भारत के महाराष्ट्र राज्य के अजंता नामक गाँव के पास Ajanta Caves 30 चट्टानों को काटकर बना बौद्ध स्मारक गुफाएँ जो द्वितीय शताब्दी ई॰पू॰ 480 के हैं। यहाँ बौद्ध धर्म से सम्बन्धित चित्रण एवम् शिल्पकारी के उत्कृष्ट नमूने मिलते हैं।
इनके साथ ही सजीव चित्रण भी मिलते हैं। यह गुफाएँ अजंता नामक गाँव के सन्निकट ही स्थित है, जो कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में है। ajanta की गुफाएँ सन् 1983 में युनेस्को में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। उनकी बनावट तक़रीबन दूसरी शताब्दी के समय में मानी जाती है। चट्टानों पर काटकर बनाया यह बौद्ध स्मारक ऐतिहासिक चीज़ों को देखने का शौख रखने वालो के अलावा सभी को बहुत ही आनंदमय अनुभव देता है। उनकी सुंदरता एव कलाकारी यात्रलुओ के मन को मनमोहित करके शांति और सुख का एहसास कराती है। अजंता की गुफाओं का निर्माण गुप्त काल में हुआ ऐसा कहा जाता है। तो चलिए Ajanta ellora caves History in Hindi बताना शुरू करते है।
Table of Contents
Ajanta Caves History In Hindi –
गुफा का नाम | अजंता |
स्थान | अजंता गांव , औरंगाबाद |
राज्य | महाराष्ट्र |
निर्माण | 200 ई. पू. और 7वीं शताब्दी |
ओरंगबादसे दुरी | 100 कि.मी |
चैत्य गुफाएं | गुफा नंबर 9, 10, 19, और 29 |
धर्म सम्बंद | बौद्ध |
गुफा का समय | 2000 साल पुरानी |
बुद्धा की मूर्ति | 600 साल पुराना |
गुफाओक समूह | 30 गुफा |
यूनेस्को धरोहर में स्थान | सन् 1983 |
विहार गुफा | गुफा नंबर 12, 13, 15 |
अजंता और एलोरा की गुफाएँ –

आपको जानकर हैरानी होगी कि अजंता एक दो नहीं बल्कि पूरे 30 गुफाओं का समूह है जिसे घोड़े की नाल के आकार में पहाड़ों को काटकर बनाया गया है और इसके सामने से बहती है एक संकरी सी नदी जिसका नाम वाघोरा है। पास ही मौजूद गांव अजंता के नाम पर इन गुफाओं का नाम पड़ा। इन गुफाओं में भगवान बुद्ध की कई प्रतिमाओं के साथ ही दीवार पर बौद्ध धर्म से जुड़ी कई पेंटिग्स भी बनाई गई हैं। साथ ही इसमें भगवान बुद्ध के पिछले जन्मों के बारे में भी बताया गया है।
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Ajanta Caves का क्षेत्र – अजंता की गुफा संख्या
अजन्ता एलोरा गुफाएँ एक घने जंगल से घिरी, अश्व नाल आकार घाटी में अजंता गाँव से 3 कि॰मी॰ दूर बनी है। गाँव महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर से 106 कि॰मी॰ दूर है। निकटतम कस्बा जलगाँव 60 कि॰मी॰ दूर है, भुसावल 70 कि॰मी॰ दूर घाटी की तलहटी में पहाड़ी धारा वाघूर बहती है। कुल 30 गुफाएँ (भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग द्वारा आधिकारिक गणनानुसार) हैं, जो कि नदी द्वारा निर्मित एक प्रपात के दक्षिण में स्थित है। नदी से ऊँचाई 35 से 110 फीट तक की है।
अजंता का मठ जैसा समूह जिसमें कई विहार (मठ आवासीय) एवं चैत्य गृह हैं (स्तूप स्मारक हॉल), जो कि दो चरणों में बने हैं। प्रथम चरण को गलती से हीनयान चरण कहा गया है। जो बौद्ध धर्म के हीनयान मत से सम्बन्धित है। वस्तुतः हिनायन स्थविरवाद के लिए एक शब्द है, जिसमें बुद्ध की मूर्त रूप से कोई निषेध नहीं है। Ajanta’s Cave संख्या 9, 10, 12, 13 15ए (अंतिम गुफा को 1956 में ही खोजा गया और अभी तक संख्यित नहीं किया गया है।) को इस चरण में खोजा गया था। खुदाइयों में बुद्ध को स्तूप या मठ रूप में दर्शित किया गया है।
दूसरे चरण की खुदाइयाँ लगभग तीन शताब्दियों की स्थिरता के बाद खोजी गयीं। इस चरण को भी गलत रूप में महायान चरण 9 बौद्ध धर्म का दूसरा बड़ा धड़ा, जो कमतर कट्टर है। बुद्ध को सीधे गाय आदि रूप में Ajanta caves images या शिल्पों में दर्शित करने की अनुमति देता है।) कई लोग इस चरण को वाकाटक चरण कहते हैं।
Ajanta caves built by – निर्मणा

वत्सगुल्म शाखा के शासित वंश वाकाटक के नाम पर है। द्वितीय चरण की निर्माण का समय तिथि शिक्षाविदों में विवादित है। कुछ बहुमत के संकेत इसे पाँचवीं शताब्दी में मानने लगे। वॉल्टर एम॰ स्पिंक, एक विशेषज्ञ के अनुसार महायन गुफाएँ 462-480 ई॰ के बीच निर्मित हुई थी। महायन चरण की गुफाएँ संख्या हैं 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 11, 14, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28, और 29। गुफा संख्या 8 को लम्बे ajantha caves timings तक हिनायन चरण की गुफा समझा गया। किन्तु वर्तमान में तथ्यों के आधार पर इसे महायन घोषित किया गया है।
महायन, हिनायन चरण में दो चैत्यगृह मिले जो गुफा संख्या 9 व 10 में थे। इस चरण की गुफा संख्या 12, 13, 15 विहार हैं। महायन चरण में तीन चैत्य गृह थे जो संख्या 19, 26, 29 में थे। अपने आरम्भ से ही अंतिम गुफा अनावासित थी। अन्य सभी गुफाएँ 1-3, 5-8, 11, 14-18, 20-25, व 27-28 विहार हैं। खुदाई में मिले विहार कई नापों के हैं, जिनमें सबसे बड़ा 52 फीट का है। .उनके रूप में भी भिन्नता है। कई साधारण हैं, तो कई अलंकृत हैं, कुछ के द्वार मण्डप बने हैं। तो कई के नहीं बने हैं। सभी विहारों में एक आवश्यक घटक है। एक वृहत हॉल कमरा। वाकाटक चरण वालों में, कईयों में पवित्र ajantha caves location नहीं बने हैं। क्योंकि वे केवल धार्मिक सभाओं एवम् आवास मात्र हेतु बने थे; बाद में उनमें पवित्र स्थान जोड़े गये।
गुफाओं में नवीनतम विशेषताएँ –
ajanta ellora ni gufa के पवित्र स्थान में केन्द्रीय कक्ष में बुद्ध की मूर्ति प्रायः धर्म-चक्र-प्रवर्तन मुद्रा में बैठे हुए थी। यह गुफाओं में नवीनतम विशेषताएँ हैं। किनारे की दीवारों, द्वार मण्डपों पर और प्रांगण में गौण पवित्र स्थल भी बने हैं। कई विहारों के दीवारों के फलक नक्काशी से अलंकृत हैं। दीवारों और छतों पर भित्ति चित्रण किया हुआ है। प्रथम शताब्दी में हुए बौद्ध विचारों में अन्तर से, बुद्ध को देवता का दर्जा दिया और उनकी पूजा होने लगी। परिणामतः बुद्ध को पूजा-अर्चना का केन्द्र बनाया गया; जिससे महायन की उत्पत्ति हुई।
पूर्व में, शिक्षाविदों ने गुफाओं को तीन समूहों में बाँटा था। सिद्धान्त के अनुसार 200 ई॰ पूर्व से 200 ई॰ तक एक समूह, द्वितीय समूह छठी शताब्दी का और तृतीय समूह सातवीं शताब्दी का माना जाता था। आंग्ल-भारतीयों द्वारा विहारों हेतु प्रयुक्त अभिव्यंजन गुफा-मंदिर अनुपयुक्त माना गया। अजंता एक प्रकार का महाविद्यालय मठ था। ह्वेन त्सांग बताता है कि दिन्नाग, एक प्रसिद्ध बौद्ध दार्शनिक, तत्वज्ञ, जो कि तर्कशास्त्र पर कई ग्रन्थों के लेखक यहाँ रहते थे।
यह अभी अन्य साक्ष्यों से प्रमाणित होना शेष है। अपने चरम पर विहार सैंकड़ों को समायोजित करने की सामर्थ्य रखते थे। यहाँ शिक्षक और छात्र एक साथ रहते थे। यह अति दुःखद है कि कोई भी वाकाटक चरण की गुफा पूर्ण नहीं है। यह इस कारण हुआ कि शासक वाकाटक वंश एकाएक शक्तिविहीन हो गया, जिससे उसकी प्रजा भी संकट में आ गयी। इसी कारण सभी गतिविधियाँ बाधित होकर एकाएक रूक गयीं। यह अजंता का अंतिम काल रहा।
Ajanta caves architecture – बौद्ध धर्म का चित्रण
अजंता गुफाओं में कटी हुई चट्टाने है, जो दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व और छठी शताब्दी ईसा पूर्व के बीच इसकी उत्पत्ति का पता लगता हैं। Ajanta Caves भगवान बुद्ध को समर्पित हैं। यह कम से कम संख्या में 30 है, ये गुफाएं अनुयायियों और बौद्ध धर्म के विद्यार्थियों के आवास के लिए निर्माण की गयी थीं। अपने प्रवास के समय के दौरान, उन्होंने अपनी उत्कृष्ट वास्तुकला कौशल और कलात्मक ajantha caves images के साथ गुफाओं को सुशोभित किया था।
आम तौर पर, नक्काशी और चित्रकारी भगवान बुद्ध की जीवन कथाओं को दर्शाती हैं। इस के साथ, चट्टानों में मानव और पशु के कई शैलियों का भी उत्कीर्ण किया गया है। अजन्ता में सचित्र नक्काशी और भित्ति ajantha caves images उस समय के आधुनिक समाज को दर्शाती हैं। कलात्मक मूर्तियां राजाओं से गुलाम, पुरुषों और महिलाओं के सभी प्रकार के लोगों को, फूलों के पौधे, फल और पक्षियों के साथ जानवरों को प्रस्तुत करते हैं।

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दूसरा चित्रण Ajanta Caves का –
कुछ ऐसे आंकड़े हैं जो ‘यक्ष‘, ‘केनेरस‘ (आधा मानव और आधा पक्षी), ‘गंधर्व‘ (दिव्य संगीतकार) और ‘अप्सरा‘ (स्वर्गीय नर्तक) जैसे निवासियों को चित्रित करते हैं। सभी तीस गुफाओं को ‘चैत्री-गृह‘ (स्तूप हॉल) और ‘विहार‘ (आवास हॉल) में विभाजित किया गया है। प्रत्येक गुफा मूल संरचना में संरक्षित हैं। गुफाएं 9, 10, 19, और 29 चैत्य गृह के नाम से जाना जाता है, इसमें भगवान की पूजा की जाती थी। शेष गुफाएं ‘संघहारस ‘ या ‘विहारस ‘ हैं जिनका उपयोग अनुयायियों के आवास उद्देश्यों और बौद्ध धर्म के विद्यार्थियों के लिए किया गया था।
गुफाओं को मुख्य प्रवेश द्वार से उनकी वर्तमान पहुंच के अनुसार गिने जाता है और उसी क्रम में इसे बनाया गया है। कलात्मक दृष्टिकोण से, गुफा 1, 2, 16 और 17 वास्तव में महत्वपूर्ण हैं और कला के उल्लेखनीय टुकड़े हैं। जो निश्चित रूप से आधुनिक दुनिया की कला को हरा सकते हैं। इन गुफाओं की दीवारों को भित्ति चित्रों से सजाया गया है जो कि पिछले युग की एक ही आकर्षण और जीवंतता प्रदान करने के लिए बनाए जाते हैं।
दीवारों की पेन्टिंग –
ajantha गुफाओं की दीवार चित्रों को टेम्पेरा तकनीक के साथ बनाया गया है। इस तकनीक में सूखी सतह पर Ajanta caves paintings शामिल है।
दीवार पर मिट्टी, गौरंग और चावल के कणों के मिश्रण की
1सेंटीमीटर मोटी परत को लेपित किया गया है।
चित्रकारी को पूरा होने पर चूने के कोट के साथ लेपित किया जाता था।
क्योंकि उन दिनों में, रंग प्राकृतिक होते थे।
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गुफा नंबर 1 –
यह एक प्रथम कदम है और इसका अन्य गुफाओं के समयानुसार क्रम से कोई मतलब नहीं है। यह अश्वनाल आकार की ढाल पर पूर्वी ओर से प्रथम गुफा है। स्पिंक के अनुसार इस स्थल पर बनी अंतिम गुफाओं में से एक है और वाकाटक चरण के समाप्ति की ओर है। हालाँकि कोई शिलालेखित साक्ष्य उपस्थित नहीं हैं; फिर भी यह माना जाता है। कि वाकाटक राजा हरिसेना इस उत्तम संरक्षित गुफा के संरक्षक रहे हों। इसका प्रबल कारण यह है कि हरिसेना आरम्भ में अजंता के संरक्षण में सम्मिलित नहीं था,
किन्तु लम्बे ajantha caves timings तक इनसे अलग नहीं रह सका, क्योंकि यह स्थल उसके शासन काल में गतिविधियों से भरा रहा और उसकी बौद्ध प्रजा को उस हिन्दू राजा का इस पवित्र कार्य को आश्रय देना प्रसन्न कर सकता था। यहाँ दर्शित कई विषय राजसिक हैं। इस गुफा में अत्यंत विस्तृत नक्काशी कार्य किया गया है, जिसमें कई अति उभरे हुए शिल्प भी हैं। यहाँ बुद्ध के जीवन से सम्बन्धित कई घटनाएँ अंकित हैं, साथ ही अनेक अलंकरण नमूने भी हैं।

Ajanta गुफा नंबर 1 का चित्रण –
इसका द्वि-स्तंभी द्वार-मण्डप, जो उन्नीसवीं शताब्दी तक दृश्य था (तब के चित्रानुसार), वह अब लुप्त हो चुका है। इस गुफा के आगे एक खुला ajantha caves location था, जिसके दोनों ओर खम्भेदार गलियारे थे। इसका स्तर अपेक्षाकृत ऊँचा था। इसके द्वार मण्डप के दोनों ओर कोठियाँ हैं। इसके अन्त में खम्भेदार प्रकोष्ठों की अनुपस्थिति बताती है कि यह मण्डप अजंता के अन्तिम चरण के साथ नहीं बना था, जब कि खम्भेदार प्रकोष्ठ एक नियमित अंग बन चुके थे।
पोर्च का अधिकांश क्षेत्र कभी मुराल से भरा रहा होगा, जिसके कई अवशेष अभी भी शेष हैं। यहाँ तीन द्वार पथ हैं, एक केन्द्रीय व दो किनारे के। इन द्वारपथों के बीच दो वर्गाकार खिड़कियाँ तराशी हुई है, जिनसे अंतस उज्ज्वलित होता था। महाकक्ष (हॉल) की प्रत्येक दीवार लगभग 40 फीट लम्बी और 20 फीट ऊँची है। बारह स्तम्भ अन्दर एक वर्गाकार कॉलोनेड बनाते हैं जो छत को सहारा देते हैं, साथ ही दीवारों के साथ-साथ एक गलियारा-सा बनाते हैं।
पीछे की दीवार पर एक गर्भगृहनुमा छवि तराशी गयी है, जिसमें बुद्ध अपनी धर्म-चक्र-प्रवर्तन मुद्रा में बैठे दर्शित हैं। पीछे, बायीं एवं दायीं दीवार में चार-चार कमरे बने हैं। यह दीवारें चित्रकारी से भरी हैं, जो कि संरक्षण की उत्तम अवस्था में हैं। दर्शित दृश्य अधिकतर उपदेशों, धार्मिक एवम् अलंकरण के हैं। इनके विषय जातक कथाओं, गौतम बुद्ध के जीवन, आदि से सम्बन्धित हैं।
गुफा नंबर 1 में बोधिसत्त्व पद्मपानी का चित्र –
गुफा क्रमांक 1 का द्वार खुलते ही भीतर दो बोधिसत्त्व के बड़े चित्र हैं – बोधिसत्त्व पद्मपानी और बोधिसत्त्व वज्रपानी। यहां पर मैं आपको बाई तरफ की मूर्ति के बारे में बताते हुए उसकी बारीकियों पर भी प्रकाश डालने का प्रयास करती है। जो Ajanta’s Cave ओं में सबसे अधिक प्रसिद्ध है। इस जानकारी से आपको अजंता की बाकी की चित्रकारी समझने में सहायता होगी। यह बोधिसत्त्व पद्मपानी है अर्थात वह जिसके हाथों में पद्म या कमल का पुष्प है। इस ajantha caves images को कुछ ajantha caves timings के लिए ध्यान से देखने पर आपको यह नज़र आयेगा।

बोधिसत्त्व पद्मपानी के चित्र –
- उत्तम रूप से चित्रित बाहरी आकार।
- अंडाकार चेहरे पर उत्तम अनुपात में पहनाया गया त्रिकोणीय किरीट जिससे
- माथे पर सिर्फ बालों की पतली सी रेखा दिखाई दे रही है।
- कमल के आकार की उदास आँखें जो आधी बंद हैं।
- कामुकता से भरे अधर।
- धनुष के आकार की भौहें।
- तराशा हुआ नाक, जिसे सफ़ेद रंग से उभारा गया है।
चौड़ी छाती और पतली कमर –
उनकी भुजाएँ थोड़ी विचित्र सी हैं और दो हाथ थोड़े भिन्न से। भारतीय शिल्पशास्त्र के अनुसार ऐसा माना जाता है कि, महापुरुषों के हाथ हाथी की सूंड की तरह लंबे होते हैं, जो घुटनों तक पहुँचते हैं। चित्रकार ने संभवतः यही दर्शाने का प्रयास किया है। हाथ में कमल का फूल पकड़े हुए उनकी लंबी और पतली उँगलियाँ नाज़ुक सी लगती हैं। गले में एकावली मोतियों की माला है, जिसके बीच में नीलमणि है। नीलमणि से पीछे गर्दन की ओर जाते हुए मोतियों का आकार छोटा होता जाता है। इस तरह की मालाएँ आप आज भी देख सकते हैं।
Ajanta Caves नंबर 1 में जातक कथाओं के चित्र –
ajanta ki gufa क्रमांक 1 की बाईं तरफ आप महाजनक जातक चित्रित रूप में देख सकते हैं, ये दृश्य बोधिसत्व महाजनक की कथा को दर्शाते हैं। मिथिला के राजा महाजनक का जन्म निर्वासन काल के दौरान हुआ था। वे एक सामान्य मनुष्य के रूप में पले-बड़े और बड़ा होने के बाद उन्हें अपने राजसी गौरवों का पता चला। उन्होंने स्वर्णभूमि या श्रीलंका की यात्रा के दौरान राजकुमारी शिवाली से विवाह किया।
एक दिन वे सारे सांसरिक सुखों का त्याग कर देते है। शिवाली और बाकी लोगों के समझाने के बावजूद भी वे नहीं मानते। यह गुफा की दाहिने ओर की दीवारों पे नन्द जातक चित्रित है, जो बुद्ध के सौतेले भाई की कथा को बताते हैं। इस कथा में बुद्ध अपने भाई नन्द को स्वर्ग में लेकर जाते हैं, जिसके बाद वे संसार का त्याग कर बुद्ध की शिक्षा का पालन करने लगे।

गुफा नंबर 2 –
गुफा संख्या 1 से लगी गुफा सं॰ 2, दीवारों, छतों एवं स्तम्भों पर
संरक्षित अपनी चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध है।
यह अत्यन्त ही सुन्दर दिखती गुफा संख्या के समान ही दिखती है।
लेकिन संरक्षण की कहीं बेहतर स्थिति में है।
फलक –
ajantha गुफा में दो द्वार-मण्डप जो संख्या १ से बहुत अलग है।
बल्कि फलकों की नक्काशी भी उससे अलग दिखती है।
इस गुफा को सहारा दिये दो अच्छे खासे मोटे स्तम्भ हैं।
जो कि भारी नक्काशी से अलंकृत हैं।
आकार, नाप एवम् भूमि योजना में पहली गुफा से काफी मिलती है।
द्वार-मण्डप –
सामने का पोर्च दोनों ओर स्तम्भों से युक्त प्रकोष्ठों से युक्त है। पूर्व में रिक्त छोड़े स्थानों पर बने कमरे आवश्यक होने पर बाद में ajantha caves location की आवश्यकता होने पर बने, क्योंकि बाद में आवास की अधिक आवश्यकता बढ़ी। सभी बाद की वाकाटक निर्माणों में, पोर्च के अन्त में प्रकोष्ठ आवश्यक अंग बन गये। इसकी छतों और दीवारों पर बने भित्ति ajantha caves images का पर्याप्त मात्रा में प्रकाशन हुआ है।
इनमें बुद्ध के जन्म से पूर्व बोधिसत्व रूप के अन्य जन्मों की कथाएँ हैं। पोर्च की पीछे की दीवार के बीच एक द्वार-पथ है, जिससे महाकक्ष (हॉल) में प्रवेश होता है। द्वार के दोनों ओर वर्गाकार चौड़ी खिड़कियाँ हैं जो प्रचुर प्रकाश उपलब्ध कराती हैं; जिससे सुन्दरता एवम् सम्मिति लाती हैं।

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प्रार्थना के लिए होता है इस्तेमाल –
यहां 2 तरह की गुफाएं हैं- विहार और चैत्य गृह… विहार, बौद्ध मठ हैं जिसका इस्तेमाल रहने और प्रार्थना के लिए किया जाता था। यहां स्क्वेर शेप के छोटे-छोटे हॉल और सेल बने हुए हैं। सेल्स का इस्तेमाल बौद्ध भिक्षुओं द्वारा आराम करने और दूसरी गतिविधियों के लिए होता था जबकि बीच में मौजूद स्क्वेर स्पेस का इस्तेमाल प्रार्थना के लिए होता था। चैत्य गृह गुफाओं का इस्तेमाल प्रार्थना के लिए होता था। इन गुफाओं के आखिर में स्तूप बने हुए हैं जो भगवान बुद्ध का प्रतीक हैं।
अजंता केव्स में जहां 30 गुफाओं का समूह है वहीं एलोरा की गुफाओं में 34 मोनैस्ट्रीज और मंदिर हैं जो पहाड़ के किनारे पर करीब 2 किलोमीटर के हिस्से में फैला हुआ है। इन गुफाओं का निर्माण 5वीं और 10वीं शताब्दी के बीच किया गया था। एलोरा की गुफाएं पहाड़ और चट्टानों को काटकर बनाई गई वास्तुकला का सबसे बेहतरीन उदाहरण है। एलोरा की गुफाओं में मौजूद मंदिर हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म को समर्पित है। यहां की ज्यादातर सरंचनाओं में विहार और मोनैस्ट्रीज हैं। इनमें बुद्धिस्ट केव जिसे विश्वकर्मा केव कहते हैं यह सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है।
अजंता गुफा चित्रों की विशेषताएं –
- सबको अजंता की चित्रकारी का प्रभाव प्रसिद्द बौद्ध स्थलों की चित्रकारी में दिखता है।
- श्रीलंका में सिगीरीय, पश्चिम चीन की दुन्हुयांग गुफाएँ और जापान की नारा गुफाएँ।
- अगली बार आप जब अजंता जाएँ, तो इन छोटी छोटी बातों पर ध्यान दीजियेगा।
- आपकी अजंता यात्रा और भी रुचिकर हो जाएगी।
- अजंता की वास्तुकला एवं भित्ति चित्रों को समझने के लिए।
- आप भारतीय पुरातत्व विभाग की पुस्तिका का उपयोग कर सकते हैं।
- जो की आपको टिकट खिड़की पर मिल जाएगी।
- भारतीय पुरातत्व विभाग अजंता एवं अन्य विश्व धरोहर स्थलों का संरक्षक है।
- और उनके रख रखाव के लिए उत्तरदायी है।
पुरातात्विक निष्कर्ष –
पुरातत्व विभाग द्वारा प्रकट किए गए तथ्यों के अनुसार,
गुफाओं को दो अलग-अलग क्षेत्रों में बनाया गया था.
जिसमें कम से कम चार सदियों का अंतर था।
पहले खंड में बने गुफाओं में , दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व की तारीखें है।
जबकि दूसरे खंड की वाकाटकों और गुप्त द्वारा बनाया गया था।
प्रत्येक गुफा में बुद्ध के जीवन, बोधिसत्व और जटाकास की घटनाओं का
प्रतिनिधित्व करने वाले नक्काशियों और चित्रकारी शामिल हैं।

अजंता कैसे पहुंचे –
मुंबई, पुणे, अहमदाबाद, नासिक, इंदौर, धूले, जलगांव, शिरडी शहरों से
औरंगाबाद के लिए बस सुविधा उपलब्ध है।
यह औरंगाबाद से अजंता की दूरी 101 किलोमीटर है।
औरंगाबाद रेलवे स्टेशन से दिल्ली व मुंबई के लिए ट्रेन सुविधा है।
सोमवार का दिन छोड़कर आप कभी भी अंजता जा सकते हैं।
गुफाओ के बारे मे कुछ रोचक बाते –
- Ajanta’s Cave 2000 साल पुरानी है और वहा बुद्धा का पुतला करीब 600 साल पुराना है।
- अजंता की पहेली ही गुफा में आपको बुद्धा का बड़ा चित्र दिखाई देंगा।
- गुफाओ के द्वार को बहुत ही ख़ूबसूरती से सजाया हुआ है।
- खुबसूरत चित्रों और भव्य मुर्तियो के अलावा वहा बड़े बड़े पिल्लर, बुद्धो की मुर्तिया है।
- सीलिंग पे बने चित्र सभी पर्यटकों को आकर्षित करते है।
- गुफाओ की गौर से जाँच के बाद पता चला की अजंता की गुफाओ में करीब 30 गुफ़ाये है।
- गुफाये दो भाग में थी जिसमे से कई सातवाहन दौर में हुई और कई वकाताका दौर में हुई।
- बुद्धा के जीवन में वो गुफाओ में उनके चित्र और नक़्शे बनने के खिलाफ थे।
- दुसरे दौर के निर्माण हरिशेना वकाताका शशक के राज्य में हुआ।
- इस दौर में करीब 20 गुफाओ में मंदिरों का निर्माण हुआ।
- घना जंगल होने के कारन गुफाओ का बनना बंद हो गया था।
- उनके नक़्शे और चित्र बुद्धो की शिक्षा पर ज्यादा प्रभाव डाल रही थी।
- महायनहिनायन दौर में दो चैत्यगृह मिले थे।
- जो गुफा संख्या 9 व 10 में थे. इस चरण की गुफा संख्या 12, 13, 15 विहार हैं।
Ajanta Caves Maharashtra Map –
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Ajanta Caves Video –
Ajanta Caves FAQ –
1. अजंता की गुफाओं की संख्या कितनी है ?
अजंता में 30 गुफाओं का समूह घोड़े की नाल के आकार में पहाड़ में बनाया गया है।
2. अजंता की गुफा का निर्माण कब हुआ ?
200 ई॰ पूर्व से 200 ई॰ तक एक समूह, द्वितीय समूह छठी शताब्दी का
और तृतीय समूह सातवीं शताब्दी का माना जाता था।
3. अजंता की सबसे प्राचीन गुफा कौन सी है ?
अजंता में मौजूद कुल 30 गुफाओं में केवल 6, अर्थात गुफा संख्या 1, 2, 9, 10, 16, 17 प्राचीन है।
4. अजंता की गुफ़ा कितने क्षेत्र में फैली है ?
30 गुफाओं का समूह पहाड़ के किनारे 2 किलोमीटर के हिस्से में है।
5. चित्रकला की सर्वाधिक प्राचीन शैली कौन सी है ?
ajanta caves painting की सर्वाधिक गुप्तकालीन प्राचीन शैली है।
Conclusion –
आपको मेरा Ajantha Caves History in Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा।
लेख के जरिये अजंता की गुफाये और Ellora caves से सबंधीत सम्पूर्ण जानकारी दी है।
अगर आपको किसी जगह के बारे में जानना है। तो कहै मेंट करके जरूर बता सकते है।
हमारे आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शयेर जरूर करे। जय हिन्द।
Note –
आपके पास About Ajanta caves in hindi या Ajanta caves information in hindi हैं।
या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है।
तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद
1 .अजंता की गुफाओं का निर्माण किस राजवंश के काल में हुआ ?
2 .अजंता की गुफाओं का निर्माण किस राजवंश के काल में हुआ?
1⃣ गुप्त 2⃣ कुशाण 3⃣ मौर्य 4⃣ चालुक्य