jai vilas palace भारत के मद्य प्रदेश में ग्वालियर शहर में स्थित है। यह ग्वालियर शहर में स्थित जय विलास पैलेस उनके विशाल दरबार हॉल की वजह से बहोत प्रसिद्ध है। यह जय विलास पैलेस ग्वालियर शहर की खूबसूरती और भी ज्यादा बढ़ा देता है। जय विलास पैलेस प्राचीन समय की संस्कृति के साथ साथ ऐतिहासिक महल पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र बना हुवा है।
jai vilas palace gwalior में घूमने वाली बेहद खूबसूरत जगह है। यह महल में ज्यादा पर्यटक बहुत भारी संख्या में आते है और यह महल का खूबसूरत ऐतिहासिक विरासत का नजारा देखने का मजा लेते है। jai vilas palace gwalior में फोटोगैलरी और आर्टगैलरी में करीबन 5000 से भी अधिक के रखी गई है। यह ग्वालियर में स्थित जय विलास पैलेस का इतिहास , वास्तुकला और कई बातो से यह पैलेस प्रसिद्ध है।
पैलेस का नाम | जय विलास पैलेस |
स्थान | ग्वालियर |
राज्य | मध्यप्रदेश |
निर्माणकर्ता | महाराजा जयाजीराव सिंधिया |
निर्माणकाल | ई.स 1874 – 19वी शताब्दी |
पैलेस का क्षेत्र | 12,40 ,771 वर्ग फिट |
निर्माणित समय | 12 साल |
पैलेस का संग्रहालय | जिवाजीराव सिंधिया संग्रहालय |
पैलेस की वास्तुशैली | टस्कन शैली ,इतालवी – डोरिक शैली, कोरिंथियल वास्तु शैली |
Table of Contents
History of Jai Vilas Palace जय विलास पैलेस का इतिहास
jai vilas palace 19वी शताब्दी में बनवाया था। यह पैलेस ई.स 1874 में किंग एडवर्ड के आने के बाद महाराजा जयाजीराव सिंधिया अलीजाह बहादुर के ध्वारा यह महल का निर्माण करवाया गया था। पर्यटकों की जानकारी के लिये जय विलास पैलेस का मुख्य हिस्सा ई.स 1964 में पर्यटकों के लिये खुला रखा गया था। जिजाजीराव सिंधिया संग्रहालय का एक अहम् हिस्सा आज के समय मे भी पूर्व शाही मराठा सिंधिया राजवंश के वंशजो के लिये निवास स्थान के रूप में हालीमे इस्तेमाल किया जाता है।
इसके बाद जय विलास पैलेस के एक अहम भाग को राजमाता विजयाराजे सिंधिया के आदेशानुसार एक भव्य और आकर्षक संग्रहालय के रूप में बदल दिया गया है। इस जय विलास पैलेस के संग्रहालय का निर्माण उन्होंने यानि की राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने उनके पति जीवाजीराव सिंधिया की याद को सम्मानित करने के लिए इसका निर्माण करवाया था। जय विलास पैलेस के नर्माण में करीबन 12 साल का समय लगा था।

जय विलास पैलेस की संरचना Structure of Jai Vilas Palace
jai vilas पैलेस यूरोपियन वास्तुकला में निर्माणित किया गया है। जय विलास पैलेस की डिजाईन सर माइकल फिलॉस के द्वारा की गई थी। जय पैलेस की वास्तुकला की बात करे तो वास्तुशैली में खूबसूरत संयोजन दिखाई देता है। जय विलास पैलेस की प्रथम मंजिल टस्कन शैली में , दूसरी इतालवी – डोरिक शैली में और तीसरी मंजिल कोरिंथियल वास्तु शैली में निर्माणित किया गया है।
महल के दरबाद हॉल के अंदर के विभाग को गिल्ट और सोने के सामान से सजाया गया है। जिस हॉल में एक विशाल कालीन दिखाई देती है। जिसकी लम्बाई करीबन 100 फिट और चौड़ाई 50 फिट ,ऊंचाई 41 फिट है। इसके अलावा जय विलास पैलेस में आर्किटेक्चर की बात की जाय तो महल में टोटल 400 कमरे बने हुवे है। जोकि इतालवी संगमरमर के फर्श से सुसज्जित किया गया है।

यह जय विलास पैलेस में भव्य फ़ारसी कालीन ,अलंकृत सामान और दूर दुनिया से एकत्रित की गई हुई दुर्लभ प्राचीन सामान और वस्तुये आदि इस जय विलास पैलेस में देखने को मिलता है। jai vilas palace में दरबार हॉल के अलावा एक और भी विशाल बेंक्वेट हॉल भी जय महल में मौजूद है। विशाल बेंक्वेट हॉल में एक लम्बी डाईनिंग टेबल पर चलनेवाली चांदी की ट्रेन है जो प्रमुख आकर्षण का केंद्र है।
जय विलास पैलेस के म्यूजियम कमरों को प्राचीन खूबसूरत वस्तुओ और कलाकृतियों से सुसज्जिय किया गया है। jai vilas पैलेस के अंदर एक स्विमिंग पुल स्थित है जो शाही घराने की स्त्रियों के इस्तेमाल के लिए निर्माण करवाया गया था।
जय विलास पैलेस की वास्तुशैली
वास्तुकला की बात करे तो वास्तुशैली में खूबसूरत संयोजन दिखाई देता है। जय विलास पैलेस की प्रथम मंजिल टस्कन शैली में , दूसरी इतालवी – डोरिक शैली में और तीसरी मंजिल कोरिंथियल वास्तु शैली में निर्माणित किया गया है।
जय विलास पैलेस का जिवाजीराव सिंधिया संग्रहालय – Jivajirao Scindia Museum of Jai Vilas Palace
यात्रिओ को जय विलास पैलेस में एक खूबसूरत संग्रहालय मौजूद है। वह संग्रहालय जिवाजीराव सिंधिया संग्रहालय नाम से पहचाना जाता है। यह संग्रहालय का निर्माण महाराजा जिवाजीराव सिंधिया की स्मृति में करवाया था। जय विलास पैलेस के 35 कमरों को पर्यटकों की जानकारी के लिए राजमाता श्रीमन विजयराजे सिंधिया ने संग्रहालय के हिस्से में बदल दिया गया है। और यह संग्रहालय का उदघाटन भारत के राट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन हाथो 12 दिसंबर 1964 को महाराजा सर जीवाजीराव सिंधिया संग्रहालय का उदघाटन किया गया था।

How heavy is the Jumar of Jai Vilas Palace जय विलास पैलेस के जुमर कितने भारी है
पैलेस में सबसे प्रसिद्ध चीज की बात की जाय तो वह दरबार हॉल के जुमर है। वह सुंदर और आकर्षक है। यह जय विलास पैलेस के दरबार हॉल में मौजूद दुनिया के सबसे भारी jai vilas palace jhumar लगाया गया है। यह हॉल के प्रत्येक झूमर का वजन करीबन 3 .5 टन का है। यह प्रत्येक झूमर को ब्रिटिश कंपनी ने बनाया था। यह दरबार हॉल को करीबन 560 किलो सोने से सुसज्जित किया गया है।
और इसमें करीबन एक विशाल कालीन दिखाई देती है। जिसकी लम्बाई करीबन 100 फिट और चौड़ाई 50 फिट ,ऊंचाई 41 फिट है। यह दरबार हॉल में जहा राजा और उनके दरबारी बैठते थे। जब इन झुमरो को बनवाया गया था तब दरबार हॉल की छत पर 8 हाथियों को जढ़ाया गया था ताकि यह देख सके की दरबार हॉल की छत इतना वजन जेल सकती है या नहीं।
जय विलास पैलेस का निर्माण खर्च
महाराजा जीवाजीराव सिंधिया ने जय विलास पैलेस का निर्माण उस समय इस महल की कीमत 1 करोड़ रुपए आंकी गई थी। यह जय विलास पैलेस यूरोपीय आर्किटेक्ट और डिजाइन का खूबसूरत उदाहरण है। सर माइकल फिलोसे ने जय विलास पैलेस नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
जय विलास पैलेस में टोटल कितने कमरे है
इसके अलावा जय विलास पैलेस में आर्किटेक्चर की बात की जाय तो महल में टोटल 400 कमरे बने हुवे है। जोकि इतालवी संगमरमर के फर्श से सुसज्जित किया गया है। यह टोटल 400 कमरो मेसे 40 कमरों को संग्रहालय के रूप में बदल दिया गया है।

Durbar Hall of Jai Vilas Palace जय विलास पैलेस का दरबार हॉल
जय विलास पैलेस की बात की जाय तो यह पैलेस का यह दरबार हॉल बहुत सुन्दर और आकर्षित है। और दरबार हॉल को पर्यटक देखके मंत्रमुग्ध रह जाते है। महाराजाओ दरबार हॉल का इस्तेमाल बैठने के लिए और उनके मंत्री ओके साथ मीटिंग्स करने के लिए किया करते थे। दरबार हॉल में मौजूद jai vilas palace jhumar आकर्षित है।
दरबार हॉल में मौजूद दुनिया के सबसे भारी झूमर लगाया गया है। यह हॉल के प्रत्येक झूमर का वजन करीबन 3 .5 टन का है। यह प्रत्येक झूमर को ब्रिटिश कंपनी ने बनाया था। यह दरबार हॉल को करीबन 560 किलो सोने से सुसज्जित किया गया है। और दरबार हॉल में करीबन एक विशाल कालीन दिखाई देती है। जिसकी लम्बाई करीबन 100 फिट और चौड़ाई 50 फिट ,ऊंचाई 41 फिट है।
Best time to visit Jai Vilas Palace जय विलास पैलेस घूमने जाने का सबसे अच्छा समय
jai vilas palace gwalior शहर की राजधानी के रूप में पहचाना जाता है। पर्यटकों की जानकारी के लिए बतादिया जाय तो जय विलास पैलेस की यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च के समय में यात्रा करना सबसे अच्छा रहता है। अक्टूबर और मार्च के महीनो में gwalior palace का तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से करीबन 21 डिग्री तक पहुँच जाता है। लिए पर्यटकों को गर्मी से बचने की शिक्षा दी जाती है।
जय विलास पैलेस खुलने और बंध होने का समय Jai Vilas Palace opening and closing time
सुबह 10 बजे जय विलास पैलेस में प्रवेश शुरू होता है, और शाम को 4 : 30 पैलेस बंध हो जाता है।
Jai Vilas Palace Entrance Fee जय विलास पैलेस का प्रवेश शुल्क
जय विलास पैलेस में प्रवेश के लिए अलग -अलग शुल्क लिया जाता है
पैलेस में भारतीय पर्यटकों के लिए रु 150 प्रति व्यक्ति शुल्क होता है।
जय विलास पैलेस में विदेश के पर्यटकों के लिए रु 800 प्रति व्यक्ति शुल्क होता है।
यह जय विलास पैलेस में 5 वर्ष के बच्चो के लिये निशुल्क है।
जय विलास पैलेस में फोटोग्राफी और विडिओ शूटिंग का खर्च –
फोटोग्राफी के लिए जय विलास पैलेस में रु100 शुल्क होता है।
विडिओ शूटिंग के लिए जय विलास पैलेस में रु 300 शुल्क होता है।
Jai Vilas Palace Tour Tips जय विलास पैलेस घूमने की टिप्स
jai vilas palace गुमने जाना है तो पर्यटक को पहले से ही तय करना होता है क्योकि कई बार जय विलास पैलेस में शाही मीटिंग होने के कारण बंध रहता है। जय विलास पैलेस गुमने जाते वक्त पिने के लिए पानी की व्यवस्था पर्यटक को पानी की बोतल रखे क्योकि जय विलास पैलेस के बाहरी मैदान के हिस्से में पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
जय विलास पैलेस के आस पास पर्यटन स्थल – Tourist places in and around Jai Vilas Palace
jai vilas palace gwalior का प्रसिद्ध और आकर्षण का स्थान माना जाता है। लेकिन gwalior palace में और भी कई स्थान है जो कई खूबसूरत है जहा पर पर्यटक घूमने के लिए जा सकते है।
1. ग्वालियर का किला : Gwalior Fort
jai vilas palace gwalior मध्यप्रदेश में ग्वालियर शहर में घूमने की सबसे अच्छी जगहों में से एक है। ये किला मध्य भारत की सबसे प्राचीन जगह में से एक है। ग्वालियर फोर्ट मध्यप्रदेश स्टेट के ग्वालियर शहर में एक पहाड़ी पर स्थित है, जिसे ग्वालियर का किला के नाम से भी जाना-जाता है। इस किले की ऊंचाई 35 मीटर है। यह किला करीब 10वीं शताब्दी से अस्तित्व में है।
लेकिन, इस किले में जो किला परिसर है उसके अंदर मिले शिलालेख और स्मारक इस बात का संकेत देते हैं कि ऐसा भी हो सकता है कि यह किला 6 वीं शताब्दी की शुरुआत में अस्तित्व में रहा हो। इस किले के इतिहास के अनुसार इसे विभिन्न शासकों द्वारा नियंत्रित किया गया है।
gwalior jai vilas palace को इसकी बनावट के कारण “किलों का रत्न” भी कहा जाता है। यह किला भारत के बीचो-बीच मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में गोपांचल नामक छोटी पहाड़ी पर स्थित है यह सिर्फ ग्वालियर की नहीं बल्कि पूरे भारत की शान है जो की वर्तमान में एक ऐतहासिक संग्रहालय के रूप में जाना जाता है।
2. तेली का मंदिर :
जय विलास पैलेस की यात्रा के समय gwalior palace में आप तेली का मंदिर भी देख सकते है। वह मंदिर में पर्यटकों की संख्या बहोत भारी संख्या में घूमने आते है। इस तेली मंदिर का निर्माण 9 वी शताब्दी में करवाया गया था। और यह तेली मंदिर ग्वालियर की प्राचीन और सबसे बड़ी ईमारत है। इस तेली मंदिर की ऊंचाई करीबन 100 फिट है। यह शानदार और भव्य आकर्षित तेली मंदिर उनकी अनोखी वास्तुकला के लिए पुरे भारत में प्रसिद्ध है।
3 .तानसेन का मकबरा :
जय विलास पैलेस गुमने के पश्चात ग्वालियर में देखने की जगह में तानसेन का मकबरा भी प्रसिद्ध है। यह मकबरा भारत के प्रसिद्ध संगीतकार और मुग़ल सम्राट अकबर के दरबार मुख्य गायक तानसेन का मकबरा है। तानसेन अकबर के दरबार के नो रत्नो में से एक था। तानसेन ग्वालियर का ऐसा प्रसिद्ध संगीतकार था की अपने संगीत के जादू से बारिश कर देता था और पशुओको संगीत से मन्त्र मुग्ध कर देता था।

4.सास बहु मंदिर :
gwalior palace में स्थित जय विलास पैलेस क यात्रा के दौरान पर्यटकों सबसे अधिक संख्या में सास बहु मंदिर को देखने के लिए जाते है। यह सास बहु मंदिर का निर्माण 9वी शताब्दी में करवाया गया था। gwalior palace का यह सास बहु मंदिर को देखने वाले पर्यटकों और भक्तो को बहु प्रसन्न और आकर्षित करता है। यह मंदिर नाम सास बहु का अभिप्राय भगवान विष्णु के दूसरे नाम शास्त्री बहु का संक्षिप्त विवरण के रूप में उल्लेख किया गया है।
5.गुजरी महल :
jai vilas palace gwalior में गुमने लायक स्थलों में यह गुजरी महल भी शामिल है। jai vilas पैलेस के बाद पर्यटक जय विलास गुमने के बाद गुजरी महल जाते है। गुजरी महल मानसिंह द्वारा उनकी सबसे अति प्रिय पत्नी मृगनयनी के लिए 15 वी शताब्दी के समय में इसका निर्माण करवाया था। यह गुजरी महल वर्तमान समय में खंडरो के रूप में बदल गया है। यह महल में प्राचीनकाल का एक संग्रहालय भी स्थित है।
6.रानी लक्ष्मी बाई की समाधी :
gwalior jai vilas palace में रानी लक्ष्मीबाई की समाधी भी मौजूद है। जो ग्वालियर शहर में आनेवाले पर्यटको के लिए यह सुन्दर और आकर्षक स्थल है। यह स्थान पर महारानी लक्ष्मी बाई की 8 मीटर ऊँची मूर्ति बनवाई गई है। यह पर्यटकों के लिए और इतिहासकारों के लिए एक सुन्दर और आकर्षक जगह है।
7.मोहम्मद गौस का मकबरा :
मोहम्मद गौस का मकबरा ग्वालियर में मौजूद मौजूद है। यह मकबरा 16वी शताब्दी में निर्माणित किया गया था। यह मकबरा राजकुमार मोहम्मद गौस सूफी की कब्र की याद में हजीरा शहर में बनवाया गया था। यह पर्यटन स्थल हिन्दू और मुस्लिमो के लिए समान रूप से बनवाया गया है। यह मोहम्मद गौस के मकबरे के निर्माण में मुग़ल वास्तुशैली दिखाई देती है। जय विलास पैलेस की यात्रा करने वाले पर्यटक मोहम्मद गौस के मकबरे की मुलाकात अवश्य लेते है।
8.ग्वालियर का चिड़िया घर :
jai vilas palace gwalior शहर प्राचीन विरासतों और आकर्षित और रोमांचक गतिविधियों से मौजूद है। jai vilas mahal के साथ-साथ gwalior palace में चिड़िया घर भी बहुत आकर्षक है। jai vilas palace gwalior का चिड़िया घर की स्थापना ई.स 1922 में शाही परिवार के माधवराव सिंधीया द्वारा किया गया गाँधी चिड़िया घर मौजूद है जो बेहद सुन्दर स्थानों मेसे एक है।
यह गाँधी चिड़िया घर वास्तव में फूल बाग के नाम से पहचाना जाता है। इस बाग में कई जानवर और पक्षी देखने को मिलते है जिन में से सांभर ,चित्तीदार हिरन ,काला हिरन , बाइसन , लकड़ बग्धा और वाइट बाघ पर्यटकों को देखने को मिलते है।

9.पदावली और बटेश्वर :
पदावली स्थान ग्वालियर से करीबन 40 किमी की दुरी पर स्थित है। पदावली का किला कई प्राचीन मंदिरो से सुसज्जित किया गया है। यह किला jai vilas पैलेस आने वाले पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र बना हुवा है। और यह स्थान यात्रिको को उनकी और खिंच ले जाता है। मंदिरो में बहुत जटिल नक्काशीदार प्रतिमाये देखने को मिलती है। इस कारण ग्वालियर के इस जगह को मिनी खजुराहो के नाम से भी पहचाना जाता है।
ग्वालियर की रेस्टोरेंटो का खाना – Gwalior Restaurants
पर्यटक ग्वालियर शहर में बहुत ज्यादा संख्या में आते है। क्योकि ग्वालियर शहर प्राचीन और ऐतिहासिक शहर है। ग्वालियर शहर में पर्यटकों के लिए स्वादिस्ट भोजन शहर की रेस्टोरेंटो में मिल जाता है। मद्य प्रदेश की प्रसिद्ध भोजन के साथ साथ अन्य वानगिया भी पर्यटकों को मिल जाती है। ग्वालियर शहर शुद्ध शाकाहारी भोजन के लिए पहचाना जाता है।
ग्वालियर के प्रसिद्ध भोजनो में कचोरी ,समोसा ,पोहा ,जलेबी ,ब्रेड इसके अलावा स्वादिस्ट भोजनो में कबाब , इमरती ,रोगन जोश ,भुट्टे की फ़ीस ,दाल बाफला ,मावा -बाटी और मालपुआ gwalior palace का प्रसिद्ध भोजन है।
Where did Jai Vilas Palace stop while traveling
जय विलास पैलेस यात्रा के समय कहा रुके – जब आप jai vilas palace gwalior गुमने जाते हे और आप जय विलास पैलेस और ग्वालियर क्र अन्य पर्यटन स्थान गुमने के बाद आप ग्वालियर में रुकना चाहते है तो पर्यटक को बता दे की ग्वालियर में अलग -अलग रेंट में आपको कई सारी होटल्स मिल जाएँगी। आप अपने रेंट के अनुसार होटल में रुक सकते है। इनमे से कई होटल के नाम निचे दिए गए है।
- ताज उषा किरण पैलेस
- होटल ग्रेस
- जी.डी.पैलेस
- होटल होरिजन प्लाजा
- रेडिसन ग्वालियर
जय विलास पैलेस का इतिहास और जानकारी
जय विलास पैलेस ग्वालियर कैसे पहुंचे – How to reach Jai Vilas Palace Gwalior
अगर पर्यटक jai vilas mahal जाना चाहते हे तो वह ग्वालियर किसी भी तरह यात्रा कर सकता है।
यानि की हवाई मार्ग के माध्यम से ट्रेन के माध्यम से और सड़क मार्ग से
भी ग्वालियर के जय विलास पैलेस की यात्रा कर सकते है।
जय विलास पैलेस ग्वालियर हवाई मार्ग से कैसे पहुंचे –
ग्वालियर के जय विलास पैलेस जाने के लिए आप हवाई मार्ग से भी आसानी से जा सकते है।
जय विलास पैलेस से एयरपोर्ट ग्वालियर के केंद्र से 8 किमी की दुरी पर है।
यह एयरपोर्ट देश के अन्य प्रमुख शहरों से बहोत अच्छी तरह से जुड़ा हुवा है।
एयरपोर्ट से पर्यटक स्थानीय वाहनो के इस्तेमाल से जय विलास पैलेस तक पहुँच सकते है।
जय विलास पैलेस ग्वालियर ट्रेन मार्ग से कैसे पहुंचे –
gwalior palace क यात्रा ट्रेन से भी कर सकते है।
jai vilas palace gwalior शहर देश के अन्य कई मुख्य शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुवा है।
जय विलास पैलेस पैलेस की यात्रा आप ट्रेन से भी आसानीसे कर सकते है।
और आप ग्वालियर रेल्वे जंक्शन से आप कई स्थानीय वाहन जैसे की कैब या
फिर टैक्सी के इस्तेमाल से jai vilas mahal तक पहुँच सकते है।
जय विलास पैलेस ग्वालियर सड़क मार्ग से कैसे पहुंचे –
ग्वालियर शहर यानि जय विलास पैलेस जाने के लिए आप सड़क मार्ग से भी जा सकते है।
पर्यटकों के लिए सड़क मार्ग पर्यटकों के लिए बहोत अच्छा विकल्प है।
क्योकि सड़क मार्ग के माध्यम से आसानीसे पहुँच सकते है।
क्योकि ग्वालियर शहर आसपास के कई अन्य शहरो से अच्छी तरह से जुड़ा हुवा है।
ग्वालियर शहर से इंदौर करीबन 507 किमी की दुरी पर स्थित है।
ग्वालियर से कानपूर 265 किमी, दिल्ही 366 और जयपुर 335 किमी दुर है।
और ग्वालियर शहर के बस स्टेशन से आप प्राइवेट वाहन टैक्सी या फिर कैब के
इस्तेमाल से आप जय विलास पैलेस तक पहुंच सकते है।
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FAQ
Q .जय विलास पैलेस कहा स्थित है?
भारत के मद्य प्रदेश में ग्वालियर शहर में जय विलास पैलेस स्थित है।
Q .जय विलास पैलेस का निर्माण किसने करवाया था?
महाराजा जयाजीराव सिंधिया अलीजाह बहादुर के ध्वारा यह महल का निर्माण करवाया गया था।
Q .जय विलास पैलेस का निर्माण कब किया था?
19वी शताब्दी में जय विलास पैलेस बनवाया था। यह पैलेस ई.स 1874 में निर्माण करवाया था।
Q .जय विलास पैलेस का क्षेत्र फल?
यह पैलेस 12,40 ,771 वर्ग फिट के क्षेत्र में फैला हुवा दिखाई देता है।
Q .जय विलास पैलेस के निर्माण में कितने साल हुवे थे?
बहुत खूबसूरत एव बड़े जय विलास पैलेस केनिर्माण में करीबन 12 साल का समय लगा था।
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