भारत की बेहद संपन्न और पुरानी रियासत Garh kundar fort प्राचीन किला हमेशा रहस्यमई रहा है। यह Garh kundar ka kila झाँसी से करीबन 70 की.मी की दुरी पर यह रहस्य मई किला स्थित है।
11वीं सदी में बना यह फोर्ट अपने आप में कई रहस्यों से भरा है। क्योकि इस किले में घूमने गई पूरी बरात गायब हो गई थी। 2 मंजिला का भूमि में और 3 मंजिला बहार बना किले पर वहा की खूबसूरत राजकुमारी से शादी करने के लिए मोहम्मद बिन तुगलक ने आक्रमण कर दिया था। बुंदेला शासकों की राजधानी रहा किले में सोना, हीरे, जवाहरात की कोई कमी नहीं थी। यह किले में इतना सोना चांदी का खजाना है। यह भारत सरकार को मिल जाये तो अमीर हो जाए।
किले के नीचे दो मंजिला भवन में खजाने का रहस्य छुपा हुआ है। राजा रूद्र प्रताप देव ने गढ़ कुंडार से अपनी रियासत की राजधानी को ओरछा शिफ्ट करली थी। आज हम इस आर्टिकल में गढ़कुंडार किला का इतिहास और इस केले में मौजूद खजाना और रहस्य के लिए जाना जाता है। अगर आपको भी इस किले के बारे में जानना चाहते है तो हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढियेगा।
Table of Contents
Garh Kundar Fort History In Hindi Madhya Pradesh –
किले का नाम | गढ़कुंडार किला |
राज्य | मध्यप्रदेश |
जिला | बुंदेलखंड |
स्थान | गढ़कुंडार गांव |
निर्माणसाल | 11वी शताब्दी |
क्षेत्र | 18 की.मी |
किले की मंजिले | 5 मंजिले |
गढ़कुंडार का किला का इतिहास –

ऐसा माना है की एक बार यहां घूमने आई हुई एक पूरी की पूरीबारात यह किले मे गायब हो गई थी। यह बारात में गुमने गाये हुए लोगों का आज तक कोई पता पता नहीं चल सका है । यह बारात गायब हो जाने के बाद इस किले के निचे के सारे रास्ते बंध कर दिया है। झाँसी के मऊरानीपुर के नेशनल हाइवे से करीबन 18 की.मी के अंदर गढ़कुंडार का किला स्थित है। गढ़कुंडार का किला 11वी सदी में निर्माण किया गया है। यह किला 5 मंजिला का बनहुवा है। यह 5 मंजिल मेसे 3 मंजिल ऊपर है और 2 मंजिल धरती के निचे निर्माण किया गया है।
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गढ़कुंडार किला की बनावट –
यह garh kundar किला किसने बनवाया और कब बनवया यह कोई खास सबूत नहीं मिलता है। इतिहासकारो मतानुसार यह किला करीबन 1500 से 2000 साल पुराना माना जाता है। यह किले मे चंदेलो , बुंदेलों , खंगार कई शासको का यहा राज हुवा करता था। गढ़कुंडार का किला बुन्देलखंड जिले में गढ़कुंडार गांव में मौजूद है। यह गढ़कुंडार किला भारत का बहोत रहस्मयी किला है। इस किले की खासियत बहोत ही डरावनी है की जिसे सुनकर ही लोग इस गढ़कुंडार किले में जाने का कोई साहस नहीं होता।
दरअसल यह गढ़कुंडार किले की खास बात यह है कि यह किला 8 कि.मी की दूरी से तो साफ़ दिखाई देता है और जैसे आप किले के नजदीक जाने लगेंगे यह किला गायब हो जायेगा। यानि की यह किला पूरी तरह से दिखाई नहीं देता। और आप जिस रास्ते से आप किले के अंदर जाना चाहते है वही रास्ता आपको कई और ले जाता है।
गढ़कुंडार के किला इस तरह बनाया गया है की सुरक्षा की दृस्टि से बहोत ही रहस्यमयी है। यह किले की रचना इस प्रकार किया गया है की किले अंदर जाने के लिए फ़क्त एक ही रास्ता बनाया गया है। यह किले की बनावट इस प्रकार की गई है की किले में दिन के उजाले में भी अंधकार रहता है। यह कारन से यह गढ़कुंडार का किला बहोत ही डरावना दिखाई देता है।

Garh Kundar राजधानी –
फ़ोर्ट Garh kundar history in hindi देखे तो कब और किसने बनवाया यह कोई नहीं जानता लेकिन कहा यह जाता है की 1500 तक इस किले को राजधानी के तौर पर इस्तमाल किया गया। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड जिले में स्तिथ यह गढ़कुंडार का किला एक समय में क्षेत्रीय महाराजा खेत सिंह खंगार का किला माना जाता है। महाराजा खेतसिंह खंगार का जन्म 27 दिसम्बर 1140 को जूनागढ़ नरेश महाराज रूढ़देव सिंह रावकर के यहाँ हुआ था जो चूडासामा वंश के थे। चूडासामा वंश शौर्य, आदर्श और बलिदान का प्रतिक रहा है।
Garh kundar Fort की संरचना –
मध्यप्रदेश का Gadkundar kila की बनावट इस तरह बनाई गई है की यह पूरा किला रहस्यों से भरा है। गढ़कुंडार का किला 5 मंजिला ईमारत है। यह किले की इमारतो में से 3 मंजिले तो किले के ऊपर के हिस्से में बनवाया गया है। और बाकि की 2 मंजिले जमीन अंदर यानि भूगर्भ में इसका निर्माण किया गया है। गढ़कुंडार का किला ऊँची पहाड़ी पर 1 हेक्टर से अधिक वर्गाकार भूमि पर बनवाया गया है।
यह किले की बनावट इस प्रकार की गई है की यह किला दूर से दिखाई देता है मगर नजदीक जाते ही यह किला गायब हो जाता है। यह किले में अगर वही रास्ते से जायेंगे तो वह रास्ता आपको कई और जाएगा जबकि किले के अंदर दूसरा रास्ता जाता है। गढ़कुंडार का किला 11वीं सदी में बनवाया गया यह किला 5 मंजिला ईमारत है। यह किले की इमारतो में से 3 मंजिले तो किले के ऊपर के हिस्से में बनवाया गया है। और बाकि की 2 मंजिले जमीन अंदर यानि भूगर्भ में इसका निर्माण किया गया।

Garh Kundar Fort की वास्तुकला –
गढ़कुंडार किले के राजमहल को चारो तरफ से 6 फिट मोटाई का परकोटा का निर्माण किया गया है। जिस द्वार को सिंहगढ़ द्वार के नाम से पहचाना जाता है। सिंहद्वार के बहारी इलाके में दो चबूतरे बने हुवे है जिन चबूतरों को दिवान चबूतरों के नाम से जाना जाते है। सिंहगढ़ द्वार की ऊंचाई करीबन 20 फिट और लम्बाई करीबन 80 फिट है। सिंहगढ़ द्वार को पार करने के बाद सिंह पोर आता है। इसके बाद तोप खाना आता है जहा राजाओंके समय में तोपे रखा जाता था।
राजमहल के बहार 18 फिट चौड़ी और 100 फिट लम्बी घुड़साल है। जहा राजा के घोड़े बांधे जाते थे। यह घुड़साल में करीबन 11 द्वार है इसके सामने एक चक्की रखी गई है इससे चुना पीसने का काम किया जाता था। इस घुड़साल के सामने महान भव्य महल बनवाया गया है।
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गढ़कुंडार किले का रहस्य –
garh kundar किला का निर्माण इस प्रकार किया गया है की यह किला भूलभुलैया जैसा बनवाया गया है। इस में जाने जाने के बाद लोग भटक जाते है और वह गायब हो जाते है और फिर वापस नहीं आते। और यह में हमेशा के लिये कैद हो जाते है। और अगर आप यकीन करभी ले तो एक ओरभी बात रहस्य की है की यहाँ कई लोग गायब हो गये हे लेकिन एक भयानक रहस्य हे की गुम गया हुवा इंसान की हड्डी भी नहीं मिली।
गढ़कुंडा किले की कहानी और डरावना इतिहास भी है की यह किले की राजकुमारी और उनकी कई दासियो ने सबने एक साथ इस किले में जौहर किया था। इस कारण यह किले को भूतिया किला कहा जाता है। Gadkundar ka kila के तयखानों में कई लोगो को गायब हो जाने की बढ़ती हुई कई घटनाओं को सुनते हुए भारत सरकारने यह गढ़कुंडा किले के निचे के दो मंजिलो में जाने वाले सारे रास्तों को सदा के लिए बंद करा दिया है। यह दो मंजिलो के अलावा अब यहाँयात्रिको को गढ़कुंडा किले के ऊपर के तीन मंज़िलों में गुमने की अनुमति है।

गढ़कुंडार किला सुरक्षा की दृष्टि से बेजोड़ नमूना –
किला गढ़कुंडार सुरक्षा की दृस्टि से बेजोड़ नमूना माना जाता है। Garh kundar kila का निर्माण इस तरह किया गया है की बहारके आक्रमण कारो को भ्रमित कर देता है। यह किला एक ऊँची पहाड़ी पर 1हेक्टर से अधिक जमीन पर अधिक वर्गाकार जमीन पर बनाया गया है। किला गढ़कुंडार उस तरह बनवाया गया है की ये किला करीबन 4-5 की.मी दूर से तो दिखाई देता है। लेकिन जब-जब नजदीक जाते है तो यह किला गायब हो जाता है। जिस रास्ते से किला दिखाई देता है अगर वही रास्ते से जाये तो किले की बजाय कई और स्थान पर ले जाता है जबकि किले में जाने के लिए एक दूसरा रास्ता बनवाया गया है।
गढ़कुंडार किले का खजाना –
garh kundar fort भव्य 5 मंजिला ईमारत है यह किले की दो मंजिले जमीन के अंदर बनाई गई है और तीन मंजिले ऊपर बनवाई गई है। इतिहासकारों के मतानुसार गढ़कुंडार किले के अंदर हाली समय में भी इतना खज़ाना मौजूद है की यह किले का खज़ाना अगर भारत सरकार को मिले तो भारत देश एक ही रात में अमीर देश बन जाये। इतिहासकारो के मतानुसार इस किले में चन्देलों, बुंदेलों और खंगारों का शासन हुवा करता था।
जिन राजाओंका राज कभी हिरे जवारात और सोना-चांदी की कोई भी कमी महसूस नहीं होती थी। यह सारा खजाना माना जाता है की आज भी किले में यह खजाना तयाखानो यानि किले के दो मंजिले जो जमीन के अंदर बने हे इसमें में मौजूद है। लेकिन इस किले की लालच में जो कोई भी जाता है उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। और वह गए हुवे लोग कभीभी किले मेसे वापस नहीं आपये और उनका कोई पता नहीं चला। किले के निचले दो मंजिल में जाने के बाद लोग गायब हो जाते है।

गढ़कुंडार किले से जुडी राजकुमारी केसरदाई की कहानी –
गढ़कुंडार किले की कहानी राजकुमारी केसरदाई से जुडी हुई है।
यह राजकुमारी बहोत ही सुन्दर थी।
राजकुमारी केसरदाई की सुंदरता से आकर्षित होकर तुगलक वंश का
सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक राजकुमारी केसरदाई के पिता से मिलता है।
और राजकुमारी से विवाह करनेकी बात करता है।
लेकिन केसरदाई के पिता मुहम्मद को साफ इनकार कर देते है।
सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक क्रोध में आकर गढ़कुंडार किले पर आक्रमण कर देता है।
और इस दो राज्यों के बिच बहोत बड़ा भयानक युद्ध हो गया।
राज्य हारते देख राजकुमारी केसरदाई ने दासियो ने एक साथ जौहर कर लिया था।
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गढ़कुंडार किले में कोनसे राजवंशो ने शासन किया था –
garh kundar किले का उपयोग चंदेल काल में चन्देलोंका मुख्यालय अवं सैनिकों का अड्डा माना जाता है। महाराजा यशोवर्मा चंदेल ई.स 925-940 में दक्षिण और पश्चिम बुंदेलखंड को उनके अधिकार में कर लिया था। इसकी सुरक्षा के लिये गढ़कुंडार किले में कुछ अन्य अनोखे और रहस्यमयी इमारतों का निर्माण किया गया था।
यह गढ़कुंडार किले में सुरक्षा के लिए किलेदार भी रखे गये थे। ई.स 1182 में चन्देलों और चौहानो के बिच युद्ध हुवा जिस युद्ध में चंदेल राजाओंको हारना पड़ा। इस युद्ध में गढ़कुंडार के किलेदार की मृत्यु हो गई। इसके बाद यहाँ नायब किलेदार खेतसिंह खंगार ने यह गढ़कुंडार किले में खंगार राज्य की स्थापना की। ई.स 1182 से 1257 तक यह किले पर खंगारो का शासन रहा।
खंगारों के बाद बुन्देल राजा सोहनपाल ने अपना राज्य स्थापित किया। ई.स1257 से 1539 तक यानि की करीबन 283 साल तक इस किले पर बुंदेलों का शासन रहा। इसके बाद यह किला वीरान हो गया। इसके बाद ई.स1605 में ओरछ के राजा वीरसिंह ने यह किले का पता लगाया और किले का जीणोंद्वार करवाया। गढ़कुंडार किले पर 13वीं से 16 वीं सदी तक बुंदेला शासको का पाटनगर रहा। ई.स 1531 में राजा रूद्र प्रताप देव ने गढ़कुंडार से उनका पाटनगर ओरछा बदलदी थी।

खंगारों को जाता है नई पहचान देने का श्रेय –
गढ़कुंडार किले का पुनः निर्माण और नहीं पहचान देने का श्रेय खंगारों शासको को जाता है। यह राजा खेत सिंह गुजरात राज्य रूढ़देव का पुत्र था। राजा रूढ़देव और पृथ्वीराज चौहान के पिता सोमेस्वर सिंह मित्र हुवा कतरे थे। पृथ्वीराज और खेतसिंह दोनों बचपन से मित्र हुवा करते थे। पृथ्वीराज चौहान के सेनापतियों में खेतसिंह भी मुख्य माना जाता है। चंदबरदाई रासो में इसका उल्लेख मिलता है।
Garh Kundar Fort में पूरी बारात गायब हो जाने की कहानी –
बहुत समय पहले गढ़कुंडार के नजदीक के गांव में एक बारात आई थी।
यह पूरी बारात यह किले में गुमने के लिए जाती है।
बारात के लोग गुमते – गुमते किले की 2 मंजिला निचे चले जाते है।
और यह बारात दो मंजिला भूतल में गायब हो जाती है।
बारात के 50-60 लोगो का अभीभी कोई पता नहीं चला।
इसलिए यह किले के निचे की दो मंजिले के द्वार बंध कर दिया है।
गढ़कुंडार किला कई रहस्यों से भरा है।
किले में अभीभी रहस्य मौजूद है यह किले के दो मंजिल जो जमीन के अंदर बनी हुई है।
वह मंजिलो को बंध कर दिया है।
इतिहासकार हरिगोविंद सिंह कुशवाह बताते है की गढ़कुंडार किला
बेहद सम्पन और प्राचीन रियासत यह किला रहा है।
यहाँ के शासकों को यह किले में राज करने के बाद उनके पास
सोना, हिरे जवारात की कमी महसूस नहीं होती।

गढ़कुंडार किले कैसे पहुंचे –
- हवाई मार्ग से कैसे पहुंचे :
हवाई मार्ग से जाने के लिए नजदीकी हवाई अड्डा ग्वालियर स्थित है।
आप यह ग्वालियर एयरपोर्ट कई शहरों के साथ जुड़ा हुवा है।
इस लिए आप किसी भी शहर के हवाई अड्डे से उड़ान भर सकते हे।
और ग्वालियर में आने के भाद आप टैक्सी या कैब का
इस्तेमाल से आप गढ़कुंडार किले तक पहुँच सकते है।
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- ट्रेन मार्ग से कैसे पहुंचे :
गढ़कुंडार किले के नजदीकी रेल्वे स्टेशन दतिया के नाम से जाना जाता है।
और यह रेल्वे स्टेशन देश के कई अन्य बड़े शहरो से जुड़ा हुवा है।
देश के कोईभी शहर से ट्रेन से आप गढ़कुंडार ट्रेन से जा सकते है।
वहा से गढ़कुंडार यात्रा के लिये वहा से टैक्सी ले जा सकते है।
- सड़क मार्ग से कैसे पहुंचे :
यह Garhkundar ka kila झाँसी से करीबन 70 की.मी की दुरी पर स्थित है।
गढ़कुंडार किले पहुँच ने के लिये आप अपनी कार या टेक्सी ले जा सकते है।
मध्य्प्रदेश में स्टेट हाइवे बहोत अच्छे है।
आप गढ़कुंडा गांव तक पहुँच कर गढ़कुंडार किले तक पहुँच सकते है।
गढ़ Kundar फोर्ट Madhya Pradesh Map –
Garh Kundar Ka Kila History Video –
Garh Kundar Fort FAQ –
1 . गढ़कुंडार का किला कहा स्थित है ?
झाँसी से 70 की.मी की दुर गढ़कुंडा गांव के नजदीक गढ़कुंडार का किला है।
2. गढ़कुंडार किले का निर्माण किसने करवाया था ?
ई.स 1605 में ओरछ के राजा वीरसिंह ने किले का जीणोंद्वार करवाया।
3. गढ़कुंडार का किला कितना मंजिला है ?
11वीं सदी में बना किला 5 मंजिला ईमारत है। 3 मंजिले किले के ऊपरऔर
2 मंजिले जमीन अंदर यानि भूगर्भ में बनी है।
4. गढ़कुंडार किले पर कौनसे राजवंशो ने शासन किया था ?
गढ़कुंडार किले पर चंदेल ,चौहान ,खंगार,बुन्देल जैसे महान राजवंशो ने शासन किया था।
5 .गढ़कुंडार किसकी रचना है?
हिन्दी उपन्यासकार एव नाटककार वृन्दावनलाल वर्मा गढ़कुंडार के लेखक है।
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Conclusion –
आपको मेरा Garh kundar fort History in Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा।
लेख के जरिये गढ़कुंडार उपन्यास और गढ़कुंडार का मेला से सबंधीत सम्पूर्ण जानकारी दी है।
अगर आपको किसी जगह के बारे में जानना है। तो कहै मेंट करके जरूर बता सकते है।
हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।
Note –
आपके पास राजस्थान का रहस्यमयी किला या बोना चोर का किला की कोई जानकारी हैं।
या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है।
तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद
1 .कितनी मंजिलें हैं गढ़कुंडार किले की ?
2 .खंगार जाति की उत्पत्ति कैसे हुई ?