Dwarkadhish Temple Dwarka In Hindi

Dwarkadhish Temple Dwarka In Hindi | द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास

नमस्कार दोस्तों Dwarkadhish Temple In Hindi में आपका स्वागत है। आज हम द्वारकाधीश मंदिर द्वारका के दर्शन और यात्रा से जुड़ी पूरी जानकारी बताने वाले है। द्वारकाधीश मंदिर को जगत मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। वह भगवान कृष्ण को समर्पित एक चालुक्य शैली की वास्तुकला का प्रमाण है। द्वारका शहर का इतिहास महाभारत में द्वारका राज्य से है। पांच मंजिला मुख्य मंदिर चूना पत्थर और रेत से निर्मित अपने आप में भव्य और अदभुत है। मान्यता के मुताबिक 2200 साल पुरानी वास्तुकला वज्रनाभ से बनाई गई थी। उसको भगवान कृष्ण ने समुद्र से प्राप्त भूमि पर बनाया था।

द्वारकाधीश मंदिर गुजरात राज्य की पवित्र नगरी द्वारका में गोमती नदी के तट पर स्थित है। वह भगवान् कृष्ण जी को समर्पित द्वारकाधीश मंदिर द्वारका भारत के सबसे प्रमुख और भव्य मंदिर में से एक है। उसको रामेश्वरम, बद्रीनाथ और पुरी के बाद हिंदुओं के बीच चार धाम पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। साल भर लाखो की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन के लिए आते रहते है।द्वारकाधीश मंदिर के भीतर अन्य मंदिर जो सुभद्रा, बलराम और रेवती, वासुदेव, रुक्मिणी और कई अन्य को समर्पित हैं।

Dwarkadhish Temple History In Hindi

द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास एक रोमांचक कहानी के रूप में शामिल है। परंपरा के मुताबिक कृष्ण के पोते वज्रनाभ ने मंदिर को हरि-गृह के ऊपर बनवाया था। उसके कारन द्वारकाधीश मंदिर द्वारका के भगवान भगवान कृष्ण को संदर्भित है। मंदिर को रामेश्वरम, बद्रीनाथ और पुरी के बाद हिंदुओं के बीच चार धाम पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। यह 8 वीं शताब्दी के धर्मशास्त्री और दार्शनिक आदिशकराचार्य की यात्रा के बाद बना था। जिन्होंने यह स्थान पर शारदा पीठ की स्थापना की थी। द्वारकाधीश मंदिर विश्व में श्री विष्णु का 108वां दिव्य देशम है जिसकी महिमा दिव्य प्रबंध ग्रंथों में की गई है।

Dwarkadhish Temple Images

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Best Time To Visit Dwarkadhish Temple

द्वारकाधीश मंदिर घूमने जाने का आदर्श समय – गोमती नदी के तट पर स्थित गुजरात राज्य में द्वारकाधीश मंदिर एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। उसे 2500 साल से भी अधिक पहले बनाया गया था और यह पूरे वर्ष में सबसे अधिक देखा जाने वाला पर्यटन स्थल है। सर्दियों के मौसम में सुखद रूप से गर्म रहता है। उसलिए यात्रा का अनुशंसित समय अक्टूबर से मार्च है।
मंदिर में उत्सव जन्माष्टमी के दौरान होता है। उसके कारन पारंपरिक अनुष्ठानों और समारोहों को देखने के लिए सितंबर में यात्रा कर सकते हैं।

द्वारकाधीश मंदिर इमेज

Architecture of Dwarkadhish Temple

द्वारकाधीश मंदिर की वास्तुकला देखे तो वह मनमोहक मंदिर चूना पत्थर और रेत से बना है। उसका राजसी पांच मंजिला टॉवर 72 स्तंभों और 78.3 मीटर ऊंचे एक जटिल नक्काशीदार शिखर से समर्थित है। उसमें एक उत्कृष्ट नक्काशीदार शिखर जो 52 गज कपड़े से बने झंडे के साथ 42 मीटर ऊंचा है। ध्वज में सूर्य और चंद्रमा के प्रतीक होते हैं। जो मंदिर पर भगवान कृष्ण के शासन को दर्शाते हैं। जब तक कि सूर्य और चंद्रमा मौजूद हैं। मंदिर की भव्यता दो द्वार स्वर्ग द्वार जहाँ तीर्थयात्री प्रवेश करते हैं। और मोक्ष द्वार जहाँ तीर्थयात्री बाहर निकलते हैं। उससे समृद्ध है। और उसके दोनों ओर बरामदे के साथ वेस्टिबुल, गर्भगृह और एक आयताकार हॉल है। भवन के दक्षिण द्वार के बाहर 56 सीढ़ियाँ गोमती नदी की ओर जाती हैं।

Dwarkadhish Temple Timings

द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन का समय – आप द्वारकाधीश मंदिर घूमने जाते है और द्वारकाधीश मंदिर की टाइमिंग समय सर्च कर कर रहे हैं। तो आपको बता दे की द्वारकाधीश मंदिर दर्शन के लिए सुबह 6 बजे से दोपहर 1 बजे और शाम 5 बजे से रात 9.30 बजे तक खुलता है। उस समय में आप द्वारकाधीश मंदिर में दर्शन कर सकते है।

Dwarkadhish Temple Photos

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Dwarkadhish Temple Entrance fee

द्वारकाधीश मंदिर का प्रवेश शुल्क – भक्तो को द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन और प्रवेश के लिए कोई भी शुल्क नही लिया जाता है। मंदिर में पर्यटक और श्रद्धालु बिना शुल्क का भुगतान किए द्वारका के राजा श्री कृष्ण के दर्शन कर सकते है।

Dwarkadhish Temple Aartis Timings

सुबह की आरति, भोग और श्रृंगार

  • मंगला आरती – सुबह 6.30
  • मंगला दर्शन – 7 से 8
  • अभिषेक – 8 से 9
  • श्रृंगार दर्शन – 9 से 9.30
  • स्ननभोग – 9.30 से 9.45
  • श्रृंगार दर्शन – 9.45 से 10.15
  • श्रृंगारभोग – 10.15 से 10.30
  • श्रृंगार आरती – 10.30 से 10.45
  • ग्वाल भोग – 05 से 11.20
  • दर्शन – 11.20 से 12
  • राजभोग – 12 से 12.20
  • दर्शन बंद – 1 बजे 

शाम की आरती एव भोग

  • उथप्पन प्रथम दर्शन – 5 बजे
  • उथप्पन भोग – 5.30 से 5.45
  • दर्शन – 5.45 से 7.15
  • संध्या भोग – 7.15 से 7.30
  • संध्या आरती – 7.30 से 7.45
  • शयनभोग – 8 से 8.10
  • दर्शन – 8.10 से 8.30
  • शयन आरती – 8.30 से 8.35
  • दर्शन – 8.35 से 9
  • बंटभोग और शयन – 9 से 9.20
  • मंदिर बंद – 9.30 बजे
द्वारकाधीश मंदिर फोटो

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Story of Dwarkadhish Temple द्वारकाधीश मंदिर की किंवदंतियां

द्वारकाधीश की कहानी

भगवान द्वारकाधीश की मूर्ति की कथा बताए तो भगवान द्वारकाधीश के भक्त बदाना डाकोर से प्रतिदिन मंदिर आते थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान द्वारकाधीश ने उनके साथ डाकोर चले गए थे। मंदिर के पुजारी ने बदाना पर क्रोधित होकर मूर्ति को वापस पाने के लिए उसका पीछा किया था। मगर बदन ने मूर्ति के पुजारियों को सोने के बदले राजी कर लिया था। भगवान द्वारकाधीश ने एक चमत्कार दिखाया और आश्चर्यजनक रूप से मूर्ति का वजन केवल एक नाक की अंगूठी था। क्योंकि बदन के पास उतना ही देना था। उसके अलावा भगवान ने पुजारियों को आश्वस्त किया कि उन्हें एक दिन मूर्ति की प्रतिकृति मिल जाएगी और द्वारका में स्थापित मूर्ति अभी विकसित नहीं हुई है।

रुक्मिणी के तीर्थ की कथा

रुक्मिणी के तीर्थ की कथा में ऐसा माना जाता है। कि द्वारका का निर्माण कृष्ण द्वारा समुद्र से प्राप्त भूमि के एक टुकड़े पर किया गया था। एक बार जब ऋषि दुर्वासा कृष्ण और उनकी पत्नी रुक्मिणी के पास गए तो उन्होंने उत्सुकता से उनके महल का दौरा किया था। रास्ते में रुक्मिणी थक गई और उसने कुछ पानी मांगा था। कृष्ण भगवान एक पौराणिक गड्ढा खोदकर गंगा नदी को उस स्थान पर ले आए जहां वे खड़े थे। उससे क्रोधित होकर ऋषि दुर्वासा ने रुक्मिणी को वहीं रहने का श्राप दे दिया था। जहां वह खड़ी थी वह स्थान आज मंदिर है।

Janmashtami Festival of Dwarkadhish Temple

द्वारकाधीश मंदिर का जन्माष्टमी उत्सव – जन्माष्टमी या भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव द्वारकाधीश मंदिर और शहर में हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाते है। उत्सव में द्वारकाधीश मंदिर और द्वारका नगरी को बहुत अच्छे से सजाया जाता है। भगवान के मंदिर में भगवान् श्री कृष्णा की मूर्ति को पानी, दूध और दही से नहलाते है। उसके बाद श्रृंगार करते है। उसके बाद भगवान को पालने में विराजमान किया जाता है। यह पवित्र उत्सव के समय कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है। उस समय देश के बिभिन्न शहरों से हजारों भक्त शामिल होते है।

द्वारकाधीश मंदिर की फोटो गैलरी

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Places To Visit Around Dwarkadhish Temple

  • द्वारका बीच
  • नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर
  • लाइटहाउस
  • बेट द्वारका आइलैंड
  • भड़केश्वर महादेव मंदिर
  • रुक्मणीदेवी मंदिर
  • डनी पॉइंट
  • गोमती घाट
  • इस्कॉन
  • स्वामी नारायण मंदिर
  • सुदामा सेतु
  • गोपी तालाब
  • गीता मंदिर

Where To Stay For a Visit To Dwarkadhish Temple

The Fern Sattva Resort, Dwarka

Hotel Roma Kristo

Swati Hotel Dwarka

Hotel City Palace

How To Reach Dwarkadhish Temple Dwarka

अगर आप भी भगवान कृष्ण की नगरी द्वारका जाना चाहते है। तो आपको बता दें कि द्वारका भारत के गुजरात राज्य में स्थित है। वहाँ आप परिवहन के सभी साधनों से पहुंच सकते हैं। द्वारकाधीश मंदिर द्वारका पहुँचने में बहुत आसान है। द्वारका का नजदीकी हवाई अड्डा जामनगर में 145 कि.मी दूर स्थित है। यहां से आप टैक्सी या बस ले सकते हैं। द्वारकाधीश मंदिर ट्रेन से जाने के लिए द्वारका में रेलवे जंक्शन है। वह भारत के सभी शहरों से नियमित ट्रेनों से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन गुजरात के सभी शहरों से द्वारका के लिए बस की सेवाएं प्रदान करता है। आप सूरत, राजकोट या अहमदाबाद से बस ले सकते हैं। 

द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास

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Dwarkadhish Temple Dwarka Map द्वारकाधीश मंदिर का लोकेशन

Dwarkadhish Temple Dwarka In Hindi Video

Interesting Facts

  • भारत के सात प्राचीन शहरों में से एक द्वारका द्वारिकाधीश मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।
  • द्वारकाधीश मंदिर गुजरात राज्य की पवित्र नगरी द्वारका में गोमती नदी के तट पर स्थित है।
  • द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास रोचक और कई हजारों साल पुराना है। 
  • चूना-पत्थर से बना हुआ सात मंज़िला द्वारकाधीश मंदिर की ऊंचाई 157 फ़ीट है।
  • द्वारकाधीश मंदिर को जगत मंदिर, ब्रह्मांड मंदिर या रणछोड़राय मंदिर भी कहते हैं।
  • मंदिर में स्थापित श्री कृष्ण की द्वारकाधीश के रुप में पूजा की जाती है।
  • द्वारका द्वापर युग में भगवान कृष्ण की राजधानी और आज महा तीर्थ है।
  • द्वारकाधीश मंदिर हिंदूओं का पवित्र धाम चार धाम में से एक तीर्थ है।
  • मंदिर का निर्माण 2200 साल पहले कृष्ण के पौत्र वज्रनाभ ने हरि-गृह के ऊपर करबाया था।

FAQ

Q .द्वारकाधीश के राजा कौन थे?

श्री कृष्ण भगवान

Q .द्वारकाधीश मंदिर कब बना था?

द्वारकाधीश मंदिर को पुरातात्व विभाग द्वारा बताया जाता है की मंदिर 2,200-2000 साल पुराना है।

Q .कृष्ण मथुरा छोड़कर द्वारका क्यों गए?

यादवों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कृष्ण ने मथुरा को छोडऩे का निर्णय लिया था।

Q .द्वारकाधीश मंदिर कितने साल पुराना है?

द्वारकाधीश का मुख्य मंदिर लगभग 2500 वर्ष पुराना माना गया है। 

Q .द्वारका का पुराना नाम क्या है?

मथुरा छोड़ने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका में एक नया नगर बसाया. इसका प्राचीन नाम कुशस्थली था। 

Q .द्वारकाधीश में कौन सा सागर है?

द्वारका गुजरात के काठियावाड क्षेत्र में अरब सागर के द्वीप पर स्थित है।

Q .द्वारकाधीश मंदिर किसने बनवाया था?

द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के पोते वज्रभ द्वारा किया गया था। 

Q .द्वारकाधीश कहां पर है?

Dwarka, Gujarat 361335

Q .द्वारकाधीश मंदिर किस नदी के किनारे स्थित है?

गोमती नदी

Conclusion

आपको मेरा लेख Shree Dwarkadhish Temple Dwarka In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

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Note

आपके पास Dwarkadhish Temple official website की जानकारी हैं। या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिख हमे बताए हम अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद। 

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