Ellora Caves – जब भी कभी भारत के अतुल्य और अद्भुत वास्तुकला संबंधी स्थलों की बात आती है तो उन में कैलाश गुफा अर्थात एलोरा गुफाओं की गुफा क्रमांक 16 का उल्लेख अवश्य आता है।
महाराष्ट्र में बसे पर्यटन स्थलों में से औरंगाबाद की अजंता और एलोरा गुफाएँ वास्तव में एक दर्शनीय धरोहर का स्थल है। इन गुफाओं से संबंधित सभी तकनीकी और ऐतिहासिक विवरणों को जानने का सबसे अच्छा माध्यम है भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की वेबसाइट।
इस यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने का यह सबसे विश्वसनीय स्त्रोत है।
Table of Contents
एलोरा की गुफाएंओ का इतहास – History of Ellora Caves
तो चलिये अब मैं आपको Ellora Caves से संबंधित अपने कुछ अनुभवों के बारे में बताती हूँ। मैंने अपनी जिंदगी में दो बार इन गुफाओं के दर्शन किए हैं।
इन दोनों मुलाकातों के बीच दो दशकों के लंबे समय का फासला रहा है और दोनों ही बार मेरे अनुभव एक-दूसरे से बहुत अलग रहे हैं।
एलोरा गुफा को एलुरा भी कहा जाता है| यहाँ 34 भव्य मंदिर है जो चट्टानों के कटाव की एक श्रंख्ला के रूप में है, जो मध्य उत्तरपश्चिम में स्थित है
- और भी पढ़े -: इंडिया गेट की पूरी जानकारी हिंदी में
ये औरंगाबाद के उत्तर-पश्चिम में 19 मील (30 किमी) और अजंता गुफाओं के 50 मील (80 किमी) दक्षिण-पश्चिम में एलोरा गांव के पास स्थित हैं|
ये मंदिर 1.2 मील (2 किमी) की दूरी में फैले हुए है , ये गुफाएं मंदिर बेसाल्टिक चट्टानों को काटकर विस्तृतरूप से अग्रभाग और आंतरिक दीवारों पर बनाए गए थे| एलोरा परिसर 1983 में यूनेस्को द्वारा घोषित एक विश्व धरोहर स्थल है।
नाम | इलोरा की गुफा |
राज्य | महाराष्ट्र |
ज़िला | औरंगाबाद |
निर्माण काल | 5वीं से 7वीं सदी के मध्य |
स्थापना | राष्ट्रकूट वंश के शासकों द्वारा स्थापित। |
स्थान | औरंगाबाद, महाराष्ट्र के उत्तर में 26 किमी की दूरी पर एलोरा गुफ़ाएँ स्थित है। |
एल्लोरा की गुफाएं इतहास व कला – Ellora Caves History and Art
(दक्षिण में) लगभग 200 BCE से लेकर 600 CE तक की 12 बौद्ध गुफाएं है , (केंद्र में) 500 से लेकर 900 CE तक के 17 हिंदू मंदिर है, और (उत्तर में) लगभग 800 से 1000 CE तक के 5 जैन मंदिर है|
हिन्दू गुफाओं की रचना में नाटकीय प्रदर्शन हैं, और बौद्ध गुफाओं में सरलतम अलंकरण है| एलोरा मठों (विहारों) और मंदिरों (कैटीस) के एक समूह के रूप में कार्य करता था; कुछ गुफाओं में विश्राम गृह को शामिल किया जाता है जो घुमंतू भिक्षुओं के लिए तैयार किए गए थे।
गुफा मंदिरों में सबसे उल्लेखनीय है कैलाशा (कैलाशनाथ गुफा16); जिसका नाम हिमालय के कैलाश पर्वत के नाम पर रखा गया, जहां हिंदूओं के भगवान शिव रहते थे।
उस स्थल पर अन्य मंदिरों के विपरीत, कैलाश परिसर ऊर्ध्वाधर बैसाल्टिक चट्टानों को काटकर बनाया गया है| जिसे सूर्य की रोशनी काफी अधिक उजागर करती है।
8वीं शताब्दी में मंदिर का निर्माण हुआ था, जब कृष्ण प्रथम सन 756–773 के शासनकाल की शुरुआत थी| इसमें 150,000 से 200,000 टन ठोस चट्टानों के निराकरण शामिल थे |
- और भी पढ़े -: Aina Mahal का इतिहास हिंदी में जानकारी
तथा ये चट्टानें 164 फुट (50 मीटर) लंबा, 108 फुट (33 मीटर) चौड़ा, और 100 फीट (30 मीटर) ऊंची है और इसकी चार स्तर या कहानियां हैं।
इसमें सीढ़ियों, दरवाजों, खिड़कियां और कई निश्चित मूर्तियों के साथ विस्तृत रूप से नक्काशीदार पत्थर का बना खंभा और हॉल शामिल हैं। इसकी एक प्रसिद्ध सजावट में से एक विष्णु का एक दृश्य है जिसमें एक राक्षस से जूझते हुए मनुष्य-शेर में बदल जाता है|
प्रवेश द्वार में बाहर मुख्य आंगन में, शिवजी का बैल (नंदी) का एक स्मारक बना हुआ है।
मंदिर की दीवारों के साथ, दूसरी कहानी में हाथियों और अन्य जानवरों के जीवन-आकार की मूर्तियां हैं साथ ही गुफा के भीतर चित्रणों में 10 सिरों वाला दिग्गज राजा रावण अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए दिखाया गया है।

हिंदू देवताओं और पौराणिक आंकड़ों के कामुक और आकर्षक प्रतिनिधित्व भी मंदिर पर अनुग्रह करते नज़र आते हैं| कुछ आकृतियों को सदियों से क्षतिग्रस्त या नष्ट कर दिया गया है, जैसे कि रॉक-फोल्ड पैराब्रिज जिसकी दो और कहानी एक साथ में शामिल है।
विश्वकर्मा गुफा (गुफा 10) हिंदू और बौद्ध के चित्रों के साथ-साथ नृत्य करने वाले बौने के जीवंत दृश्य शामिल हैं। जैन मंदिरों में उल्लेखनीय गुफा 32 है, जिसमें कमल के फूलों की नक्काशी और अन्य विस्तृत गहनों की आकृतियाँ शामिल हैं।
प्रत्येक वर्ष गुफाएं धार्मिक तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की बड़ी भीड़ को आकर्षित करती हैं। शास्त्रीय नृत्य और वार्षिक संगीत एलोरा महोत्सव मार्च के तीसरे सप्ताह में आयोजित किया जाता है।
कैलाश मंदिर, गुफा क्रमांक 16 – Kailash Temple, Cave No. 16
90 के दशक के शुरुआती दौर में मेरे पिताजी को औरंगाबाद में तैनात किया गया था। यानी वह शहर जो एलोरा गुफाओं के सबसे नजदीक बसा हुआ है। हमारा घर भी इन गुफाओं से बस कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित था।
घर पर आए हुए मेहमानों को सैर पर ले जाने की यही सबसे बढ़िया जगह बन गयी थी और इसका मतलब था, इन गुफाओं के अनेकों बार दर्शन। उस समय मैं सिर्फ एक विद्यार्थी थी और वह भी संगणक जैसे नए-नए उभर रहे क्षेत्र की।
- और भी पढ़े -: Hawa Mahal के इतिहास की पूरी जानकारी हिंदी में
तब मुझे इतिहास जैसे विषय में जरा सी भी रुचि नहीं थी और भारत में स्थित ऐसी गुफाओं के बारे में तो मैं बहुत ही कम जानती थी। इसका मुख्य कारण यह था कि मैं उत्तर भारत में पली-बड़ी थी।
लेकिन आज जब मैं इन सारी बातों को याद करती हूँ तो मुझे इस बात का एहसास होता है कि शायद मैं कभी भी कला और इतिहास से एक विषय के रूप अवगत नहीं थी, जिन पर अध्ययन किया जा सके।
लेकिन कई सालों बाद मैंने संयोगवश एवं रुचिपूर्वक इन विषयों पर अध्ययन करना शुरू किया, जो हो न हो मेरी भारत यात्राओं का प्रभाव था।
एलोरा गुफाओं से जुड़ी कुछ यादें – Some memories related to Ellora caves
इस पृष्ठभूमि के साथ-साथ मुझे आज भी वे सारे पल साफ-साफ याद हैं जब हम पहली बार कैलाश गुफा के दर्शन करने गए थे। तब हमारे साथ एक वयोवृद्ध व्यक्ति थे, जो मेरे पिताजी के स्थानीय सहकर्मी थे।
उन्होंने हमे विस्तार से समझाया कि ये गुफा किस प्रकार खोदी गयी थी। जब उन्होंने हमे बताया कि यह गुफा ऊपर से नीचे खोदी गयी थी तो हम सब चकित रह गए थे।
आगे उन्होंने हमे बताया कि यहाँ पर जो मंदिर है वह पूरा का पूरा केवल एक ही बड़े पत्थर से उत्कीर्णित किया गया है। जब मैंने ऊपर देखा तो वह पूरा मंदिर जैसे मेरी चारों ओर घूम रहा था।
- और भी पढ़े -: Modhera सूर्य मंदिर का इतिहास हिंदी में
यह सब देखकर मैं इसी सोच में पड़ गयी कि इस गुफा के कारीगरों ने ना जाने यह सब कितनी सूक्ष्मता और स्पष्टता से किया होगा। खासकर जब आप स्तंभों से बने गलियारे से गुजरते हैं, तो ऊपर से बाहर निकलती हुई विशाल चट्टानें आपको हैरान कर देती हैं।
कला के क्षेत्र से संबंधित अत्यंत सीमित जानकारी रखनेवाला, वैज्ञानिक रूप से प्रशिक्षित मेरा दिमाग इसे अभियांत्रिकी के चमत्कार के रूप में देख रहा था।
ऊपर से मेरी आँखों को सफ़ेद संगमरमर से बने मंदिर देखने की आदत थी जिनके ऊपर ऊंचे-ऊंचे शिखर होते हैं और चालुक्य शैली में निर्मित यह मंदिर मेरे इस सीमित ज्ञान के चौखट से बिलकुल अनोखा और परे था।
एलोरा गुफाओं के उत्कीर्णन –
बड़े पत्थरों पर बने इन उत्कीर्ण मुर्तिया बनी हुई है । उनमे महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों की घटनाओं पर आधारित कुछ उत्कीर्णन दृश्य दिखाई देंगे । इन में से रावण द्वारा कैलाश पर्वत को हिलाने वाला वह उत्कीर्णित दृश्य आज भी स्पष्ट है।
उस में उत्कीर्णित मौखिक हाव-भाव और दृश्यों के बीच की एकबद्धता इस पूरी घटना को उत्तम रूप से प्रदर्शित कर रही है ।

पत्थर से उत्कीर्णित इतने विशाल हाथी पहले कभी नहीं देखे होंगे । इसके अतिरिक्तयहाँ स्थित और भी कई आकृतियों मौजूद हे , जैसे कि गंगा, यमुना आदि दिखाई देंगे ।
बाद में मंदिर की छत के ऊपर देखे और थोड़ी दूर से यह मंदिर देखिये , जहाँ से आप उसके विराट आकार की जी भर के प्रशंसा कर सकते हैं। यह मंदिर आपको वास्तुकला से आकर्षित हो जायेंगे |
अजंता का कैलास मंदिर –
कैलाश मंदिर संसार में अपने ढंग का अनूठा वास्तु जिसे मालखेड स्थित राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण (प्रथम) (760-753 ई.) ने निमित्त कराया था.
यह Ellora Caves जिला औरंगाबाद स्थित लयण-श्रृंखला में है. एलोरा की 34 गुफाओं में सबसे अदभुत है कैलाश मंदिर. इस भव्य मंदिर को देखने के लिए भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया से लोग आते हैं. ये अपने आप में बहुत ही अजूबा है |
विशाल कैलाश मंदिर देखने में जितना खूबसूरत है उससे ज्यादा खूबसूरत है इस मंदिर में किया गया काम, इस मंदिर को बनाने में सौ साल से ज्यादा का समय लगा है. अब आप सोच सकते हैं कि इसकी कलाकृति कितनी खूबसूरत होगी, जिसे बनाने में इतना समय लग गया।
आमतौर पर कोई भी मंदिर हो झट से तैयार हो जाता है. उसे बनाने में कम मजदूर लगते हैं, लेकिन एलोरा का ये कैलाश मंदिर सच में भगवान् शिव का स्थान है।
इस मंदिर की सबसे ख़ास बात ये है कि इसे हिमालय के कैलाश की तरह रूप दिया गया है. तब के राजा का मानना था कि अगर कोई हिमालय तक नहीं पहुँच पाए तो वो यहीं देवता का दर्शन कर ले.
एलोरा का कैलाश मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में प्रसिद्ध Ellora Caves में स्थित है। यह एलोरा के 16वीं गुफा की शोभा बढ़ा रही है. इस मंदिर का शिवलिंग विशालकाय है. यही इसकी सबसे ख़ास बात है।
- और भी पढ़े -: Somnath Temple इतिहास हिंदी में जानकारी
इस मंदिर को दो मंज़िला बनाया गया है। यह मंदिर दुनिया भर में एक ही पत्थर की शिला से बनी हुई सबसे बड़ी मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है. इस मंदिर को बनाने में कई पीढ़ियों का योगदान रहा. सबने अपने हाथों से इसे अंजाम दिया. दिन-रात काम करके इस मंदिर को बनाया गया.
आपको जानकर हैरानी होगी कि इसके निर्माण में करीब 40 हज़ार टन वजनी पत्थरों को काटा गया था. तब जाकर मंदिर तैयार हुआ.
इस मंदिर के आंगन के तीनों ओर कोठरियां हैं और सामने खुले मंडप में नंदी विराजमान है और उसके दोनों ओर विशालकाय हाथी और स्तंभ बने हैं. ये मंदिर के मुख्य आकर्षण में से एक है।
देश में ऐसे बहुत से मंदिर और जगह है जो , जो इतने प्रचिलित नहीं है , लेकिन उनका इतिहास काफी ही अनूठा है वो भारतीय संस्कृति को काफी अनूठे अंदाज़ में दर्शाते है।
इलोरा की रोचक बाते –
Ellora Caves में से दी ग्रेट कैलास गुफा वहा की सबसे बड़ी गुफा है।
आर्कियोलॉजिस्टों के अनुसार इसे कम से कम 4,000 वर्ष पूर्व बनाया गया था।
एल्लोरा, विश्व में सबसे बड़े एकल एकचट्टानी उत्खनन, विशाल कैलाश (गुफा 16) के लिए विख्यात है। कहा जाता है कि इस गुफ़ा का निर्माण, राष्ट्रकूटों के शासक प्रथम कृष्णा द्वारा करवाया गया था। यह बहु-मंजिल गुफा मंदिर कैलाश मंदिर, भगवान शिव जी के घर को समर्पित है।
एलोरा की गुफाएं न केवल यह गुफा संकुल एक अनोखा कलात्मक सृजन है साथ ही यह तकनीकी उपयोग का भी उत्कृष्ट उदाहरण है। परन्तु ये शताब्दियों से बौद्ध, हिन्दू और जैन धर्म के प्रति समर्पित है।
ये सहनशीलता की भावना को प्रदर्शित करते हैं, जो प्राचीन भारत की विशेषता रही है
गुफ़ा न.10, निर्माण या सृजन के देवता विश्वकर्मा भगवान जी को समर्पित है इसलिए इस गुफ़ा को विश्वकर्मा गुफ़ा कहते हैं। गुफ़ा के अंदर भगवान बुद्ध की 15 फ़ीट की मूर्ति उपदेश देने की मुद्रा में विराजमान है। इस गुफ़ा में स्थित दो धर्मों के ऐसा अद्भुत मेल बहुत ही दुर्लभ है।

यहां की गुफाएं महाराष्ट्र की ज्वालामुखीय बसाल्टी संरचनाओं को काट कर बनाई गई हैं, जिन्हें ‘दक्कन ट्रेप’ कहा जाता है।
यहां की शानदार जैन गुफाएँ हैं जिनमे इंद्र सभा, जगन्नाथ सभा व छोटा कैलाश गुफाएं, यहाँ स्थित जैन गुफाओं में सबसे ज़्यादा प्रसिद्द और उल्लेखनीय हैं। इनकी दीवारें बहुत ही ख़ूबसूरत चित्रों व विस्तृत कलाकृतियों से सजाई गयी थीं।
गुफ़ा न.10, निर्माण या सृजन के देवता विश्वकर्मा भगवान जी को समर्पित है इसलिए इस गुफ़ा को विश्वकर्मा गुफ़ा कहते हैं। गुफ़ा के अंदर भगवान बुद्ध की 15 फ़ीट की मूर्ति उपदेश देने की मुद्रा में विराजमान है। इस गुफ़ा में स्थित दो धर्मों के ऐसा अद्भुत मेल बहुत ही दुर्लभ है।
ऐसा बोला जाता है कि इन गुफाओं को बनाने में एलियंस की मदद ली गयी थी। इंसान खुद इनको नहीं बना सकता था और ना ही इस तरह तब कोई तकनीक थी. कई भारतीय संत तब एलियंस की दुनिया से बात कर सकते थे।
यह लोग एलियंस को धरती पर बुला सकते थे और इसी क्रम में एलियंस यहाँ पृथ्वी पर आये होंगे और उन्होंने अपनी कला का प्रयोग करते हुए इतना शानदार काम किया होगा।
ऐलोरा जाने का सही समय –
इन गुफाओं की यात्रा के लिए वर्ष का सबसे अच्छा समय मानसून के मौसम के दौरान जून से सितंबर और सर्दियों के मौसम के दौरान अक्टूबर से फरवरी के बीच होता है। मार्च की गर्मी, अप्रैल और मई के महीनों में गर्मी के कारण गर्मी से बचना चाहिए।
इन गुफाओं में मंगलवार को छोड़कर किसी भी दिन जाया जा सकता है। मंगलवार को ये गुफाएं पर्यटकों के लिए बंद रहती हैं।
ऐलोरा गुफाओं में प्रवेश करने की टिकट प्रवेश शुल्क टिकट भारत के नागरिकों, बिम्सटेक और सार्क देशों के लिए 10 रुपये (प्रति व्यक्ति) है और विदेशियों के लिए यह 250 रुपये (प्रति व्यक्ति) है।
कैसे पहुचें ऐलोरा –
हवाई जहाज़ :
Ellora Caves का निकटतम हवाई अड्डा औरंगाबाद में 30 किमी की दूरी पर स्थित है, जिसकी दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद शहरों से अच्छी कनेक्टिविटी है।
रेल से :
औरंगाबाद रेलवे स्टेशन एलोरा गुफाओं के सबसे करीब है। यहां से रेलवे स्टेशन और गुफाओं के लिए बस और कार सेवाएं हैं।
रोड से :
इन सबके अलावा कई निजी टूर ऑपरेटर हैं जिनसे निजी कारों को किराए पर लिया जा सकता है। रोड से Ellora Caves से औरंगाबाद का रास्ता सिर्फ 1-2 घंटे की दूरी पर है।
*
और भी पढ़े -: biography Hindi