Bhimkund भारत में अनेक कई रहस्य वाले कुंड मौजूद है जिसमे मध्यप्रदेश में स्थित भीम कुंड भी शामिल है। भीम कुंड मध्यप्रदेश में छत्तरपुर जिले के बड़ा मलहरा तहसील से करीबन 10 कि.मी की दुरी पर स्थित है।
भीम कुंड प्राचीन और प्रसिद्ध स्थल है जहा पर प्राचीन काल से
ऋषियों , संत , तपस्वियों , साधको , मुनियो यह स्थान पर आकर तपस्चर्या करते थे।
वर्तमान समय में यह भीम कुंड स्थान धार्मिक पर्यटन स्थल और वैज्ञानिक शोध केंद्र भी बना हुआ है।
यह भीम कुंड में भू-वैज्ञानिको के लिए रहस्य का विषय बना हुवा है।
भीम कुंड अपने अंदर की अतल में गहराई को समेटे हुवा है।
आज हम इस आर्टिकल में मध्यप्रदेश में स्थित भीम कुंड के बारे में जानेंगे। भीम कुंड का रहस्य और भीमकुंड की गहराई इसके अलावा bhimkund history के बारे में पूरी जानकरी देंगे। अगर आप भी इस रहस्यमई कुंड के बारे में जानना चाहते है तो आप भी हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढियेगा।
स्थल का नाम | भीम कुंड |
राज्य | मध्यप्रदेश |
जिला | छत्तरपुर |
कुंड के नाम | भीम कुंड , neel kund , नारायण कुंड |
कुंड के मंदिर | लक्ष्मी-नृसिंह , रामदरबार ,राधाकृष्ण |
कुंड का निर्माण कैसे हुवा | भीम की गदा के प्रहार से |
Table of Contents
Bhimkund History In Hindi –
भीमकुंड का रहस्य और इतिहास –

Bhimkund की कहानी –
भीमकुण्ड chhatarpur की बहोत प्राचीन कथा है भीम कुंड की मान्यता है की महाभारत के समय दौरान पांडवो यह स्थान पर अज्ञातवास गुजारने के लिए यह गने वन से गुजर रहे थे। उस समय द्रौपदी को प्यास लगी थी। द्रौपदी की प्यास बुझाने के लिए वहा पर कोई स्त्रोत नहीं था तब द्रोपदी को व्याकुल देखकर भीम क्रोधित होकर उनकी गदा से पहाड़ पर पूरी ताकत से प्रहार किया था। भीम से यह प्रहार से इस जगह पर बड़ा पानी का कुंड का निर्माण हो गया।
कुंड से पांडवो और द्रौपदी ने प्यास बुझाई और कुंड का नाम भीम के नाम से रखा गया। भीम कुंड को नीलकुण्ड या नारद कुंड के नाम से पहचाना जाता। ऐसा कहा जाता है की आकाश मार्ग से नारदजी गुजर रहे थे। उस समय उनको एक स्त्री और पुरुष को घायल अवस्थामे दिखाई देते है। यह देखकर नारदजी निचे उतरे और इस अवस्था का कारण पूछते है तब उन्होंने नारदजी को कहा की वह संगीत के राग और रागिनी है।
उनकी अवस्था वह व्यक्ति सुधार सकता है जिस व्यक्ति संगीत में निपुण हो और उनके लिए सामगान गीत गाये। और नारदजी संगीत में निपूर्ण थे। नारदजी सामगान गाना शुरू कर दिया जिसको सुनकर सारे देवताये नाचने लगे। इसके अलावा विष्णु भगवान भी सामगान सुनकर प्रसन्न हो गए और एक जल कुंड में परिवर्तित हो जाते है। इसके बाद इस कुंड का जल नीला हुवा तबसे इस कुंड को neelkund के नाम से भी पहचाना जाता है।
Bhimkund की संरचना –
भीम कुंड का निर्माण कैसे हुआ था –
bheem kund की बहोत प्राचीन कथा है भीम कुंड की मान्यता यह है की महाभारत के समय दौरान पांडवो पांडवो यह स्थान पर अज्ञातवास गुजारने के लिए वह स्थान से पांडव गने वन से गुजर रहे थे उस समय द्रौपदी को प्यास लगी थी। द्रौपदी की प्यास बुझाने के लिए वहा पर कोई स्त्रोत नहीं था तब द्रोपदी को व्याकुल देखकर भीम क्रोधित होकर उनकी गदा से पहाड़ पर पूरी ताकत से प्रहार किया था। भीम से यह प्रहार से इस जगह पर बड़ा पानी का कुंड का निर्माण हो गया।
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भीम कुंड की गहराई –
bhimkund depth कितनी है इसका अनुमान अभीतक नहीं कर सके। कई भू-जल के वैज्ञानिको ने इसकी गहराई मापने का प्रयास किया लेकिन गहराई कितनी है इसका कोई अनुमान नहीं कर सके। भीम कुंड में आने वाला जो जल का प्रवाह है bhimkund discovery किसने की थी इसका पता नहीं चलता की यह bhimkund waterfall कहा से आता है और कहा जाता है। यह एक रहस्य बनकर रहा है। और इसकी गहराई नापने में असफल रहे है। भीम कुंड 40 से 80 मीटर चौड़ा है और यह कुंड देखने में बिल्कुल एक गदा के जैसा दीखता है।

सुनामी के समय इस कुंड में क्या हुआ था –
bheemkund अपने आप में बहोत रहस्यमई बातो से भरा हुवा है। जब सुनामी दुर्घटना हुई थी तब इस कुंड का जल करीबन 80 फिट ऊँची लहरे उठी थी। यह घटना के बाद देश और विदेश के मिडिया का जिज्ञासा का विषय बना हुवा है। जल कुंड की अंदर से निकलने वाली जलधारा अंदर ही अंदर संगम में जाकर अदृश्य हो जाती है। किसी व्यक्ति ने इसकी रहस्य जलधारा जानने ने के लिए कुंड में एक वस्तु फेंकी थी जो संगम में जाकर मिली थी।
Bhimkund के नजदीकी पर्यटन स्थल –
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय :
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय मध्य प्रदेश राज्य के छतरपुर जिले में मौजूद है। महाराजा छत्रसाल संग्रहालय वर्तमान समय में 8 गैलेरिया बनाई गई है। महाराजा छत्रसाल संग्रहालय बुन्देल महाराजाओके सबंधित चित्र , उनके वस्त्र , उनके हथियार उनमे रखे गए है। छत्तरपुर जिले में घूमने आनेवाले पर्यटक महाराजा छत्रसाल संग्रहालय को देखने के लिए अवश्य जाते है। आपको यह भी बता देते है की महाराजा छत्रसाल संग्रहालय में जैन धर्म से जुड़े कई सारे चित्र को बहोत सुन्दर रूप से चित्रित किया गया है।
खजुराहो मंदिर :
भारत के मध्य में स्थित खजुराहो मंदिर मध्यप्रदेश स्टेट का एक बहुत ही खास शहर और पर्यटक स्थल है जो अपने प्राचीन और मध्यकालीन मंदिरों के लिए देश भर में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है। मध्यप्रदेश में कामसूत्र की रहस्यमई भूमि खजुराहो अनादिकाल से दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करती रही है। छतरपुर जिले का यह छोटा सा गाँव स्मारकों के अनुकरणीय कामुक समूह के कारण विश्व-प्रसिद्ध है, जिसके कारण इसने यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में अपना स्थान बनाया है।
खजुराहो का प्रसिद्ध मंदिर मूल रूप से मध्य प्रदेश में हिंदू और जैन मंदिरों का एक संग्रह है। ये सभी मंदिर बहुत पुराने और प्राचीन हैं जिन्हें चंदेल वंश के राजाओं द्वारा 950 और 1050 के बीच कहीं बनवाया गया था। पुराने समय में खजुराहो को खजूरपुरा और खजूर वाहिका से जाना-जाता था। खजुराहो में कई सारे हिन्दू धर्म और जैन धर्म के प्राचीन मंदिर हैं।
इसके साथ ही ये शहर दुनिया भर में मुड़े हुए पत्थरों से बने हुए मंदिरों की वजह से विख्यात है। खजुराहो को खासकर यहाँ बने प्राचीन और आकर्षक मंदिरों के लिए जाना-जाता है। यह जगह पर्यटन प्रेमियों के लिए बहुत ही अच्छी जगह है। यहाँ आपको हिन्दू संस्कृति और कला का सौन्दर्य देखने को मिलता है। यहाँ निर्मित मंदिरों में संभोग की विभिन्न कलाओं को मूर्ति के रूप में बेहद खूबसूरती के साथ उभारा गया है।
गंगऊ बांध :
गंगऊ बांध खजुराहो प्राचीन मंदिर के नजदीकी क्षेत्र में और छत्तरपुर जिले से करीबन 18 किमी की दुरी पर स्थित है। गंगऊ बांध सिमरी नदी और केन नदी के संगम पर बनाया गया है। गंगऊ बांध के स्थान पर शानदार और सुन्दर और यादगार पिकनिक मनाने ने के लिए दूर दूर से यह स्थान पर आते रहते है। इस बांध के अंदर दिलचस्प नौका विहार का आनंद लेने के लिए यह स्थान पर आते है।

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पांडव जलप्रपात और गुफाएं पन्ना :
छत्तरपुर के मुख्य आकर्षण में शामिल में पांडव जलप्रपात और गुफाएं पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के अंदर मौजूद एक आकर्षक जगह है। ऐसा माना जाता है की पांडवो ने निर्वासन के समय दौरान यह जगह पर शरण ली थी। यह स्थान पर पांडव जलप्रपात और गुफाओ के मुख्य आकर्षण स्थलों में से एक है। यह स्थान पर बेहद खूबसूरत झरने , ज्यादा गहरी झील और हरेभरे प्राकृतिक वातावरण का सुन्दर दृश्य नजर आता है।
महामति प्राणनाथजी मंदिर :
छत्तरपुर के पर्यटन स्थलों में मौजूद पन्ना में महामति प्राणनाथजी मंदिर एक सुन्दर और आकर्षित जगह है। यह प्राचीन स्थान पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है। महामति प्राणनाथजी मंदिर का निर्माण ई.स 1692 में करवाया था। महामति प्राणनाथजी मंदिर की बनावट हिन्दू और मुस्लिम स्थापत्य शैली का उदहारण देता है।
भीम कुंड कैसे पहुंचे –
हवाई मार्ग से भीम कुंड कैसे पहुंचे :
- भीम कुंड जाने के लिए आप हवाई मार्ग का भी विकल्प पसंद कर सकते है।
- भीम कुंड के नजदीकी हवाई एयरपोर्ट खजुराहो हवाई अड्डा मौजूद है।
- वह करीबन 45 मिनिट की दुरी पर मौजूद है।
- यह हवाई अड्डा दिल्ही , मुंबई और आग्रा जैसे बड़े शहरो से जुड़ा हुवा है।
- इसके अलावा नजदीकी आंतरराट्रीय अड्डा भोपाल में स्थित है।
- जो छत्तरपुर से करीबन 6 घंटे का सफर से आप भीम कुंड तक पहुँच सकते है।
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1 . भीम कुंड कहा स्थित है ?
bhimkund in madhya pradesh के छत्तरपुर जिले के बड़ा मलहरा तहसील से
करीबन 10 कि.मी की दुरी पर स्थित है।
2 . भीम कुंड का निर्माण कैसे हुवा था ?
द्रौपदी की प्यास बुझाने के लिए वहा पर कोई स्त्रोत नहीं था।
तब द्रोपदी को व्याकुल देखकर भीम क्रोधित होकर
उनकी गदा से पहाड़ पर पूरी ताकत से प्रहार किया था।
भीम से यह प्रहार से इस जगह पर बड़ा पानी का कुंड का निर्माण हो गया।
3 . भीम कुंड में कितने और कौनसे मंदिर स्थित है ?
इसकी सामने की दिशा में छोटे छोटे 3 मंदिर बनवाये गए है।
जिसमे लक्ष्मी-नृसिंह , रामदरबार ,राधाकृष्ण मंदिर स्थित है।
4 . भीम कुंड का क्षेत्र कितना है ?
भीम कुंड का क्षेत्र 40×80 मीटर चौड़ा है।
5 . भीम कुंड की गहराई कितनी है ?
bhimkund depth कितनी है इसका अनुमान अभीतक नहीं कर सके।
कई भू-जल के वैज्ञानिको ने इसकी गहराई मापने का प्रयास किया,
लेकिन गहराई कितनी है इसका कोई अनुमान नहीं कर सके।
6 . भीम कुंड का आकर कैसा है ?
भीम कुंड आकार में गदा जैसा दीखता है।
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Conclusion –
दोस्तों उम्मीद करता हु आपको मेरा ये लेख bhimkund mystery के बारे में पूरी तरह से समज आ गया होगा। इस लेख के द्वारा हमने bhimkund chhatarpur के बारे में जानकारी दी अगर आपको इस तरह के अन्य ऐतिहासिक स्थल और प्राचीन स्मारकों की जानकरी पाना चाहते है तो आप हमें कमेंट करे। आपको हमारा यह आर्टिकल केसा लगा बताइयेगा और अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे। धन्यवाद।