History of India Gate In Hindi

History of India Gate In Hindi | इंडिया गेट का इतिहास हिंदी

gate of india – दिल्ली के सभी प्रमुख आकर्षणों में से इंडिया गेट सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक है। इंडिया गेट के नाम से प्रसिद्ध अखिल भारतीय युद्ध स्मारक की भव्य संरचना विस्मयकारी है

इसकी तुलना अक्सर फ्रांस में आर्क डी ट्रायम्फ, मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया और रोम में कॉन्सटेंटाइन के आर्क (मेहराब) से की जाती है इंडिया गेट दिल्ली शहर के केंद्र में स्थित है 

इंडिया गेट देश के राष्ट्रीय स्मारकों में सबसे लंबा यानि 42 मीटर लंबा ऐतिहासिक स्टेकचर सर एडविन लुटियन द्वारा डिजाइन किया गया था और यह देश के सबसे बड़े युद्ध स्मारक में से एक है।

gate of India हर साल गणतंत्र दिवस परेड की मेजबानी के लिए भी प्रसिद्ध है। आज का हमारा आर्टिकल देश की सबसे ऊंची युद्ध स्मारक इंडिया गेट के बारे में है।

इस आर्टिकल में आपको इंडिया गेट का इतिहास, डिजाइन और इंडिया गेट से जुड़े रोचक तथ्य जानने को मिलेंगे। साथ ही इस पर्यटन स्थल से जुड़े तमाम सवालों के जवाब भी आपको हमारे आर्टिकल के जरिए मिल जाएंगे।

राट्रीय स्मारक भारत का गेट – National Memorial Gate way of India

  नाम    इंडिया गेट
  स्थान   राजपथ मार्ग, दिल्ली (भारत की राजधानी)
  इंडिया गेट की स्थापना   1931 ईसवी
  किसने रखी थी इंडिया गेट की नींव   ड्यूक ऑफ कनॉट
  निर्माण करने वाले वास्तुकार   एडविन लैंडलियर ल्यूटियन्स
  क्यों किया निर्माण   पहले विश्वयुद्ध में वीरगति पाए 80 हजार सैनिकों के            सम्मान में बनाया गया है।
  इंडिया गेट की ऊंचाई   करीब 42 मीटर
  प्रसिद्धि   अमर जवान ज्योति
  क्षेत्रफल   306,000 वर्ग मीटर

भारत के सबसे बड़े युद्ध स्मारकों में से एक भारत गेट दिल्ली में  – India gate delhi is one of the largest war memorials in India

भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित इंडिया गेट भारत का एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय स्मारक होने के साथ-साथ भारत के बड़े युद्ध स्मारकों में से एक है, जिसे ‘अखिल भारतीय युद्ध स्मारक’ के रूप में भी जाना जाता है।

इंडिया गेट से प्रथम विश्व युद्ध के दौरान शहीद हुए तमाम वीर सैनिकों की यादें जुड़ी हुई हैं, यह स्मारक भारतीय सेना के सैनिकों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण स्थल है। आपको बता दें कि इंडिया गेट, भारत के सबसे महत्वपूर्ण विरासतों में गिना जाता है।

India Gate Image
India Gate Image

निर्माण-स्थल का इतिहास- history of india gate

सन 1920 के दशक तक पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पूरे शहर का एकमात्र रेलवे स्टेशन हुआ करता था। आगरा-दिल्ली रेलवे लाइन उस समय लुटियन की दिल्ली और किंग्सवे यानी राजाओं के गुजरने का रास्ता, जिसे अब हिन्दी में राजपथ नाम दे दिया गया है | 

पर स्थित वर्तमान इण्डिया गेट के निर्माण-स्थल से होकर गुजरती थी। आखिरकार इस रेलवे लाइन को यमुना नदी के पास स्थानान्तरित कर दिया गया। इसके बाद सन् 1924 में जब यह मार्ग प्रारम्भ हुआ तब कहीं जाकर स्मारक स्थल का निर्माण शुरू हो सका।

42 मीटर ऊँचे इण्डिया गेट से होकर कई महत्वपूर्ण मार्ग निकलते हैं। पहले इण्डिया गेट के आसपास होकर काफी यातायात गुजरता था। परन्तु अब इसे भारी वाहनों के लिये बन्द कर दिया गया है।

शाम के समय जब स्मारक को प्रकाशित किया जाता है तब इण्डिया गेट के चारो ओर एवं राजपथ के दोनों ओर घास के मैदानों में लोगों की भारी भीड़ एकत्र हो जाती है। 625 मीटर के व्यास में स्थित इण्डिया गेट का षट्भुजीय क्षेत्र 306,000 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में फैला है।

इण्डिया गेट बनकर तैयार हुआ तब इसके सामने जार्ज पंचम की एक मूर्ति लगी थी। जिसे बाद में ब्रिटिश राज के समय की अन्य मूर्तियों के साथ कोरोनेशन पार्क में स्थापित करा दिया।

gateway of india के तल पर एक अन्‍य स्‍मारक, अमर जवान ज्‍योति है, जिसे स्‍वतंत्रता के बाद जोड़ा गया था। यहाँ निरंतर एक ज्‍वाला जलती है जो उन अंजान सैनिकों की याद में है जिन्‍होंने इस राष्‍ट्र की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया।

अमर जवान ज्‍योति, इंडिया गेट, दिल्ली अमर जवान ज्योति की स्थापना 1971 के भारत-पाक युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों की याद में की गई थी।

इसके आस पास हरे भरे मैदान, बच्‍चों का उद्यान और प्रसिद्ध बोट क्‍लब इसे एक उपयुक्‍त पिकनिक स्‍थल बनाते हैं। इंडिया गेट के फव्‍वारे के पास बहती शाम की ठण्डी हवा ढेर सारे दर्शकों को यहाँ आकर्षित करती है।

शाम के समय इंडिया गेट के चारों ओर लगी रोशनियों से इसे प्रकाशमान किया जाता है जिससे एक भव्‍य दृश्‍य बनता है। स्‍मारक के पास खड़े होकर राष्‍ट्रपति भवन का नज़ारा लिया जा सकता है।

सुंदरतापूर्वक रोशनी से भरे हुए इस स्‍मारक के पीछे काला होता आकाश इसे एक यादगार पृष्‍ठभूमि प्रदान करता है। दिन के प्रकाश में भी इंडिया गेट और राष्‍ट्रपति भवन के बीच एक मनोहारी दृश्‍य दिखाई देता है।

हर वर्ष 26 जनवरी को इंडिया गेट गणतंत्र दिवस की परेड का गवाह बनता है। जहाँ आधुनिकतम रक्षा प्रौद्योगिकी के उन्‍नयन का प्रदर्शन किया जाता है।

यहाँ आयोजित की जाने वाली परेड भारत देश की रंगीन और विविध सांस्‍कृतिक विरासत की झलक भी दिखाती है, जिसमें देश भर से आए हुए कलाकार इस अवसर पर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।

इंडिया गेट का निर्माण एवं इसका इतिहास 

भारत की राजधानी दिल्ली के राजपथ मार्ग पर स्थित इंडिया गेट निर्माण 1931 ईसवी में किया गया था। साल 1914 से 1918 के बीच चले पहले विश्व युद्ध लड़ा |

तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध में ब्रिटिश इंडियन आर्मी के करीब 90 हजार सैनिकों ने अपने शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य की रक्षा के लिए बड़ी वीरता के साथ दुश्मन सेना से युद्ध लड़ा था, हालांकि इस युद्ध में करीब 82 हजार सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी।

इस युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों के सम्मान और उन्हें श्रंद्धाजंली अर्पित करने के लिए दिल्ली के राजपथ में इस राष्ट्रीय स्मारक इंडिया गेट का निर्माण किया गया था।

शुरुआत में इस स्मारक का नाम ”ऑल इंडिया वॉर मेमोरियल” रखा गया था, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर इंडिया गेट कर दिया गया।

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना के हजारों जवान फ्लैंडर्स मेसोपोटामिया, फ्रांस, पूर्वी अफ्रीका गैलीपोली समेत कई अन्य स्थानों पर लड़ते हुए शहीद हो गए थे, उन सैनिकों के सम्मान और स्मृति में ही इस अद्भुत शहीद स्मारक का निर्माण किया गया था।

लाल बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से निर्मित भारत की इस भव्य शहीद स्मारक की दीवारों में बेहद सृजनात्मक और अनूठे तरीके से इन हजारों शहीदों का नाम भी लिखो गए हैं।

इसके साथ ही आपको बता दें कि 15 अगस्त, 1947 से पहले जब देश ब्रिटिशों की गुलामी सह रहा था, तब इंडिया गेट के सामने किंग जॉर्ज वी की एक प्रतिमा स्थापित थी।

लेकिन आजादी मिलने के बाद इस प्रतिमा को हटाकर ब्रिटिश राज की अन्य प्रतिमाओं के साथ कोरोनेशन पार्क में स्थापित कर दिया गया था। देश की इस अनमोल धरोहर में समय-समय पर कई संसोधन भी किए जाते रहे हैं।

जिसकी वजह से दिल्ली के राजपथ पर स्थित यह स्मारक सैनिकों का एक महत्वपूर्ण स्मारक बन गया है।

साल 1971 में भारत-पाकिस्तान के युद्ध के समय शहीद होने वाले तमाम भारतीय सैनिको के सम्मान में यहां ”अमर जवान ज्योति” की स्थापना की गई, जहां साल के 365 एवं 24 घंटे, हमेशा ही सैनिकों के सम्मान में एक लौ जलती रहती है।

India Gate Photos
India Gate Photos

इंडिया गेट पर बने अमर जवान ज्योति

भारत के इस सबसे बड़े शहीद स्मारक के तल पर ”अमर जवान ज्योति” बना हुआ है, जो कि देश के उन जवानों के त्याग, बलिदान और कुर्बानियों की याद दिलवाता है, जिन्होंने भारत-पाकिस्तान के युद्ध में अपनी देश की रक्षा करते हुए अपनी जान न्योछावर कर दी थी।

इन वीर सैनिकों के शहादत के सम्मान में साल 1971 में अमर जवान ज्योति का निर्माण किया गया है। इस शहीदों को समर्पित स्मारक का शुभारंभ 26 जनवरी, सन् 1972 में भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी ने किया था | 

उस समय उन्होंने देश के लिए मर मिटने वाले सैनिकों को इस स्मारक पर भावपूर्ण श्रद्धांजली अर्पित की थी।

तभी से हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर परेड के आयोजन से पहले भारत के प्रधानमंत्री एवं तीनों सेनाओं के प्रमुख और सभी मुख्य अतिथियों के द्धारा अमर जवान ज्योति पर पुष्प चढ़ाकर शहीदों को इस स्मारक पर सच्चे मन से श्रद्धांजली दी जाती है।

इसके अलावा इस शहीद स्मारक पर शहीद दिवस एवं विजय दिवस समेत अन्य मौके पर भारत के तीनों सेना के प्रमुखों के द्धारा शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित की जाती है।

दिल्ली में स्थित अमर जवान ज्योति संगमरमर का बना हुआ है, जिसमें बड़े अक्षरों में ‘अमर जवान ज्योति’ लिखा गया है। इसके साथ ही इस स्मारक के ऊपर L1A1 एक स्व-लोडिंग राइफल रखी गई है। जिस पर एक सैनिक का हेलमेट शोभा दे रहा है।

अमर जवान ज्योति की खास बात यह है कि यहां शहीदों की याद में हमेशा एक अन्नत लौ प्रज्जवलित रहती है, जो कि भारत-पाक युद्ध के समय अपनी जान कुर्बान करने वाले सैनिकों को श्रद्धांजली है।

आपको बता दें कि भारत की इस सबसे बड़े शहीद स्मारक ”अमर जवान ज्योति” की लौ हमेशा सीएनजी गैस से जलती रहती है, जिसकी आपूर्ति एक गैस पाइपलाइन के माध्यम से की जाती है।

यह गैस पाइपलाइन, दिल्ली के कस्तूरबा मार्ग से करीब आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित अमर जवान ज्योति तक बिछाई गई है।

सैनिकों के इस महत्वपूर्ण स्थल पर 1 नहीं बल्कि 4 जोत रखी गईं हैं, जिनमें से सिर्फ एक जोत ही ऐसी है, जो कि हमेशा जलती रहती है, जबकि अन्य 3 जोतों को भारत के राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त या फिर 26 जनवरी पर ही जलाया जाता है।वहीं दिल्ली में स्थित इस महत्पूर्ण सैन्य स्मारक की सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखा गया है।

इस शहीद स्मारक की सुरक्षा के लिए हमेशा भारतीय सेना, भारतीय नौसेना और वायु सेना के सैनिक तैनात रहते हैं और 24 घंटे इसकी पहरेदारी करते हैं, ताकि युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों की स्मृति में बने इस स्मारक को किसी की तरह का नुकसान न पहुंचे।

इंडिया गेट डिजाइन 

बेहतरीन युद्ध स्मारक डिजाइनरों में से एक सर एडविन लुटियंस ने नई दिल्ली में अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के लिए डिजाइन का मसौदा तैयार किया। 625 मीटर के व्यास के साथ एक हेक्सागोनल परिसर के केंद्र पर स्थित, nearest metro station to india gate कुल 3,60,000 मीटर वर्ग का क्षेत्र है।

यह 42 मीटर ऊँचा है और इसकी चौड़ाई 9.1 मीटर है। इंडिया गेट के टॉप पर एक गुंबद के आकार का कटोरा है जो विशेष अवसरों पर जलते हुए तेल से शायद ही कभी भरा जाता है। इंडिया गेट धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को छोड़कर एक धर्मनिरपेक्ष स्मारक है।

लुटियन ने धार्मिक अलंकरण से मुक्त सार्वभौमिक वास्तुकला शैली का उपयोग किया। इसे आर्क डी ट्रायम्फ के रीमेक के रूप में भी कहा जाता है।

इसके अलावा 150 मीटर की दूरी पर शानदार इंडिया गेट के ठीक पीछे, एक छतरी जैसी संरचना है, जिसे एडविन लुटियन ने भी बनाया था। इसमें लोर्ड जॉर्ज पंचम की मूर्ति थी लेकिन बाद में इसे हटा दिया गया था।

इंडिया गेट का फोटो
इंडिया गेट का फोटो

अमर जवान ज्योति हमेशा कैसे जली रहती है 

अमर जवान ज्योति लॉ सीएनजी पर चलती है जिसकी आपूर्ति एक पाइपलाइन के माध्यम से की जाती है। कस्तूरबा गांधी मार्ग से ज्योति तक 500 मीटर की पाइपलाइन बिछाई गई है ताकि सभी ज्योति जल सकें।

ज्योति के बेस पर 4 ज्योत हैं, जिसमें से सालभर केवल एक जोत जलाई जाती है। बाकी की सभी लॉग 15 अगस्त और 26 जनवरी को जलती हैं। पांच दिन तक इन लॉ को जलाए रखने के लिए 16 एलपीजी सिलेंडरों का इस्तेमाल किया जाता है।

बता दें कि एक एलपीजी सिलेंडर एक ज्योति को डेढ़ दिन तक जलाए रखने की क्षमता रखता है। स्मारक की छत पर सिलेंडरों को स्टॉक किया जाता है।

गेट पर भारत के गणतंत्र दिवस पर होने वाली शानदार परेड – Great parade at the gate of India on Republic Day

भारत की इस राष्ट्रीय शहीद स्मारक पर हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर शहीदों के सम्मान में एक विशाल परेड का आयोजन किया जाता है।

इस दौरान जल, थल और वायु तीनों सेनाओं के प्रमुखों द्धारा राजपथ पर सलामी दी जाती है। इस परेड दिल्ली के राष्ट्रपति भवन से शुरु होकर इंडिया गेट के परिसर से गुजरती है, इस दौरान गणतंत्र दिवस के उद्घोषों के साथ माहौल देशभक्ति से ओतप्रोत रहता है, लोग देशभक्ति के जश्न में डूबे दिखाई देते हैं।

इस परेड के दौरान भारत के तीनों सेनाओं की महाशक्ति का प्रदर्शन किया जाता है, जिसमें सेना अपना दमखम दिखाते हैं। इसके साथ ही इस परेड के दौरान अलग-अलग राज्यों के लोग विभिन्न झांकियां निकालते हैं, जिसमें उनकी सांस्कृतिक झलक देखने को मिलती है।

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इंडिया गेट से जुड़े रोचक तथ्य – Interesting facts related to India Gate

  • इंडिया गेट भारत के सबसे बड़े युद्ध स्मारकों में से एक है।
  • स्मारक का डिजाइन नई दिल्ली के मुख्य वास्तुकार एडविन लुटियंस ने किया था।
  • इंडिया गेट की आधारशिला 10 फरवरी 1921 को ड्यूक ऑफ कनॉट ने रखी थी।
  • इंडिया गेट की दीवारों को प्रथम विश्व युद्ध और अफगान युद्धों में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के नाम के साथ अंकित किया गया है।
  • स्मारक की ऊँचाई 42 मीटर है ।
  • अमर जवान ज्योति का अनावरण 26 जनवरी 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था।
  • इंडिया गेट, पेरिस में स्थित ‘आर्क डी ट्रायम्फ’ के समान है।
  • यह राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री के लिए प्रथागत है, साथ ही राज्य के समारोहों के अवसर पर अमर जवान ज्योति पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मेहमान आते हैं।
  • इंडिया गेट हरे-भरे बगीचों से घिरा हुआ है और एक झील के साफ पानी से घिरा हुआ है।
  • इंडिया गेट स्मारक दिल्ली में सबसे लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट में से एक है ।
  • स्मारक पर निर्माण कार्य पूरा करने में लगभग 10 साल लग गए, जो 1931 में समाप्त हुआ।
  • इंडिया गेट गणतंत्र दिवस परेड के आयोजन स्थल के रूप में जाना जाता है ।

इंडिया गेट के बारे में कुछ महत्वपूर्ण, रोचक और दिलचस्प तथ्य – Facts about India Gate

देश के लिए मर मिटने वाले शहीदों की याद में बनाया गया यह स्मारक भारत के सबसे बड़े युद्ध स्मारकों में से एक है, जिसे उस समय के मशहूर वास्तुकार एडविन लुटियंस ने डिजाइन किया था।

करीब 42 मीटर ऊंचे इस राष्ट्रीय स्मारक की आधारशिला 10 फरवरी, 1921 को ड्यूक ऑफ कनॉट ने रखी थी, जबकि इसका निर्माण काम को पूरा होने में10 साल का लंबा वक्त लग गया था।

इंडिया गेट को शुरुआत में अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के तौर पर जाना जाता था, लेकिन फिर बाद में इसका नाम इंडिया गेट कर दिया गया।

इंडिया गेट के तल पर बनी अमर जवान ज्योति को भारत-पाक के युद्ध में शहीद हुए हजारों भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया है, जिसमें हमेशा एक लौ शहीदों की स्मृति और उन्हें श्रद्धांजली देने के लिए जलती रहती है।

gate way of india की इस सबसे बड़े युद्ध स्मारक के दीवारों पर प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लों-अफगान युद्ध में शहीद हुए हजारों भारतीय सैनिकों के नाम शिल्पित किए गए हैं। जबकि इसे पेरिस में स्थित ”आर्क डी ट्रायम्फ” की तर्ज पर डिजाइन किया गया है।

इंडिया गेट पर बने अमर जवान ज्योति का उद्घाटन देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था और 26 जनवरी के दिन देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित की थी | 

तब से लेकर आज तक गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय पर्व के दौरान हर साल देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति एवं तीनों सेनाओं के प्रमुखों द्धारा अमर जवान ज्योति पर पूरे श्रद्धा भाव और सच्चे मन से शहीदों को श्रद्धांजली दी जाती है।

अमर जवान ज्योति पर एक स्व-लोडिंग राइफल और सैनिक का हेलमेट भी रखा गया है, जो कि इसकी शोभा को और अधिक बढ़ा रहा है

height of india gate करीब 42 मीटर ऊंचे इस शहीद स्मारक का निर्माण भरतपुर से लाए गए लाल और पीले पत्थरों का इस्तेमाल कर किया गया।

India Gate दिल्ली के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, जिसे खूबसूरती को देखने दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं

दिल्ली में स्थित इंडिया गेट, दुनिया के सबसे बड़े वैश्विक युद्ध स्मारक के तौर पर भी मशहूर है, जिसके देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री द्धारा प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। इसके साथ ही यह गणतंत्र दिवस परेड के आयोजन स्थल के रुप में भी जाना जाता है।

दुनिया का सबसे बड़ा युद्द स्मारक होने के साथ-साथ यह एक प्रसिद्ध पिकनिक स्पॉट भी है, जहां लोग छुट्टियां मनाने और अपने दिमाग को तारोताजा करने के लिए जाते हैं।

भारत के इस महत्वपूर्ण स्मारक के सामने बनी हुई छतरी में पहले जॉर्ज पंचम की मूर्ति स्थापित थी, लेकिन आजादी के बाद में इसके कोरोनेशन पार्क में स्थापित कर दिया गया था।

india gate of delhi के आस-पास बने हरे-भरे बगीचे, बोट क्लब और पार्क इसकी सुंदरता को और अधिक बढ़ाने का काम करते हैं। दिल्ली में स्थित भारत का यह सबसे बड़ा युद्ध स्मारक इंडिया गेट सैनिकों के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण स्थल है।

इंडिया गेट, भारत की शान है जो कि देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले वीर सैनिकों की शहादत को याद दिलवाता है |इसलिए देश के इस सबसे बड़े शहीद स्मारक के प्रति समस्त भारतवासियों के ह्रद्य में अपूर्व सम्मान है।

इंडिया गेट में क्या-क्या कर सकते हैं – What you can do at India Gate

India Gate में आप पिकनिक माना सकतें हैं – आप इंडिया गेट के दृश्य का आनंद लेते हुए दोस्तों और परिवार के साथ यहां पिकनिक के लिए कुछ समय बिता सकते हैं।

इंडिया गेट में आप सुबह की सैर कर सकते हैं – इंडिया गेट की ओर राजपथ पर सुबह की सैर दिन की शुरुआत करने का एक शानदार तरीका है।

इंडिया गेट में आप फोटो और सेल्फी ले सकते हैं – फोटो और सेल्फी लेने के लिहाज से इंडिया गेट अच्छा स्थल है। सुबह हो या शाम आए दिन लोगों को यहां सेल्फी लेते और फोटोग्राफी करते देखा जाता है।

यहां पर कई फोटोग्राफर भी मौजूद रहते हैं, जो इंडिया गेट के साथ आपकी फोटो क्लिक कर मिनटों में आपको फोटो उपलब्ध करा देते हैं।

India Gate में स्ट्रीट फूड – इंडिया गेट के आसपास कई स्ट्रीट वेंडर हैं। मॉनसून में यहां आइसक्रीम का सेवन जरूर करें। इंडिया गेट में चिल्ड्रन पार्क – बच्चों के लिए पास में चिल्ड्रन पार्क इंडिया गेट में एक मजेदार जगह है।

सबसे बड़े शहीद स्मारक कैसे पहुंचे 

दिल्ली में स्थित इस सबसे बड़े शहीद स्मारक India Gate को देखने के लिए दुनिया के कोने-कोने से लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं।

भारत की राजधानी दिल्ली न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतराष्ट्रीय हवाई मार्ग से भी काफी अच्छे से जुड़ा हुआ है। यहां पर्यटक सड़क, रेल, एवं वायु तीनों मार्गों द्धारा आसानी से पहुंच सकते हैं।

अगर सैलानी रेल मार्ग के माध्यम से दिल्ली पहुंचते हैं तो यहां नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन दोनों से ही इंडिया गेट तक पहुंचने के कई विकल्प मौजूद हैं।

यहां से सैलानी मेट्रो ट्रेन की सुविधा से आसानी से कम खर्च में इंडिया गेट पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा यहां फ्लाइट और बसों के माध्यम से पहुंचने वाले यात्री भी आसानी से मेट्रो ट्रेन, लोकल बसें या फिर टैक्सी के माध्यम से इस स्मारक को देखने के लिए पहुंच सकते हैं।

वहीं अगर पर्यटक अपनी कार के माध्यम से इंडिया गेट की भव्यता को निहारने जा रहे हैं तो उन्हें इस स्मारक से करीब आधा किलोमीटर की दूरी पर शाहजहां रोड के पास स्थित पार्किंग में अपने वाहन को पार्क करने के बाद इंडिया गेट की सैर कर सकते हैं।

इंडिया गेट के प्रश्न 

  1. location of india gate ?

         इण्डिया गेट यानि की भारत का राट्रीय स्मारक भारत की राजधानी दिल्ही के राजपथ मार्ग पर इस स्मारक का             निर्माण करवाया गया है। 

     2. इंडिया गेट का निर्माण कब और क्यू करवाया गया था ?

        इंडिया गेट का निर्माण 1931 ईसवी में भारतीय जवानो को विश्वयुद्ध में शहीद होनेवाले विरो को श्रद्धांजलि देने के                लिए और उनकी याद में इस स्मारक का निर्माण करवाया गया था। 

    3. इंडिया गेट कितने जवान विरो को समर्पित है ?

       इंडिया गेट विश्व युद्ध में होने वाले करीबन 82 हजार सैनिक शहीद हुवे थे उनकी याद में यह स्मारक का निर्माण           करवाया गया था। 

    4. इंडिया गेट कितने क्षेत्रफल में फैला हुवा है ?

     इंडिया गेट करीबन 625 मीटर के व्यास के साथ एक हेक्सागोनल परिसर के केंद्र पर स्थित, nearest metro         station to india gate कुल 3,60,000 मीटर वर्ग का क्षेत्र है।

    5. who is the architect of india gate ?

     देश के लिए मर मिटने वाले शहीदों की याद में बनाया गया यह स्मारक भारत के सबसे बड़े युद्ध स्मारकों में से एक       है, जिसे उस समय के मशहूर वास्तुकार एडविन लुटियंस ने डिजाइन किया था।

    करीब 42 मीटर ऊंचे इस राष्ट्रीय स्मारक की आधारशिला 10 फरवरी, 1921 को ड्यूक ऑफ कनॉट ने रखी थी,         जबकि इसका निर्माण काम को पूरा होने में10 साल का लंबा वक्त लग गया था।

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