दौलत पोल पर उन महिलाओं के हाथों के कई निशान हैं जिनके पति युद्ध के मैदान में मारे गए थे और उन्होंने अपने पति अंतिम संस्कार पर आत्महत्या कर ली थी।
जूनागढ़ किले के मंदिर और महल –
Junagadh Fort का शाही मंदिर हर नारायण मंदिर है जो भगवान लक्ष्मी नारायण और उनकी पत्नी लक्ष्मी जी को समर्पित है। इसके अलावा जूनागढ़ किले के पास रतन बिहारी मंदिर भी स्थित है जो भगवान कृष्ण को समर्पित है।
अनूप महल :
एक बहु-मंजिला ईमारत है, जो इतिहास में साम्राज्य का हेडक्वार्टर हुआ करता था. इसकी सीलिंग लकडियो से और कांच की सहायता से बनाई गयी है, साथ ही इसके निर्माण में इतालियन टाइल्स और लैटिस खिडकियों और बाल्कनी का उपयोग किया गया था।
इस महल में सोने की पत्तियों से कुछ कलाकृतियाँ भी बनाई गयी है। इसे एक विशाल निर्माण भी माना जाता है।
फूल महल :
किले का सबसे पुराना भाग है जिसका निर्माण बीकानेर के राजा राय सिंह ने किया था, जिनका शासनकाल 1571 से 1668 तक था।
गंगा महल :
गंगा महल का निर्माण 20 वी शताब्दी में गंगा सिंह ने किया था जिन्होंने 1887 से 1943 तक 56 सालो तक शासन किया था, इस किले में एक विशाल दरबार हॉल है जिसे गंगा सिंह हॉल के नाम से भी जाना जाता है।
बीकानेरी हेवली :
बीकानेर शहर के अन्दर और बाहर दोनों जगहों पर है, बीकानेर की विशेष और प्रसिद्ध वास्तुकला का यह सुन्दर उदाहरण है।बीकानेर को देखने आये विस्देशी पर्यटक अल्डोस हक्सले ने कहा था की ये हवेलियाँ बीकानेर किले का गर्व है ।
करण महल :
करण महल का निर्माण करण सिंह ने 1680 C. में किया था, इसका निर्माण मुग़ल बादशाह औरंगजेब के खिलाफ जीत की ख़ुशी में किया गया था।
इस महल के पास एक गार्डन का निर्माण भी किया गया है और राजस्थान के प्रसिद्ध और विशाल किलो में यह शामिल है। यह किला राजस्थान की इतिहासिक वास्तुकला को दर्शाता है।
किले की खिड़कियाँ रंगीन कांच की बनी हुई है और जटिलतापूर्वक चित्रित की हुई बाल्कनी का निर्माण लकडियो से किया गया है. बाद में राजस, अनूप सिंह और सूरत सिंह ने भी महल की मरम्मत करवाकर इसे चमकीला बनवाया, कांच लगवाए और लाल और सुनहरा पेंट भी लगवाया।
राजगद्दी वाले कक्ष में एक मजबूत आला भी बना हुआ है जिसका उपयोग सिंहासन के रूप में किया जाता है।
बादल महल :
अनूप महल के अस्तित्व का ही एक भाग है. इसमें शेखावती दुन्द्लोद की पेंटिंग है जो बीकानेर के महाराजा को अलग-अलग पगड़ियो में सम्मान दे रहे है।
इसमें नाख़ून, लकड़ी, तलवार और आरे पर खड़े लोगो की तस्वीरे भी लगी हुई है। महल की दीवारों पर हिन्दू भगवान श्री क्रिष्ण की तस्वीरे भी बनी हुई है।
चन्द्र महल :
किले का सबसे भव्य और शानदार कमरा है, सोने से बने देवी-देवताओ की कलाकृतियाँ और पेंटिंग लगी हुई है जिनमे बहुमूल्य रत्न भी जड़े हुए है।
इस शाही बेडरूम में कांच को इस तरह से लगाया गया है की राजा अपने पलंग पर बैठे ही जो कोई भी उनके कमरे में प्रवेश कर रहा है उसे देख सकते है।
महाराजा राय सिंह ट्रस्ट :
महाराजा राय सिंह का निर्माण बीकानेर के शाही परिवार ने किया था। ताकि वें किले से संबंधित इतिहास की ज्यादा से ज्यादा जानकारी पर्यटकों को बता सके। इसके साथ ही इस ट्रस्ट की स्थापना करने का मुख्य उद्देश्य राज्य में शिक्षा, संस्कृति और लोगो का विकास करना था।
दीवाने -ए – खास :
किले में दीवान ऐ ख़ास भी है जहाँ राजा आमजन की समस्याओ को सुनकर उनका समाधान करते थे , यहाँ बीकानेर का एक पुराना सिंघासन रखा है साथ में बीकानेर की सेना के कुछ हथियार भी है |
इन सब के आलावा गज मंदिर , सुर महल जैसी कुछ अन्य इमारते भी किले में मौजूद है , एक और म्यूजियम है जिसका नाम है प्राचीना जो की बीकानेर की रानी और राजकुमारियो के कपड़ो से लेकर उनकी साज सज्जा के सामान का संघ्रह है |
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समय के अभाव के चलते मै प्राचीना नहीं देख सका अगर आप जाते है तो टिकेट खिड़की से टिकेट अलग से लेकर जरूर जाएँ|
ये था बीकानेर का जूनागढ़ किला और उसके भव्य महल का विवरण अगर कोई जानकारी गलत लगे या कम लगे तो कमेंट करके बताएं अब आगे जूनागढ़ किले में घुमने जाने हेतु कुछ सुझाव और अन्य जानकारी|
किला संग्रहालय :
किले के भीतर बने संग्रहालय को जूनागढ़ किला संग्रहालय का नाम दिया गया है जिसकी स्थापना 1961 में महाराजा डॉ. करनी सिंह ने “महाराजा राय सिंह ट्रस्ट” के नियंत्रण में की थी।
इस संग्रहालय में पर्शियन और मनुस्मृति, इतिहासिक पेंटिंग, ज्वेलरी, शाही वेशभूषा, शाही फरमान, गैलरी, रीती-रिवाज और माने जाने वालेभगवान की मूर्तियों का प्रदर्शन किया गया है। इस संग्रहालय में एक शस्त्रागार भी है जिसमे भूतकालीन युद्धों की यादो को सजोया गया है।
जूनागढ़ किला घूमने का सबसे अच्छा समय –
अगर आप राजस्थान के सबसे आकर्षक और सुंदर किलों में से एक जूनागढ़ किले को देखने जाने का प्लान बना रहे हैं तो आपको बता दें तो जूनागढ़ की यात्रा के लिए सर्दियों का मौसम समय अच्छा समय है। इसलिए आप अक्टूबर से मार्च तक किले को देखने के लिए जा सकते हैं।
जूनागढ़ किले का प्रवेश शुल्क और घूमने का समय –
भारतीय व्यस्क पर्यटक – 50 रुपए ( केवल जूनागढ़ किला )
भारतीय विद्यार्थी – 30 रुपए ( केवल जूनागढ़ किला )
गाइड – जूनागढ़ किले में गाइड सेवा मुफ्त है जिसमे एक बार में एक गाइड 10 पर्यटकों को घुमाने ले जाते है, अगर आप अलग से गाइड लेना चाहते है तो 250 रुपए में ले सकते है |
कार पार्किंग – 20 रुपए / कार
Junagadh Fort सुबह 10 से शाम 4.30 तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है
अगर आप कभी बरसात के मौसम में बीकानेर का जूनागढ़ किला देखने जाते है तो किले से महज 20 कदम दुरी पर बने सूरसागर पर तस्वीरबाजी करने जा सकते है |
कन्टाप फोटोग्राफर किस्म के लोगो के लिए ये तालाब एक आदर्श जगह है , रात्री में बीकानेर का चाट बाजार जूनागढ़ के सामने ही लगता है जहाँ हर तरीके का फास्टफूड मिल जाता है |
अदब और तहजीब के इस शहर में ये दूसरा और आखरी दिन था इसलिए जूनागढ़ किला आखरी धरोहर है बाकी की बची खुबसूरत जगह फिर कभी मौका मिला तो जरुरु देखने जाऊँगा |
अब बारी बीकानेर के स्वाद से रूबरू होने की पिछली बार कचोरी चख ली थी इस बार चुन्नीलाल तंवर का शर्बत हमारी योजना में शामिल था और बीकानेर का आखरी लेख भी उसी से जुडा होगा |
जूनागढ़ किला कैसे पहुंचे –
Junagadh Fort शहर के बीच में बना है यहाँ तक आने के दो रास्ते है एक कलेक्ट्री चौराहा और दूसरा कोटे गेट, यहाँ कलेक्ट्री के रास्ते से आने पर भीड़ भाड़ से बचा जा सकता है और कोट गेट के रास्ते से आने पर जाम जैसी कई समस्याए आ सकती है |
अगर निजी साधन नहीं है तो ऑटो रिक्शा से यहाँ आ सकते है जिनकी दर शहर के किसी भी हिस्से से 20-25 रुपए है | ये शहर से किले तक आने की जानकारी थी अब आगे बीकानेर कैसे पहुंचे
हवाई जहाज से जूनागढ़ किला कैसे पहुंचे
अगर आप जूनागढ़ किला देखने के लिए हवाई जहाज से आ रहे हैं तो बता दें कि यहां आने के लिए निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर (256 किमी) है।
जोधपुर के लिए आपको दिल्ली और मुंबई से फ्लाइट मिल जाएगी। इसके बाद आप जोधपुर से ट्रेन या बस की मदद से बीकानेर पहुँच सकते हैं। बीकानेर शहर से जूनागढ़ किला सिर्फ 1.5 किलोमीटर की दूरी पर है।
ट्रेन से जूनागढ़ किला कैसे पहुंचे
अगर आप ट्रेन या रेल द्वारा जूनागढ़ का किला देखने जा रहे हैं तो आप दिल्ली (470 किमी), जोधपुर (243 किमी) और जयपुर (321 किमी) से बीकानेर के लिए ट्रेन पकड़ सकते हैं।
सड़क द्वारा जूनागढ़ किला कैसे पहुंचे
बीकानेर शहर मार्ग से जैसलमेर, जयपुर, उदयपुर, अजमेर और दिल्ली से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है जिसके लिए आपको राजस्थान राज्य परिवहन निगम की कई बसें आसानी से मिल जाएँगी।
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