नमस्कार दोस्तों Amber Fort (Amer Fort) History in Hindi में आपका स्वागत है। आज हम राजस्थान राज्य की पिंक सिटी जयपुर में अरावली पहाड़ी की चोटी पर स्थित आमेर किले का इतिहास और घूमने की जानकारी बताने वाले है। आमेर का किला आमेर दुर्ग या आंबेर का किला नाम से भी जाना जाता है। राजस्थान की राजधानी से सिर्फ 11 किलोमीटर दूर गुलाबी और पीले बलुआ पत्थरों से अंबर किला बना हुआ है। कछवाहों के शासन काल में यह किले का निर्माण कार्य राजपूत मान सिंह प्रथम ने करवाया था।
Amber palace अपने कलात्मक विशुद्ध हिन्दू वास्तु शैली के लिये भी यह महल, किला या दुर्ग प्रसिद्ध है। जयपुर के आमेर विस्तार में ऊंची पहाड़ी पर स्थित पर्वतीय दुर्ग जयपुर शहर का प्रमुख आकर्षण केंद्र है। पर्यटकों और फोटोग्राफरों के लिए एक स्वर्ग के समान आमेर का किला राजस्थान की सैर जरूर देखना चाहिए। सूर्यवंशी कछवाहों की राजधानी रह चुका यह स्थल आज भी देखने योग्य है। तो चलिए आमेर का इतिहास में उसका इतिहास, वास्तुकला, एंट्री फीस, कैसे पहुंचे की जानकारी बताते है।
नाम | आमेर दुर्ग, आमेर महल, आमेर क़िला, आम्बेर क़िला |
स्थल | जयपुर, राजस्थान, भारत |
प्रकार | सांस्कृतिक |
विभाग | राजस्थान के पर्वतीय दुर्ग |
प्रकार | दुर्ग एवं महल |
नियंत्रक | राजस्थान सरकार |
दशा | संरक्षित |
निर्माण समय | 1592 – 1727 |
निर्माणकर्ता | राजा मान सिंह प्रथम, सवाई जयसिंह |
सामग्री | लाल बलुआ पत्थर, संगमर्मर |
Table of Contents
Amber Fort History In Hindi

आमेर का किला हिन्दू- राजपूताना वास्तुशैली से बना राजस्थान राज्य के सबसे बड़े किलों में से एक है। पिंक सिटी जयपुर से 11 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों पर Amer Pales बना हुआ है। amber fort jaipur history देखे तो प्राचीन समय में आमेर सूर्यवंशी कछवाहों की राजधानी के रूप में कार्यरत था। उसके शाशन काल में मीनास नामक जनजाति के द्वारा यह किले निर्माण हुआ था। आमेर के किले का निर्माण 16 वीं शताब्दी में राजा मानसिंह प्रथम द्धारा करवाया गया था। इतिहासकारों के मत मुताबिक राजस्थान के सबसे बड़े आमेर के किले का निर्माण तक़रीबन 16 वीं शताब्दी में करवाया गया था। यह किले को राजा मानसिंह प्रथम ने अपने साशन काल में करवाया था।
उसके पश्यात 150 सालों तक राजा मानसिंह के उत्तराधिकारियों ने किले का विस्तार और नवीनीकरण का काम किया था। 1727 में राजा सवाई जय सिंह द्धितीय ने अपने शासनकाल में अपनी राजधानी आमेर से जयपुर स्थापित की थी। जयपुर से पहले कछवाहा ( मौर्य ) वंश की राजधानी आमेर ही हुआ करती थी। Amber (Amer) Fort प्राचीन समय में कदीमी महल कहा जाता था। आमेर किले में राजा मान सिंह द्धारा निर्मित शीला माता देवी का मशहूर मंदिर है। कुछ लोगों एव इतिहासकारों का मानना है। की यह किले का नाम आमेर भगवान शिव के नाम अंबिकेश्वर से रखा गया है। कुछ लोग ऐसा कहते है। की किले का नाम मां दुर्गा का नाम, अंबा से लिया गया है।

Amber Fort Architecture In Hindi
आमेर किले की वास्तुकला देखे तो आमेर का किला पारंपरिक हिंदू और राजपुताना शैली में निर्मित किया गया है। आमेर किले को लाल बलुआ और संगमरमर पत्थरों बनाया गया है। उसमे आपको राजपूत शासकों के चित्र और प्राचीन शिकार शैलिया देखने को मिलती है। आपको बतादे की अम्बर के किले का निर्माण चार भागों में किया गया है। हर भाग अपने प्रवेश द्वार और परिसर से निर्मित किया गया है। आमेर किले का प्रमुख द्वार सूर्य द्वार या सूरज पोल के नाम से जाना जाता है।

उसका नाम उगते सूर्य के सामने मुख होने के कारन रखा गया है। वहाँ से पर्यटक महल परिसर से सीढ़ियों से जाते हुए प्रांगण तक जा सकते है। वहाँ से शीतला माता मंदिर भी पहुंच सकते है। पर्यटकों को किले में मुगल और हिन्दू वास्तुशैली का मिश्र नमूना देखने को मिलता है। यहाँ साहसी राजपूत शासकों की तस्वीरें भी देखने को मिलती है। यह किला प्राचीन वास्तुशैली एवं इतिहास का नायाब नमूना है। यहाँ आपको सूर्य द्धार, चन्द्रपोल द्धार, जलेब चौक, सैलानी महल, सिंहपोल द्धवार, दीवान-ए-आम, गणेश द्धवार, सुख महल और शीश महल की सुंदरता और भव्यता देखने की मिलती है।
आमेर फोर्ट जाने का सबसे अच्छा समय

अगर किसी भी जगह पर घूमने के लिए जाना है। तो वहा जाने का सबसे अच्छा समय जरूर पता होना चाहिए। क्योकि अच्छी यात्रा के लिए स्थल की जानकारी और वातावरण पता होना चाहिए। आपको Amber Fort Jaipur घूमने का सबसे अच्छा समय बताये तो अक्टूबर से मार्च तक का समय सबसे अच्छा होता है। उस समय यहाँ का मौसम बहुत ही सुहावना होता है। आप अगर सर्दियों के मौसम में यात्रा करने के लिए जाते है। तो आपको ऊनी कपड़े जरूर साथ में रखे। पर्यटक गर्मियों के मौसम में यात्रा करने की सोचते है। तो उस समय जयपुर का तापमान 44 ° C से 45 ° C के बीच एव गर्म हवाएं चलती हैं।
Amer Fort Jaipur Tourist Places

Sukh Niwas
आपको दीवान-ए-आम के पास चंदन और हाथी दांत से बना सुख निवास देखने को मिलता है। उसके बारे में ऐसा कहा जाता है की राजा जय सिंह ने यह स्थान को अपनी रानियों के साथ समय बिताने के लिए निर्मित करवाया था। उसी लिए ही उन्हें सुख निवास कहा जाता है। यह किले के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। सुख निवास में यात्री अद्भुत कलाकारी और नक्काशी को देख सकते है।
Diwan-E-Aam Amber Fort
दीवान-ए-आम का निर्माण राजा जय सिंह ने करवाया था। यह महत्वपूर्ण संरचनाओं में से एक और प्रमुख दर्शनीय स्थल है। राजा यहाँ से जनता की फरियाद और समस्याएं पर विचार विमर्श करके उसे न्याय देते थे। यह स्थान का निर्माण ही आम जनता की फरियाद के लिए किया गया था। दीवान-ए-आम को शीशे के पच्चीकारी काम और बेहद शानदार नक्काशीदार स्तंभों पर बनाया गया है। लाल पत्थर और संगमरमर पत्थरों से उसको आर्कषक 40 खंभे से बनाय गया है। उसमे बेशकीमती स्टॉन्स और बेहद सुंदर मूर्तियां भी देखने को मिलते है।

त्रिपोलिया द्वार
आमेर दुर्ग से पश्चिमी में बने त्रिपोलिया द्वार में तीन दरवाजे देख सकते है। उसके तीनों दरवाजे विभिन्न विभागों की और जाते है। उसमे एक जलेब चौंक की तरफ, दुसरा मान सिंह महल और तीसरा जनाना डढ्योडी की और जाता है।
Diwan-A-Khass (Sheesh Mahal)
दीवान-ए-खास को शीश महल के नाम से भी पहचाना जाता है। दर्पणों से मिलकर बना शीश महल आमेर किले का एक सबसे प्रमुख आकर्षण है। यह महल को उस तकनीक से बनाया गया है। की सिर्फ एक मोमबत्ती से पुरे महल को प्रकाशमय बना सकते है। यानि प्रकाश की कुछ किरणों से ही पूरा महल उजाले से भर जाता है। यह महल को 1621- 1667 ई. में राजा जयसिंह ने बनाया था। उसकी बनावट में बेल्जियम से शीशे मगवाये गये थे। दीवान-ए-खास का उपयोग खास मेहमानों से मिलने के लिए किया जाता था।

Singh Gate Amber Fort
1699-1743 के अपने शासन काल में राजा जय सिंह यह विशिष्ट द्वार का निर्माण करवाया था। उसका उपयोग महल के भवनों में प्रवेश के लिए किया जाता था। यह स्थल की सुरक्षा सशक्त एव सख्त रखने के लिए संतरी तैनात रखा जाता था। सिंह द्वार का निर्माण बहुत ही अजीब एव टेढ़ा मेढ़ा किया गया है।
Man Singh Palace
अम्बर किले के परिसर के दक्षिण में सबसे प्राचीन मान सिंह का महल स्थित है। उसके निर्माण में तक़रीबन 25 साल का लंबा वक्त गुजरा था। स्तंभो के ऊपर और नीचे रंगीन टाईलों से बनाया गया यह महल 1599 में बनकर तैयार हुआ था।
Ganesh Gate Amber Fort
गणेश पोल के नाम से जाना जाता आमेर किले का यह मुख्य प्रवेश द्वार है। दीवान-ए-आम के दक्षिण में यह गणेश पोल स्थित है। उसका निर्माण मिर्जा राजा जय सिंह द्धितीय ने अपने शासन काल में करवाया था। ऐसा कहा जाता है। की जब राजा युद्ध में जीतकर आते थे। उस समय यही मुख्य द्धार से प्रवेश करते थे। महाराजा पर गणेश पोल से फुलों की वर्षा की जाती थी। बेहद शानदार तरीके से सजाये यह द्वार में गणेशजी की छोटी सी मूर्ति स्थापित है।

Dalaram Bagh
अम्बर किले को चार चांद लगा देने वाला दिल आराम बाग को 18 वीं सदी में बनाया गया था। उसके पूर्व में चबुतरे पर जय मंदिर और पश्चिम चबुतरे पर सुख निवास देखने को मिलता है। यह खूबसूरत बाग में सरोवर, फव्वारे का निर्माण किया गया है। उसे देख कर दिल को सुकून मिलता है। इसी लिए उसका नाम दिल आराम बाग रखा है।
Chand Gate Amber Fort
अम्बर किले के महल में सामान्य जनता को प्रवेश के लिए चांद पोल दरवाजा बनाय गया है। वह स्थान से चंद्रमा उदय होता देख सकते है। उसिलिये उसे चाँद पोल कहा करते है। दुर्ग के पश्चिमी और बना यह गेट के ऊपरी मंजिल में नौबतखाना था। जिसमे ढोल, नगाड़े सहित कई वाद्य यंत्र बजाए जाते थे।
Shila Mata Temple
राजा मान सिंह ने देवी शिला माता मंदिर बनाया था। यह प्रसिद्ध मंदिर के निर्माण में राजा ने सफेद संगमरमर पत्थरों का उपयोग करवाया है। राजा काली माता के बहुत बड़े भक्त थे। उसी लिए राजा मंदिर की मूर्ति बंगाल से लाये थे। यहाँ सच्चे दिल से मांगी हुई पर्यटकों की मनोकामना पूर्ण होती है। उसी चमत्कारों के कारण ही यहा दूर-दूर से लोग आते हैं।

आमेर के किला का रहस्य
जयपुर के आभूषण के रूप में यह किला सुंदर वास्तुकला और समृद्ध इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन उसमे कई रहस्य भी छुपे हुए है। 17 वीं शताब्दी में बने यह किले में राजा मान सिंह का खजाना छिपा हुआ है। मगर आज तक उसकी प्रमाणिक पुष्टि नही हुई है। यह किले की कई घटनायों और तथ्यों को आज भी स्पष्ट नहीं कर सके है। स्थानीय लोगो के मुताबिक फोर्ट को बनाने में 100 साल का समय लगा था। जो आज भी असप्ष्ट है। दुर्ग से सम्बन्धित कई रहस्य आज भी अकबंध है।
Amber Fort Light And Sound Show
राजस्थान के जयपुर के आमेर किले में शाम को पचास मिनट लाइट एंड साउंड शो का प्रदर्शन दिखाया जाता है। यह शो को राजस्थान की परंपरा, समृद्ध इतिहास और संस्कृति को बरक़रार रखने और पुनर्जीवित करने के हेतु हररोज आयोजित किया जाता है। आमेर किला लाइट एंड साउंड शो शुल्क की बात करे तो 295 रूपये देने होते है। उस लाइट एंड साउंड की अवधि 52 मिनट की होती है।

Amber Fort Light And Sound Show Timings
राजस्थान के जयपुर आमेर किले में शाम को लाइट एंड साउंड शो का प्रदर्शन दिखाया जाता है।
उसमे तीन अलग अलग समय रखे गए है।
मार्च से अप्रैल तक के महीनो में शाम 7 बजे अंग्रेजी और 8 बजे हिंदी में दिखया जाता है।
मई से सितंबर महीने में शाम 7:30 बजे अंग्रेजी में और 8:30 बजे हिंदी में दिखाया जाता है।
अक्टूबर से फरवरी के महीने में 6:30 बजे अंग्रेजी और 7:30 बजे हिंदी में प्रदर्शित होता है।
आमेर फोर्ट का स्थानीय भोजन
पिंकसिटी जयपुर (amber fort at jaipur) भारत देश के सबसे खास पर्यटक स्थलों में से एक है। इसीलिए यहाँ एक से बढ़कर एक भोजनो का स्वाद चख सकते हैं। लेकिन राजस्थान के आमेर किला के कुछ खास स्थानीय भोजन आपको जरूर खाने चाहिए। उसमे दाल बाटी चूरमा, इमरती, घेवर, हलवा, चोइर्मा, गजक और मूंग थाल भोजन खाने को मिलते है। आप जोहरी बाज़ार के स्थानीय स्ट्रीट फूड का लुप्त भी ले सकते हैं।

आमेर किला कैसे पहुँचे
ट्रेन से आमेर किला कैसे पहुंचे
जयपुर शहर रेल मार्ग से भारत देश के सभी बड़े शहरों से अच्छे से जुड़ा हुआ है।
यही नगर में पाँच रेलवे स्टेशन मौजूद है। जो अलग अलग दिशाओं में स्थित हैं।
जो जयपुर गांधीनगर, जयपुर जंक्शन, जगतपुरा, गेटोर और दुर्गापुरा रेलवे स्टेशन के नाम से स्थित है।
यहाँ पर बड़ी छोटी रेलगाड़ियों के साथ शताब्दी, राजधानी, दूरन्तो, डबल डेकर और गरीब रथ जैसी ट्रेने गुजरती हैं।
सड़क मार्ग से आमेर किला कैसे पहुंचे
राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की बसें दिल्ली, आगरा, अहमदाबाद, अजमेर एवं उदयपुर से समय समय पर बसें उपलब्ध रहती हैं। दूसरे कई राज्यों की बसें भी मिलती हैं। जयपुर नगर का प्रमुख बस-अड्डा सिंधी कैम्प में स्थित है। कई निजी वॉल्वो बसें नारायण सिंह सर्कल से भी मिलती हैं। आप जिसकी सहायता से आप बहुत आसानी से jaipur amber fort तक पहुंच सकते है।
फ्लाइट से आमेर किला कैसे पहुंचे
अगर आप amber fort india की यात्रा करने के लिए जयपुर जा रहे हैं।
तो आपको बता दें कि हवाई जहाज से जयपुर की यात्रा करना आपके लिए सबसे अच्छा रहेगा।
यहाँ का सांगानेर हवाई अड्डा भारत के सभी शहरों से नियमित रूप से एयरलाइनों से जुड़ा हुआ है।
आमेर किले से सांगानेर की दूरी करीब 27 किलोमीटर है। वहा से आप टैक्सी या कैब की सहायता आमेर किले तक पहुंच सकते है।
Amber Fort Location आमेर किले की लोकेशन का मैप
Amber Fort History in Hindi Video
Amer fort facts Interesting Facts
- आमेर दुर्ग संगमरमर और लाल बलुआ पत्थरों बनाया गया है।
- आमेर किला अपनी अनूठी वास्तुशैली और शानदार संरचना के लिए मशहूर है।
- ऐतिहासिक किले को राजा मानसिंह, राजा जयसिंह और राजा सवाई सिंह ने बनवाया था।
- प्राचीन काल में अम्बावती और अम्बिबकापुर के नाम से आमेर कछवाह राजाओं की राजधानी रहा है।
- यहाँ प्राचीन शिकार शैलियों और महत्वपूर्ण राजपूत शासकों के चित्र देखने को मिलेंगे।
- किले का नाम आमेर, भगवान शिव के नाम अंबिकेश्वर पर रखा गया था।
FAQ
Q : आमेर का किला कहा है?
Ans : राजस्थान राज्य की पिंक सिटी जयपुर में अरावली पहाड़ी की चोटी पर आमेर का किला स्थित है।
Q : आमेर का किला क्यों बनाया गया था?
Ans : सूर्यवंशी कछवाहों ने अपने राज्य की राजधानी हेतु आमेर किले को बनाया गया था।
Q : आमेर का किला कब बनाया गया था?
Ans : आमेर का किला 1592 – 1727 में बनाया गया था।
Q : आमेर किले के बारे में क्या खास है?
Ans : अपने कलात्मक विशुद्ध हिन्दू वास्तु शैली के लिये प्रसिद्ध है।
Q : आमेर किले की स्थापना किसने की थी?
Ans : राजा मानसिंह, राजा जयसिंह और राजा सवाई सिंह ने बनवाया था।
Conclusion
आपको मेरा Amber Fort (Amer Fort) History in Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा।
लेख के जरिये amber fort of jaipur और
Amber fort built by से सबंधीत सम्पूर्ण जानकारी दी है।
अगर आपको किसी जगह के बारे में जानना है। तो कहै मेंट करके जरूर बता सकते है।
हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।
Note
आपके पास Amber fort timings या Amer fort history की कोई जानकारी हैं।
या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे / तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है।
तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद।
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